मंगलवार, अगस्त 09, 2011

“राष्ट्र सन्त” वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी (हिन्दू पीसें कुत्ते खाएं )

“राष्ट्र सन्त” वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी (हिन्दू पीसें कुत्ते खाएं )

शंखनादी सुनील दीक्षित द्वारा
हाल ही में भारत ने अपने एक “राष्ट्र सन्त” को खोया है, जी हाँ, मैं बात कर रहा हूं वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी की… उनकी याद में, उनके गम में, उनकी जुदाई की वजह से आंध्रप्रदेश में 400 से भी अधिक गरीब किसानों ने टपाटप-टपाटप आत्महत्याएं की हैं (ऐसा तो MGR के समय भी नहीं हुआ न ही NTR के समय)… लेकिन सिर्फ़ इतने भर से यह महान राष्ट्रसन्त नहीं हो जाते, बल्कि अब आंध्रप्रदेश की राज्य सरकार ने कुरनूल जिले के नल्लामल्ला जंगलों में 1412 हेक्टेयर (जी हाँ, सही पढ़ा आपने… 1412 हेक्टेयर) के इलाके में “YSR स्मृति वनम” के नाम से उनका मेमोरियल बनाने की योजना को हरी झण्डी दे दी है। अब दिल्ली में स्थापित सारी समाधियाँ, सारे स्मारक, सारे मेमोरियल, सारे घाट, इस महाकाय स्मारक के आगे पानी भरते नज़र आयेंगे, और ऐसा तभी होता है जब कोई व्यक्ति “राष्ट्र सन्त” बने और गुज़र जाये… न सिर्फ़ गुज़र जाये, बल्कि ऐसा गुज़रे कि उसके लिये दो दिन तक सेना, वायुसेना, भारतीय सेटेलाईट, अमेरिकी उपग्रह, पुलिस, जंगल में रहने वाले आदिवासी ग्रामीण, खोजी कुत्ते… सब के सब भिड़े रहें, किसी भी खर्चे की परवाह किये बिना… क्योंकि राष्ट्र सन्त की खोज एक परम कर्तव्य था (छत्तीसगढ़ में भी एक बार एक हेलीकॉप्टर लापता हुआ था, उसे खोजने का प्रयास तक नहीं किया गया, क्योंकि उसमें दो-चार मामूली पुलिस अफ़सर बैठे थे, जबकि राष्ट्रसन्त सेमुअल तो वेटिकन के भी प्रिय हैं और इटली के भी)।
तो मित्रों, बात हो रही थी 1412 हेक्टेयर के विशाल वन क्षेत्र में फ़ैले इस प्रस्तावित मेमोरियल की। योजना के अनुसार आत्माकुर वन क्षेत्र में आने वाले नल्लामल्ला जंगल, जो कि लगभग 5 जिलों में फ़ैला है, में उस पहाड़ी पर वायएसआर स्तूप बनाया जायेगा, जहाँ उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। जंगल और पहाड़ी की शुरुआत से अर्थात पवुरलागुट्टा गाँव से सैलानी लोग, सॉरी “दर्शनार्थी”… अरे फ़िर सॉरी “भक्तगण” उस पहाड़ी पर ट्रेकिंग करते हुए चढ़ेंगे, और पहाड़ी पर बने इस विशाल स्तूप तक पहुँचेंगे। कैबिनेट ने कहा है कि प्रकृति के सुरम्य वातावरण को बनाये रखा जायेगा, और वन क्षेत्र को कोई नुकसान नहीं पहुँचेगा (अर्थात उस जंगल में रहने वाले जीव-जन्तुओं और पक्षियों को चिंता करने की कोई बात नहीं है, “जगन बाबू” उनसे आत्महत्या करने को नहीं कहने वाले है)। इस पूरे प्रोजेक्ट पर सिर्फ़ साढ़े तीन करोड़ का खर्च होगा और इसे सितम्बर 2010 तक बना लिया जायेगा। इस सम्बन्ध में पर्यावरणवादियों और प्रकृतिप्रेमियों की आपत्तियों को खारिज करते हुए राज्य की मंत्री गीता “रेड्डी” ने कहा, कि सरकार की उस वनक्षेत्र में किसी बड़े बदलाव की योजना नहीं है और उससे पर्यावरण अथवा जंगल को कोई नुकसान नहीं पहुँचेगा। उन्होंने आगे कहा कि उस पहाड़ी पर किसी पेड़ को नहीं काटा जायेगा और कोई बड़ा निर्माण कार्य नहीं किया जायेगा (अब सरकार कह रही है तो मानना ही पड़ेगा), उन्होंने यह भी कहा कि कैबिनेट के अधिकतर मंत्रियों की राय यह भी है कि हैदराबाद में भी एक स्मारक बनाया जाये (यानी कि एक और बेशकीमती ज़मीन)। इस विशाल कार्य की देखरेख और उसे सुचारू रूप से चलाने के लिये 6 मंत्रियों की एक समिति बनाई गई है। कैबिनेट में पास किये गये एक और प्रस्ताव के अनुसार कडप्पा जिले का नाम बदलकर राजशेखर रेड्डी जिला रखा जायेगा… अब आप खुद ही बताईये, क्या मैं उन्हें “राष्ट्रसन्त” की उपाधि देकर कुछ गलत कर रहा हूं?

