सोमवार, अगस्त 08, 2011

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा विधेयक की रोकथाम के बारे में 2011

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा विधेयक की रोकथाम के बारे में 2011
Q1. सांप्रदायिक हिंसा को रोकने वाले बिल का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा (न्याय और reparations प्रवेश) विधेयक, 2011 की ...रोकथाम.

Q1a क्या यह पूरे भारत में लागू बिल है?
उत्तर: हाँ, लेकिन यह जम्मू और कश्मीर के राज्य मे लागू नहीं है.
Q2. कौन इस बिल के मसौदा को तैयार करवा रहा है?
उत्तर: राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) इसकी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व किया जा रहा है।
Q.3 राष्ट्रीय सलाहकार परिषद क्या है?
उत्तर: राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) केन्द्रीय सरकार के एक आदेश द्वारा गठित किया गया है. यह एक संविधानेतर एक सुपर संसद के रूप में है. इसमे 22 सदस्यों को चुना गया है। जो लोग इसमे मूल रूप से कर रहे है वह श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा चुने गये.वे सभी कांग्रेस समर्थक ,हिंदू विरोधी लोग विभिन्न सरकारी संगठनों वे (गैर सरकारी संगठनों) से संबंधित इन लोग को जैसे हर्ष Mander, तीस्ता Setalvad (जो प्रारूपण समिति के सदस्य है वह भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा तय किया गये है। झूठी कथाएँ, झूठे गवाहों और मामलों में माननीय न्यायालय के समक्ष गुजरात में झूठे शपथ - पत्र प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदार ठहराया हे।)
प्रश्न 4 इस बिल को कहां प्रस्तुत किया जाएगा?
उत्तर: 2011 में संसद के मानसून सत्र में इसे कानून बनाने के लिए इस बिल को प्रस्तुत किया जाऐगा।
Q.5 इस बिल के बारे में क्या आप को पता है?
उत्तर: जैसा कि नाम से पता चलता है, इस विधेयक को देश में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के उद्देश्य से लाया जा रहा है. यह उन लोगों को जो साम्प्रदायिक हिंसा किसी 'समूह' यानी अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के खिलाफ सज़ा करना है.
Q5a. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार की रोकथाम के लिए कोई अन्य अधिनियम है?
उत्तर: हाँ, (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989
Q.6 इस विधेयक के अनुसार, जो हमेशा अपराधी है?
उत्तर: बहुसंख्यक समुदाय (पढ़ें हिंदुओं).
Q.7 इस विधेयक के अनुसार, जो एक शिकार है?
उत्तर: अल्पसंख्यक समुदाय यानी मुसलमानों, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति.
Q.8 गवाह कौन है?
उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बंधित ( मुस्लिम, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों) और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के खिलाफ सांप्रदायिक अशांति जैसे मामले में इस अधिनियम के बारे में जानकारी रखता हे।
Q.9 जो दंगा करने वालो के खिलाफ़ पुलिस मे शिकायत दर्ज कर सकते हैं?
उत्तर: केवल अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों) और अनुसूचित जाति के सदस्यों, अनुसूचित जनजाति पुलिस के साथ एक शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
बहुसंख्यक समुदाय (हिंदुओं पढ़ें) के सदस्य एक शिकायत नहीं दर्ज कर सकते हैं.
Q.10 एक बहुसंख्यक समुदाय के सदस्य की गिरफ्तारी (हिंदू पढ़ें) के लिए आवश्यक सबूत है?
उत्तर: कोई भी सबूत जो कि बहुसंख्यक समुदाय (पढ़ें हिंदू) के सदस्य की गिरफ्तारी के लिए आवश्यक है. यदि हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत करता है. इस प्रकार यह आपराधिक कानून के बुनियादी सिद्धांत है जो कहता है हर कोई निर्दोष है जब तक दोषी साबित के खिलाफ है. यहाँ बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू पढ़ा) के सदस्य दोषी है जब तक वह अपनी बेगुनाही को साबित नही कर देता है.
Q.11 क्या सांप्रदायिक दंगो का शिकायतकर्ता अल्पसख्यक ही होगा?
उत्तर: निश्चित रूप से हाँ. पुलिस मे केवल अल्पसंख्यकों जो बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज कराई (हिंदुओं पढ़ें) की शिकायत ले जाएगा.
Q.12 कौन इस बिल के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है ?
उत्तर: यदि एक संघ (जो हिंदू है) के सदस्य अल्पसंख्यको के खिलाफ किसी को भी अपराध मे नाम लेने पर (पढ़ें हिंदू) उनका सदस्य माना जाएगा और उसको गिरफ्तार किया जा सकता है.
जैसे व्यवहार में यह मतलब होगा कि अगर एक लोक सेवक किसी भी अपराध के साथ चार्ज किया जाता है, राज्य के मुख्यमंत्री को भी गिरफ्तार किया जा सकता है.
