रविवार, अगस्त 28, 2011

रात को दिन कैसे कह दूं.....?? ??? by Satish Chandra Mishra


रात को दिन कैसे कह दूं.....?? ???
by Satish Chandra Mishra
वास्तविक मदारी (सरकार) का डमरू (मीडिया) जो कुछ दिनों के लिए नौसिखिये मदारियों(ट ीम अन्ना ) को उधार दिया गया था आज अपने सही मदारी के वापस आ गया. और देश की जनता को जीत के झूठे गीत सुनाने में व्यस्त हो गया है. नौसिखिये मदारियों ने भी इसके सुर में सुर मिलाने में ही भलाई समझी और जैसे तैसे अपनी जान बचाई है. आप स्वयम विचार करिए ज़रा....

अन्ना टीम द्वारा 16 अगस्त का अनशन जिन मांगों को लेकर किया गया था. उन मांगों पर आज हुए समझौते में कौन हारा कौन जीता इसका फैसला करिए.

पहली मांग थी : सरकार अपना कमजोर बिल वापस ले. नतीजा : सरकार ने बिल वापस नहीं लिया.

दूसरी मांग थी : सरकार लोकपाल बिल के दायरे में प्रधान मंत्री को लाये. नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र तक नहीं.

तीसरी मांग थी : लोकपाल के दायरे में सांसद भी हों : नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र नहीं.

चौथी मांग थी : तीस अगस्त तक बिल संसद में पास हो. नतीजा : तीस अगस्त तो दूर सरकार ने कोई समय सीमा तक नहीं तय की कि वह बिल कब तक पास करवाएगी.

पांचवीं मांग थी : बिल को स्टैंडिंग कमेटी में नहीं भेजा जाए. नतीजा : स्टैंडिंग कमिटी के पास एक के बजाय पांच बिल भेजे गए हैं.

छठी मांग थी : लोकपाल की नियुक्ति कमेटी में सरकारी हस्तक्षेप न्यूनतम हो. नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र तक नहीं.

सातवीं मांग : जनलोकपाल बिल पर संसद में चर्चा नियम 184 के तहत करा कर उसके पक्ष और विपक्ष में बाकायदा वोटिंग करायी जाए. नतीजा : चर्चा 184 के तहत नहीं हुई, ना ही वोटिंग हुई.

उपरोक्त के अतिरिक्त तीन अन्य वह मांगें जिनका जिक्र सरकार ने अन्ना को आज दिए गए समझौते के पत्र में किया है वह हैं.

(1)सिटिज़न चार्टर लागू करना, (2)निचले तबके के सरकारी कर्मचारियो ं को लोकपाल के दायरे में लाना, (3)राज्यों में लोकायुक्तो ं कि नियुक्ति करना.

प्रणब मुखर्जी द्वारा इस संदर्भ में आज शाम संसद में दिए गए बयान(जिसे भांड न्यूज चैनल प्रस्ताव कह रहे हैं ) में स्पष्ट कहा गया कि इन तीनों मांगों के सन्दर्भ में सदन के सदस्यों की भावनाओं से अवगत कराते हुए लोकपाल बिल में संविधान कि सीमाओं के अंदर इन तीन मांगों को शामिल करने पर विचार हेतु आप (लोकसभा अध्यक्ष) इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजें.

कौन जीता..? कैसी जीत...? किसकी जीत...?

देश 8 अप्रैल को जहां खड़ा था आज टीम अन्ना द्वारा किये गए कुटिल और कायर समझौते ने देश को उसी बिंदु पर लाकर खड़ा कर दिया है.

जनता के विश्वास की सनसनीखेज सरेआम लूट को विजय के शर्मनाक शातिर नारों की आड़ में छुपाया जा रहा है.....

फैसला आप करें. मेरा तो सिर्फ यही कहना है कि रात को दिन कैसे कह दूं.....?? ???

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