गुरुवार, अक्तूबर 31, 2013

इस्लाम खतरे में है! इम्तियाज़ के कुबुलनामे में. पटना बम धमाके |

इस्लाम खतरे में है! इम्तियाज़ जब भी कोई सवाल पूछता तब मेमन और हैदर ये बात कह कर उसे चुप करा देते. ये कहना है इम्तियाज़ के कुबुलनामे में. पटना बम धमाके में पकड़ा गया एक आतंकी है इम्तियाज़. साथ ही तारीक़ वो आतंकवादी है जो गंभीर रूप से घायल है.

इम्तियाज़ और तारीक़ दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं. इम्तियाज़ के पिता कमालुद्दीन हैं, तो तारीक़ के अताउल्लाह. दोनों ही रांची के धुर्वा थाना स्थित सीटीओ बस्ती में रहते हैं. इम्तियाज़ कम पढ़ा-लिखा है और ज़्यादा वक्त धार्मिक तहरीर और जलसे में बिताता है.

इम्तियाज़ ने बताया कि धार्मिक जगहों पर उसकी मुलाकात मेमन जो हिंदपिड़ी मुहल्ला, रांची में रहता है और एक और शख्स हैदर, जो रांची का ही रहने वाला है, से हुई. इन दोनों ने इम्तियाज़ का ब्रेनवाश किया और उसे आतंकवाद की तरफ मुड़ने को विवश कर दिया.

इम्तियाज़ के मुताबिक उसे कभी ओसामा बिन लादेन की जीवनी पढ़ाते तो कभी मुज़फ्फरनगर दंगो का वीडियो फूटेज दिखाकर उत्तेजित करते. इम्तियाज़ ने माना कि मेमन और हैदर ने रांची में ऐसे कई लोगों को तैयार कर रखा है जिन्हें इस्लाम और ज़ेहाद के नाम पर गुमराह कर रहें हैं.

इन्हें कई दिनों से आतंकवादी हमले को अंज़ाम देने के लिए प्रेरित कर रहे थे कि एक मौका आ गया पटना के गांधी मैदान में धमाका करने का.

काफी तैयारी की गई थी. कई लोग गांधी मैदान का रेकी कर चुके थे. उसने ये भी बताया कि 25 तारीख को सीपीआई के रैली के दिन कुछ लड़के यहां के होटल में रुके थे और मॉक ड्रिल भी किया था. पर सबसे हैरानी की बात ये थी कि इम्तियाज़ और उसका भतीजा कभी पटना नहीं आया था.

वो रात, यानी 26 तारीख की शाम (मोदी के हुंकार रैली के ठीक एक दिन पहले) मेमन और हैदर ने इम्तियाज़ और तारीक़ दोनों को रांची के कांटाटोली के बस स्टैंड आने को कहा. ये दोनों घर से कह कर निकले थे कि दोस्त के घर जा रहें हैं और इंशाअल्लाह जल्द ही लौटेंगे.

ये घर से सीधा बस स्टैंड पहुंचें. वहां पर पहले से मेमन और हैदर मौजुद थे. इन दोनों ने 230 रू का टिकट कटाकर रांची से पटना जाने वाली एक बस में बैठा दिया. साथ ही तीन-तीन बम से भरे दो काले रंग के पीठ पर टांगने वाले बैग दिये.

जब इम्तियाज़ ने पूछा कि तुम दोनों हमारे साथ नहीं आ रहे तो मेमन ने कहा कि ज्यादा सवाल पूछना इस्लाम के खिलाफ है, साथ ही ज्यादा बात नहीं करने की झिड़की भी दी. फिर इम्तियाज़ अपने भतीजे तारीक के साथ उसी बस से पटना पहुंच गया.

पटना में सुबह साढ़े छह बजे उन दोनों ने ऑटो पकड़ा और सीधा रेलवे स्टेशन पहुंच गए. इम्तियाज़ ने यह भी बताया कि रांची से तीन टीमें चली थीं और वो भी अलग-अलग बस से. एक टीम में वो खुद और उसका भतीजा था, जबकि दूसरी टीम में हैदर, लोमान और तौफीक़. हैदर औरंगाबाद, बिहार का रहने वाला है जबकि लोमान और तौफीक़ रांची के ही हैं. तीसरी टीम में मेमन और दो और लोग थे जिसे वो नहीं जानता था.

आठ लोग और अठारह बम्, निशाने पर स्टेशन और गांधी मैदान्. इम्तियाज़ ने बताया कि उन्हें राह खर्च के लिए पांच-पांच हजार रुपये मिले और मोबाइल ना रखने की हिदायत भी दी. साथ ही ये भी कहा कि धमाका करने के तुरन्त बाद वो पटना से 15 किलोमीटर दूर पुनपुन रेलवे स्टेशन चले जाएं और वहां से गया के लिए ट्रेन पकड़े, फिर गया से रांची वापस लौट जाए.

इन चाचा-भतीजा के ज़रिये पटना रेलवे स्टेशन के उत्तरी और दक्षिणी दोनों छोर पर तीन-तीन बम से धमाका करने की साजिश थी. और वो भी सुबह नौ बजे पन्द्रह मिनट के अंतराल पर्. पटना स्टेशन के प्लैटफॉर्म नम्बर 10 से लगा हुआ सुलभ शौचालय के अन्दर जाने के लिए 5 रुप्ये का टोकन भी इन दोनों ने कटाया.

अंदर जाकर बम को बैट्री से जोड़ना था और टाईम सेट करना था. पंद्रह मिनट इसलिए कि अगर बम दिख भी जाए तो उसे डिफ़्यूज़ नहीं किया जा सके. पर भतीजे तारीक़ ने बैट्री से बम को जोड़ा और वो ब्लास्ट कर गया. इम्तियाज़ घबरा गया. उसने सोचा कि अब वो घर वापस जाए या अपने एक मित्र अरशद के यहां मोतिहारी चला जाए. इसी बीच एक पुलिसवाले ने उसे देख लिया.

उसने देखा कि जिस बैग में घमाका हुआ है, ठीक वैसा ही बैग उसके पास है. इसी संदेह में पुलिस ने उसे पकड़ लिया. फ़िर पुछताछ में उसके पास से एक कागज़ बरामद हुआ जिसमें सात टेलीफ़ोन नंबर लिखे थे. इस फोन के आधार पर उसके घर पर छापेमारी हुई जहां कुकर और बम बनाने के सामान बरामद किए गए. उसकी निशान्देही पर मोतिहारी में अरशद भी पकड़ा गया.

उसने ये भी बताया कि उन सभी को पांच-पांच लाख रुपये दिये गए और बाकी काम हो जाने पर मिलने का भरोसा दिलाया गया था. मेमन ने कहा था कि अगले जुम्मे को किसी एक मस्ज़िद में मुलाकात होगी. बाकी टीम के सदस्य मोतिहारी में रुकते और वहां से नेपाल चले जाते.

लेकिन चाचा पकड़ा गया और वो भी ब्लास्ट के पंद्रह मिनट बाद ही. उसे स्टेशन का मैप दिया गया था जिसके सहारे उसे बम रखना था. इम्तियाज़ के पास से एक पर्स और एक अखबार भी मिला था. http://abpnews.newsbullet.in/blogtest/74-more/58449-2013-10-31-02-50-03

दुनिया मे लाखो नबी आये मगर............


भारत का विभाजन ''इस्लाम ''ने किया,देश को तोड्ने वाला देशद्रोही होता है,
बुरा मत मानो और सोचो.....

1) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर ये मुहम्मद के अलावा
किसी भी नबी ने नही बताया कि अल्लाह मूर्ति पूजको से नफरत
कर रहा है ,

2) दुनिया मे लाखो नबी.आये मगर मूर्ति पूजको को कत्ल करने का
ठेका(contract) केवल मुहम्मद को ही मिला ।

3) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर काफिरो (गैर-मुस्लिम) को
मारकर उनकी दौलत और औरतो को लूटने का ठेका केवल मुहम्मद
को ही मिला ।

4) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर लूट हलाल केवल मुहम्मद के लिये हुयी ।

5) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर तलवार और रक्तपात की आवश्यकता केवल मुहम्मद को पडी ।

6) दुनिया मे लाखो नबी आये पर लूट मेँ पकडी गई औरतो को बाजार
मेँ बेचने और अपने लुटेरे साथियो(सहाबा) मेँ बाँटने जैसे नेक काम
की इजाजत केवल मुहम्मद को मिली ।

7) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर लूट मे पकडी हुयी औरतो से बलात्कार करने की इजाजत केवल मोहम्मद और सहाबा
को मिली ।

8 ) दुनिया मेँ लाखो नबी आये मगर औरतो के पतियोँ को कत्ल करके
उन औरतो से बलात्कार करने ,शादी करने ,गुलाम बनाने ,लौडिँयाँ बनाने रखेल बनाने की इजाजत केवल मुहम्मद को ही मिली ।

9) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर काफिरो (हिन्दू ,यहूदी ,इसाई
,बौद्धीस्ट आदि) को मारने की इजाजत केवल मुहम्मद को मिली ।

10) दुनिया मेँ लाखो नबी आये मगर चचेरी बहनो ,फुफेरी बहनो ,
ममेरी बहनो से शादी करने की इजाजत केवल मुहम्मद को मिली ।

11) दुनियाँ मे लाखो नबी आये मगर 6 साल तक की बच्ची (आयशा)
से लेकर किसी भी उम्र की औरतो(खदीजा) से शादी करने की छूट
केवल मुहम्मद को मिली ।

12) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर बे वजह केवल काफिर होने
के कारण , किसी को मारने या उसका धर्म परिवर्तन करवाने
की जरूरत किसी को नही पडी ।

13) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर 72 हूरो वाली जन्नत
की काल्पनिक कहानी मुहम्मद के अलावा किसी ने नही
सुनाई ।

14) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर औरतो के लिये जन्नत हराम है ,
ये बात केवल मुहम्मद ने बताई ।

15) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर औरतो को बुद्धिहीन केवल मुहम्मद ने बताई ।

16) दुनिया मेँ लाखो नबी आये मगर ये मुहम्मद के अलावा किसी ने नही कह कि
a>औरते नबी नही हो सकती,
b>औरते पैगम्बर नही हो सकती,
c>औरते पीर नही हो सकती ,
d>औरते पूजनीय नही हो सकती ,
e>औरतो का मजार नही हो सकता ,
f>औरते जन्नत मेँ नही जा सकती

17) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर अपने साथियो/सहाबा से लूट
मेँ मिली दौलत का 5 वाँ हिस्सा (20% कमिशन)
केवल मुहम्मद लेता था ।

18) दुनिया मे लाखो नबी आये मगर काफिरो (गैर-मुस्लिमो) से
जजिया/कर सिर्फ मुहम्मद के अलावा किसी ने नही
लिया ।

असल मे मोहम्मद ने अपने गिरोह को बढाने के लिए इस्लाम नाम का मजहब बनाया और अपने दिमाग की उपज से अल्लाह और कुरान की मनगंढत बातो का सहारा लेकर अपना हित साधने के लिए अपना खुद का मजहब स्टार्ट कर दिया ....

अब क्योकि मुहम्मद अरब का था तो उसने अरबी अ

असल मे अल्लाह के नाम पर चालाकी से मुहम्मद खुद की पूजा करवाना चाहता था, इसलिये उसने एक मंत्र
(ला इलाह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलल
ल्लाह ,अरबी फरिश्ते ,कुरान अरबी मे , नबी अरब के ,हज अरब मे और अरबी इबादती तरीको को मिलाकर अरबी साम्राज्यवाद को इस्लाम का नाम दे दिया !
्लाह) भी बनाया, जिसमे अल्लाह के साथ उसका भी नाम लिया जाये!

इस तरह मुहम्मद अपनी करतूतो को धर्म का जामा पहिना कर उसे जायज बना देता था, और अपनी बेतुकी बातों को अल्लाह का आदेश
बता देता था और लालची, अज्ञानी अरब उसे मान लेते
थे !
महाबलशाली हिन्दू -Intelligent Hindu

@amandeeo singh

शनिवार, अक्तूबर 12, 2013

खत मस्जिदों में जुमे के रोज सब मुसलमानों को सुनाया जाये, ये खत किसी #हिन्दू को न दिखायें।

ये खबर सिर्फ #कट्टर #हिन्दू ही पढ़े कायरो की कोई जरुरत नही और सेक्युलर लोग तो इसे लाइक भी मत करना
बिना पढ़े इसे लाइक न करे क्योकि मुझे गिनती करना है की कितने लोगो ने पढ़ा है इसे
सुलतान मियाँ कटघर – मुरादाबाद यू0पी0 (यह पत्र जिला मेवात, बड़खल चैक से प्राप्त हुआ)
September 27, 2013 at 1:54pm

यह खत मस्जिदों में जुमे के रोज सब मुसलमानों को सुनाया जाये, ये खत किसी #हिन्दू को न दिखायें।

पुलिस में भी काफी मुसलमान हैं और वक्त आने पर काफिरों को दोजख पहुचायेंगे। आम हिन्दू लोगों में मुसलमानों के लिय नरम रूख है जिसकी वजह उपर बतायें है हिन्दू औरतों से दोस्ती है। केरल, मद्रास और हैदराबाद में काफी असलाह पाकिस्तान और अरब मुल्कों से आ चुका है। बिहार में चीन और बांग्लादेश से 60 हजार एके-47 आ चुकी हैं।
इसलिये लाल किला पर झण्डा जल्दी झूलेगा। अरब मुल्कों में हिन्दू औरतों को नर्स, आया, खाना बनाने वाली बनाकर ज्यादा से जयादा भेजें। अच्छी तनख्वाह के लालच में गरीब व दरम्यान घर की लड़कियां खुशी से जाती हैं और वहां जाकर रात को सारी की सारी अरबों के पास सो जाती हैं और मुसलमानों की आबादी बढ़ाने में काफी मददगार हैं। हिन्दू लड़की से शादी, हिन्दू लड़की जो भगाकर लायी जाये उसे 2 दिन भूखा रखें फिर अच्छा-अच्छा खाना दें। उनकी सतत या खतना जरूर करायें। अगर उसके रिश्तेदार कोर्ट केश करें तो कोर्ट में ले जाने से पहले 50/60 बंदूकों के हथियार दिखायें और खबरदार करें। अगर हमारे खिलाफ बयान दिये तो तेरे भाई और खानदान को भून देंगे। ऐसी लड़की को वश में करने वाले ताबीज पहनाना न भूलें। ये भी कमाल का काम करता है।

हरियाणा के मुसलमानों का कमाल- गांधी की मेहरबानी से मेवात के मुसलमान पाकिस्तान नही गये थे। पिछले 15 सालों से 40 लाख मुसलमान बिहार, यूपी, राजस्थान में आकर बस गये हैं। 70 फीसदी तो हिन्दू नामों से रह रहे हैं और उपर लिखी बाते अच्छी तरह सरजाम दे रहे हैं। पंजाब में भी लाखों मुसलमान पहुंच चुका है। वक्त आने पर ये सब जेहाद के लिये कुरान के मुताबिक काफिरों को दोजख पहुचाने के लिये तैयार हैं। अल्ला हमारे साथ है।

काफिरों का बंटवारा-
वैसे तो हिन्दू जांत-पांत में बंटा है आप लोग चमारों के दिमाग में हिन्दुओं के लिये खूब नफरत भरें जिन्होंने इनके उपर सैकड़ों साल जुल्म ढाये। मुसलमानों शाबास। बीएसपी को जीताकर भाजपा को धूल चटाकर दी। अब चमार हिन्दू से खूब बदला ले रहे हैं। तुमने पहले मुलायम सिंह जो एक मुसलमान पहलवान की औलाद है से खूब काम लिया और उसकी गांड भी मारी। अब मायावती से खूब काम निकलवायें। मुसलमानों के काम निकलवाओ और मायावती की दोनों तरफ से मारो। इस्लाम में औरतों के आगे-पीछे का इस्तेमाल करना जायज है। आसाम और कश्मीर पर तो मुसलमानों का कब्जा हो चुका है।सारे बुतखाने तोड़ दिये गये हैं। महलों व सड़कों का नाम बदलकर जिन्हा रोड व अली रोड कर दिये हैं। आसाम पर भी काफी हद तक मुसलमानों का कब्जा है। काफिरों का कत्ल करके दहशत फैला कर भगाया जा रहा है। इस तरह कश्मीर की तरह हिन्दुओं की जायदाद व औरतें अल्ला की फजल से हम मुसलमानों को मिल रही हैं। सारे हिन्दुस्तान को इस्लाम के झंडे के नीचे लाने के लिये संघ जैल है।

पाकिस्तानी फार्मूला-
सन् 1947 में हमारे जवानों ने काफिरों के छोटे-छोटे बच्चे आसमान में उछालकर नैजे व भाले पर लिये थे। इनकी औरतों के साथ 10/10 मुसलमानों ने जिन्हा किया था और अल्हादानी लोहे की नोहर गर्म करके लाल-लाल उनके थनों पर चिपकाई गई थी। कई औरतों के थन काट दिये थे। उनके बच्चों को मारकर पकाकर खिलाया भी था। राजीव गांधी के राज में फार्मूला काश्मीर में आजमाया गया। नतीजा यह निकला कि साढ़े तीन लाख पण्डितों से कश्मीर 2 दिन में खाली हो गया और करोड़ों बल्कि अरबों रूपये की काफिरों की जायदाद पर मुसलमानों का कब्जा हो गया। जेहाद में औरतों के लिये खास दस्ता- मुसलमान जवान का यह दस्ता स्कूटर कार छोटे ट्रक वगैरा पर हिन्दू देवताओं की फोटों चिपकाकर रखें। ड्राइवर व कंडक्टर हिन्दू वेश में हो। जब अफरा-तफरी फैले तो काफिरों को जिनमें औरतें ज्यादा हों मुसलमान मोहल्लों में भगाकर ले जायें। औरतें को वहां पहुंचा दी जायें। काफिर मर्द और बच्चे मारकर दोजख भेज दें। ये नुस्खा 40 साल पहले अहमदाबाद में आजमाया गया था, उस समय वाई वी चैहान होम मिनिस्टर थे। इसी दस्ते के लिये जयपुर फार्मूला कई साल पहले हमारे मुसलमाना जवानों ने जयपुर में फसाद शुरू किये थे और हिन्दू घरों से व लड़कियों के स्कूलों से उठा ली थी। 6 माह बाद जब 2/3 लड़कियों ने अपने घर खबर भेजी तो खानदान के उन लोगों ने उन लड़कियों को वापस लेने से इन्कार कर दिया। 1948 में जब हिन्दू मिलिट्री, हिन्दू औरतों को निकालकर हिन्दुस्तान लाई तो उनके खानदान वालों ने लेने से इंकार कर दिया। इस वास्ते कुछ ने तो खुदकुशी कर ली। ये सब मुसलमानों के लिये अच्छा हुआ। इसके लिये हिन्दुओं की दाद देनी चाहिये।

