रविवार, अगस्त 28, 2011

नित्यानंददास महंत > अनशन आन्दोलन के इन पहेलु पर गौर करे.


नित्यानंददास महंत > अनशन आन्दोलन के इन पहेलु पर गौर करे.

१. बाबा रामदेव जो अपने आप में एक ऐसे देशभक्त जो ग्नाधिमुल् यो को आगे करते हुए २ साल से भारत की वर्त्तमान स्थिति को लेकर जनचेतना जागरण अभियान चला रहे थे. जिन्होंने अपने आन्दोलन में किसी भी धर्म के व्यक्ति को मंच पर आने से नहीं रोका. वो भी तो देश हित में कार्य कर रहे थे .उस आन्दोलन को अन्नाजी ने कोई भारी समर्थन भी नहीं दिया उस राष्ट्रभक् त बाबा रामदेव को इस अनशन आन्दोलन के मंच न कोई स्थान दिया गया या प्रवचन करने का मौका. बल्कि देश के युवा धन को दारू की बोतल जेब में रखने की बात करने वाले नचनिया ओमपुरी और बिभस्त गाली जिसमे है ऐसी फिल्म डेली बेली बनानेवाले आमिरखान को मंच पर बिठाया और भाषण देने का मौका भी दिया. क्या यही चरित्र निर्माण है भारत का. ऐसा क्यों?

२. जहा बाबा रामदेव भारत देश को पूर्णतः कैसे स्वावलंबी बनाया जाय उस विषय में और देश के बेरोजगार युवा धन अवम गरीबो को रोजी मिले ऐसे कार्य कर रहे है, और आयुर्वेद के माध्यम से देश की जनता के स्वास्थ्य को लेकर जाग्रति फेला रहे है, वहा अन्नाजी की टीम में विदेशी कम्पनियो के दलाल ऐसे एन.जी.ओ. को मंच का पूर्णतः सञ्चालन सोप दिया गया. और जन लोकपाल में सब लोगो को दायरे में लाने की बात की मगर एन.जी.ओ. को कभी भी इस दायरे में नहीं लाया जायेगा ऐसा उसी मंच से कहा विदेशी कम्पनियो के दलाल एन.जी.ओ. संचालक केजरीवाल ने. तो क्या अन्नाजी का आन्दोलन विदेशी कंपनियो के हाथ में था जो भारत को दीमक की तरह खा रही है. ऐसा क्यों?

३. में सर्व धर्म का आदर अवम सम्मान करता हु. बाबा रामदेव ने भी मंच पर मुसलमान साधुओ को स्थान दिया था. मगर अन्नाजी के आन्दोलन में दो बार इफतारी की गयी. मगर हाजिर जनता के सामने जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जन्म का उत्सव मनाने की नहीं सूजी. क्यों ऐसा करने से कोई नाराज हो जाता क्या? ऐसा क्यों?

४. तिहाड़ जेल में जब बांध दे अन्नाजी तब समाज में अपनी भारी प्रतिष्टा अवम सम्मान होते हुए रातभर बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर जेल के बहार खड़े होकर अन्नाजी का समर्थन करते रहे. क्या अन्नाजी का ऐसी शख्सियतो की अवहेलना करना शोभास्पद लगता है या फिर अन्नाजी को ऐसे करते हुए रोका गया था. या फिर भारत की जनता की भावना का लगातार बहते रहनेवाले पुर के कारन अन्नाजी को अहंकार हो गया. मगर अन्नाजी के मंच से इसाई पादरी भाषण दे सकता है. ऐसा क्यों?

५. जन लोकपाल के विषय में बहुत ही गहेन अभ्यास करने वाले अन्नाजी ने एन.जी.ओ. के विषय में चुपकी क्यों साधी हुई है? अगर एन.जी.ओ. पर अन्य कायदे की तहेत काम हो सकता है तो फिर प्रधानमंत् री,संसद और सरकारी कर्मचारियो पर भी अन्य कानून से काम लिया जा सकता है. जन लोकपाल की फिर आवश्यकता क्या है ? ऐसा क्यों?

६. माफ़ करना में अन्नाजी का विरोधी नहीं हु मगर जो सत्य में समज रहा हु वोही में दिखने की कोशिश कर रहा हु.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें