रविवार, फ़रवरी 18, 2018

कभी सोचा आपने 30 साल बाद आपकी सम्पति का कौन मालिक होगा?

कभी सोचा आपने 30 साल बाद आपकी सम्पति का कौन मालिक होगा?
याद रखना, आबादी बढ़ते तुम्हारा राष्ट्र मुस्लिम राष्ट्र हो जायेगा! ऐसा हो चूका है और अभी भी हो रहा है!
एक दिन पूरे काबूल (अफगानिस्तान) का व्यापार सिक्खों के हाथ था, आज उस पर तालिबानों का कब्ज़ा है!
सत्तर वर्ष पहले पूरा सिंध सिंधियों का था, आज उनकी पूरी धन संपत्ति पर पाकिस्तानियों का कब्ज़ा है!
एक दिन पूरा कश्मीर धन धान्य और एश्वर्य से पूर्ण हिंदू पंडितों का था, उनके उन महलों और झीलों पर आतंक का कब्ज़ा हो गया और आज वे टेंटों में ज़िंदगी गुजार रहे हैं!
एक दिन वो था जब ढाका का हिंदू बंगाली पूरी दुनिया में जूट का सबसे बड़ा कारोबारी था! आज उसके हाथ क्या है?
गुरु नानक का ननकाना साहब, लवकुश का लाहौर, दाहिर का सिंध, चाणक्य का तक्षशिला, ढाकेश्वरी माता का मंदिर देखते ही देखते सब पराये हो गए!
पाँच नदियों से बने पंजाब में अब केवल दो ही नदियाँ बची हैं!
इस देश के हिंदू समाज की सारी समस्याओं की जड़ ही संगठन का अभाव है!
कोई व्यापारी असम के चाय के बागान अपना समझ रहा है, कोई आंध्र, कर्नाटक की खदानें अपनी मान रहा है! तो कोई सोच रहा है ये हीरे , लोहे का व्यापार सदा सर्वदा उसी का रहेगा!
कभी कश्मीर की केसर व्यापारियों के बारे में भी हिंदू यही सोचा करता था! हिन्दू अपने घर भरता रहा और पूर्वांचल का लगभग पचहत्तर प्रतिशत जनजाति समाज विधर्मी हो गया!
बहुत कमाया तूने बस्तर के जंगलों से, आज वहाँ खुद घुस भी नहीं सकता! आज भी आधे से ज्यादा समाज को तो ये भी समझ नहीं कि उस पर क्या संकट आने वाला है!
बचे हुए समाज में से बहुत सा अपने आप को सेकुलर मानता है!
आजादी के बाद एक बार फिर हिंदू समाज दो राहो पर खड़ा है!
दो ही रास्ते है,
शुतुरमुर्ग की तरह आसन्न संकट को अनदेखा कर रेत में गर्दन गाड़ लेना
या
दूसरा रास्ता तमाम संकटों को भांपकर सारा *हिंदू समाज* आपसी मतभेद भुला कर संगठित हो संघर्ष कर अपनी धरती और संस्कृति बचाना!
जो करना ही होगा और करना ही होगा!
हिन्दू समाज बोलेतो समाज के चारो वर्ण ---ब्राम्हण, वैस्य, क्षत्रिय, क्षुद्र चारो वर्ण में आने वाली सभी जातियाँ । कोईभी अपने को हिन्दू समाज से अलग नही समझे । हमारे में झगड़ा लगाकर अपना काम कर रहे है।। सावधान । । ।सावधान । । ।
जय हिंद
जय भारत
जय हिंदुत्व
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बुधवार, फ़रवरी 14, 2018

डर


जागो भारत जागो
सुनो ! तुम्हारा ये डर हमे अच्छा लगता है ....