जैसे व्यवहार में यह भी मतलब होगा कि अगर किसी भी अखबार में एक अल्पसंख्यक नेता की ओर से शिकायत है कि उसे इस भाषण मे नफ़रत की रिपोर्ट प्रकाशित करने से उसे मानसिक रूप से चोट लगी है तो इस प्रकार भी संपादक, मालिक, प्रकाशक, अखबार के संवाददाता को भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
Q.13 प्रस्तावित अधिनियम के तहत अपराध क्या हैं?
उत्तर: कोई अल्पसंख्यक समुदाय ( मुस्लिम, ईसाई, अन्य अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति) के सदस्यों के खिलाफ बहुसंख्यक समुदाय (पढ़ें हिंदुओं) के सदस्यों द्वारा किये गये कार्य से नफरत प्रचार, यातना, चोट, हत्या, यौन उत्पीड़न,सांप्रदायिक हिंसा आदि दंगों की एक घटना में एक अपराध है.
Q.14 अगर बहुसंख्यक समुदाय का एक सदस्य (पढ़ें हिंदू) घायल हो जाता है या हत्या या उसके घर को आग या उसकी पत्नी के साथ बलात्कार, यह इस प्रस्तावित अधिनियम के तहत एक अपराध है?
उत्तर: नहीं, बहुसंख्यक समुदाय के सदस्य किसी भी क्रूरता का शिकार हो तो भी (हिंदुओं पढ़ें) एक अपराध नहीं है. बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू पढ़ा) के सदस्य इस प्रस्तावित अधिनियम के तहत शिकायत नहीं दर्ज कर सकते हैं.
Q.15 यदि एक मुस्लिम किसी दुसरे घायल या उसपर अत्याचार या उस मुस्लिम को मारता है, यह इस प्रस्तावित अधिनियम के तहत एक अपराध है?
उत्तर: नहीं, यह इस प्रस्तावित अधिनियम के तहत एक अपराध नहीं है.यदिशत्रुतापूर्ण वातावरण ना हो।
Q.16 अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति से नफरत,या उसके खिलाफ दुष्प्रचार इस अधिनियम के तहत एक अपराध है?
उत्तर: ये सवाल कुछ अस्पष्ट बात की ओर संदर्भ कर रहे हैं ।ओर इसका मोटे तौर पर दुरुपयोग किया जा सकता है है. निम्नलिखित स्थितियों शामिल हो सकते हैं:
i. यदि बहुसंख्यक समुदाय (पढ़ें हिंदू) के सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के एक मुस्लिम अर्थात सदस्य के लिए किराए पर एक कमरा दे्ने के लिए मना कर दिया, मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय के सदस्य के खिलाफ शिकायत (हिंदू पढ़ा)दर्ज कर सकते हैं क्योंकि वह एक मुसलमान था इस लिये उसे कमरा देने से इनकार कर दिया था . बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू पढ़ा) के सदस्य इस प्रकार गिरफ्तार किया जा सकता है. अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम पढ़ा) के सदस्य के कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है. हिंदू साबित होता है कि वह निर्दोष है और कोई गलत प्रतिबद्ध है.
द्वितीय. इसी प्रकार यदि बहुसंख्यक समुदाय के एक सदस्य (पढ़ें हिंदू) व्यापारी के अल्पसंख्यक समुदाय के एक सदस्य (मुसलमान पढ़ें) आपूर्तिकर्ता से एक मुसलमान ने एक शिकायत पर कच्चे माल खरीदने के लिए मना कर दिया है, हिंदू बिना सबूत गिरफ्तार किया जा सकता है.
iii. या धर्मों पर एक चर्चा संगोष्ठी के मामले में, कट्टरवाद, आतंकवाद आदि अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम पढ़ने के) के एक सदस्य उन आयोजकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं और उन्हें उनके खिलाफ शत्रुतापूर्ण वातावरण के निर्माण के लिए गिरफ्तार कर लिया. यह स्वतंत्रता भाषण और अभिव्यक्ति संविधान के खिलाफ की गारंटी के मौलिक अधिकार के खिलाफ है.
iv. यदि एक समाचार पत्र के किसी भी राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित, अल्पसंख्यक के किसी भी सदस्य उनके खिलाफ शत्रुतापूर्ण माहौल बनाने के लिए समाचार पत्र के खिलाफ शिकायत और उनकी गिरफ्तारी के लिए नेतृत्व कर सकते हैं।
Q.17 कौन प्रस्तावित अधिनियम के प्रावधानों को लागू करेंगे?
उत्तर: संक्षेप में राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव, न्याय और हर्जाने के लिए राष्ट्रीय प्राधिकर्ण.
Q.18 कौन राष्ट्रीय प्राधिकरण के सदस्य हैं?
उत्तर: इस मे 7 सदस्यों होते हैं. अध्यक्ष और वाइस अध्यक्ष सहित सात सदस्यों मे 4 हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से होते हे.
इसका मतलब यह है कि बिल मानता है कि केवल अल्पसंख्यकों अल्पसंख्यकों के साथ न्याय कर सकते हैं. यह एक खतरनाक आधार के रूप में इसका मतलब है कि एक न्यायाधीश या राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या किसी अन्य लोक सेवक हमेशा अपने धर्म के अनुसार कार्य करता है.
