गुरुवार, सितंबर 12, 2013

गुमनामी बाबा थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस!


गुमनामी बाबा थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस!

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फैजाबाद [कृष्णकांत]। गुमनामी बाबा के अट्ठाइस साल पुराने रहस्य में नया मोड़ आ गया है। राज्य सरकार भी अब उन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस मान रही है। 17 मई को शासन स्तर पर गृहसचिव की अध्यक्षता में बैठक के निर्णयों पर हो रही कार्यवाही से तो यही प्रतीत हो रहा है। शासन और जिला प्रशासन के पत्राचार में गुमनामी बाबा उर्फ भगवन जी को नेताजी सुभाषचंद्र के तौर पर उल्लिखित किया गया है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसी साल 31 जनवरी को गुमनामी बाबा से संबंधित दस्तावेजों को संग्रहालय में रखने व बाबा के संदर्भ में एक आयोग गठित करने का आदेश दिया था। गृहसचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में गुमनामी बाबा यानी नेता सुभाषचंद्र बोस से संबंधित दस्तावेजों को संग्रहालय में रखने का निर्णय तो किया है, लेकिन आयोग गठन शासन ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का भी फैसला किया है। चार सितंबर को गृह अनुभाग से मिले पत्र के बाद जिला मजिस्ट्रेट विपिन कुमार द्विवेदी ने अयोध्या में निर्माणाधीन रामकथा संग्रहालय का चयन दस्तावेजों को रखने के लिए किया है।

रहस्यमय व्यक्तित्व वाले गुमनामी बाबा उर्फ भगवन जी की मृत्यु फैजाबाद के रामभवन में 16 सितंबर 1985 को हुई थी। उनके कमरे व बक्सों से मिले दस्तावेजों से उनकी पहचान नेताजी सुभाषचंद्र बोस के तौर पर होने के संकेत मिले। दस्तावेजों में नेताजी की पारिवारिक तस्वीरें, आजाद हिन्द फौज की वर्दी, जापानी, जर्मन व अंग्रेजी भाषा में लिखे पत्र, समाचार पत्रों पर राजनीतिक टिप्पणियां, नेताजी के जन्मदिवस 23 जनवरी पर टेलीग्राम से दिए गए सैकड़ों बधाई संदेश थे। आजाद हिंद फौज के गुप्तचर शाखा के प्रमुख डॉ. पवित्रमोहन राय के कुछ संदेश भी दस्तावेजों में मिले थे। उच्च न्यायालय के आदेश पर ये साक्ष्य फैजाबाद के कोषागार में डबल लाक में 24 बक्सों में रखे गए हैं।

गौरतलब है कि बरामद इन्हीं साक्ष्यों के मद्देनजर कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित मुखर्जी आयोग ने 14 नवंबर 2005 को केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में माना था कि नेताजी की मौत 1945 की विमान दुर्घटना में नहीं हुई। संसद में मई 2006 में रिपोर्ट पर जमकर बहस हुई थी। संसद ने इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया था।

समाधि बनी श्रद्धा का केंद्र: गुमनामी बाबा की समाधि सरयू के गुप्तारघाट पर स्थित है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश के लोग आते रहते हैं। यह स्थान पर्यटनस्थल के रूप में विकसित हो रहा है। यहां आने वाले अधिकांश लोग पश्चिम बंगाल के होते हैं।
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3 टिप्‍पणियां:

  1. ~!~ एक साँपनाथ तो दूजा नागनाथ ये आज के नेता की जात ~!~


    ~!~ सब के सब नेता के नाम पर कलंक हैं ?


    नेता नाम हैं नेत्रत्व का !!

    नेता नाम हैं निर्भीकता का !!

    नेता नाम हैं विश्व को अपना लोहा मनवाने का !!

    नेता नाम हैं एक उद्घोष का !!


    नेता नाम हैं '' सुभाषचन्द्र '' बोष का !!


    ~!~ अमित आनंद ~!~

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  2. ~!~ एक साँपनाथ तो दूजा नागनाथ ये आज के नेता की जात ~!~


    ~!~ सब के सब नेता के नाम पर कलंक हैं ?


    नेता नाम हैं नेत्रत्व का !!

    नेता नाम हैं निर्भीकता का !!

    नेता नाम हैं विश्व को अपना लोहा मनवाने का !!

    नेता नाम हैं एक उद्घोष का !!


    नेता नाम हैं '' सुभाषचन्द्र '' बोष का !!


    ~!~ अमित आनंद ~!~

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