# इस्लाम दुनिया का एक मात्र ऐसा धर्म है जो औरतों के
# जींस # स्कर्ट्स पहनने और एक कार्टून से भी खतरे में आ जाता है .....
और पिछले कुछ सालों में दुनिया में कुछ ऐसे लोगों का जन्म हो चुका है जो इस्लाम को खतरे में डालने के लिए ही पैदा हुए है ....... # भारत में # मोदी...... #रूस में #पुतिन ... और
# अमेरिका में #ट्रम्प .... ऐसे लोग दुनिया से इस्लाम का वजूद मिटाने पर तुले हैं ....ये लोग तो बड़े बड़े खतरे हैं ...
लेकिन छोटे छोटे खतरे भी पैदा हो गए हैं जिनकी वजह से हर रोज़ इस्लाम खतरे में आ जाता है... #तारिक_फ़तेह
# तसलीमा_नसरीन जैसे लोग भी इस्लाम के बड़े दुश्मनों में से एक हैं ......
इस्लाम तब भी खतरे में था जब #मोहम्मद_साहब जिन्दा थे .. इस्लाम आज भी खतरे है में जब करोड़ों मोहम्मद साहब मुसलमानों के रूप में पूरी दुनिया में फैले हैं ...... आज इस्लाम दुनिया का सबसे प्रतिक्रियावादी साम्प्रदाय है .... जो खून का बदला खून में विश्वास रखता है ...
●वो #ईराक #सीरिया और पश्चिमी एशिया में मुसलमानों और गैर मुसलमानों दोनों को मारता है ....
●वो #अल्जीरिया ... #नाइजीरिया .. मुस्लिमों का क़त्ल करता है
●अफ़्रीकी देशों में गैर मुसलमानों को मारता है ...
●वो यूरोपीय देशों में ईसाईयों को मारता है ..
●म्यामार और कम्बोडिया में ईसाईयों और बौद्धों को मारता है ........
● वो भारत में शहीद स्मारक तोड़ता है ..
●सेना और पुलिस के जवानो को मारता है उनकी गाड़ियों के शीशे तोड़ता है ....
●भारत के मुसलमान बात बात पर इस्लाम का हरा झंडा लेकर सड़क पर उतर आते हैं ....
●कश्मीर के हज़रत बल दरगाह से मोहम्मद साहब का बाल चोरी हो गया और इस्लाम खतरे में आ जाता है .....
●आग लगती है #यूरोशलम के अल-आक्सा मस्जिद में और भारत में इस्लाम खतरे में आ जाता है .......
●मोहम्मद का कार्टून बनता है फ्रांस और डेनमार्क में .. ●लेकिन विरोध में गाड़ियाँ और दुकाने भारत में जलाई जाती हैं.......
●यहाँ तक की एक बॉलीवुड फिल्म भी इस्लाम को खतरे में डाल देती है ......
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जो बात बात पर खतरे में आ जाता है वो
# डरपोक_साम्प्रदाय है ..... 25 करोड़ की कौम महज इसलिए एक जुट हो जाती है ताकि मोदी और भाजपा सत्ता में ना आ पायें .....ये लोग बिना बिजली पानी और रोटी के रह लेंगे लेकिन बीजेपी और मोदी को सत्ता में नहीं देखना चाहेंगे .....
ये डर नहीं तो और क्या है ...??
ऐ # मुसलमानों सुनो ! तुम दुनिया की सबसे डरपोक कौम हो ... तुम वही हो जो राणा सांगा से युद्ध के समय अपने साथ गायों का झुण्ड रखते थे ताकि #हिन्दू_सैनिक सीधे तुम पर हमला ना कर पायें ... तुम 1400 साल पहले भी डरपोक थे और आज भी हो ... तुम पृथ्वी राज चौहान से भी डरते थे .. तुम #बाजीराव_पेशवा और
# महाराणा_प्रताप से भी डरते थे .. तुम राजा दाहिर से डरते थे और तुम #गुरु_गोविन्द_सिंह से भी डरते थे .....
और मै दावे के साथ कहता हूँ की तुम मोदी से भी डरते हो .. मोदी का नाम सुन कर तुम्हारे पसीना छूट जाता है .... डर तुम्हारे खून में है ... तुम कभी एक कार्टून से डर जाते हो तो कभी मलाला नाम की एक बच्ची से ... कभी तुम
# कल्याण_सिंह से डर जाते हो तो कभी
# योगी_आदित्यनाथ से ...... अब तुम मोदी से डर रहे हो बीजेपी से डर रहे हो #आरएसएस और # बजरंग_दल से डर रहे हो .....
खैर जो भी हो ये डर बना रहना चाहिए क्योंकि --
तुम्हारा ये डर हमे अच्छा लगता है ...

रविवार, फ़रवरी 04, 2018

"धर्मयुद्ध और सनातनी युद्ध नियम" वीर तक्षक

Lata Singh
"धर्मयुद्ध और सनातनी युद्ध नियम" ।
किसी बॉलीवुड वाले को अगर फ़िल्म ही बनानी है तो "वीर तक्षक" पर फ़िल्म बनाए !!
मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण से एक चौथाई सदी बीत चुकी थी। तोड़े गए मन्दिरों, मठों और चैत्यों के ध्वंसावशेष अब टीले का रूप ले चुके थे, और उनमे उपजे वन में विषैले जीवोँ का आवास था।
कासिम ने अपने अभियान में युवा आयु वाले एक भी व्यक्ति को जीवित नही छोड़ा था, अस्तु अब इस क्षेत्र में हिन्दू प्रजा अत्यल्प ही थी।
एक बालक जो कासिम के अभियान के समय मात्र "आठ वर्ष" का था, वह इस कथा का मुख्य पात्र है। उसका नाम था "तक्षक"।
भारत ने पहली बार "मानवता" की हत्या देखी थी।
तक्षक के पिता सिंधु नरेश दाहिर के सैनिक थे जो इसी कासिम की सेना के साथ हुए युद्ध में वीरगति पा चुके थे।
लूटती अरब सेना जब तक्षक के गांव में पहुची तो हाहाकार मच गया। स्त्रियों को घरों से "खींच खींच" कर उनकी देह लूटी जाने लगी। भय से आक्रांत तक्षक के घर में भी सब चिल्ला उठे। तक्षक और उसकी दो बहनें "भय" से कांप उठी थीं।
तक्षक की माँ पूरी परिस्थिति समझ चुकी थी, उसने कुछ देर तक अपने बच्चों को देखा और जैसे एक निर्णय पर पहुच गयी। माँ ने अपने तीनों बच्चों को खींच कर छाती में चिपका लिया और रो पड़ी।
फिर देखते देखते उस क्षत्राणी ने म्यान से तलवार खीचा और अपनी दोनों बेटियों का "सर" काट डाला। उसके बाद बेटे की ओर अंतिम दृष्टि डाली और तलवार को अपनी "छाती" में उतार लिया।
आठ वर्ष का बालक एकाएक समय को पढ़ना सीख गया था, उसने भूमि पर पड़ी मृत माँ के आँचल से अंतिम बार अपनी आँखे पोंछी, और घर के पिछले द्वार से निकल कर खेतों से होकर जंगल में भागा।
पचीस वर्ष बीत गए, तब का अष्टवर्षीय तक्षक अब बत्तीस वर्ष का पुरुष हो कर कन्नौज के प्रतापी शासक नागभट्ट द्वितीय का मुख्य अंगरक्षक था। वर्षों से किसी ने उसके चेहरे पर भावना का कोई चिन्ह नही देखा था। वह न कभी खुश होता था न कभी दुखी, उसकी आँखे सदैव अंगारे की तरह लाल रहती थीं।
उसके पराक्रम के किस्से पूरी सेना में सुने सुनाये जाते थे। अपनी तलवार के एक वार से हाथी को मार डालने वाला तक्षक सैनिकों के लिए आदर्श था।
कन्नौज नरेश नागभट्ट अपने अतुल्य पराक्रम, विशाल सैन्यशक्ति और अरबों के सफल प्रतिरोध के लिए ख्यात थे। सिंध पर शासन कर रहे "अरब" कई बार कन्नौज पर आक्रमण कर चुके थे, पर हर बार योद्धा राजपूत उन्हें खदेड़ देते।
युद्ध के "सनातन नियमों" का पालन करते नागभट्ट कभी उनका "पीछा" नहीं करते, जिसके कारण बार बार वे मजबूत हो कर पुनः आक्रमण करते थे, ऐसा पंद्रह वर्षों से हो रहा था।
