सोमवार, सितंबर 23, 2013

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जरूरी नहीं है आधार कार्ड बनाना

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जरूरी नहीं है आधार कार्ड बनाना
http://www.tehelka.com/aadharcarduid/
http://tnews.in/ap-news/aadhar-cards-compulsory-says-supreme-court
http://zeenews.india.com/news/nation/aadhar-cards-not-compulsory-supreme-court_878540.html

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वनकांक्षी योजना आधार कार्ड को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए बतौर पहचान मानने से इंकार कर दिया है. इसी के साथ हर नागरिक को पहचान देने वाला आधार कार्ड बनवाना अब अनिवार्य नहीं है. यह बात खुद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कही है. सरकार ने यह भी कहा है कि आधार कार्ड बनाने का फैसला लोगों की इच्छा पर है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक फैसले में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि किसी भी अवैध नागरिक का आधार कार्ड न बने. इसके साथ ही अदालत ने ये भी निर्देश दिए हैं कि जरूरी सेवाओं जैसे एलपीजी कनेक्शन, टेलीफोन वगैरह के लिये आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है.
कोर्ट ने यह निर्देश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया. पहले कई चीजों के लिए आधार कार्ड का होना जरूरी था और जिनके पास आधार कार्ड नहीं था उन्हें परेशानी हो रही थी.
गौरतलब है कि इसके पहले केंद्र सरकार ने भी साफ तौर पर कहा था कि सरकारी सब्सिडी लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया गया है. चाहे मामला एलपीजी का हो या कुछ और.
पहले खबरें थीं कि रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी आधार कार्ड से जुड़े बैंक एकाउंट में आएगी. सब्सिडी की राशि तभी एकाउंट में आएगी, जब आपने आधार कार्ड बनवाकर अपने बैंक अकाउंट से उसे लिंक कराया होगा. यह भी बात सामने आ रही थी कि आधार कार्ड न होने पर बाजार मूल्यक पर सिलेंडर खरीदना पड़ेगा. सबसे ज्यादा भ्रम की स्थिति एलपीजी के मसले पर ही थी जो कोर्ट के फैसले के बाद अब दूर हो गई है.

क्या भारत सचमुच में एक सेकुलर देश है .......????


क्या भारत सचमुच में एक सेकुलर देश है .......????

दरअसल.... हमारे राजनेताओं द्वारा अक्सर यह दावा किया जाता है कि.... भारत एक सेकुलर देश है ...

परन्तु... यहाँ के हालत देख कर तो लगता नहीं है कि..... भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है .... बल्कि, भारत एक इस्लामी देश प्रतीत होता है....जिसने सेकुलरिज्म की खाल ओढ़ी हुई हो . ...!

यह चौंकने नहीं बल्कि, समझने की बात है... ताकि, समय रहते इसमें परिवर्तन किया जा सके....

आश्चर्य है कि एक तरफ तो... सरकार भारत को सेक्यूलर राज्य कहती है.... और , दूसरी तरफ धर्म के आधार पर मुसलमानों व ईसाइयों को विशेष सुविधाएँ देती है .....जो, पूर्णतया असंवैधानिक है....!

सिर्फ इतना ही नहीं.... बल्कि, 15 -17 प्रतिशत भारतीय मुसलमान किसी भी मापदण्ड में अल्पसंखयक नहीं हैं........ फिर भी, कांग्रेस व अन्य सेक्यूलर राजनैतिक दल .......राज्यों एवं केन्द्र सरकार में मुसलमानों के लिए अनेकों असंवैधानिक सुविधाएं स्वीकार की जा रही है......।

जैसे कि....विश्व के 57 इस्लामी देशों में से कही भी मुसलमानों को हज यात्रा के लिए आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है ...क्योंकि, हज के लिए आर्थिक सहायता लेना गैर-इस्लामी है...।

परन्तु, फिर भी बेहद निर्लज्जता से .... भारत सरकार प्रत्येक हज यात्री को हवाई यात्रा के लिए लगभग 60000 रुपये की आर्थिक सहायता देती है....!

इतना ही नहीं .. बल्कि , हजियों के लिए राज्यों में हज हाउस बनाए गये हैं.. और, जिद्‌दा में हाजियों की सुविधाएँ देखने के लिए एक विशेष दल जाता है, मानो वहाँ की एम्बेसी काफी नहीं है।

और तो और....

मुस्लिमों वक्फ बोर्डों के पास बारह लाख करोड़ी की सम्पत्ति है..... जिसकी वार्षिक आय .... लगभग 12000 करोड़ है.... मगर फिर भी सरकार वक्फ बोर्डों को आर्थिक सहायता देती है....

लेकिन... यह जानकर आपका मुंह खुला का खुला रह जाएगा कि.... सरकार ... हम हिन्दुओं के टैक्स का जो भी रूपया इन वक्फ बोर्डों को मदद के तौर पर देती है . .....उसका हिसाब किताब कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता है ....क्योंकि, इसी रुपये से जिहादी हथियार और विस्फोटक खरीदते हैं .....

जबकि सरकार....बाबा रामदेव के देशभक्ति के काम की हमेशा सीबीआई जाँच करवाती रहती है ... और, उनके ट्रस्ट पर पर अक्सर छापे पड़ते रहते हैं ....!

अगर सरकार इतना भी कर के रुक जाती तो ... फिर भी गनीमत थी.... लेकिन.... इसके आगे भी दास्तान जानिए ......

आज विश्व के लगभग सभी देश यह मान चुके हैं कि ...... मदरसे आतंकवादियों को तैयार करने वाले कारखाने है .. क्योंकि, जितने भी आतंकी पकडे जाते हैं ... वे सभी के सभी कभी मदरसा में पढ़े हुए होते हैं...

फिर बी हमारी सरकार ने..... धार्मिक कट्‌टरवाद एवं अलगावदवाद को बढावा देने वाली मदरसा शिक्षा को न केवल दोष मुक्त बताया .....बल्कि, उसके आधुनिकीकरण के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए आर्थिक सहायता देती है....।

फिर भी मुसलमान....... अपने इन मदरसों को केन्द्रीय मदरसा बोर्ड या आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जुड़ने देना नहीं चाहते....।

यहाँ तक कि ...... मुस्लिम पाठ्‌यक्रम में सुझाव व अन्य किसी प्रकार का नियंत्रण तक नहीं मानते हैं.....

फिर भी ... हर चीज जानने-समझने के बावजूद ....

**** पश्चिमी बंगाल सरकार ने 2010 तक ...... 300 अंग्रेजी माध्यम के मदरसा स्थापित करने का निर्णय लिया है ........(पायो. 23.12.2009),

*** सरकार ने अल्पसंखयकों के संस्थानों को उच्च शिक्षा में ओबीसी विद्यार्थियों के लिए आरक्षण से मुक्त रखा हुआ है ...

*** इलाहाबाद हाई कोर्ट के विरोध के बावजूद .....अलीगढ़ विश्व विद्यलाय को अल्पसंख्यक स्वरूप बनाए रखने पर बल दिया....

*** अल्पसंख्यकों के कक्षा एक से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए पच्चीस लाख बजीफे दिए.... जबकि सवर्णों को नहीं हैं......

*** केरल सरकार ने..... मदरसों के मौलवियों के लिए पेंशन देने का निर्णय किया है......

*** बिहार में 10वीं की परीक्षा पास करने वाले मुस्लिम छात्र को 10000/- रुपये का पुरस्कार मिलेगा....

*** राजस्थान में मुस्लिम विद्यार्थी निजी विद्यालयों में पढ़ते समय भी छात्रवृत्ति ले सकते हैं.....(शिक्षा बचाओं आन्दोलन, बुले. 48 पृ. 32) (8) ....
और तो और..... समिति की सिफारिशें के अनुरुप 1 से 12 कक्षा तक की पुस्तकें मदरसे में ही तैयार होंगी और, अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी उर्दू में संचालित करने की योजना है' (राजस्थान पत्रिका 9..7.2007)

*** यहाँ तक कि.... मदरसों के पाठ्‌य-पुस्तकों में.... पिछली (1998-2003) सरकार द्वारा निकाले गए...... हिन्दू विरोधी और मुस्लिम-उन्मुख अंशों को.... दुबारा पुस्तकों में डाल दिया गया....

*** सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र ......भोपाल, पुरी, किशनगंज (बिहार) मुर्शिदाबाद (पं. बगांल) व मुल्लूपुरम (केरल) में खोलने के लिए दो हजार करोड़ का अनुदान दिया....(वही. बुल. 48, पृ. 31)

*** अल्पसंखयकों के... एम फिल ओर पी.एच.डी. करने वाले 756 विद्यार्थियों को...... राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा या राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा के बिना ही ..... बारह से चौदह हजार रुपये महीना रिसर्च फैलोशिप मिलेगी। (दैनिक जाग. 23.12.2009)
जबकि अन्यों को सरकारी रिसर्च फैलोशिप पाने के लिए ....ये परीक्षाएँ पास करना अनिवार्य है।

*** उच्च प्रोफेशनल कोर्सों में पढ़ने वाले अल्ससंखयक विद्यार्थियों की फीस सरकार देगी....

*** स्पर्धा वाली सरकारी परीक्षाओं के कोचिंग के लिए भी फीस सरकार ही देगी... जबकि, ये सुविधाएँ भारत के सामान्य नागरिकों को नहीं है।

हद तो यह है कि......जिनके पूर्वजों ने भारत के लिए सर्वस्व लुटा दिया....... और , आज भी भारत को अपनी माता मानते है .... ये तथाकथित हरामी सेकुलर सरकार उनके अधिकार छीन कर मुसलमानों को देती रहती है ..... जबकि, मुसलमान हमेशा भारत विरोधी कामों में लगे रहते हैं ..........फिर भी , सरकारों को वोट बैंक का ऐसा चस्का लगा है कि....सरकारें मुसलमानों के लिए खजाने खोल देती है ....
जैसे कि.....

(1) अल्पसंखयकों के नाम पर...... विशेषकर मुसलमानों के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है....और, उनके लिए 11वीं पंचवर्षीया योजना में 15 प्रतिशत बजट रखा गया है ।

(2) 2004 में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने...... आतंकवाद में फंसे मुसलमानों को बचाने के लिए पोटा कानून को निरस्त कर दिया ....जिसके फलस्वरूप देश के आतंकवादी घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हो गयी...

(3) सरकार ने.....मुस्लिम पर्सनल कानूनों और शरियत कोर्टों का समर्थन किया...

(4) 13 दिसम्बर 2001 में संसद पर हमले के दोषी अफजलखां को फांसी की सजा मिल जाने पर भी .... वर्षों तक उसमे टाल-मटोल किया गया ...!

(5) 17 दिसम्बर 2006 को नेशनल डवलपमेंट काउंसिल की मीटिंग में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यहाँ तक कह दिया कि ......''भारतीय संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।''
शायद इसीलिए उन्हें .........रोजगार, ऋण, शिक्षा आदि में विशेष सुविधाऐं दी जा रही हैं।

(6) सरकार बंगला देशी मुस्लिमों घुसपैठियों को निकालने में उत्साहहीन है......... जबकि वे बेहद सुनियोजित ढंग से भारत के इस्लामीकरण एवं यहाँ आतंकवाद फ़ैलाने के लिए यहाँ बस रहे हैं

ध्यान रखें कि....एक तरफ तो मुसलमान आबादी बढ़ाने में लगे रहते है ......और, दूसरी तरफ अपनी गरीबी का बहाना बना कर सरकार से आर्थिक मदद माँगते रहते हैं ...

परन्तु, इनकी मांगे कम होने की जगह और बढती जाती हैं .......और, ऐसा तब तक होता रहेगा .... जब तक भारत पुर्णतः एक इस्लामी देश नहीं बन जाता .....
इसलिए , मुसलमान अपनी गरीबी और पिछड़ेपन का ढोंग करके सदा रोते रहते हैं ......और, सरकार ने उनकी इसी राक्षसी भूख को मिटाने के लिए कई कमेटियां बना रखी है .....जैसे ,

(1) सच्चर कमेटी द्वारा..... मुस्लिमों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 5460 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है

(2) उनके लिए सस्ती ब्याज दर पर ऋण देने के लिए एक कारपोरेशन बनाया गया,

(3) सार्वजनिक क्षेत्र में उदारता बरतें। इस अभियान की निगरानी के लिए एक मोनीटरिंग कमेटी' काम करेगी।'' (दैनिक नव ज्योति, 4/1/2006)।

(4) अल्पसंखयक विद्यार्थियों को माइनोरिटी डवलपमेंट एण्ड फाइनेंस कारपो. से 3 प्रतिशत पर ऋण दिया जाता है।

(5) पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रत्येक विभाग के बजट में से 30 प्रतिशत आवंटन मुसलमानों के लिए किया गया...... (वही. बृ. पृ. 32)

(6) 13 अगस्त 2006 को सरकार ने लोक सभा में बतलाया कि..... मुस्लिम प्रभाव वाले 90 जिलों और 338 शहरों में मुसलमानों के लिए विशेष विकास फण्ड का प्रावधान किया गया है। (वही, बृ. 48, पृ. 33)।

इस तरह ........एक धर्मनिरपेक्ष देश की सरकार ....धर्म के आधार पर एक वर्ग विशेष के वोट पाने के लिए सभी उचित व अनुचित तरीके अपना रही हैं.......

इसीलिए , उच्चतम न्यायालय ने भी सरकार को सावधान करते हुए 18 अगस्त 2005 को कहा.......- ''राजनैतिक या सामाजिक अधिकारों में कमी को आधार बनाकर भारतीय समाज में अल्पसंखयक समूहों को निर्धारित करने और उसे मानने की प्रवृत्ति पांथिक हुई ...तो, भारत जैसे बहुभाषी, बहुपांथिक देश में इसका कोई अन्त होने वाली नहीं है .....क्योंकि, एक समुदाय द्वारा विशेषाधिकारों की मांग दूसरे समुदाय को ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करेगी..... जिससे परस्पर संघर्ष और झगड़े बढ़ेगें।''

परन्तु, वोटों की लालची और सत्ता की प्यासी,,,,,, सेक्यूलर सरकारें इन चेतावनियों की परवाह नहीं करती हैं.....

सबसे अधिक पीड़ा की बात तो यह है कि .........

जिस भारत की स्वाधीनता व अखंडता के लिए ...........हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों तक संघर्ष किया........लाखों योद्धाओं ने अपने प्राण न्यौछावर किए....... और, देश को इस्लामीकरण से बचाया ...

तथा... आज जिन नेताओं को देश की रक्षा का उत्तरदायित्व सौंपा गया है ..........वे ही, स्वार्थवश कुछ दिन राज करने के लिए भारत के इस्लामीकरण में निर्लज्जता के साथ सहयोग दे रहे हैं...

वे.... उन करोड़ों देशभक्तों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं .........जिन्होंने देश के लिए बलिदान किए।

कांग्रेस एवं अन्य सेक्यूलर पार्टियों का मुस्लिमों के सामने आत्मसमर्पण एवं वोट बैंक की राजनीति करना...... देश की भावी स्वाधीनता के लिए बेहद चिन्ता का विषय है......

क्योंकि, सरकार की इन्ही मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के कारण ..... आज सारा देश इस्लामी जिहाद और आतंकवाद से पीड़ित है....

क्या देश की सेक्यूलर पार्टियों को दिखाई नहीं देता कि ..........पाकिस्तान एवं भारत के मुसलमान शेष भारत में इस्लामी राज्य स्थापित करना चाहते हैं.....?????

क्या हमारी सरकारें.... सेकुलरता का ढोंग करके ... अपने स्वार्थ के लिए.... हमारे हिंदुस्तान को ...... मुगालिस्तान में बदल देना चाहती है....?????????

आज के सरकारी क्रियाकलापों से तो.... ऐसा ही कुछ आभास हो रहा है....

इसीलिए मित्रो.....

यदि आप भी उपरोक्त बातों से सहमत हैं ..... और, अपने हिंदुस्तान को ..... एक इस्लामी देश में परिवर्तित होने से बचाना चाहते हैं तो....

सेकुलरिज्म के पाखण्ड का त्याग कर.. देश भक्त बनिए..........एवं, हमारे अभियान का साथ दीजिये .....!

जय महाकाल...!!!

भारत को अशीलता की राह में ले जाने की साजिशे


मेरे भारत को अशीलता की राह में ले जाने की साजिशे देखिये मेरे भाइयो नही तो अपनी सनातन धर्म को खत्म करने पूर्ण तैयारी कब से चल रही आपका साथ चाहिए नही तो अपना भाई और बहन की जिंदगी बिगड़ सकती है
आपसे निवेदन है की जो गलत है उसका विरोध होना चाहिए नही सत्य का अस्तित्व खत्म हो जायेगा अधर्म फ़ैल जायेगा समाज में...