मुसलमानों और हिन्दुओं के मरने की निस्बतः-
जब पाकिस्तान बना तो एक मुसलमान शहीद हुआ था। काफिर मारे गये थे अब तो बम्बों और एके 47 का जमाना है, अल्ला ने चाहा तो एक मुसलमान के मारे जाने पर 100 हिन्दू मरेंगे अल्ला हमारे साथ है। मुसलमानों को अल्ला का शुक्रगुजार होना चाहिये कि वो सब भूल गयें अल्ला ने उसका दिमाग बड़ा कमजोर दिया है। इसलिये हमने 800 साल हुकूमत की और इन्सा अल्ला फिर करेंगे। इस बात से साबित होता है कि अल्ला भी चाहता है कि मुसलमानों को हिन्दुस्तान की हुकूमत मिले और हिन्दुओं की औरत को जन्नत मिले। चीन, पाकिस्तान और बंग्लादेश से हथियार व नकली नोट हम मुसलमानों की मदद के लिये अल्ला भिजवा रहा है।

हिन्दू अफसर और पुलिस वाले इसी पैसे से अंधे बना दिये जाते हैं। यह खत मस्जिदों में जुमे के रोज सब मुसलमानों को सुनाया जाये। खाना जंगी के वक्त पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश व नेपाल भी हमारी मदद के लिये हिन्दुस्तान पर हमला बोल देंगे। नेपाल में काफी मंदिर तोड़ दिये गये हैं और आईएसआई की मदद से काफी लोग मुसलमान हो गये हैं। कलावा मोटर साईकिल-मुसलमान जवानों को चाहिये अपने हाथ में कलावा बांध कर अपना नाम बदलकर हिन्दू नाम अपना लें। मोटर साईकिल पर सवार होकर हिन्दू मोहल्ले में कालेजों और स्कूलों के पास खड़े होकर हिन्दू लड़कियों से इश्क लड़ायें। होटलों में भी खुद भी ऐश करें और उनसे काल गर्ल्‍स का काम लें। इस कमाई से कुछ हिस्सा हथियारों पर खर्च करें। कारों वाले भाई जान भी करें। अरब मुल्कों में इसके लिये काफी पैसा हम तक पहुंच रहा है। भाजपा का डर था कि वो कुरान की 24 आयतें कहीं छापकर नहीं बांटे मगर अल्ला की मेहरबानी से वो अंधे हो गये और नहीं बांट सके। अल्ला तेरा शुकर है कि भूल कर भी सिखों को न छेड़ें। ये जालिम होते हैं बल्कि चक्कर चलाकर उनको हिन्दुओं से दूर रखें। 80 साल के ये सिंधी पंजाबी बड़े नेक इंसान हैं, गरीब मुसलमानों की मदद करते हैं। ये खत किसी हिन्दू को न दिखायें।
आपका खादि""
जागो #हिन्दुओ जागो जात पात पार्टी संप्रदाय भूलकर एक हो जाओ वर्ना कही के नही रहोगे

शुक्रवार, अक्तूबर 11, 2013

Hindu Kush means Hindu Slaughter


Hindu Kush means Hindu Slaughter


It is a bit long post but it covers every part and question about the topic. Please give it 5 minutes and you will understand why this is important!

INTRODUCTION
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The Hindu Kush is a mountain system nearly 1000 miles long and 200 miles wide, running northeast to southwest, and dividing the Amu Darya River Valley and Indus River Valley. It stretches from the Pamir Plateau near Gilgit, to Iran. The Hindu Kush ranges mainly run thru Afganistan and Pakistan. It has over two dozen summits of more than 23,000 ft in height. Below the snowy peaks the mountains of Hindu Kush appear bare, stony and poor in vegetation. Historically, the passes across the Hindu Kush have been of great military significance, providing access to the northern plains of India. The Khyber Pass constitutes an important strategic gateway and offers a comparatively easy route to the plains of Punjab. Most foreign invaders, starting from Alexander the Great in 327 BC, to Timur Lane in 1398 AD, and from Mahmud of Ghazni, in 1001 AD, to Nader Shah in 1739 AD attacked Hindustan via the Khyber Pass and other passes in the Hindu Kush (1,2,3). The Greek chroniclers of Alexander the Great called Hindu Kush as Parapamisos or Paropanisos (4). The Hindu name of the Hindu Kush mountains was 'Paariyaatra Parvat'(5).

EARLY HISTORY OF HINDU KUSH REGION (UP TO 1000 AD)
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History of Hindu Kush and Punjab shows that two major kingdoms of Gandhaar & Vaahic Pradesh (Balkh of Bactria) had their borders extending far beyond the Hindu Kush. Legend has it that the kingdom of Gandhaar was established by Taksha, grandson of Bharat of Ayodhya (6). Gandhaar's borders extended from Takshashila to Tashkent (corruption of 'Taksha Khand') in the present day Uzbekistan. In the later period, Mahabharat relates Gaandhaari as a princess of Gandhaar and her brother, Shakuni as a prince and later as Gandhaar's ruler.

In the well documented history, Emperor Chandragupt Maurya took charge of Vaahic Pradesh around 325 BC and then took over Magadh. Emperor Ashok's stone tablets with inscriptions in Greek and Aramaic are still found at Qandahar (corruption of Gandhaar?) and Laghman in eastern Afganistan(3). One such stone tablet, is shown in the PBS TV series 'Legacy with Mark Woods' in episode 3 titled 'India: The Spiritual Empire'. After the fall of Mauryan empire, Gandhaar was ruled by Greeks. However some of these Greek rulers had converted to Buddhism, such as Menander, known to Indian historians as Milinda, while some other Greeks became followers of Vishnav sects (Hinduism)(7). Recent excavations in Bactria have revealed a golden hoard which has among other things a figurine of a Greek goddess with a Hindu mark on its forehead (Bindi) showing the confluence of Hindu-Greek art (8). Later Shaka and KushaaN ruled Gandhaar and Vaahic Pradesh. KushaaN emperor Kanishka's empire stretched from Mathura to the Aral Sea (beyond the present day Uzbekistan, Tajikistan, and Krygzystan)(9).

Kanishaka was a Buddhist and under KushaaN influence Buddhism flourished in Gandhaar. Two giant sandstone Buddhas carved into the cliffs of Bamian (west of Kabul) date from the Kushan period. The larger Buddha (although defaced in later centuries by Moslem invaders) is about 175 ft tall (10,11). The Kushan empire declined by 450 AD. The Chinese traveller Hsuan-Tsang (Xuan-zang) travelled thru the region in 7 th century AD and visited many Buddhist religious centers (3) including Hadda, Ghazni, Qonduz, Bamian (3,10,11), Shotorak and Bagram. From the 5 th thru 9 th cenury AD Persian Sasanians and Hepthalites ruled Gandhaar. During their rule Gandhaar region was again influenced by Hinduism. The Hindu kings (Shahiya) were concentrated in the Kabul and Ghazni areas. The last Hindu Shahiya king of Kabul, Bhimapal was killed in 1026 AD. The heroic efforts of the Hindu Shahiya Kings to defend the northwestern gates of India against the invaders are described by even al-Biruni, the court historian of Mahmud of Ghazni (12). Some excavated sites of the period include a major Hindu Shahiya temple north of Kabul and a chapel that contains both Buddhist and Hindu images, indicating that there was a mingling of two religions (3).

Islamic invasions on Afganistan started in 642 AD, but over the next several centuries their effect was marginal and lasted only a short time after each raid. Cities surrendered only to rise in revolt and the hastily converted returned to their old religion (Hinduism or Buddhism) once the Moslem armies had passed (3).

THUS TILL THE YEAR 1000 AD AFGANISTAN WAS A FULL PART OF HINDU CRADLE.

HINDU KUSH AND THE HINDU GENOCIDE
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Now Afganistan is a Moslem country. Logically, this means either one or more of the following must have happened:
a) original residents of Hindu Kush converted to Islam, or
b) they were slaughtered and the conquerors took over, or
c) they were driven out.

Encyclopedia Britannica (3) already informs us above about the resistance to conversion and frequent revolt against to the Moslem conqueror's rule from 8 th thru 11 th Century AD. The name 'Hindu Kush' itself tells us about the fate of the original residents of Gandhaar and Vaahic Pradesh during the later period of Moslem conquests, because HINDU KUSH in Persian MEANS HINDU SLAUGHTER (13) (as per Koenraad Elst in his book 'Ayodhya and After'). Let us look into what other standard references say about Hindu Kush.

Persian-English dictionary (14) indicates that the word 'Kush' is derived from the verb Kushtar - to slaughter or carnage. Kush is probably also related to the verb Koshtan meaning to kill. In Urdu, the word Khud-kushi means act of killing oneself (khud - self, Kushi- act of killing). Encyclopedia Americana comments on the Hindu Kush as follows: The name Hindu Kush means literally 'Kills the Hindu', a reminder of the days when (Hindu) SLAVES from Indian subcontinent died in harsh Afgan mountains while being transported to Moslem courts of Central Asia (15). The National Geographic Article 'West of Khyber Pass' informs that 'Generations of raiders brought captive Hindus past these peaks of perpetual snow. Such bitter journeys gave the range its name Hindu Kush - "Killer of Hindus"'(10). The World Book Encyclopedia informs that the name Kush, .. means Death ..(16). While Encyclopedia Britannica says 'The name Hindu Kush first appears in 1333 AD in the writings of Ibn Battutah, the medieval Berber traveller, who said the name meant 'Hindu Killer', a meaning still given by Afgan mountain dwellers who are traditional enemies of Indian plainsmen (i.e. Hindus)(2). However, later the Encyclopedia Britannica gives a negationist twist by adding that 'more likely the name is a corruption of Hindu-Koh meaning Hindu mountains'. This is unlikely, since the term Koh is used in its proper, uncorrupted form for the western portion of Hindu Kush, viz. Koh-i-Baba, for the region Swat Kohistan, and in the names of the three peaks of this range, viz. Koh-i-Langer, Koh-i-Bandakor, and Koh-i-Mondi. Thus to say that corruption of term Koh to Kush occurred only in case of Hindu Kush is merely an effort to fit in a deviant observation to a theory already proposed. In science, a theory is rejected if it does not agree with the observations, and not the other way around. Hence the latter negationist statement in the Encyclopedia Britannica must be rejected.

IT IS SIGNIFICANT THAT ONE OF THE FEW PLACE NAMES ON EARTH THAT REMINDS US NOT OF THE VICTORY OF THE WINNERS BUT RATHER THE SLAUGHTER OF THE LOSERS, CONCERNS A GENOCIDE OF HINDUS BY THE MOSLEMS (13).

Unlike the Jewish holocaust, the exact toll of the Hindu genocide suggested by the name Hindu Kush is not available. However the number is easily likely to be in millions. Few known historical figures can be used to justify this estimate. Encyclopedia Britannica informs that in December 1398 AD, Timur Lane ordered the execution of at least 50,000 captives before the battle for Delhi, .. and after the battle those inhabitants (of Delhi) not killed were removed (as slaves) (17), while other reference says that the number of captives butchered by Timur Lane's army was about 100,000 (18). Later on Encyclopedia Britannica mentions that the (secular?) Mughal emperor Akbar 'ordered the massacre of about 30,000 (captured) Rajput Hindus on February 24, 1568 AD, after the battle for Chitod' (19). Another reference indicates that this massacre of 30,000 Hindu peasants at Chitod is recorded by Abul Fazl, Akbar's court historian himself (20). These two 'one day' massacres are sufficient to provide a reference point for estimating the scale of Hindu genocide. The Afgan historian Khondamir records that during one of the many repeated invasions on the city of Herat in western Afganistan, 1,500,000 residents perished (11).

Since some of the Moslem conquerors took Indian plainsmen as slaves, a question comes : whatever happened to this slave population? The startling answer comes from New York Times (May-June 1993 issues). The Gypsies are wandering peoples in Europe. They have been persecuted in almost every country. Nazis killed 300,000 gypsies in the gas chambers. These Gypsies have been wandering around Central Asia and Europe since around the 12 th Century AD. Until now their country of origin could not be identified. Also their Language has had very little in common with the other European languages. Recent studies however show that their language is similar to Punjabi and to a lesser degree to Sanskrit. Thus the Gypsies most likely originated from the greater Punjab. The time frame of Gypsy wanderings also coincides early Islamic conquests hence most likely their ancestors were driven out of their homes in Punjab and taken as slaves over the Hindu Kush.

The theory of Gypsie origins in India was first proposed over two centuries ago. It is only recently theta linguistic and other proofs have been verified. Even the Gypsie leadership now accepts India as the country of their origin.

Thus it is evident that the mountain range was named as Hindu Kush as a reminder to the future Hindu generations of the slaughter and slavery of Hindus during the Moslem conquests.
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DELIBERATE IGNORANCE ABOUT HINDU KUSH
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If the name Hindu Kush relates such a horrible genocide of Hindus, why are Hindus ignorant about it? and why the Government of India does not teach them about Hindu Kush? The history and geography curriculums in Indian Schools barely even mention Hindu Kush. The horrors of the Jewish holocaust are taught not only in schools in Israel and USA, but also in Germany. Because both Germany and Israel consider the Jewish holocaust a 'dark chapter' in the history. The Indian Government instead of giving details of this 'dark chapter' in Indian history is busy in whitewash of Moslem atrocities and the Hindu holocaust. In 1982, the National Council of Educational Research and Training issued a directive for the rewriting of school texts. Among other things it stipulated that: 'Characterization of the medieval period as a time of conflict between Hindus and Moslems is forbidden'. Thus denial of history or Negationism has become India's official 'educational' policy (21).

Often the official governmental historians brush aside questions such as those that Hindu Kush raises. They argue that the British version is the product of their 'divide and rule' policy' hence their version is not necessarily true. However it must be remembered that the earliest reference of the name Hindu Kush and its literal meaning 'Hindu Killer' comes from Ibn Battutah in 1333 AD, and at that time British were nowhere on the Indian scene. Secondly, if the name indeed was a misnomer then the Afgans should have protested against such a barbaric name and the last 660 plus years should have been adequate for a change of name to a more 'civil' name. There has been no effort for such a change of name by the Afgans. On the contrary, when the Islamic fundamentalist regime of the Mujahadeens came to power in 1992, tens of thousands of Hindus and Sikhs from Kabul, became refugees, and had to pay steep ransom to enter into Pakistan without a visa.

In the last 46 years the Indian Government also has not even once demanded that the Afgan Government change such an insulting and barbaric name. But in July 1993, the Government of India asked the visiting Jerusalem Symphony Orchestra to change its name because the word Jerusalem in its name is offensive to Moslem Fundamentalists.
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CONCLUSION
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It is evident that Hindus from ancient India's (Hindustan's) border states such as Gandhaar and Vaahic Pradesh were massacred or taken as slaves by the Moslem invaders who named the region as Hindu Kush (or Hindu Slaughter,or Hindu Killer) to teach a lesson to the future Hindu generations of India. Unfortunately Hindus are not aware of this tragic history. The Indian government does not want the true history of Hindu Moslem conflicts during the medieval ages to be taught in schools. This policy of negationism is the cause behind the ignorance of Hindus about the Hindu Kush and the Hindu genocide. ~ By Shrinandan Vyas

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Although in this article Hindu Kush has been referred to as Hindu slaughter, it is quite possible that it was really a Hindu and Buddhist slaughter. Since prior to Moslem invasions influence of Buddhism in Gandhaar and Vaahic Pradesh was considerable. Also as the huge 175 ft stone Buddhas of Bamian show, Buddhists were idol worshipers par excellence. Hence for Moslem invaders the Buddhists idol worshipers were equally deserving of punishment. It is also likely that Buddhism was considered an integral part of the Hindu pantheon and hence was not identified separately.

This article barely scratches the surface of the Hindu genocide, the true depth of which is as yet unknown. Readers are encouraged to find out the truth for themselves . Only when many readers search for the truth, the real magnitude of the Hindu genocide will be discovered.

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REFERENCES

1. Encyclopedia Britannica, 15 th Ed, Vol.5, p.935, 1987

2. Encyclopedia Britannica, 15 th Ed, Vol.14, pp.238-240, 1987

3. Encyclopedia Britannica, 15 th Ed, Vol.13, pp.35-36, 1987

4. The Invasion of India by Alexander the Great (as described by Arrian, Q.Curtius, Diodoros, Plutarch & Justin), By J.W.McCrindle, Methuen & Co., London, p.38, 1969

5. Six Glorious Epochs of Indian History, by Veer Savarkar, Savarkar Prakashan, Bombay, 2nd Ed, p.206, 1985

6. Chanakya - a TV series by Doordarshan, India

7. Encyclopedia Britannica, 15 th Ed, Vol.21, pp.36-41, 1987

8. V.Sarianidi, National Geographic Magazine, Vol.177, No.3, p.57, March 1990

9.Hammond Historical Atlas of the World, pp. H4 & H10, 1993

10. W.O.Douglas, National Geographic Magazine, vol.114, No.1, pp.13-23, July 1958

11. T.J.Abercrombie, National Geographic Magazine, Vol.134, No.3, pp.318-325, Sept.1968

12. An Advanced History of India, by R.C.Majumdar,
H.C.Raychaudhuri, K.Datta, 2nd Ed., MacMillan and Co, London, pp.182-83, 1965

13.Ayodhya and After, By Koenraad Elst, Voice of India Publication, p.278, 1991

14. A Practical Dictionary of the Persian Language, by J.A.Boyle, Luzac & Co., p.129, 1949

15. Encyclopedia Americana, Vol.14, p.206, 1993

16. The World Book Encyclopedia, Vol.19, p.237, 1990

17. Encyclopedia Britannica, 15 th Ed, Vol.21, pp. 54-55, 1987

18. An Advanced History of India, by R.C.Majumdar, H.C.Raychaudhuri, K.Datta, 2nd Ed., MacMillan and Co, London, pp.336-37, 1965

19. Encyclopedia Britannica, 15 th Ed, Vol.21, p.65, 1987

20. The Cambridge History of India, Vol.IV - The Mughul Period, by W.Haig & R.Burn, S.Chand & Co., New Delhi, pp. 98-99, 1963

21. Negationism in India, by Koenraad Elst, Voice of India Publ, 2nd Ed, pp.57-58, 1993

मंगलवार, अक्तूबर 08, 2013

एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे।

एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे। मैक्सिको में एक खुदाई के दौरान गणेश और लक्ष्मी की प्राचीन मूर्तियां पाई गईं। अफ्रीका में 6 हजार वर्ष पुराना एक शिव मंदिर पाया गया और चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, जापान में हजारों वर्ष पूरानी विष्णु, राम और हनुमान की प्रतिमाएं मिलना इस बात के सबूत हैं कि हिंदू धर्म संपूर्ण धरती पर था।

'मैक्सिको' शब्द संस्कृत के 'मक्षिका' शब्द से आता है और मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं जिनसे यह सिद्ध होता है। जीसस क्राइस्ट्स से बहुत पहले वहां पर हिंदू धर्म प्रचलित था- कोलंबस तो बहुत बाद में आया। सच तो यह है कि अमेरिका, विशेषकर दक्षिण-अमेरिका एक ऐसे महाद्वीप का हिस्सा था जिसमें अफ्रीका भी सम्मिलित था। भारत ठीक मध्य में था।