आज महाराज की सभा लगी थी, कुछ ही समय पुर्व गुप्तचर ने सुचना दी थी, कि अरब के खलीफा से सहयोग ले कर सिंध की विशाल सेना कन्नौज पर आक्रमण के लिए प्रस्थान कर चुकी है और संभवत: दो से तीन दिन के अंदर यह सेना कन्नौज की "सीमा" पर होगी। इसी सम्बंध में रणनीति बनाने के लिए महाराज नागभट्ट ने यह सभा बैठाई थी।
नागभट्ट का सबसे बड़ा गुण यह था, कि वे अपने सभी "सेनानायकों" का विचार लेकर ही कोई निर्णय करते थे।
आज भी इस सभा में सभी सेनानायक अपना विचार रख रहे थे। अंत में तक्षक उठ खड़ा हुआ और बोला -
"महाराज, हमे इस बार वैरी को उसी की शैली में उत्तर देना होगा"
महाराज ने ध्यान से देखा अपने इस अंगरक्षक की ओर, बोले- अपनी बात खुल कर कहो तक्षक, हम कुछ समझ नही पा रहे।
तक्षक: महाराज, अरब सैनिक महा बर्बर हैं, उनके सतक्षकाथ सनातन नियमों के अनुरूप युद्ध कर के हम अपनी प्रजा के साथ "घात" ही करेंगे। उनको उन्ही की शैली में हराना होगा।
महाराज के माथे पर लकीरें उभर आयीं, बोले- "किन्तु हम धर्म और मर्यादा नही छोड़ सकते सैनिक"।
तक्षक ने कहा "मर्यादा का निर्वाह उसके साथ किया जाता है जो मर्यादा का अर्थ समझते हों, ये बर्बर धर्मोन्मत्त राक्षस हैं महाराज, इनके लिए हत्या और बलात्कार ही धर्म है। पर यह हमारा धर्म नही हैं, राजा का केवल एक ही धर्म होता है महाराज, और वह है प्रजा की रक्षा।
देवल और मुल्तान का युद्ध याद करें महाराज, जब कासिम की सेना ने दाहिर को पराजित करने के पश्चात प्रजा पर कितना "अत्याचार" किया था।
ईश्वर न करे, यदि हम पराजित हुए तो बर्बर अत्याचारी अरब हमारी स्त्रियों, बच्चों और निरीह प्रजा के साथ कैसा व्यवहार करेंगे, यह महाराज जानते हैं।"
महाराज ने एक बार पूरी सभा की ओर निहारा, सबका मौन तक्षक के तर्कों से सहमत दिख रहा था। महाराज अपने मुख्य सेनापतियों मंत्रियों और तक्षक के साथ गुप्त सभाकक्ष की ओर बढ़ गए। अगले दिवस की संध्या तक कन्नौज की पश्चिम सीमा पर दोनों सेनाओं का पड़ाव हो चूका था, और आशा थी कि अगला प्रभात एक भीषण युद्ध का साक्षी होगा।
आधी रात्रि बीत चुकी थी। अरब सेना अपने शिविर में निश्चिन्त सो रही थी। अचानक तक्षक के संचालन में कन्नौज की एक चौथाई सेना अरब शिविर पर टूट पड़ी।
अरबों को किसी हिन्दू शासक से रात्रि युद्ध की आशा न थी। वे उठते,सावधान होते और हथियार सँभालते इसके पुर्व ही आधे अरब गाजर मूली की तरह काट डाले गए। इस भयावह निशा में तक्षक का शौर्य अपनी पराकाष्ठा पर था। वह अपनी तलवार चलाते जिधर निकल पड़ता उधर की भूमि शवों से पट जाती थी। उषा की प्रथम किरण से पुर्व अरबों की दो तिहाई सेना मारी जा चुकी थी।
सुबह होते ही बची सेना पीछे भागी, किन्तु आश्चर्य!