जैसे जैसे अर्थव्यवस्था विकसती गई धन्नासेठ धनपति ( इल्ल्युमिनिटी ) मानजात को कंट्रोल करने लगे । उनका सपना पूरी दुनिया पर राज करने का था आज लगभग पूरा होने के करीब है । पूरा और ओफिसियल राज अपने हाथमें तभी ले सकते हैं जब पूरी दुनिया की जनता एक अबोध जानवर बन जाये और आबादी भी १०% ही रह जाये । आज के शैतान धनपति को हम किल्ल्युमिनिटीवाले यहुदी बता देते हैं । वो पूरा सच नही है । यहुदी तो है पर वो अल्खान्जी यहुदी है । उन को नास्तिक समजा जाता है लेकिन वो शैतान पूजक है । उन का मूल पूर्वि युरोप और पस्चिम रसिया है । वो मुर्ति पूजक पॅगन (सनातन हिन्दु धर्म का विकृत रूप ) थे । यहुदियों की “दुनिया का डोमिनेशन” वाली धर्मिक थियरी से प्रभावित हो कर और उन से कारोबारी रिश्ते बढाने के लिए यहुदी धर्म अपनाया था । इजराइल और दुनिया के धार्मिक यहुदी असली यहुदी है । इन असली यहुदियों ने नकली यहुदिओं से फायदा बहुत उठाया लेकिन जब ये शैतान सारे धर्मों के साथ साथ उन का भी धर्म और उन के भगवान को मिटाकर शैतानी धर्म को आगे ला रहे है तो अचानक उन की आंख खूली है । इजराईल की सरकार, अमरिकी और भारत साकार की तरह इल्लुमिनिटी की गुलाम ही है । वो अब सरकार के विरोध में खूल कर आ गये हैं । इस लिन्क पर आप देख सकते हो ।

http://www.nkusa.org/

सब से प्रथम तो इजराईल में स्कूल के बच्चों के पढाए जाने वाले सेक्स का विरोध किया है । देश द्रोही सेक्युलर जनता विरोध करनेवालों को ऑर्थोडोक्स या पूराने खयाल वाले कहते हैं ।


इजराईल की स्कूलें दो भाग में बंट गई है । सेक्युलर स्कूलें और प्राईवेट धार्मिक स्कूलें । मुस्लिम और धार्मिक जनता धार्मिक स्कूल में जाते हैं जहां सेक्स नही पढाया जाता है ।


इल्लुमिनिटी का “सेक्स एज्युकेशन” को पूरा समजना होगा क्यों की भारतमें भी आते आते रूक गया है और कभी भी आ सकता है ।


इल्ल्युमिनिटी का एक हथियार सेक्स एज्युकेशन ----------------

डो. हेनरी मेकोव लिखते हैं “इन्टरनेट पर पोर्न जीस तरह फ्री में मिलता है मानने में नही आता । शायद युएस की पोर्न इन्डस्ट्री सालाना १२ बिलियन डॉलर की है । मुझे शक है की ये इन्डस्ट्री इल्लुमिनिटी की तरफ से सबसिडी पाती है, वरना पोर्न फ्री नही हो सकता । ये सबसिडी मनिलोन्डरिन्ग से दी जाती है ।“



पोर्न इल्ल्युमिनिटी के लिए बहुत बडा रोल निभाता है, हम जान गये हैं की वो हमे गुलाम बनाना चाहते हैं, ऋण, माइन्ड कंट्रोल और फोल्ज फ्लॅग टेरीरिजम से । पर अभी तक सब लोग नही जानते की सेक्स और धर्म के मिश्रण से एक कार्यक्रम बनाया है जो आध्यात्मिक लेवल से हमें वश में कर ले ।



ये शैतानो का विज्ञान कहता है संभोग ब्रह्मांडीय सद्भाव पुनर्स्थापित करने का माहौल बनाता है । युवा सुन्दर स्त्रीयां हमारे सामुहिक मानसमें एक आह्वान है, सेक्स / रोमांटिक प्रेम की अति, हमारा विचलन, ये सब शैतानी कब्जे का सबूत है । पुरुषों, और महिला भी ऐसे सोच रहे हैं “होट ओर नोट”, “हिटिन्ग धीस अन्ड डुइन्ग धेट” चाहे कितना भी अनुचित हो । सेक्स धर्म से जुडा एक थकाऊ सांस्कृतिक जुनून है । समलैंगिकता को सामान्यीकृत कर दिया है और बढ़ावा दिया जा रहा है । अनजान पराई व्यक्ति से सेक्स एक पत्नीत्व और परिवार के विपरीत है । परायों से सेक्स अब आदर्श है, "आत्म अभिव्यक्ति" और स्वतंत्रता है ।



यौन आजादीः


"यौन मुक्ति" एक चाल थी शैतानों की । एक पत्नित्व, धर्म और परिवार का पौष्टिक और जीवन हैं । सेक्स शादी के साथ ही पवित्र है । इसका उद्देश्य पति और पत्नी के बंधन के लिए है और बच्चों के लिए एक पौष्टिक वातावरण प्रदान करने के लिए है ।"यौन मुक्ति" शैतानो का महत्वपूर्ण पहला कदम है, यह ऐसा विभाजक है जो सभी रिश्तों को कमजोर कर देता है ।


अश्लीलता से हमे सिखाया जाता है की आप सामने वालों को सेक्स अपील की टर्म से जज करो । इस से स्त्री पुरुष संबंधों के लिए बेहिसाब नुकसान हुआ है । कई पुरुष के लिए “टर्न ओन” नही पर “टर्न ओफ” है, कुछ भी नही, उन महिलाओं के लिए अवमानना ही है जो बेहूदगी से खुद को प्रदर्शित करती है, और यह अवमानना सभी महिलाओं की कहानी है ।


हजारों लंपट सुन्दर लडकियों को शादी और मातृत्व के लिए अयोग्य बना रहे हैं । प्रबुद्ध कम्युनिस्ट इल्ल्युमिनिटी का लक्ष्य है विवाह और परिवार को नष्ट करना और महिलाओं को एक सार्वजनिक यौन उपयोगिता, यानी शौकिया वेश्याएं बनाना ।


यह सारा अश्लील साहित्य गुप्त एजेंडा का हिस्सा है । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात समझने के लिए यह है: हम बहुत बड़े पैमाने पर मनोवैज्ञानिक हमले के शिकार है । सेक्स द्वारा हमे शैतान की तरफ ले जा रहे है । जीसे हम "आधुनिकता." समजते हैं, यौन संबंध के इस मोहित मोह वाली शैतानी खेल का एक बड़ा हिस्सा है । इस हमले को बेअसर करने के लिए, हमें हकिकत और कल्पना दोनों में से, अश्लील साहित्य और परायों से सेक्स त्याग करना पडेगा ।

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भारत में दो महान सेक्सगुरु हो गये जो इल्ल्युमिनिटी के प्यादे थे, जिन्हों ने सेक्स को बॅडरूम से सडक पर लाने की कोशीश की थी ।



https://www.facebook.com/notes/siddharth-bharodiya/शेइम-शेइम-कुछ-तो-शरम-करो-/225028667650002



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आज भारत में ही नही सारे विश्व में बच्चा तो क्या आदमी बुढे होने तक एक शैतान की गोदमें बैठ कर ही पढाई करता है । शैतान ही उसका गुरु है । इन गुरुओं में स्कुल-कोलेज, मिडिया, मनोरंजन, सहित्य और सोस्यल साईट्स भी शामिल है । ईन सबके द्वारा हजारों विषय पर पढाया जाता है, सिखाने के मकसद से नही, समाज जीवन के फायदे को देख कर नही बल्की एक सोस्यल एन्जिनियरिन्ग की तरह, जीस से समाज जीवन बदला जा सके । बदलने का मतलब समाज की उन्नत्ति नही पर अधोगति है ।



सेक्स के पाठ की जरूरत आदमी को क्यों पडी ? २०००० हजार साल की मानव सभ्यता में आज ही क्यों ? एक मुर्खामी भरा जवाब मिला “ एइड्ज इत्यादी यौन रोगों के प्रति बच्चों को जागरुक करना जरूरी है ” । ऐसी शिक्षा तो बच्चे के बाप को देनी चाहिए बच्चों को क्यों ? कीसी के पास जबाब नही ।



भारत में इस पढाई को लाने के पिछे भारत में बलात्कार को कारण बताया गया । क्या बुढे बलात्कार नही करते ? उसने पूरी जिन्दगी सिखा ही नही सेक्स क्या होता है ? बुढों को भी सिखाओगे नाईट स्कूलमें ?