चित्र – अपने जन्मदिन पर पुलिवेन्दुला में एक चर्च में बिशप को केक खिलाते हुए…

इस खबर को आप यहाँ पढ़ सकते हैं
http://timesofindia.indiatimes.com/news/city/hyderabad/1412-hectare-Nallamala-forest-land-for-YSR-memorial/articleshow/5053354.cms
http://andhralekha.com/news/11-19619-Govt%20gets%20forest%20land%20ready%20for%20YS%20memorial
देश के इस सबसे विशालतम समाधि स्थल के लिये अधिगृहीत की जाने वाली ज़मीन और फ़िर हैदराबाद में भी एक विशाल स्मारक बनाये जाने की योजना से इस बात को बल मिलता है कि इस “राष्ट्रसन्त” और उनके लायक पुत्र के मन में ज़मीन के प्रति कितना मोह है, कितना लगाव है, कितनी चाहत है… आखिर धरतीपुत्र जो ठहरे… आईये देखते हैं कि YSR ने पिछले 5 साल के अपने मुख्यमंत्रित्व काल में गरीबों के लिये जो थोड़ा-बहुत काम किया, वह क्या-क्या हैं… ताकि इस राष्ट्रसन्त को आप सच्ची श्रद्धांजलि दे सकें…

- हैदराबाद में रहेजा कॉर्पोरेशन को इंफ़्रास्ट्रक्चर के लिये 300 एकड़ ज़मीन दी, इसमें 50% की भागीदारी जगन रेड्डी की है।
- गंगावरम बंदरगाह बनाने के लिये 1000 एकड़ ज़मीन (इसमें भी जगन की हिस्सेदारी है)।
- ब्राहमनी स्टील्स कम्पनी में धरतीपुत्र के पुत्र की हिस्सेदारी है।
- सिक्किम में चल रहे 6000 करोड़ के एक हाईड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में जगन की आधी हिस्सेदारी है।
- जगन बाबू कुछ साल पहले तक बंगलोर में ही रहते थे, उनके पप्पा ने उन्हें हाल ही में सांसद बनवाया है, अतः बंगलोर के बाहरी इलाके में तीन करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से कृषि भूमि खरीदकर फ़ार्म हाउस बनवाया है।
- बंगलोर के ही बन्नरघट्टा रोड पर एक विशाल शॉपिंग मॉल काम्पलेक्स भी जगन बाबू का ही बताया जाता है।
- हैदराबाद की कुक्कापल्ली हाउसिंग बोर्ड सोसायटी में 25 एकड़ का प्लाट
- प्रकासम जिले की मशहूर ग्रेनाइट खदानों में 150 एकड़ की खनन भूमि (एक बेनामी कम्पनी गिम्पेक्स के नाम से)
- अखबार “साक्षी” जिसके मालिक और चेयरमैन जगन रेड्डी हैं, उस अखबार ने पिछले 5 साल में कोलकाता, गुजरात, चेन्नई और बंगलोर में 600 करोड़ का निवेश किया है।
- साक्षी ग्रुप में दो मुख्य निवेशक हैं आर्टिलियन्स बायोइन्नोवेशंस तथा स्टॉकनेट इंटरनेशनल, जिन्हें विश्व के स्टॉक मार्केट में लिस्टेड किया गया है, इनकी शेयर प्राइस एक रुपये से कम है और प्रमोटर का हिस्सा 0.3 प्रतिशत है, लेकिन यह दोनों निवेशक कम्पनियाँ साक्षी की स्क्रिप पर 350 रुपये का प्रीमियम देती हैं।
- साक्षी और जगति पब्लिकेशन में निवेश करने वाली कम्पनियों को ही बड़े-बड़े सरकारी ठेके मिलते हैं, जैसे SEZ, बन्दरगाह निर्माण और ग्रेनाईट खदानों में खनन की अनुमति।
- जगति पब्लिकेशन के ऑडिटर हैं PWC, जी हाँ वही प्राइस वाटर कूपरहाउस, जिसने सत्यम के बही खातों की उम्दा जाँच करके बताया था कि “सब ठीक है”।
- इसी PWC ने साक्षी अखबार की “जाँच” करके सर्टिफ़िकेट दिया कि इसकी दैनिक खपत 12 लाख प्रतियाँ रोज़ाना की है, और साक्षी अखबार को सरकार की ओर से बड़े-बड़े विज्ञापन मिलने लगे।
- अरुणाचल प्रदेश में लगने वाले 3000 मेगावाट के प्रोजेक्ट में काम करने वाली कम्पनियों, एपी जेन्को तथा मेसर्स एथेना पावर एनर्जी की भी जगति पब्लिकेशन्स में हिस्सेदारी है।
- पुल्लिवेन्दुला में 5 एकड़ में निर्मित वायएसआर के बंगले की कीमत कम से कम 4 करोड़ रुपये है।
अब जबकि “धरतीपुत्र” को ही धरती इतनी प्रिय है तब उनके पीछे-पीछे लगे “भूमिपुत्रनुमा” रिश्तेदारों को क्यों न होगी, और वे क्यों पीछे रहें…
वायएस विवेकानन्द रेड्डी (राष्ट्रसन्त के भाई) -
- कडप्पा से सांसद विवेकानन्द रेड्डी के पास मधापुर की हाईटेक सिटी में 2000 वर्गमीटर की ज़मीन है, जो फ़िलहाल एक सॉफ़्टवेयर कम्पनी को किराये पर दी गई है (कीमत बताने का क्या फ़ायदा, सभी अन्दाज़ लगा ही लेंगे)
वायवी सुब्बा रेड्डी (राष्ट्रसन्त के एक और भाई) –

- तुंगभद्रा नदी पर बनने वाले एक हाईड्रो प्रोजेक्ट में हिस्सेदार।
- अपनी पत्नी स्वर्णलता रेड्डी के नाम पर 1000 वर्गफ़ीट का प्लाट जुबली एनक्लेव इलाके में।
सुधाकर रेड्डी (चचेरे दामाद)
- उत्तरी आंध्रप्रदेश के समुद्री तटों पर रेती की खुदाई और ढुलाई के ठेके, स्विट्ज़रलैण्ड की कम्पनी बोथलिट्रेड इंक के साथ भागीदारी में।
बी युवराज रेड्डी (राष्ट्रसन्त के भतीजे)
युवराज चिटफ़ण्ड कम्पनी बनाकर 2.60 करोड़ का घोटाला किया।
रबिन्द्रनाथ रेड्डी (YSR के साले)

- डेन्दुलुरु गाँव में फ़र्टिलाइज़र कम्पनी बनाने के नाम पर कई एकड़ भूमि हड़प की।
- गेमन इंडिया लिमिटेड (दिल्ली मेट्रो के काम में गड़बड़ी के लिये ब्लैक लिस्टेड कम्पनी) के साथ मिलकर सर्वारासागर-वामिकोण्डा नहर प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिये सम्बन्धों का उपयोग।

अन्य रिश्तेदार –
- मधुसूदन रेड्डी, वेणुगोपाल रेड्डी, प्रताप रेड्डी ने मिलकर कडप्पा नगर सुब्बा रेड्डी कॉलेज के पास की 15 करोड़ की ज़मीन गैरकानूनी रूप से दबाई हुई है (खसरा सर्वे क्रमांक 682/4, 684/4, 700/2).

- YSR के बड़े भाई की पत्नी भारती रेड्डी ने सितम्बर 2005 में कोल्लुरू में 35 लाख की ज़मीन (सर्वे क्रमांक 148) खरीदी, जो कि अचानक “रिंग रोड” के निर्माण की वजह से 13 करोड़ की हो गई।
- इसी रिंग रोड ने कई अन्य छोटे-मोटे रिश्तेदारों के भी वारे न्यारे करवा दिये, जैसे वायवी सुब्बा रेड्डी ने इसी रोड के पास सर्वे क्रमांक 117, 119, 121, 123, 124, 125, 126, 131, 132, 134, 136, 141 को 20 करोड़ में खरीदा, और “अचानक” वहाँ रिंग रोड बनाने की घोषणा हो गई, जिससे इस ज़मीन का भाव एक साल में ही 125 करोड़ पहुँच गया।
- YSR के नज़दीकी मित्र पार्थसारथी रेड्डी जो कि हेटेरो ड्रग्स नामक दवा कम्पनी के मालिक हैं, उन्हें SEZ बनाने के लिये कौड़ियों के दाम ज़मीन दी गई और कुछ ही दिन बाद उन्होंने जगति पब्लिकेशन में 13 करोड़ का निवेश कर दिया।
(इस लिस्ट में सत्यम और मेटास कम्पनी में हुआ महाघोटाला शामिल नहीं है)
यह तो हुई एक छोटी सी बानगी इस महान राष्ट्रसन्त के खुले कारनामों की (बाकी के जो भी घोटाले छिपे हुए हैं वह अलग हैं)। यदि आप पढ़ते-पढ़ते उकता गये हों तो आपको बता दूं कि ऐसा नहीं कि अपने मुख्यमंत्रित्व काल में इन्होंने सिर्फ़ अथाह पैसा ही कमाया हो, इन्होंने “धर्म” की भी सेवा की है, और जिस स्मारक या समाधि को बनाने में इतना पैसा खर्च किया जा रहा है, और हेलीकॉप्टर दुर्घटना होने पर इनकी खोज के लिये अमेरिका सहित सोनिया गाँधी भी चिंता में दुबली हुई जा रही थीं उसका कारण इनकी “धर्म” सेवा ही है, आईये यह ज्ञान भी प्राप्त कर ही लीजिये –