अफ्रीका नीचे था और अमेरिका ऊपर था। वे एक बहुत ही उथले सागर से विभक्त थे। तुम उसे पैदल चलकर पार कर सकते थे। पुराने भारतीय शास्त्रों में इसके उल्लेख हैं। वे कहते हैं कि लोग एशिया से अमेरिका पैदल ही चले जाते थे। यहां तक कि शादियां भी होती थीं। कृष्ण के प्रमुख शिष्य और महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा अर्जुन ने मैक्सिको की एक लड़की से शादी की थी। निश्चित ही वे मैक्सिको को मक्षिका कहते थे। लेकिन उसका वर्णन बिलकुल मैक्सिको जैसा ही है।

मैक्सिको में हिंदुओं के देवता गणेश की मूर्तियां हैं, दूसरी ओर इंग्लैंड में गणेश की मूर्ति का मिलना असंभव है। कहीं भी मिलना असंभव है, जब तक कि वह देश हिंदू धर्म के संपर्क में न आया हो, जैसे सुमात्रा, बाली और मैक्सिको में संभव है, लेकिन और कहीं नहीं, जब तक वहां हिंदू धर्म न रहा हो। मैं जो यह कुछ उल्लेख कर रहा हूं, अगर तुम इसके बारे में और अधिक जानकारी पाना चाहते हो तो तुम्हें भिक्षु चमन लाल की पुस्तक ‘हिंदू अमेरिका’ देखनी पड़ेगी, जो कि उनके जीवनभर का शोधकार्य है।

मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं
जिनसे यह सिद्ध होता है। जीसस क्राइस्ट्स से बहुत
पहले वहां पर हिंदू धर्म प्रचलित था- कोलंबस
तो बहुत बाद में आया। सच तो यह है कि अमेरिका,
विशेषकर दक्षिण-अमेरिका एक ऐसे महाद्वीप
का हिस्सा था जिसमें अफ्रीका भी सम्मिलित था।
भारत ठीक मध्य में था।
अफ्रीका नीचे था और अमेरिका ऊपर था। वे एक बहुत
ही उथले सागर से विभक्त थे। तुम उसे पैदल चलकर
पार कर सकते थे। पुराने भारतीय शास्त्रों में इसके
उल्लेख हैं। वे कहते हैं कि लोग एशिया से
अमेरिका पैदल ही चले जाते थे। यहां तक
कि शादियां भी होती थीं। कृष्ण के प्रमुख शिष्य और
महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा अर्जुन ने
मैक्सिको की एक लड़की से शादी की थी। निश्चित
ही वे मैक्सिको को मक्षिका कहते थे। लेकिन
उसका वर्णन बिलकुल मैक्सिको जैसा ही है।
मैक्सिको में हिंदुओं के देवता गणेश की मूर्तियां हैं,
दूसरी ओर इंग्लैंड में गणेश
की मूर्ति का मिलना असंभव है।
कहीं भी मिलना असंभव है, जब तक कि वह देश हिंदू
धर्म के संपर्क में न आया हो, जैसे सुमात्रा,
बाली और मैक्सिको में संभव है, लेकिन और कहीं नहीं,
जब तक वहां हिंदू धर्म न रहा हो। मैं जो यह कुछ
उल्लेख कर रहा हूं, अगर तुम इसके बारे में और अधिक
जानकारी पाना चाहते हो तो तुम्हें भिक्षु चमन लाल
की पुस्तक ‘हिंदू अमेरिका’ देखनी पड़ेगी, जो कि उनके
जीवनभर का शोधकार्य है।
(स्वर्णिम बचपन : ओशो- प्रवचनमाला सत्र- 6-
नानी का प्रेम… भारत एक सनातन)।
©®-इसके अतिरिक्त श्री P.N OAK की पुस्तक "CHRISTIANITY IS A KRISHNA NEETI" भी अवश्य पढ़े....
हर हर महादेव

(स्वर्णिम बचपन : ओशो- प्रवचनमाला सत्र- 6-नानी का प्रेम… भारत एक सनातन)।

हिंदू और जैन धर्म : अब तक प्राप्त शोध के अनुसार हिंदू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है, लेकिन यह कहना कि जैन धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म के बाद हुई तो यह उचित नहीं होगा। ऋग्वेद में आदिदेव ऋषभदेव का उल्लेख मिलता है।

राजा जनक भी विदेही (दिगंबर) परंपरा से थे। वैदिक काल में पहले ऐसा था कि परिवार में एक व्यक्ति ब्राह्मण धर्म में दीक्षा लेता था तो दूसरा जैन। इक्ष्वाकू कुल के लोग हिंदू भी थे और जैन भी। इस देश में दो जड़ें एकसाथ विकसित हुईं।

सोमवार, अक्तूबर 07, 2013

अंग्रेज़ी महीनों के नाम , संस्कृत सप्ताम्बर, अष्टाम्बर, नवाम्बर, दशाम्बर जैसे शुद्ध संस्कृत रूपोंसे मिलते क्यों प्रतीत होते हैं?


‘सप्तांबर, अष्टांबर, नवाम्बर, दशाम्बर’ आपके मनमें, कभी प्रश्न उठा होगा कि अंग्रेज़ी महीनों के नाम जैसे कि, सप्टेम्बर, ऑक्टोबर, नोह्वेम्बर, डिसेम्बर कहीं, संस्कृत सप्ताम्बर, अष्टाम्बर, नवाम्बर, दशाम्बर जैसे शुद्ध संस्कृत रूपोंसे मिलते क्यों प्रतीत होते हैं? विश्व की और विशेषतः युरप की भाषाओं में संस्कृत शब्दों के स्रोत माने जाते हैं।

इस विषय की कुछ कडियां, जो आज शायद लुप्त हो चुकी हैं, उन्हें जानने, इस लेखकने जो काम किया है, वह आपके सामने प्रस्तुत करता हूं। जो जुड़ती कडियों का अनुसंधान मिलता है, वह पाठकों के सामने रखने में, एक सांस्कृतिक गौरव की अनुभूति भी छू कर आह्लादित कर देती है। आप सभी को इस आनंद-गौरव में सहभागी होने के लिए, आमंत्रण हैं।

क्या यह आकस्मिक घटना है? एक साथ अनुक्रम में, निरंतर चारों महीनों के नाम अंग्रेज़ी में आएं, ऐसी, आकस्मिक घटना होनेकी संभावना, नहीं के बराबर है। जो विद्वान संभावना (प्रॉबेबिलिटी) की, अवधारणा से परिचित है, वें इसे आकस्मिक मानने के लिए तैय्यार नहीं होंगे। पर प्रश्न यह भी है, कि, यदि सप्ताम्बर-सेप्टेम्बर है, तो वह अंग्रेजी कॅलेंडर में, क्रम में नववां महीना कैसे हुआ? और उसी प्रकार, फिर अष्टाम्बर-ऑक्टोबर-दसवां, नवाम्बर-नोह्वेम्बर-ग्यारहवां, और दशाम्बर-डिसेम्बर-बारहवां, कैसे हुए?

इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने और संदर्भ खोजने के लिए, एन्सायक्लोपिडीया ब्रिटानिका का विश्व कोष छानकर देखा, और कुछ तथ्य हाथ लगे। संक्षेप में निम्न बिंदुओं की ओर ध्यान आकर्षित हुआ। इस विश्व कोष में, कॅलेन्डर के विषय में वैसे और भी जानकारी है। ईसवी सन, १७५० के आसपास आज कल उपयोग में लिया जाता कॅलेंडर स्वीकारा गया, जिसे ग्रेगॅरियन कॅलेंडर के नाम से जाना जाता है। उसके पहले ज्युलियन कॅलेंडर उपयोग में लिया जाता था। ऐसा भी दिखाइ देता है, कि, पुराने कॅलेंडरों के अनुसार मार्च महीने से ही वर्ष प्रारंभ होता था। यह वस्तुस्थिति ध्यान देने योग्य हैं, क्यों कि, यदि, मार्च महीने से ही वर्ष प्रारंभ हो, तो, सितम्बर सातवां महीना होता है, फिर अक्तुबर आठवां, नवम्बर नववां, और डिसम्बर दसवां महीना होगा।

दूसरा एक सहज दिखाइ देनेवाला तथ्य भी, मार्च से ही नये वर्ष के प्रारंभ की, पुष्टि करता है। वह है, फरवरी में, हर चार वर्ष में आता हुआ, लिप वर्ष का सुधार। कोई भी सुधार सामान्यतः अंत में ही किया जाता है। बहुत सारी ब्यौपारी पेढियां, वर्ष के अंत में ही, हिसाब बराबर करती हैं। आय-कर(Income Tax)का हिसाब भी, वर्षानुवर्ष डिसम्बर के अंत तक, देना होता है।

तो यह प्रश्न कि, फरवरी में ही क्यों, लिप वर्षका सुधार आता है? बडा ही तर्क संगत है। इसका उत्तर कहीं, इतिहास की जमा धूल के नीचे, छिप कर बैठा है। लगता है, कि कभी न कभी तो फरवरी वर्ष का अंतिम महीना रहा होगा। कोइ वर्ष के बीच ही कारण बिना, ऐसा सुधार करे, यह संभव नहीं, मैं तो ऐसा होना तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिसे असंभव मानता हूं। एक और कारण भी स्पष्ट है, कि अन्य माह ३० या ३१ दिन के होते हैं ; फिर क्यों अकेले फरवरी को २८ या २९ दिन देकर पक्षपात किया गया? तो यह फरवरी का लिप वर्ष का सुधार, एक; और २८ या २९ दिनके अवधि का माह होना, दूसरा; यह दोनो तथ्य फरवरी के वर्षान्त माह होने की पुष्टि करते हैं। अर्थात् मार्च कभी तो पहला महीना रहा होगा, यह तथ्य भी इसीसे प्रमाणित होता है।