ये शैतान जहां सफल हो गया ऐसे देश अमरिका के लोगों की कुछ बात रखता हुं ।

अमरिकामें सेक्स एज्युकेशन के बाद सामाजिक ढांचे में बडा अंतर आ गया है । बच्चे स्कूल की उमर में ही सेक्स में रत हो गये हैं, यहां तक की स्कूल बॅग मे निरोध के पेकेट रखने लगे हैं ।



शादी की उमर होते होते सेक्स को लेकर जो भी अनुभव हुए उस के कारण शादी का जो सबसे बडा आकर्षण सेक्स होता है वो खतम हो गया है । लोग शादी करना टालने लगे हैं । सामाजिक सुरक्षा के कारण शादी करते हैं लेकिन देरसे करते हैं । पति पत्नि के बीच की वफादारी पूरानी बात हो गई है । कुटुंब प्रथा तुट गई है । कब पत्नी छोड के भाग जाये या कब पति पत्नि को छोड दे कोइ गेरंटी नही । १९६० में अमरिकन एडल्ट ७२% शादीशुदा होते थे आज ५१% रह गये हैं । बाकी के ४९% बिना शादी के, तलाक शुदा और विधवा-विधुर । जन्म-दर का लेवल भी इतिहास में सब से नीचे । हरेक १००० के पिछे २३ का आंकडा था, आज १३.८ पर आ गया ।



अमेरिका में हर साल 15 से 19 साल की उम्र की सात लाख, 50 हजार लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं। सबसे ज्यादा हैरत की बात यह है कि 80 फीसदी लड़कियों का गर्भवती होने का कोई इरादा नहीं होता है।



15 से 25 साल की उम्र के एक करोड़, 90 लाख युवाओं को सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिसीज (एसटीडी) की शिकायत होती है।

हर घंटे 13 से 29 साल की उम्र के दो युवा एचआईवी पॉजिटिव होते हैं।



अमेरिका में ज्यादातर लोग शादी होने या सेक्स एजुकेशन कोर्स पूरा होने से पहले वर्जिनिटी न खोने देने की प्रतिज्ञा लेते हैं। बावजूद इसके आंकड़े बताते हैं कि प्रतिज्ञा लेने वाले अक्सर उसे तोड़ देते हैं। ऐसे लोग यौन संक्रमित रोग (एसटीडी) से ग्रस्त होते हैं और यौन संबंध बनाने के दौरान गर्भनिरोधक का सबसे कम इस्तेमाल करते हैं।



65 फीसदी मिडल और हाई स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं ने क्लास में लेक्चर के दौरान शारीरिक शोषण और अजीब तरीके से छूने की शिकायतें दर्ज कराई हैं।

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हमारे सह ब्लोगर bhagwanbabu के शब्द



अगर सरकार या सरकार का थिंक टैंक ये समझती है कि सेक्स एजुकेशन देकर यौन अपराधो पर लगाम लगा लेगी तो ये सिर्फ इस बात को प्रदर्शित करती है कि सरकार, जनता को सिर्फ बहकाने की कोशिश कर रही है। या फिर सरकार को ये समझ मे नही आ रहा है कि वो इस परिस्थिति से कैसे निबटे, तो ये नुस्खा आजमा कर देखना चाहती है। अगर जनता को कोई लाभ नही हुआ तो कम से कम नेता राजनीतिक लाभ तो उठा ही सकते है। और वैसे भी सरकार जनता की समस्याओं पर गम्भीर कब हुई है?



जस्टिस जे.एस. वर्मा की समिति स्कूली पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को शामिल करके बच्चों को सही-गलत जैसे व्यवहार और आपसी संबंधों के विषय में बताना चाहती है। केन्द्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री एम.एल. पल्लम राजू भी वर्मा समिति से सहमत होकर इसे लागू करने की सोच रही है….



मै इन समिति और मंत्रियों से ये पूछना चाहता हूँ कि क्या उन्हे बच्चो के मौजूदा पाठ्यक्रम के बारे मे अवगत नही है..? ये सही-गलत और आपसी सम्बन्ध के विषय मे पहले से ही “शारीरिक व नैतिक शिक्षा” के रूप मे शामिल है.. जिसे बच्चे रट-रट्कर परीक्षा पास कर लेते है। लेकिन क्या बच्चों द्वारा नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल शिक्षाओं का अनुसरण किया जाता है? फिर क्या जरूरी है कि सेक्स के बारे मे बताई गई सैद्धांतिक बातों से बच्चों मे इसकी व्यवहारिक बातो को जानने के उत्सुकता नही बढेगी?



जहाँ तक सवाल है यौन अपराधो का, तो सेक्स एजुकेशन का इससे कोई सम्बन्ध नही दिखता। और जिन अपराधो के लिए बच्चो को शिक्षाएँ दी जा रही है और यहाँ तक कि कठोर कानून भी है, क्या किसी को उन अपराधों में कमी दिखाई देती है ? दिन-ब-दिन अपराध और भ्रष्टाचार की घटनाएँ बढ़्ती ही जा रही है..। एक-दो घटना (जैसे दिल्ली गैंगरेप मामला) जो मीडिया की नजर मे आ जाती है उसे सारी दुनिया देखती है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ अब आम होने लगी है. जरा आप अपने आस-पास झाँक कर देखे तो पता चलेगा …. ।



पता नहीं सरकार हर क्षेत्र मे महिलाओ को आरक्षण देकर आगे क्यों लाना चाहती है ? और एक महिला, आई0 एस0, आई0 पी0 एस0 बनकर मंत्रियो के साथ रंगरलियाँ मनाना चाहती है(ऐसा भी खबर आया है) ? नेताएँ अपने घर की छोटी-बड़ी पार्टी मे भी अर्धनग्न व कम उम्र की लड़्कियों को नचाकर आनन्द लेते है क्या इससे यौन अपराध को हवा न मिलेगी? एक महिला,… पुलिस बनकर क्या दिखाना चाहती है? क्या पुलिस बनने के लिए पुरूष कम पड गये है… । एक बड़ी कम्पनियाँ अपना प्रोडक्ट बेचने के लिये अपने प्रोडक्ट के साथ अर्धनग्न स्त्रियों को खड़ा कर देती है… और ताज्जुब की बात ये है कि ये लड़्कियाँ और स्त्रियाँ नये जेनरेशन का हवाला देकर हंसते हुए अपने कपड़े उतार देती है। आज टेलीविजन पर दिखने वाले शत-प्रतिशत विज्ञापन महिलाओ द्वारा आकर्षक और कम कपड़े पहना कर कराये जाते है। विज्ञापन में प्रोडक्ट पर कम लड़्कियों के शरीर पर टेलीविजन के कैमरा का फोकस ज्यादा रहता है। कंपनियाँ अपने रिसेप्शन पर एक आकर्षक, मनलुभावन और कम उम्र की लड़्कियो को बिठाती है क्योंकि इससे उसकी कम्पनी मे ज्यादा से ज्यादा लोग आये और आते भी है, कम से कम उस लड़्की को देखने और उससे बैठकर बकवास करने का उचित तरीका तो लोगों को मिलता ही है और इसमे कम उम्र के लड़्के ही नहीं अधेड़ और बूढ़े लोग भी शामिल होते है । अगर किसी टेलीकॉम कम्पनी के कस्टमर केयर पे कोई लड़्की मिल जाये फिर देखिये क्या-क्या बातें और कितनी देर तक होती है। इन सब का परिणाम अब ये भी देखा गया है कि एक मध्यम वर्गीय आदमी अगर एक दुकान भी खोलता है तो दुकान अच्छा चले इसके लिये एक सुन्दर लड़्की को काउंटर पर बिठाता है । एक शादी में जब मै गया तो देखा कि लड़्कियो ने ऐसे कपड़े पहन रखे थे जिससे उसका आधा शरीर तो साफ-साफ दिखाई पड़्ता था, जबकि मौसम सर्दियों का था हमलोगों ने जैकेट पहन रखा था। क्या इससे अपराध न बढ़ेगा ?



सेक्स एक नेचुरल क्रिया है जिसके साथ जितना भी आप छेड़्छाड़ करने की कोशिश करेंगे उतना ही ये घातक सिद्ध होगा। और इसके प्रति आप किसी की मानसिकता एजुकेशन से नही बदल सकते……… आपने चारो तरफ अर्धनग्न लड़्कियो का मेला लगा रखा है और उसमे भी आपके नेता और बड़े लोग गन्दी हरकत करने से बाज नही आते, ऐसे मे आप बच्चो को सेक्स ऐजुकेशन देकर उससे क्या अपेक्षा रखते है ?



अमरिका और युरोपमें जो पोर्न का बहुत बडा बाजार खूला है उस के पिछे सेक्स एज्युकेशन तो नही ? पोर्न के पिछे पिछे मानव भक्षण की भी फेशन चलाई है । स्कूल कोलेज की लडकियों और हजारों पोर्न स्टार के अनचाहे गर्भ को अबोर्ट कर के निकाल दिया जाता है और एक प्रोडक्ट समज कर बेचा जाता है, उस का बाजार खूल गया है । पेप्सी और कोकाकोला जैसी मल्टिनेशनल अपनी बोटल में पानी के साथ जो मसाला डालते हैं वो गुप्त है, उस का कारण है भुण से निकाले गये पदार्थ को वो उस में मिलाते हैं । उस में कोइ पोषण तो नही पर आदमी को आदी बनाने के काम करता है । हररोज पिनेवालों को आदत पड जाती है । इस तरह ही डीब्बापॅक खाना बेचनेवाली कंपनियां भी भुण का उपयोग करती है । अभी तक बात छूपी थी, अब जाहिर हो गया है । क्या फरक पडा ? क्या पाप लगा ? क्या आप का नूकसान गया ? इसे कहते हैं शैतानों की जीत ।



चीन में तो बच्चों का भ्रुण सीधा किराने की दुकान में मिलता है, होटलों की डिशमें मिलता है और शैतान आदमी बडे चाव से खाते हैं । बस सर पर सिंग नही है वरना राक्षस ही है ।



ऐसी फूड सिक्युरिटी को भारतमें भी लानी है, आबादी बहुत बडी है तो भुण का प्रोडशन भी बहुत बडे पैमाने पर होगा । देश को जल्दी सेक्समय करना है लेकिन जनता का धर्म बिचमे आ जाता है ।



दिल्ली का गेंन्ग रेप को मिडियामें बहुत उछाला गया था वो जानबूजकर उछाला गया था । जनता में गुस्सा फैलाना था, जीस से जनता ही नये कडे कानून की मांग कर दे । और मुर्ख जनता ने मांग भी कर दी । उस के पिछे सरकार की मुराद थी स्कूल में सेक्स एज्युकेशन को लाना और उस के लिए सेक्स करने की कानूनी उमर को घटाकर १४ साल करनी थी । वो इस लिये यदी सेक्स सिखाते सिखाते मास्टर और दुसरे विद्यार्थी १४ साल की लडकियों से सेक्स करने लगे तो किसी को जेलमें जाना ना पडे । बिकाउ नायमुर्ति ने बताया बचपन से ही आदमी को सेक्स की शिक्षा देनी चाहिए जीस से बलात्कार की घटना ना हो । उस आधार पर, डायरेक्ट सेक्स एज्युकेशन की बात करने की हिम्मत नही हुई पर जनता को बुध्धिहीन समजते हुए, सरकारने लडकी की सेक्स करने की उमर घटानी चाही जब की शादी करने की उमर घटाने के लिए तैयार नही थी । याने कम उमरमें सेक्स तो किया जा सकता है पर शादी नही । दूसरे शब्दों में १८ साल के अंदर ओफिसियल सेक्स नही अनओफिसियल करो । कम से कम भ्रुण मिलने तो शुरु हो जाते, भारत में तो कोइ खायेगा नही एक्पोर्ट से डोलर तो मिल सकते थे । लेकिन बीचमे विरोधी और धर्म आ गये । कोई बात नही, इसलिए पहले विरोधियों को पछाडने की ट्रीक बना ली । बलात्कार के कानून पोस्को में एक कलम (section 9 of POCSO Act) डाल दी । १८ से निचे की कोइ लडकी अगर कह दे की इस आदमी ने मेरा रेप या अन्य शारिरिक शोषण किया है तो कानून की अंधी देविको मानना ही पडेगा की लडकी सच बोलती है । भले वो जुठी हो या बालवेश्या भी क्यों ना हो, आदमी बच नही सकता । आज एक विरोधी और धर्म के प्रचारक आशाराम को टार्गेट बनाया है । मिडिया सहीत इल्लुमिनिटी के सारे साधनों को काम पर लगाए गये हैं उसे खतम करने के लिए ।

आश्चर्य कोका कोला वास्तव में क्या है ?


आप को कभी आश्चर्य हुआ कि कोका कोला वास्तव में क्या है ? नही ? कोइ बात नही, स्टेप बाय स्टेप समजीये हो जायेगा आश्चर्य ।

पीने के 10 मिनट के बाद ः
कोला की एक गिलास में रही चीनी के दस चम्मच, शरीर के चयापचय की क्रिया के अवरोध से उल्टि का कारण बनता है लेकिन फोस्फोरिक एसिड चीनी की कार्रवाई को रोकता है ।

20 मिनट के बाद ः
खून में इंसुलिन का स्तर बढ जाता है । लिवर चीनी को फॅट में बदल देता है ।

40 मिनट के बाद ः
कैफीन की घूस शरीर में पूरी तरह हो जाती है । आंख में भारीपन आता है । लिवर और खून की चीनी को निपने की प्रक्रिया को लेकर रक्त दबाव बढ जाता है । Adenosine रिसेप्टर्स को अवरोध मिलता है, जीस से तंद्रावस्था या उनींदापन रोका जाता है और इस अवस्था को नकली ताजगी बताया जाता है ।

45 मिनट के बाद ः
शरीर डोपामाइन हार्मोन के उत्पादन को जन्म देता है, जो मस्तिष्क में रहे खुशी का अनुभव कराते केंद्र को उत्तेजित करता है, हेरोइन आपरेशन का ही ये एक सिद्धांत है ।

1 घंटे के बाद ः
फॉस्फोरिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिन्क के मेल से पाचनतंत्र के मार्ग में चयापचय की क्रिया को बढा देता है । मूत्र के माध्यम से कैल्शियम का विमोचन भी बढ़ जाता है ।

बाद के समय में ः
मूत्रवर्धक प्रभाव का "खेल" शुरु होता है । कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिन्क, जो हमारी हड्डियों का हिस्सा है, साथ में सोडियम भी, शरीर से बाहर निकालने की क्रिया शुरु हो जाती है । एक कोका कोला में निहित पानी की पूरी मात्रा, मूत्र द्वारा निकाल दिया जाता है ।

क्या नकली ताजगी का आनंद उठाने के लिये कोक का एक ठंडा बोतल उठाते समय हम अपने गले में क्या रासायनिक "कॉकटेल" उतार रहे हैं हमें पता है ?

कोका कोला का सक्रिय संघटक orthophosphoric एसिड है । इसकी उच्च एसिडिटी के कारण, माल सडता नही भले वो कंपनी के विशेष स्टोर में हो, हेर फेर के दरम्यान रास्ते के टेंकर में हो या दुकान में रही बोतलों में हो ।

कंपनी एक ऍड में बहुत होंशियारी मारती है “कोका कोला लाइट विधाउट कैफिन” । जरा इस का पोस्ट मोर्टम करते हैं । इस में ऍक्वा कार्बोनेटेड E150D, E952, E951, E338, E330, Aromas, E211 होता है ।

एक्वा कार्बोनेटेड - एक शानदार पानी है । यह गैस्ट्रिक स्राव में हलचल पैदा करता है आमाशय रस की अम्लता बढ़ जाती है और गैस होने से पेट फुलता है । इसके अलावा, इस्तेमाल होनेवाला पानी कोइ मिनरल वॉटर नही, लेकिन नियमित रूप से उपयोग होता फ़िल्टर्ड पानी का इस्तेमाल किया जाता है ।

E150D – ये एक खाद्य कलर है जो खास तापमान पर चीनी के प्रसंस्करण के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, और केमिकल के साथ या बिना कोइ केमिकल । कोका कोला बनाने के समय अमोनियम सल्फेट जोड़ा जाता है ।

E952 - सोडियम Cyclamate चीनी का विकल्प है । Cyclamate, एक ऐसा सिंथेटिक रासायन है जो चीनी से 200 गुना मीठा है, और एक कृत्रिम स्वीटनर के रूप में प्रयोग किया जाता है । Cyclamate, साकारीन और aspartame, जो प्रयोग के दौरान चूहों के मूत्राशय में कैंसर पैदा करने के कारण साबित हुए, तो 1969 में इन सब पर एफडीए द्वारा प्रतिबंधित डाला गया था । 1975 में जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर ने प्रतिबंध लगाया और सारा माल जब्त कर लिया था । 1979 में, डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन (इल्ल्युमिनिटी)), क्या मालुम क्यों, cyclamates का पूनर्जन्म करवाया और सुरक्षित होने का सर्टिफिकेट भी दे दिया ।

E950 - Acesulfame पोटेशियम । ये मिथाइल ईथर युक्त पदार्थ है और भी चीनी से 200 गुना अधिक मीठा है । यह हृदय प्रणाली के संचालन में छेड छाड करता है । इसी तरह, हमारे चेतातंत्र पर भी उत्तेजक प्रभाव पैदा कर सकता है और समय जाते यह लत का कारण बन सकता है । Acesulfame शरीर में बहुत बुरी तरह घुल जाता है, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए इस का प्रयोग सलामत नहीं है ।

E951 – ये है Aspartame, मधुमेह रोगियों के लिए चीनी का एक विकल्प है पर रासायनिक द्रष्टि से अस्थिर है : ऊंचे तापमान पर यह मेथनॉल और फेनिलएलनिन में विभाजित हो जाता है । मेथनॉल बहुत खतरनाक है : 5-10ml मेथनॉल ऑप्टिक तंत्रिका पर ऐसा असर करता है की असाध्य अंधापन आ जाता है । Aspartame की जहरिली असर किन मामलों देख सकते हैं: बेहोशी , सिर दर्द , थकान , चक्कर आना, उल्टी , घबराहट , वजन, चिड़चिड़ापन , घबराहट , स्मृति हानि , धुंधली दृष्टि , बेहोशी , जोड़ों में दर्द , अवसाद , प्रजनन , सुनने में हानि आदि । Aspartame इन रोगों को उत्तेजित कर सकता है - ब्रेन ट्यूमर , एमएस ( मल्टीपल स्केलेरोसिस ) , मिर्गी , 'कब्र रोग , क्रोनिक थकान , अल्जाइमर , मधुमेह , मानसिक कमी और तपेदिक ।

E338 - Orthophosphoric एसिड । यह त्वचा और आंखों की जलन पैदा कर सकता है । यह अमोनिया , सोडियम , कैल्शियम , एल्यूमीनियम का फॉस्फोरिक एसिड सोल्ट के उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है । और भी उपयोग, लकड़ी का कोयला और फिल्म टेप के उत्पादन के लिए कार्बनिक संश्लेषण में, आग रोकने की सामग्री , मिट्टी के बरतन , गिलास , उर्वरक , सिंथेटिक डिटर्जेंट , दवा , धातु के उत्पादन के लिए , कपड़ा और तेल उद्योग, कार्बोनेटेड पानी के उत्पादन, पेस्ट्री में सामग्री को तैयार करने के लिए प्रयोग किया जाता है । यह orthophosphoric एसिड हड्डियों की कमजोरी पैदा कर सकता है , शरीर से कैल्शियम और लोहे के अवशोषण के साथ हस्तक्षेप कर सकता है । अन्य दुष्प्रभाव, प्यास और त्वचा पर चकत्ते हैं ।

E330 - साइट्रिक एसिड । यह व्यापक रूप से प्रकृति में फैला हुआ है और दवा और खाद्य उद्योग में प्रयोग किया जाता है । खून के संरक्षण के लिए - साइट्रिक एसिड ( citrates ) के साल्ट एसिड , संरक्षक , स्टेबलाइजर्स , और चिकित्सा क्षेत्र में और खाद्य उद्योग में उपयोग किया जाता है ।

Aromas - अज्ञात खुशबूदार योजक । अज्ञात इस लिए की इसे छुपाना है । बहाना मोनोपोली का बताया गया है, स्पर्धा के कारण और कोइ ईसका उपयोग ना करे । लेकिन बात इस तरह लिक हुई है की ये पदार्थ मानव भ्रुण के किडनी के सेल्स से बना है । ये बात सच हो या जो बात लिक की गई है, सच या जुठ, उस के पिछे वर्ल्ड पोलिटिक्स का एजन्डा ही काम कर रहा है । दुनिया के देशों की जनता का धर्म भ्रष्ट करना है । जैसे १८५७ में भारतिय सनिकों का धर्म भ्रष्ट करने के लिए कारतूस में गाय और डुक्कर की चरबी मिलाई गई थी । वो कारतूस सिल मुंह से तोडना होता था ।

E211 - सोडियम Benzoate । यह बैक्टीरियल और एंटी फंगल एजेंट के रूप में कुछ खाद्य उत्पादन में प्रयोग किया जाता है । यह एस्पिरिन के प्रति संवेदनशील हैं , जीन को अस्थमा है ऐसे लोगों के लिए सिफारिश नहीं है । ब्रिटेन के शेफील्ड विश्वविद्यालय के पीटर पाईपर द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ये डीएनए के लिए महत्वपूर्ण नुकसान का कारण बनता है । उनके शब्दों के अनुसार , इस प्रिजर्वेटिव में एक सक्रिय घटक सोडियम बेंजोएट है वो डीएनए को नष्ट नही करता लेकिन उसे निष्क्रिय करता है । यह सिरोसिस और पार्किंसंस रोग जैसे अपक्षयी रोगों को जन्म दे सकता है ।

तो, क्या समज में आया ? खैर, यह कोका कोला का "गुप्त नुस्खा" सिर्फ एक विज्ञापन का खेल है और कुछ नही । कैसा भी सिक्रिट हो हम जान गये हैं की ये प्रिजर्वेटिव, खाद्य कलर, स्टेबिलाईजर्स आदी कोकीन का एक कमजोर समाधान है और हमारे लिए तो ये लिगल कोकेन ऍडिक्शन और शुद्ध जहर है ।

अगर, आप कोका कोला के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते, तो निम्न सिफारिशों का लाभ उठाओ:

- अमेरिका में खूद कोका कोला से कई वितरक इस पेयजल से अपने ट्रक इंजनों की सफाई करते हैं तो भारत में आप को कौन रोकता है ।

अमेरिका में कई पुलिस अधिकारी अपनी कार में कोका कोला की बोतल रखते हैं । कोइ दुर्घटना होती है तो वो इस से सड़क से खून के दाग साफ करते हैं ।

- कोका कोला कारों के क्रोम सतहों पर से जंग के दाग को हटाने के लिए एक महान प्रवाही है । कार बैटरी से जंग हटाने के लिए, कोक के साथ यह डालना और जंग गायब हो जाएगा ।

- इसमें डुबाया कपडा कुछ मिनिट जंग खाये नट-बोल्ट के उपर घुमाओं वो आसानिसे खुल जायेगा ।

-अच्छा डिटर्जन्ट है, कपड़े से दाग को साफ करने के लिए, गंदे कपड़े पर कोका कोला डालना, वाशिंग पाउडर जोड़ सकते हैं । और सामान्य रूप से कपड़े धोने की मशीन चला सकते हैं । आप परिणाम से आश्चर्यचकित हो जाएगी ।

- यह सस्ता है और प्रभाव पूरी तरह से संतोषजनक है इस लिए भारत के कुछ किसान, कीटनाशक की जगह कोका कोला का उपयोग कर रहे हैं । आप भी करिये ।

कोइ शक नही कि कोका कोला एक बेहतरिन प्रोडक्ट है । लेकिन पीने के लिए नही, अन्य उपयोग के लिए । प्रोपर उपयोग ढूंढ लो, मजा आयेगा इस के उपयोग से ।

यहां कोका कोला के बारे में एक वीडियो है !
http://www.youtube.com/watch?v=gVyZiYbsvLY SaveFrom.net

रविवार, सितंबर 22, 2013

ऐसा ही एक षड्यंत्र है आधार कार्ड

ऐसा ही एक षड्यंत्र है । वैश्विक पहचान संख्या Universal Identification Number जिसे अमेरिका में सोशल सिक्यूरिटी नंबर कहा जाता है । अब इसे भारत में भी लागू किया जा रहा है । आधार कार्ड के रूप में । इसके अंतर्गत एक रिकार्ड बनाया जाता है । जिसमें आपको एक नंबर मिलता है । और आपसे सम्बंधित आपके परिवार के व्यक्ति । परिजन । आपकी संपत्ति । सभी सम्बंधित खाते । सुविधा और संसाधन सभी का लेखा जोखा एक नंबर से जोड़ दिया जायेगा । जिस प्रकार से ये आपकी पहचान को हर प्रकार के बायोमेट्रिक माध्यम से गहराई से रिकॉर्ड करते हैं । अगर आप थोड़ा ध्यान दें । तो आपको पता चल जायेगा कि इनके द्वारा प्रयोग में लायी जा रही नीतियां आपको पहचान देने के लिए कम । अपितु आप पहचान छुपा न पाए । इसके लिए अधिक समर्थ हैं । इस नंबर को बनवाने के लिए आपको विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जायेंगे । और इसके लाभ गिनाये जायेंगे । पर आपको इसके दुष्प्रयोग के विषय में कुछ भी नहीं बताया जायेगा । और इसे पूर्णतः सुरक्षित बताया जायेगा । इस नंबर को आवंटित करने का मूल उद्देश्य है । हर व्यक्ति को एक अनन्य संख्या की पहचान देना है । अगर कोई व्यक्ति सरकार के विरुद्ध जाता है । और किसी प्रकार की क्रांति लाना चाहता है । तो उस पर नज़र रखकर उसे हर एक सुविधा और साधन से काट कर उसे कमजोर बना देना ही इसका उद्देश्य है । और आज के कम्प्यूटरी युग में ये नंबर किसी आपराधिक मानसिकता वाले व्यक्ति के हाथ लग जाये । इसकी भी सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता
https://www.youtube.com/watch?v=RjPH5Ezig8A
भारत में देशवासियों को विदेशी पूंजी निवेश से विकास कराने के नाम पर भी ठगा जा रहा है । ये देश के विकास का नहीं । अपितु इसे और भी अधिक गरीब बनाने का षड्यंत्र है । एक तो ये निवेश विदेशी न होकर हमारे देश में रहने वाले भृष्ट लोगों की काली कमाई का धन जिसे किसी अन्य का धन बनाकर विदेशी निवेश के रूप में भारत में लगाया जा रहा है । और अगर कोई व्यक्ति एक साधारण सी बात पर थोड़ा सोचे । और ध्यान दे कि अगर कोई व्यक्ति निवेश कर भी रहा है । तो हम पर दया करके तो ऐसा कर नहीं रहा होगा । उसका कुछ फायदा तो अवश्य होगा उसे । ये जितना निवेश करेंगे । उससे अधिक धन यहाँ से ले भी जायेंगे । इससे ये पहले से ही धनवान भृष्ट लोग । जिनका ये धन निवेश के रूप में लगा है । और भी धनवान हो जायेंगे । और भारत का धन विदेश जाने के कारण रूपए का मूल्य गिरेगा । महंगाई बढ़ेगी । इससे अंत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग मारा जायेगा ।
https://www.youtube.com/watch?v=SPElhVyOJM8
इसके साथ ही आयेगा देश में निवेश के रूप में अमेरिकी डालर । जो कि पूर्ण रूप से खोखली मुद्रा है । इसका मूल्य मात्र अमेरिका के दबदबे के कारण है । क्योंकि अमेरिकी सरकार कहती है कि इसका मूल्य है । जिसके पास जितना अमेरिकी डालर है । वो व्यक्ति उतना ही कर्ज में है । यही कारण है कि अमेरिका की आर्थिक स्थिति बहुत तीव्रता से गिरती जा रही है
https://www.youtube.com/watch?v=LCYoq8lVkzA
अगर ये कर्ज रुपी मुद्रा भारत में निवेश की जाती है । तो ये भारत के आर्थिक तंत्र से अपना मूल्य बनाएगी । इससे पुनः रुपये का अवमूल्यन होगा । और महंगाई बढ़ेगी । पर इन सबके साथ ही देश में आएंगी । बहु ब्रांड वाली खुदरा व्यापार करने वाली कंपनियाँ । जैसे वालमार्ट । जो पहले से ही दूसरे देशों में गरीबी लाने के लिए बदनाम हैं । और इन्हीं के पीछे होंगी । टीवी केबल चैनल की कंपनियाँ । जो अन्य विदेशी कंपनियों के साथ सांठ गाँठ करके आयेंगी । और सस्ते दामों पर टीवी चैनल उपलब्ध कराएंगी । सरकार के द्वारा केबल टीवी का डिजिटल उन्नतीकरण Digitization इन्हीं के लिए कराई गयी सुविधा है । जब इनके प्रलोभन में आकर लोग इनकी सुविधाओं को लेने लगेंगे । तब ये दिन भर इन्हीं विदेशी कंपनियों के प्रचार दिखाएंगी । और उन्हें अच्छा बतायेंगी । जिससे उनके जाल में लोग फंसकर उन विदेशी कंपनियों के खाद्य पदार्थ । कपड़े और अन्य उत्पाद सुविधायें आदि लेने लगेंगे । और पुनः हमारे देश का धन दूसरे देश में जायेगा । ये विदेशी कंपनियाँ पहले ही भारत में जैविक रूप से संवर्धित अन्न प्रचालन में ला चुकी हैं । किसानों को ठग कर कि इसमें खाद कम लगती है । और कीड़े भी नहीं लगते । उत्पादन अधिक है आदि । जिसे खाकर लोग विभिन्न प्रकार की व्याधियों विकारों से समस्या में हैं । इसके साथ ही ये खेत में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खाद डलवाकर और पारंपरिक फसल चक्र को भृष्ट कर खेत की उर्वरता को सीमित कर देंगे । जिससे एक निश्चित प्रकार की फसलें ही मात्र पैदा हो सकें । और विविधता नष्ट हो जाये । इसके बाद ये कुपोषण के शिकार लोगों को पोषण प्राप्त करने के लिए मांसाहार की सलाह देंगे । अपने खाद्य पदार्थों में देशी गायों को मरवाकर गो मांस बेचेंगे । ऐसा ये इसलिए करेंगे । क्योंकि इन्हें पता है कि मात्र भारत की गायों में ऐसे खास अनुवांशिक गुण हैं । जिनके कारण उससे प्राप्त होने वाले पञ्च गव्यों से अनेकों प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं । ऐसा करने से ये लोगों को रोग ग्रस्त कर विदेशी मेडिकल सुविधाओं को भी निवेश के माध्यम से देश में लायेंगे । इस प्रकार इस विदेशी निवेश के अंतहीन कुचक्र में फँसकर रुपये का अवमूल्यन कराता जायेगा । और देश गरीब से गरीब होता जायेगा https://www.youtube.com/watch?v=GA5HWoevE74
इन विदेशी कम्पनियों द्वारा फैलाया गया एक अत्यंत भयावह जाल है - जैविक संवर्धन का । ऐसा करके ये लोग प्रकृति के साथ खेल खेलना चाहते हैं । ये कम्पनियां पेड़ पौधों अनाज के बीजों और पशु आदि के अनुवांशिक गुणों को बदल कर जैविक रूप से संवर्धित प्रजाति पैदा करते हैं । इन पैदा कराई गयी प्रजातियों में अच्छाइयां कम और बुराइयाँ अधिक होती हैं । ऐसा ये मात्र अपने फायदे के लिए करते हैं । और लोगों को इनकी अच्छाइयां मात्र बता कर ठगते हैं
http://www.youtube.com/watch?v=-5gyWRrfkbE
उदाहरण के लिए अनाज के लिए ये जो बीज उपलब्ध कराते हैं । उमसे आपको ये लालच देते हैं कि इसमें कम लागत में अधिक उत्पादन होगा । और इसमें कीड़े आदि नहीं लगेंगे । किसान इनके लालच में आकर इन्हें खरीद लेता है । और अपने खेत में लगाता है । इन बीजों को लगाने के लिए कम्पनियां पुनः विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को उपयोग करने के लिए बोलती हैं । इन बीजों में या तो यह होता है कि नयी उगी हुई फसल में पुनः उस फसल को उगाने के लिए या तो बीज नहीं होते । या अगर बीज होते भी हैं । तो उनमें कोई क्षमता नहीं होती । अथवा अगर आप इनके द्वारा बताये गए निर्देश से फसल उगाते हैं । तो आपके खेत की उर्वरक क्षमता सीमित हो जाती है । जिससे आप मात्र कुछ ही प्रकार की फसलों को उगा सकते हैं । जैसे सोयाबीन की फसल । ये सोयाबीन की फसल विदेशों से यहाँ लायी गयी । क्योंकि विदेशों की कम उर्वरक धरती पर इस फसल का उत्पादन करने से वहाँ की उर्वरक क्षमता बहुत ही सीमित हो गयी । क्योंकि वहाँ सोयाबीन का प्रयोग सूअरों तथा भैंसों के चारे के रूप में किया जाता है । जिससे उनमें मांस की मात्रा बढ़ती है । और उन देशों में मांसाहार का प्रचलन अधिक है । इसलिए वहाँ सोयाबीन की आवश्यकता होती ही है । ऐसे में उन्होंने ने भारत की और देखा । जहां की धरती अत्यंत उर्वरक क्षमता वाली है । यहाँ का किसान अधिक उत्पादन के लालच में आकर इसे उगाता है । और 10 वर्ष के बाद 11वे वर्ष उसकी भूमि कपास के अलावा अन्य किसी फसल को उगने की क्षमता नहीं रखती । सोयाबीन का उत्पादन इतना अधिक बढा दिया गया है विश्व भर में कि अब इसे मनुष्य के खाने योग्य घोषित कर खपाया जा रहा है । भारत में सूरजमुखी और सोयाबीन के तेल का अत्यधिक प्रचालन है । जो कि एक षड्यंत्र के अंतर्गत फैलाया गया है । ये दोनों तेल मनुष्य के खाने योग्य नहीं हैं । इन्हीं के कारण हमारे देश में इतने अधिक दिल के रोग और मधुमेह रोगी बढ़ते जा रहे हैं । ऐसा ही कुछ कार्य ये कम्पनियां पशु पालन के क्षेत्र में भी कर रही हैं