महाराज नागभट्ट अपनी शेष सेना के साथ उधर तैयार खड़े थे। दोपहर होते होते समूची अरब सेना काट डाली गयी। अपनी बर्बरता के बल पर विश्वविजय का स्वप्न देखने वाले आतंकियों को पहली बार किसी ने ऐसा उत्तर दिया था।
विजय के बाद महाराज ने अपने सभी सेनानायकों की ओर देखा, उनमे तक्षक का कहीं पता नही था।
सैनिकों ने युद्धभूमि में तक्षक की खोज प्रारंभ की तो देखा- लगभग हजार अरब सैनिकों के शव के बीच तक्षक की मृत देह दमक रही थी। उसे शीघ्र उठा कर महाराज के पास लाया गया।
कुछ क्षण तक इस अद्भुत योद्धा की ओर चुपचाप देखने के पश्चात महाराज नागभट्ट आगे बढ़े और तक्षक के चरणों में अपनी तलवार रख कर उसकी मृत देह को प्रणाम किया।
युद्ध के पश्चात युद्धभूमि में पसरी नीरवता में भारत का वह महान सम्राट गरज उठा-
"आप आर्यावर्त की वीरता के शिखर थे तक्षक.... भारत ने अब तक मातृभूमि की रक्षा में प्राण न्योछावर करना सीखा था, आप ने मातृभूमि के लिए प्राण लेना सिखा दिया। भारत युगों युगों तक आपका आभारी रहेगा।"
इतिहास साक्षी है, इस युद्ध के बाद अगले तीन शताब्दियों तक अरबों में भारत की तरफ आँख उठा कर देखने की हिम्मत नही हुई।
सौजन्य से रविंद्र पँवार

दिए तले अँधेरा

दिए तले अँधेरा
डॉ विवेक आर्य
एक ईसाई प्रचारक बड़े जोश में पंजाब के देहात में जाकर प्रचार करने लगा। उसने सोचा की मसीह की शिक्षा को बढ़िया दिखाने के लिए हिन्दुओं के पुराणों की खिल्ली उड़ानी चाहिए जिससे की हिन्दू अपने ही पुराणों से घृणा करने लगे और मसीह की शिक्षा पर विश्वास लाये। मगर उसकी किस्मत ने उसे धोखा दिया और वह एक पेशावरी टोपी पहने आर्यसमाजी प्रचारक से टकरा गया।
पादरी- हिन्दुओं को पुराणों की शिक्षा को छोड़कर ईसा मसीह की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए देखो विष्णु, मत्सय, लिंग आदि पुराणों में क्या लिखा हैं की हिन्दुओं का अराध्य देव ब्रह्मा मद्यपान करता था और एक दिन उन्मत होकर अपनी ही कन्या से कुकर्म किया।
आर्यसमाजी प्रचारक- एक कहावत हैं छाज तो बोले किन्तु छाननी क्या बोले जिसमें सहस्त्रों छेद हैं। पहली बात तो हम केवल वेद मुकद्दस में विश्वास रखते हैं। पुराण आदि पिछले ६००-७०० वर्षों में बने हैं जिनमें सैकड़ों ऐसी बातें भरी हुई हैं जो न तो स्वीकार्य हैं और न ही वेदानुकूल हैं। जिसे तुम इल्हामी बाइबिल कहते हो उसमें कभी ध्यान नहीं देते। देखो उत्पत्ति १९/३१-३६ में लिखा हैं नबी हजरत लूत ने शराब के नशे में अपनी दो पुत्रियों से व्यभिचार किया। इससे आगे सुनों गिनती ३१/३५-४० में हजरत मूसा ने ३२,००० कुंवारी लड़कियों से दुराचार करने की आज्ञा दी। बाइबिल में ऐसा पढ़कर आप लोगों को लज्जा नहीं आती। अप्रमाणिक पुराणों पर आक्षेप करते फिरते हो। तुम लोगों के बारे में तो एक कहावत प्रसिद्द हैं- तो आकाश के ऊपर क्या जानता हैं कि क्या हैं? जबकि तू नहीं जानता कि तेरे घर में कौन हैं?
पादरी- पद्यपुराण के अनुसार विष्णु ने जालंधर वैद्य का रूप धरा और उसकी पत्नी संग सहवास किया?
आर्यसमाजी प्रचारक-अपनी आँख में शहतीर नहीं सूझता, किन्तु दूसरे की आँख में तिनका भी भारी प्रतीत होता हैं। पद्य पुराण में किसी मुर्ख ने कुछ भी अनाप शनाप लिख दिया तो यह प्रामाणिक कैसे हो गया। वेदशास्त्र से प्रमाण होना चाहिए। किन्तु ऐसा प्रमाण वेदों में मिलना दुष्कर ही नहीं असंभव हैं। मगर आपको इंजील से प्रमाण देते हैं। २ शमूएल अध्याय ११ में लिखा हैं कि दाऊद ने ऊरिय्याह की पत्नी से दुराचार किया और ऊरिय्याह को युद्ध में चिट्ठी भेजकर मरवा दिया। लोगो का नाक अपना कटा हुआ हैं मगर नक्क कटा दूसरों को बता रहे हैं। शोक!
पादरी- महादेव अपने विवाह में नग्न होकर बैल पर चढ़ा।
आर्यसमाजी प्रचारक- उत्पत्ति अध्याय ९ आयत २०-२३ में लिखा हैं नूंह शराब पीकर नंगा हो गया। यह बात आपकी इल्हामी पुस्तक कहती हैं।
पादरी- राम ने रावण ब्राह्मण को मारा और अपनी स्त्री सीताको जो रावण के घर प्रविष्ट हुई थी को पुन: स्वीकार किया जबकि लोगों ने उसे अशुद्ध एवं अपवित्र ठहराया था।
आर्यसमाजी प्रचारक- श्री राम तो महापुरुष थे। उनकी जैसी वीरता तो देखने को भी नहीं मिलती। उस काल में बिना अपने पिता के राज्य की सहायता के श्री राम ने २५ कोस लम्बा पुल बनाया, रावण को यमलोक भेजा और सीता को जो बैरियों के मध्य रहकर भी पवित्र रही स्वीकार किया। जरा अपने घर को देखो। उत्पत्ति अध्याय ३४ में लिखा हैं कि याकूब की बेटी दीना को हमोर के पुत्र शकेम ने भ्रष्ट कर अपवित्र कर दिया और बाद में विवाह का प्रस्ताव भेजने पर भी याकूब ने अपवित्र हुई अपनी लड़की को अपने घर में रख लिया। इन को देखकर कर तो एक ही कहावत स्मरण होती हैं "आँख के अंधे नाम नैनसुख"
पादरी- भागवत में लिखा हैं कि कृष्ण ने गोपियों संग दुष्कर्म किया।
आर्यसमाजी प्रचारक- बाइबिल के उत्पत्ति पुस्तक के ३८ अध्याय की आयत १७-१९ में लिखा हैं की यहूदा नबी ने अपनी विधवा पुत्रवधु तामार के संग व्यभिचार किया। ऐसी न जाने कितनी असभ्य बातें बाइबिल में भरी पड़ी हैं। श्री कृष्ण जी महाराज विद्वान, पुण्यात्मा, कर्मठ, साहसी महापुरुष थे। उन पर दोष लगाने वाली भागवत सर्वथा अप्रमाणिक एवं अस्वीकार्य हैं।
पादरी- ईसाईयों का ईश्वर दयावान हैं।
आर्यसमाजी प्रचारक-
वेदों में ईश्वर का वर्णन पवित्र, न्यायकारी, दयालु, सर्वज्ञ, सत्यधर्मा आदि गुणों वाला हैं जबकि बाइबिल का परमेश्वर अज्ञानी, छलि, कमजोर, क्रोधी, ईर्ष्यालु एवं हिंसा में विश्वास रखने वाला हैं।
उत्पत्ति पुस्तक के अनुसार एक आदम के पाप के लिए सम्पूर्ण संसार के सभी मनुष्यों को पापी ठहराना कहाँ की दयालुता हैं?
एक के फांसी दिए जाने से सम्पूर्ण संसार के सभी मनुष्यों के पापों का क्षमा होना कहाँ का न्याय हैं?
१ शमूएल अध्याय ६ की १९ आयत के अनुसार पच्चास हजार सत्तर पुरुषों को मारने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?
१ शमूएल अध्याय १५ की ३ आयत के अनुसार क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बच्चा, क्या दूधपिउवा, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, क्या ऊंट, क्या गदहा, सब को मार डालने की आज्ञा देने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?
गिनती अध्याय २५ की ९ आयत के अनुसार चौबीस हजार मनुष्यों को मार डालने की आज्ञा देने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?
होशे अध्याय १३ की १६ आयत के अनुसार बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को मार डालने की आज्ञा देने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?
ऐसे ऐसे अनेक प्रमाण बाइबिल से दिए जा सकते हैं जिनसे स्पष्ट हैं की बाइबिल का ईश्वर हिंसा में विश्वास रखता हैं एवं उनका दयावान होना भ्रम मात्र हैं।
पादरी ने जब देखा कि उसकी हर बात का युक्ति एवं तर्क संगत सप्रमाण खंडन हो गया तो वह अपना बोरियां बिस्तर समेत कर वहां से नौ दो ग्यारह हो गया और हमारे आर्यसमाजी प्रचारक पंडित लेखराम जी सत्य का मंडन एवं असत्य का खंडन करने के लिए आगे बढ़ गए।
सभी पाठकों को अब यह निर्णय करना हैं की उन्हें सत्य ज्ञान वेद में विश्वास रखना हैं अथवा अविद्या के कूप बाइबिल में डूबना हैं।
(पंडित लेखराम के लेखों का संग्रह अमर ग्रन्थ "कुलयात आर्य मुसाफिर" से सभी प्रमाण लिए गए हैं।)