तीसरा तथ्य भी इस के साथ जोडना आवश्यक है, वह यह है, कि, भारतीय शालिवाहन शक का वर्ष गुडी पडवा (वर्ष प्रतिपदा, युगादि)से ही माना जाता है। और हिंदू तिथि और अंग्रेज़ी डेट प्रायः आगे पीछे हुआ करती है। महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित दक्षिण में सभी परंपराएं शालिवाहन शक मानती हैं। शालिवाहन शक के वर्ष का प्रारंभ, वर्ष-प्रतिपदा जो मार्च में आती है, उसी से होता है। इस ईसवी सन २०१० के वर्ष में, १६ मार्च को शक संवत १९३२ प्रारंभ हुआ था, और साथ साथ विक्रमी संवत २०६७ भी प्रारंभ हुआ था। युगाब्द का ५१११ वां वर्ष भी इसी दिनसे प्रारंभ हुआ था।

पाठकों को अब ध्यान में आया होगा, कि क्यों, सितम्बर सातवां, अक्तुबर आठवां, नवम्बर नववां, और डिसम्बर दसवां होने का आभास होता है। वैसे अम्बर अर्थात, आकाश भी संस्कृत शब्द ही है। हो सकता है कि सप्ताम्बर = सप्त+अम्बर का अर्थ संदर्भ भी, आकाश का सातवां भाग इस(एक राशि) अर्थ की व्युत्पत्ति से जुडा हो।

इंग्लैंड का इतिहास: इंग्लैंड में सन १७५२ तक २५ मार्च को नवीन वर्ष दिन मनाया जाता था। सन १७५२ में पार्लियामेंट के प्रस्ताव द्वारा कानून पारित कर, नवीन वर्ष का प्रारंभ १ ली जनवरी को बदला गया था।

मार्च २५ को नये वर्षका प्रारंभ मानने के पीछे, क्या ऐतिहासिक कारण हो सकता है? यह भी कहीं इतिहास के अनजाने अज्ञात रहस्यो में खो गया है। आज कुछ अनुमान ही किया जा सकता है। कारण हो सकता है, कि इंग्लैंड का वैदिक गुरुकुल शिक्षा पद्धति और वैदिक पंचांग से जिस वर्ष संबंध टूटा होगा, उस वर्ष वैदिक गणित के अनुसार २५वी मार्च को प्रारंभ होनेवाला, भारतीय नव वर्ष रहा होगा।

संभवतः, जिस प्रकार घडी को उलटी दिशा में घुमाते घुमाते हर बीते हुए दिन का समय और वार हमें प्राप्त हो सकता है, उसी प्रकार कॅलेंडर को भी उलटी दिशा में गिनते गिनते हम २५ वी मार्च से प्रारंभ होने वाला शक संवत खोज सकते हैं।

मध्य रात्रि में सु प्रभातम्‌? और एक रहस्यमय प्रथा के प्रति प्रश्न खडा होना स्वाभाविक है, वह है, इंग्लैंड में मध्य रात्रिके समय दिनका आरंभ माना जाना। मध्य रात्रिमें, रात के १२ बजे, Good Morning कहते हुए नया दिन आरंभ कर देते हैं। मैंने रात के १२ बज कर १ मिनट पर, मध्य रात्रि के घोर अंधेरे में, रेडियो संचालक को गुड मॉर्निंग कहते हुए सुना है। यह मुझे तो कुछ अटपटा प्रतीत होता है। मध्य रात्रि के समय सुप्रभातम्? तो, अचरज तो यह है, कि नया दिन रात को प्रारंभ होता हुआ मान लिया जाए। क्या, रातके १२ बजे जागकर कॅलेंडर की तारीख बदलनी पडेगी?

दूसरा प्रश्न इसी प्रथा से जुडा, यह भी है, कि, फिर मध्य रात्रि के बाद की बची हुई, दूसरे दिन की प्रातः तक की अंधेरे-युक्त रात्रि का क्या हुआ? मध्य रात्रि हुयी, और तुरंत एक क्षणमें, सारी शेष रात्रि को छल्लांग लगा कर सु प्रभातम्‌,। क्या कोई तर्क है, इसके पीछे? इसे कॅल्क्युलस की पारिभाषिक शब्दावलि में (Discontinuity) विच्छिन्नता, सातत्य भंग, तार्किक असंगति, या त्रूटकता इत्यादि कहते हैं। यह निश्चित ही तर्कहीन ही लगता है। इस प्रश्न का कुछ तर्क संगत उत्तर भी निम्न परिच्छेद में देने का प्रयास किया है।

वास्तवमें, इंग्लैंडके रातके बारह बजे, भारतमें प्रातः है। वैदिक संस्कृति के अनुसार भारतमें, प्रातः ५:३० बजे सूर्योदय के साथ साथ तिथि बदली जाती थी। उज्जैन (भारत) और गीनीच (इंग्लैंड) के अक्षांश में ८२.५ अंशोका (डिग्रीका) अंतर है। उज्जैन या प्रयाग के अक्षांश ८२.५ है, जब ग्रीनीच के (०)-शून्य हैं। इस लिए, भारत में जब प्रातः के, ५:३० बजते हैं, तब ग्रीनीच, इंग्लैंड में पिछली रात के, १२ बजे होते हैं, होती तो मध्य रात्रि है, किंतु भारत की प्रातः से ताल मिलाने के लिए मध्य रात्रि के तुरंत बाद, शेष रात्रिकी ओर दुर्लक्ष्य करते हुए, गुड मॉर्निंग (सु प्रभातम्‌) हो जाती है। यह तर्क शुद्ध प्रतीत होता है। इस तथ्य की एक पुष्टि यह भी है, कि भारत को पूरब का देश भी माना जाता है, और ऐसे ही स्वीकारा जाता है। पाठकों को ’पूरब और पच्छिम” नाम का चलचित्र (मूवी)भी स्मरण होगा, जिसमें भारत को पूरब माना गया था, और ऐतिहासिक दृष्टिसे सदा स्वीकारा भी गया है।

इसी संदर्भ में कुछ और भी विधान किया जा सकता है। वास्तव में, उत्तर और दक्षिण दिशाएं, पृथ्वी के, दो ध्रुवों के कारण तर्क शुद्ध हैं। पृथ्वी गोल घुमती है, और, उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव दो स्थिर बिंदू हैं। परंतु, पूर्व दिशा का ऐसा नहीं है। एक मंडल में, या वृत्त में, किस बिंदु को संदर्भ बिंदू (Reference Point) माना जाए, इसका कोई तर्क नहीं दिया जा सकता। इस लिए संदर्भ बिंदू प्रयाग, या उज्जैन (जो, आज कल माना जाता है) हो सकता है।

कॅलेंडर भी (हमारा कालांतर) संयोग से एक पुर्तगाली क्लायंट के साथ बातचीत करते समय सुना, कि पुर्तगाली भाषा में, अंग्रेज़ी कॅलेंडर के लिए ”कलांदर” शब्द प्रयुक्त होता है, जो शुद्ध संस्कृत ”कालांतर” से अधिक मिलता जुलता प्रतीत होता है। अब जानकारों को यह कालांतर, शुद्ध संस्कृत युगांतर, मन्वंतर, कल्पांतर इत्यादि शब्दों जैसा ही, शुद्ध संस्कृत प्रतीत हो, तो कोई विशेष अचरज नहीं।

Day, Night, Hour इत्यादि अब कुछ Day, Night, Hour इत्यादि शब्दों का विचार करते हैं। जो वास्तव में काल गणना विषय से ही जुडे हुए हैं। Day को दिवस शब्दके मूल धातु ”दिव” के साथ मेल है। इस दिव्‌ का अर्थ दिव्यता अर्थात प्रकाश के साथ जुडा हुआ है। अपने शब्द दिवस, दिन, दिव्यता, देव (प्रकाश युक्त हस्ति) दैव (देवों पर आधारित) दिवंगत (प्रकाशमें लीन हो चुका हुआ) ऐसे शब्दों का मूल भी यह दिव‌ धातु ही है। अंग्रेज़ी में यही दिव‌ धातु के मूल से उदभूत Divine (प्रकाशमान आकृति), Day (दिवस), Deity (दैवी आकृति), Divination ( दैवी सहायता से ढूंढना), इत्यादि शब्दोंका तर्कशुद्ध संधान किया जा सकता है। यह सारे शब्द दिव्‌ धातुसे उद्‌भूत प्रतीत होते हैं।

Night उसी प्रकारसे Night को संस्कृत ”नक्त” (अर्थात रात्रि) के साथ निकटता प्रतीत होती है। संस्कृतमें ”नक्तचर” रात्रि को विचरण करने वाले प्राणियों के लिए प्रयोजा जाता है। नक्त का अर्थ रात्रि, और चर का अर्थ विचरण करने वाला यह होता है। अंग्रेज़ी में भी Nocturnal Animal सुना होगा। इस Nocturanal का ”Noct” वाला हिस्सा ”नक्त” के साथ मिलता प्रतीत होता है। उच्चारण की दृष्टि से जैसे अष्ट से अख्ट,-अठ्ठ (प ्राकृत और पंजाबी ),–आठ (गुजराती/मराठी/हिंदी) और अंगेज़ी Eight ( उच्चारानुसारी अख्ट) इसे Night (उच्चारानुसारी नख्ट) से तुलना करने पर कुछ अधिक प्रकाश पडता है।

Hour का भी मूल ”होरा” इस संस्कृत शब्द से, जिस का अर्थ एक राशि में व्यतीत किया गया समय के अर्थ से लगाया जा सकता है। ज्योतिष को ”होरा” शास्त्र भी कहा जाता है।

यह व्युत्पत्तियां अंग्रेजी डिक्‍शनरियां क्यों दिखाती नहीं है? मुझे यह प्रश्न कई बार पूछा जाता है। मेरी दृष्टि में अनुमानित उत्तर शायद यह है, कि जब यह डिक्सनरियाँ रची गई, तब हम पर-तंत्र थे, और भारत में मॅकॉले प्रणीत शिक्षा प्रणाली लागु की गई थी; जो भारतियों को भारत की महानता के प्रति उदासीन रखना चाहती थी। सोचिए कि जिस भारत नें विश्व में गणित की आत्मा समझी जाने वाले अंकों का योगदान किया, उन अंकों का उल्लेख भी अरबी अंक इस नाते से किया जाता था। बहुत से लोग आज भी उन्हे अरबी अंक ही मानते हैं; तब यह बात सरलता से समझ में आती है। पर हमें इस मति भ्रमित अवस्था से बाहर आना होगा, और गौरव अनुभव करते हुए, उपर उठना होगा।




संदर्भ:(१) एन्सायक्लोपेडिया ब्रिटानीका (२) विश्व इतिहास के कुछ विलुप्त पृष्ठ– पु. ना. ओक,(३) लेखक का ही, गुजराती त्रैमासिक, ”गुर्जरी” में प्रकाशित लेख,(४) लेखक की टिप्पणियां।

बुधवार, अक्तूबर 02, 2013

दूरात्मा गाँधी अँगरेजों और मुसलमानों का दलाल था

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• दूरात्मा गाँधी अँगरेजों और मुसलमानों का दलाल था •••



भारत के रक्षा मंत्रालय के सैनिक समाचार के 8 फरवरी 2009 के अंक में पढ़े गाँधी 1889 में ब्रिटिश एम्बुलैंस यूनिट में भर्ती हुआ था उसकी फोटो भी पाँचवें नंबर पर छपी हूई है । वो अँगरेजों का आजीवन वेतन भोगी नौकर था । देखो उसकी नीचता और हिन्दूद्रोह, गाँधी हिन्दूऔं का पाप और हिन्दुस्तान का अभिशाप है, गाँधीवाद से देश हिजङापंथी सीख गया है । देश बचाना है तो नोटों पर गाँधी के बदले सुभाष, वीर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह आदि के चित्र छापो और देशभक्तों के चरित्र पढ़ाओ......!
• नोआखाली कांड के एक वर्ष पश्चात तक देश में रक्तपात होता रहा ।
मुसलमानों ने निर्दयता से हिन्दूऔं का संहार किया । कई स्थानों पर हिन्दुओं ने भी उतर दिया । बिहार, दिल्ली और पंजाब में हिन्दुओँ ने जो कुछ किया वह केवल प्रतिक्रियात्मक कार्यवाही थी । गाँधी जी यह भली-भाँती जानते थे कि यह सब कूच मुसलमानों के हिन्दूओं पर अत्याचारों के परिणामस्वरूप हो रहा है, लेकिन वे इस विषय में सदा-सर्वदा हिन्दूओं की ही निंदा करते रहे और कांग्रेस सरकार ने तो बिहार के हिन्दूओं पर गोलियाँ भी बरसाई । यह बात भुला दी गई कि यह सब नोआखाली और अन्य स्थानों के कांडो के परिणामस्वरूप हो रहा है । गाँधी ने अपनी प्रार्थना सभा के भाषणों में यह प्रचार किया कि वे मुसलमानों के साथ बहुत आदर और उदारता का व्यवहार करें और सुहरावर्दी को भले ही वह गुंडो का सरदार हो दिल्ली में स्वतंत्रता पूर्वक सैर करने दी जाए और उसे कुछ न कहा जाए ।
गाँधी के निम्नलिखित भाषणों से यह भलीभाँति ज्ञात होता है :-)-
• "हमें शांतिपूर्वक यह विचारना चाहिए कि हम कहाँ बहे जा रहे हैं...?
• हिन्दूओँ को मुसलमानों के विरुद्ध क्रोध नहीं करना चाहिए, चाहे मुसलमान उन्हें मिटाने का विचार ही क्यों न रखते हों ।
• अगर मुसलमान सभी को मार डाले तो हम बहादुरी से मर जाएँ ।
• इस दुनियां में भले उन्हीं का राज हो जाए, हम नई दुनियां के बसने वाले हो जाएँगे । कम से कम मरने से हमें बिल्कुल नहीं डरना चाहिए ।
• जन्म और मरण तो हमारे नसीब में लिखा हुआ है, फिर उसमें हर्ष-शोक क्यों करे । अगर हम हँसते-हँसते मरेंगे तो सचमुच एक नए जीवन में प्रवेश करेंगे, एक नए हिन्दुस्तान का निर्माण करेंगे ।" (दिनांक 6 अप्रैल, 1947 )
• मेरे पास रावलपिंडी से जो भाई आज मिलने आए थे वे तो तगङे थे, बहादुर थे और व्यापार में दक्ष थे । मैंने तो उस भाई से कहा आप शांत रहें और आखिर में तो ईश्वर बड़ा है । ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ ईश्वर न हो । उसका भजन करो और उसका नाम लो, सब अच्छा हो जाएगा । उन्होंने पूछा, वहाँ पाकिस्तान में जो पड़े हैं, उनका क्या करें...? मैंने उनको कहा, आप यहाँ आए क्यों, वहाँ मर क्यों नहीं गए....? मैं तो इसी चीज पर कायम हूँ कि हम पर जुल्म हो तो भी हम जहाँ पड़े हैं वहीं पड़े रहें, मर जाएँ मुसलमान लोग मार डाले तो मर जाएँ, यह न कहें कि हम अब क्या कर सकते हैं: मकान नहीं कुछ नहीं । मकान तो पड़ा है, धरती माता हमारा मकान है, उपर आकाश है । जो मुसलमान डर से भाग गए, उनके मकान पड़े हैं, जमीन पड़ी हैं । तो क्या कहूँ कि आप मुसलमानों के घरों में चले जाएँ...? मेरी जुबान से ऐसा नहीं निकल सकता । मुसलमानों के घर कल तक थे, वे आज उनके हैं । उसमें जो हमारे शरणार्थी हैं वे अपने आप चलें जाएँ मैं आपको यह परामर्श दूँगा कि आप सिख और हिन्दू शरणार्थियों को कहें कि वे पुलिस और सेना की सहायता के बिना पाकिस्तान में अपने स्थान पर वापिस जाएँ । ( 23 सितंबर, 1947 )
• जो लोग पंजाब में मर चुके हैं उनमें से एक भी वापिस नहीं आ सकता । हमें भी अंत में माना है । यह सच है कि वे कत्ल कर दिए गए, लेकिन कोई बात नहीं है ।
• बहुत से हैजे और दूसरे कारणों से मर जाते हैं । यदि वे मुसलमानों के हाथों से कत्ल हुए है तो वीरता से मरे, उन्होंने कुछ खोया नहीं, पाया है ।
• लेकिन प्रश्न यह है कि उनका क्या होगा जिन्होंने संहार किया....? यह समझ लो कि मनुष्य बड़ी भूलें करता है । पंजाब में अँगरेजी सेना ने हमारी रक्षा की, परंतु यह कोई रक्षा नहीं है । लोगों को चाहिए खुद अपनी रक्षा करें और मौत से न डरें । मारने वाले तो हमारे मुस्लिम भाई ही तो हैं । हमारे भाई अपना धर्म बदल दें तो क्या वे अपने भाई न रहेंगे...?

मंगलवार, अक्तूबर 01, 2013

अधनंगी लड़कियां, 9 साल की बच्ची और तीन युवक....???


अधनंगी लड़कियां, 9 साल की बच्ची और तीन युवक....?


कृपया पूरा पढ़ें ....बिना पढ़े अपनी बात ना कहने लग पड़ें.मतलब एकतरफा बातों से बचें क्योंकि यहाँ नर-नारी दोनों का दोष बताया गया है . .....
एक ब्लॉग पे ''युविका शर्मा'' जो खुद एक महिला /लड़की है, का सत्य के दर्शन करवाता ये लेख पढ़ा, मैं भी यही कहता रहा हूँ कि आज इंसान को जानवर बनाने में सबसे बड़ा हाथ किसका है जिसके कारण उसे नारी बस एक भोग्या शरीर दिखाई देती है उसकी उम्र , पहनावा कुछ मायने नहीं रखता ...

श्याम ,सलीम और सैम तीनो एक ही गाँव मैं रहते हैं तीनो पक्के दोस्त हैं ,तीनो के घर साथ साथ हैं ! गाँव शहर से बहुत दूर है इसलिए गाँव में कभी कभी ही बिजली आती है !अब तीनो 20 को पार कर चुके हैं ,तीनो के घर से मेहनत ,मजदूरी के लिए दबाव आना शुरू हो गया है,,लेकिन गाँव मैं कुछ काम नहीं है ! तीनो दिल्ली में शाम के चचा छगन के पास जाकर काम करने का मन बनाते हैं और जल्दी ही तीनो का बुलावा भी आ जाता है बस अड्डे पर उतरते ही शहर की चकाचोंध उनकी आँखों मैं घर कर जाती है.....