Q.20 राष्ट्रीय प्राधिकरण के अध्यक्ष या वाइस अध्यक्ष बहुसंख्यक समुदाय से चुना जा सकता है?
उत्तर: नहीं अध्यक्ष और वाइस अध्यक्ष कभी हिंदुओं मे से नही चुने जाते.
Q.21 राष्ट्रीय प्राधिकरण की शक्तियां क्या हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय प्राधिकरण सांप्रदायिक हिंसा या यहां तक कि भारत के किसी भी भाग में सांप्रदायिक हिंसा की प्रत्याशा के मामले में लगभग असीमित अधिकार है.
राष्ट्रीय प्राधिकरण पोस्टिंग की निगरानी, सरकारी सेवकों के पुलिस सहित स्थानान्तरण, सुरक्षा बलों आदि भी सांप्रदायिक हिंसा की आशंका के अल्पसंख्यकों के खिलाफ मामले में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति.वे भी पुलिस, सुरक्षा, और सशस्त्र बलों के लिए निर्देश दे सकता है.
इसका मतलब यह भी है कि एक छोटी, तुच्छ जानकारी के आधार पर, राष्ट्रीय प्राधिकरण राज्य सरकार की सभी शक्तियों ले सकते हैं और राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप कर सकते हैं.
इसके अलावा राष्ट्रीय प्राधिकरण को अधिकार है ओर शक्ति है कि यह एक सिविल कोर्ट मे किसी को बुलाना उपस्थिति, सबूत प्राप्त कर सकते हैं, गवाह या दस्तावेजों की जांच है, और अन्य सभी एक मामले की सुनवाई के दौरान करने की शक्ति इसके पास है.
प्रत्येक राज्यों सरकार ने राज्य स्तर पर ऐसे अधिकारियों को भी माना जाएगा.
Q.22 प्राधिकरण के एक सदस्य बनने की योग्यता क्या है?
उत्तर: नेशनल अथॉरिटी के एक सदस्य बनने के लिए, एक व्यक्ति को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की जरूरत नहीं है. उस व्यक्ति का सद्भाव को बढ़ावा देने का एक रिकॉर्ड, मानवाधिकार, न्याय, आदि होना चाहिए
Q.23 इस प्रस्तावित अधिनियम के तहत अपराध की प्रकृति क्या है?
उत्तर: (गिरफ्तारी वारंट के बिना) अपराध संज्ञेय और गैर जमानती (पुलिस से जमानत नहीं प्राप्त कर सकते हैं) हैं.
Q.24 क्या अनुमान है के इस रूप में इस अधिनियम के तहत अपराध के लिए?
उत्तर: एक हिंदू जो अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किया गया है किसी भी अपराध के साथ चार्ज करने के लिए दोषी हो सकता है जब तक वह अपनी बेगुनाही साबित साबित नही करता है। यह कानून के बुनियादी अनुमान के खिलाफ "हर कोई निर्दोष है जब तक दोषी साबित नही होता है.
Q.25 बिल का लोक सेवकों के बारे में क्या कहना है?
उत्तर: लोक सेवकों के लिये किसी से अनुमति / उन्हें राज्य से मुकदमा चलाने की मंजूरी के बिना अधिनियम के तहत उन पर अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है.
Q.26 कौन अधिनियम के तहत राहत और मुआवजे के हकदार है?
उत्तर: सभी व्यक्तियों, चाहे वे अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक समुदाय के हैं इस प्रस्तावित अधिनियम के तहत राहत और मुआवजे के लिए जिम्मेदार हैं.
Q.27 यौन उत्पीड़न की सज़ा क्या है?
उत्तर: 10 साल या उम्र केद भी हो सकती है.
Q.28 नफरत प्रचार के लिए क्या सजा है?
उत्तर: सजा 3 साल या जुर्माना या दोनों तक कैद है.
Q.29 संगठित हिंसा के लिए लक्षित सज़ा क्या है?
उत्तर: उम्र केद ओर सश्रम कारावास.
Q.30 सरकारी सेवकों के लिए सज़ा क्या है?
उत्तर: कर्तव्य की उपेक्षा के लिए सार्वजनिक कर्मचारियों द्वारा सजा 5 साल है, और कमांड जिम्मेदारी के उल्लंघन के लिए जीवन के लिए और 10 साल के लिए अन्य मामलों में सश्रम कारावास है.
Q.31 वहाँ किसी भी सीमा की अवधि तक आप शिकायत कर सकते हैं?
उत्तर: तुम अतीत में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के लिए भी शिकायत कर सकते हैं ।इसके लिये कोई सीमा अवधि नही है.
यह एक कठोर कानून है जो भारत में हिंदुओं और हिंदुओं की हालत के लिए स्थायी आपात स्थिति लागू होगा। जर्मनी में यहूदियों की जो हालत थी ओर उनपर जो अत्याचार हुए थे और किसी कारण के बिना केवल एक आरोप पर निष्पादित करने के लिए इसी तरह की हो जाएगी. सोंजन्य से:- ऐड्वोकेट (मोनिका अरोडा )9810246300

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