- 3 दिसम्बर 2007 को एक आदेश जारी करके “सेमुअल” ने प्रदेश के सभी 1,84,000 मन्दिरों, 181 मठों और विभिन्न धार्मिक ट्रस्टों को अधिगृहीत कर लिया ताकि उनकी करोड़ों की आय पर कब्जा किया जा सके। (डेक्कन क्रानिकल 3.12.2007)
- भद्राचलम : मन्दिर की 1289 एकड़ में से 884 एकड़ ज़मीन एक चर्च को दान कर दी।
- श्रीसेलम : प्रसिद्ध मल्लिकार्जुन मन्दिर की 1600 एकड़ भूमि को विभिन्न ईसाई-आदिवासी संगठनो में बाँट दिया।
- पुरानी मस्जिदों के लिये 2 करोड़, चर्चों की मरम्मत के लिये 7 करोड़ अनुदान दिया, भारत के इतिहास में पहली बार किसी ईसाई को बेथलेहम जाने के लिये सरकारी तौर पर अनुदान दिया। महाशिवरात्रि के अवसर पर बसों में अधिक भीड़ को देखते हुए हिन्दुओं की सुविधा(?) हेतु टिकट पर अतिरिक्त प्रभार लगाया। (डेक्कन क्रानिकल 23 अगस्त 2006, 18 दिसम्बर 2006, ईनाडु 16 फ़रवरी 2007)।
- प्रसिद्ध तिरुपति मन्दिर की 7 पहाड़ियों में से 5 पहाड़ियों पर चर्च निर्माण की अनुमति। अपने परिजन के नाम पर होने वाले हॉकी टूर्नामेंट के लिये तिरुपति मन्दिर की आय से पैसा खर्च किया (द हिन्दू 17 जुलाई 2006, डेक्कन क्रानिकल 8 मार्च 2007)।
- मन्तपम में गोल्फ़ कोर्स बनाने के लिये 10 मन्दिरों को तोड़ा गया, जबकि सेमुअल रेड्डी के बेटे जगन ने अनन्तपुर में एक मन्दिर तुड़वाया ( द हिन्दू 27 अगस्त 2004, डेक्कन क्रानिकल 8 मार्च 2007)।
(कम से कम अन्तिम संस्कार के मामले में YSR ईमानदार रहे और ईसाई पद्धति से ही उनका अन्तिम संस्कार किया गया, जबकि कुछ “परिवार” तो ऐसे ढोंगी हैं कि उन्हें पता है कि वे हिन्दू नहीं हैं फ़िर भी राजनीति और दिखावे की खातिर उन्हें हिन्दू धार्मिक पद्धति से अन्तिम संस्कार करवाना पड़ा… बेचारे)
(तात्पर्य यह कि जब उन्होंने “धरती” और धर्म की इतनी सेवा की है, तो उनके “लायक” पुत्र का हक बनता है कि वह इसे परम्परा को आगे बढ़ाये… इसीलिये तो आंध्रप्रदेश में इस राष्ट्रसंत के दुःख में लोगों ने टपाटप-टपाटप आत्महत्याएं कीं…)
मैं जानता हूं कि इस “राष्ट्रसन्त” के इन कारनामों और मेरी इस छोटी सी पोस्ट के मद्देनज़र आपकी आँखें श्रद्धा से छलछला उठी होंगी, अतः यहीं पर समाप्त करता हूं ताकि आप भी अपनी “विनम्र” श्रद्धांजलि उन्हें अर्पित कर सकें…


अन्य स्रोत –
1) Vijaya Karnataka, a kannada daily (20-6-06)
2) Eenadu Daily, A Telgu Daily
3) Deccan Chronicle, (15-06-2006)
4) Vikrama (28-05-2006)
5) Sudarshan TV (24-06-06)
6) Pungava news Magazine (1-06-06)
तथा http://www.outlookindia.com/article.aspx?229456
http://www.christianaggression.org/item_display.php?type=ARTICLES&id=1122662970
http://www.hindujagruti.org/news/index.php?print/id:1856,pdf:1

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