तीनो छगन चाचा के घर पहुँचते हैं ,,अगली सुबह १० बजे से ही तीनो को एक कारखाने मैं काम पर जाना है ,,थके हारे तीनो सो जाते हैं !सुबह के ६ बजे उठते ही छगन उनको उठा देता है शाम उठते ही सामने पड़ा टी वी पर एक न्यूज़ चैनल चला देता है।
@ न्यूज़ चैनल पर सुबह सुबह एक चैनल पर एक अधनंगी लड़की ''TUMMY FIT OIL'' की ऐड करती दिखती है !तभी सलीम उठ कर चैनल बदलता है एक चैनल पर KAREENA का जन्मदिन मनाया जा रहा है उसके सभी अश्लील गाने और ठुमके दिखाए जाते हैं , वो खुद को गटक लेने का न्योता दे रही है !
तीसरे चैनल पर अधनंगी लड़कियां exercise कर रही हैं साथ में तेज विदेशी धुन बज रही है.! एक चैनेल बता रहा है कि दो लगाओ लड़की पटाओ और अंडरवियर को बड़ा टॉइंग भी बता रहे हैं .छगन टी वी बंद कर देता है सबको तैयार होने को बोलता है सब नहाने धोने मैं व्यस्त हो जाते हैं. ठीक 9 बजे सब लोग कारखाने के लिए निकलते हैं.

@@ मेट्रो स्टेशन पर अधनंगे कपडे पहने लड़कियां बाँहों मैं बाहें डाले प्रेमी जोड़े ,,देख के तीनो दांग रह जाते हैं तीनो कारखाने पहुँचते हैं बॉस की बेहद खूबसूरत सेक्रेट्री माइक्रो मिनी स्कर्ट मैं अपने केबिन में जाती है ! पांच बजे तक कम करने के बाद तीनो और छगन कारखाने से निकलते हैं. छगन तीनो को पहले पास के बाज़ार से कुछ कपडे दिलवाने के लिए ले जाता है !बाज़ार पूरी तरह से सजा हुआ है छोटी छोटी बनियान नुमा टॉप पहने लड़कियां अपने अपने बॉय फ्रेंड के साथ शौपिंग का मज़ा ले रही हैं ! कुछ अधेड़ उम्र की औरतें भी मॉडर्न कपड़ो मैं खूबसूरत दिखने की असफल कोशिश मैं अश्लीलता फैला रही हैं !

@@ चारो कपडे खरीद कर सिनेमा देखने का प्रोग्राम बनाते हैं! सैम के कहने पर चारो..
'' GRAND MASTI'' फिल्म देखते हैं ! बड़े परदे पर ऐसी नग्नता तीनो ने पहली बार देखी थी! तीनो के दिमाग इस वक़्त बुरी तरह से बिगड़े हुए हैं. काफी रात हो चुकी है ,चारो घर के लिए निकलते हैं..!
एक बस आकर रूकती है ,चारो उसमे चढ़ जाते हैं !थोड़ी दुरी पर एक बूढी औरत अपनी 9 साल की पोती के साथ बस में चढती है ,, तीनो के मन मैं हलचल है !
बूढी औरत और वो चारो एक ही स्टॉप पर उतारते हैं ! बूढी औरत अलग दिशा मैं और चारो अलग दिशा मैं चल पड़ते हैं ! तभी सलीम छगन को बोलता है चाचा आप चलो हम थोडा घूम कर आते हैं ! ये कहते ही तीनो उस बूढी औरत के पीछे हो लेते हैं! सुबह देल्ली मैं एक 9 साल की बच्ची के साथ रेप और एक बूढी औरत की हत्या की खबर आग की तरह फ़ैल जाती है!
सभी चैनल पर एक ही सवाल पूछ रहे हैं ?

9 साल की बच्ची ने ऐसे कौनसे अश्लील कपडे पहने थे ?
क्या पुरुषों की मानसिकता इतनी गिर चुकी है???
क्यों आखिर एक 9 साल की बच्ची ही क्यों ????
आज आप सब जवाब दें.....
क्या मानसिकता केवल पुरुषो की गिरी है ???
क्या ९ साल की बच्ची के लिए बड़ी औरतें जो अश्लीलता फैलाती हैं जिम्मेदार नहीं ???
मीडिया और टी वी जिम्मेदार नहीं ???
टी वी एक्ट्रेस और अधनंगी लड़कियां जिम्मेदार नहीं ???
कृपया जवाब दें क्या दिन भर जो आप देखते हैं ,,जीते हैं ,, उन सबका असर आपके मन मस्तिष्क पर नहीं पड़ता ??

Comments:
वालीवुड वाले नँगई परोस रहे हैं और हमारे देश के माता पिता सिर्फ रिमोट चेंज करते हैं कार्यवाही न करते
क्या सिर्फ A प्रमाण पत्र देकर जिम्मेदारी से मुक्त हुआ जा सकता है सरकार द्वारा ..?
शर्मनाक तो ये है की यही बेशर्म नायिकाएं और इन्हें माया दिखाकर बेशर्म करने वाले लोग बलात्कार होने पे घडियाली आंसू बहाते हैं
ये है वास्तविक कारण ---क्या कोई संगठन है जो इतना साहस कर सके कि जब तक हमारे देश में भूख है भीख है ---तब तक ऐसी नग्नता को सहन करने की -या ब्रह्मचर्य धारण करने की संस्कृति जन्म नहीं ले सकती है --कृपया इस असहाय ,कुंठित ,गरीब ,बेरोजगार समाज के युवाओं को अपने चंगुल से छोड़ दो ---जिन देशो में सब शिक्षित ,रोजगार युक्त है वहां जाकर अपनी जीवन शैली और कलाओं को दिखाए तो ---ये भी मादाभक्षी नहीं बनेंगे ---जिस दिन न्यायलय का ध्यान इस और जाएगा आप सभी ---अभिनेत्रिया ,और युवतिया सामाजिक अपराधी की श्रेणी में गिनी जाओगी --संभल सको तो संभल जाओ ---और समाज से अपनी फिल्मो के टिकिट का पैसा लो तो उन्हें सचमुच आत्मबल दो -----कुछ ऐसा दो कि अपने परिवार से दूर होकर वो आपको अपना आदर्श माने या मार्गदर्शिका समझे -----अन्यथा आप सभी का समाज हमारे समाज से पृथक हो सकता है --आज जो तालिया बजाते है कल देखेंगे भी नहीं --क्यूंकि आपका नाम समाज का विध्वंस करने वालो में जो होगा --
आज कई कलयुगी बाप अपनी बेटी से और भाई अपनी सगी बहन से बलात्कार कर रहे हैं..इसका क्या कारण है..कृपया बताएँगे..?
आदमी की टांगों और औरत की टांगों में कोई अंतर नहीं..पर इन्होने औरत की टांगों को बिकाऊ बना दिया इसलिए आदमी टांगें दिखाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन औरत दिखाए तो दिक्कत हो जाती है उसे...इसका कारण यही भांड हैं..

इन्हें औरत में कूल्हों,,वक्ष ,,से आगे कुछ नहीं दिखता,,कैमरा वही रहता है ...भोग्या बना डाला है पूजनीया को...

# थक गया याद करते-करते

Hemant Khanchandani
#थक गया याद करते-करते
१. यूपी के लोग भिखारी होते हैं - राहुल गाँधी
२. पंजाब के 70% लोग नशेड़ी होते हैं – राहुल गाँधी
३. 90% बलात्कार तो लड़की की मर्जी से होते हैं – धरम वीर गोयत (हरयाणा कांग्रेस के प्रवक्ता)
४. बीवी पुरानी हों जाये तो मजा नहीं आता – प्रकाश जैसवाल (कोयला मंत्री)
५. महंगाई अच्छी है, ये तोऐसे ही बढ़ेगी – पी चिदंबरम
६. बलात्कार तो हर जगह होता है – रेणुका चौधरी
७. मंदिर से ज्यादा अहम है शौचालय – जयराम रमेश
८. पाकिस्तान के हिंदुओं को अपने ऊपर हों रहे अत्याचार के सबूत देने होंगे – सुशील शिंदे
९. मैं सोनिया जी के लिए जान तक दे दूँगा– सलमान खुर्शीद
१०. बोफोर्स की ही तरह कोयला घोटाला भी जनता भूल जायेगी – सुशील शिंदे
११. हमारे सैनिकों को पाकिस्तान की सेना ने नहीं बल्कि उनकी वर्दियोंमें आतंकवादियों ने मारा है- एके एंटनी
१२. पुलिस और सेना के लोग मरने के लिए ही होते हैं – भीम सिंह
१३. पीने के लिएपानी नहीं है तो क्या बांधों में पेशाब कर के ला दूं - अजित पवार
१४. महंगाई ज्यादा सोना खरीदने की वजह से बढ़ रही है – पी चिदंबरम
१५. हमें बिना आईएस के यूपी को चला लेंगे – रामगोपाल यादव
१६. पैसे पेड़ परनहीं लगते – मनमोहन सिंह
१७. हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे महंगाई पर काबू किया जाये – मनमोहन सिंह
१८. गरीबी सिर्फ दिमाग का वहं है – राहुल गाँधी
१९. इस देश को हिन्दुओ से ज्यादा खतरा है – राहुल गाँधी
२०- बतला हाउस में आतंकवादियों के मरने पर सोनिया जी बहुत रोयीं थीं - सलमान खुर्शीद
२१- सत्ता ज़हर है और माँ मेरे कमरे में आके रात में रोयीं थी- राहुल गाँधी
थक गया याद करते-करते, अगर आपको भी कुछ याद है तो आगे जोड़ दें.,Hemant