https://www.youtube.com/watch?v=fE7SqkFv03M
ये गाय तथा भैंसों के शुक्राणुओं में अनुवांशिक बदलाव कर एक नए प्रकार की प्रजाति बना रही हैं । जो कि अधिक दूध का उत्पादन करें । और साथ ही साथ उनमे अधिक चर्बी हो । ऐसा ये गाये भैंस के लिए उपयोग में लाये जा रहे बीजों में सूअर की जाति के गुण डालकर कर रहे हैं । अब ऐसे में इनके द्वारा दिए जा रहे दूध में किसके गुण रहेंगे ? स्पष्ट है । सूअर के ही रहेंगे । जिस गाय को हमारे देश में माता के रूप में पूजा जाता है । और उससे प्राप्त होने वाला पञ्च गव्यों को अमृत स्वरुप समझा जाता है । जिनमे अनगिनत रोगों का नाश करके हष्ट पुष्ट करने की क्षमता होती है । अब उस गौ माता और सूअर में कोई भेद नहीं रह जायेगा । बस बाहरी रूप से वह कुछ कुछ गाये के जैसी दिखेगी । और अंदरूनी रूप में वो सूअर ही होगी । https://www.youtube.com/watch?v=yqMLtY_LQG4
इस प्रकार से ये कम्पनियां अनेकों प्रकार के नए रोग उत्पन्न कर रही है । और करेंगी । और इसका कारण ये कुपोषण बतायेंगी । इस प्रकार ये भारतीयों में भृम फैलाएंगी कि शाकाहार में कम पोषक तत्व है । और इसकी पूर्ति के लिए मांसाहार आवश्यक है । ऐसा करके ये देश में बहुतायत में कत्ल खाने खुलवायेंगी । और वहाँ इन्हीं पशुओं को कटवाएंगी । ऐसे इन्हें अपने वैश्विक मांसाहार के व्यवसाय में लाभ होगा । https://www.youtube.com/watch?v=fAXiZvfVP-g
यही वो कंपनियां है । जो बीमारी फैलाती हैं । और इन्हीं से सम्बंधित कंपनियां हैं । जो दवाइयों का व्यापार करती हैं । इन्हीं से सम्बंधित संस्थान है । जो अंग्रेजी पद्धति के चिकित्सकों को पढ़ाते हैं । और यही वो चिकित्सक हैं । जो इनके द्वारा बनाई गयी दवाइयों को रोगियों के लिए लिखते हैं । इनके मूल में है । वे लोग । जो अधिक से अधिक धन अर्जित कर शक्ति का केंद्रीकरण करना चाहते हैं । और बीमारी और अन्य साधनों के प्रयोग से लोगों को मार कर उनके संसाधन और संपत्ति पर स्वामित्व प्राप्त करना चाहते हैं । https://www.youtube.com/watch?v=LZs1V8mpcoY

शनिवार, सितंबर 21, 2013

धर्म और मजहब में फर्क

अब यह जानना आवश्यक है की धर्म और मजहब में फर्क क्या और कहाँ कहाँ है, मै पहले ही विस्तार से धर्म को दर्शा चूका हूँ |फिर भी धर्म वह शब्द है जिसका वर्णन पूरी जिन्दगी कोई पूरा नहीं कर सकता,वह इतना व्यापक विषय है | अब मै धर्म और मजहब में अंतर बताऊगा |धर्म और मजहब समानार्थक नहीं है और न धर्म ईमान या बिश्वास का विषयहै| कारण धर्म वस्तु है कृयात्मक, और मजहब विश्वासात्मक | धर्म मनुष्य के स्वभावानुकूल. अथवा मानव प्रकृति होने के कारण स्वाभाविक है. इसका आधार ईश्वरीय अथवा सृष्टि नियम ही है | परन्तु मजहब मनुष्य कृत होने से.अप्राकृतिक अथवा अस्वाभाविक है | कारण मजहबों का अनेक होना भिन्न भिन्न होना परस्पर विरोधी होना,अनेक मनुष्य कृत होना,अथवा बनावटी होने का प्रमाण.है कारण स्वाभाविक धर्म मनुष्य मात्र का एक ही है | जैसा, माता को माता ही कहना जानना और मानना, पिताको पिता कहना जानना,और मानना,यह स्वाभाविक धर्म जो मानव मात्र के लिए है| किन्तु मजहब अनेक है, और प्रत्येक मजहब उसके अनुयायियों के अतिरिक्त दूसरों के लिए अमान्य और अग्राह्यः है,इसलिए वह सार्वजानिक नहीं है |
धर्म सदाचार का नाम है धर्मात्मा होने के लिए सदाचारी का होना अनिवार्य है | परन्तु मजहबी या पन्थाई होने के लिए सदाचारी होना आवश्यक नहीं है | अर्थात जिस तरह धर्म के साथ सदाचार का नित्य सम्बन्ध है, उस तरह मजहब के साथ सदाचार का कोई सम्बन्ध नहीं है | क्योंकी की किसी मजहब का अनुयायी न होने पर भी मनुष्य सदाचारी [धर्मात्मा]बन सकता है| परन्तु आचार सम्पन्न होने पर भी कोई मनुष्य उस वक़्त तक मजहबी अथवा पन्थाई.नहीं बन सकता जब तक की मजहब के मन्ताब्वों पर ईमान अथवा बिश्वास नहीं लता, जैसे की चाहे कोई कितना ही सच्चा ईश्वरोपासक और उच्च कोटि का ही सदाचारी, क्यों न हो वह जब तक,हज़रत, मुहम्मद पर, हज़रात ईसा पर कुरान,और बाईबिल पर ईमान नहीं लाता तब तक कोई ईसाई ,या फिर मुस्लमान नहीं बन सकते, यह है मज़हब| इसपर ईमान लेन पर ही कोई ईसाई,व मुसलमान बन गया मजहबी बनगया |
धर्म के लिए यह ज़रूरी नहीं की आप किसी व्यक्ति विशेष को मानें,अथवा उनकी बनाई,या बताई गयी पुस्तक या उनके बनाये नियमों को माना जाये धर्म में इस के लिए कोई जगहनहीं| और यह धर्म मानव मात्र के लिए है, किसी व्यक्ति के लिए नहीं, किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं और यहाँ न तो बाईबिल, और ईसा, की बात है | और नहीं कुरान और मुहम्मद की बात है, और न राम की बात है, और न ही कृष्ण की, कारण धर्म ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है | अर्थात धार्मिक गुणों को या कर्मों को धारण करने से ही, मनुष्य कहलाने का अधिकारी बनता है | या फिर यह कहें धर्म और मानवता एक दुसरे के पूरक है,धर्म को धारण करना ही मनुष्यत्व है | धर्म प्राण है, मजहब, शारीर, प्राण के बिना शारीर को मुर्दा, शव,अर्थी, अदि नामों से पुकारते हैं| फिर विचार करें,मजहबी,या पन्थाई. बन्ने के लिए उनके जो अरकान हैं,जैसा इस्लाम का, कलमा, नमाज, रोज़ा, ज़कात, हज, यह उनकी बुनियाद है भिंत या पिलर है | पर धर्म के लिए यह जरुरी नहीं है, जो ऊपर बताया गया वह किसी वर्ग के लिए नहीं मानव मात्र के लिए है,किन्तु हर कोई मानव न कलमा पढता न नमाज न रोज़ा न ज़कात न हज ? हाय है मज़हब यही भेद है मजहब और धर्म में | इस मजहबी भेद को जाने बिना धर्म का जानना या मानना,अथवा मानव कहलाना संभव ही नहीं,धर्म और मजहब के भेद को जानना जरुरी है जो इस्लाम जनता ही नहीं और नहीं जानना चाहता है,कारण यही तो मजहबी जूनून है |
जहाँ धर्म उच्च कोट का मनुष्य अथवा देवता बनने और जीवन मुक्त तथा विदेह मुक्त होने के लिए ज्ञान पूर्वक सदाचार को ही सर्वोपरि साधन बताता है | वहीँ मजहब नजात के लिए ज्ञान और सदाचार को अनावश्यक और निरर्थक ठहराता है | और,मात्र मजहबी उपदेश को ही अपना जीवन शैली बताता है | जैसा ईमान,जो की आप ने बिश्वास किया,अमन्तो बिल्लाहे वा मालाइ कतेही वा कुतुबिही व रुसुलिही,वल याव मिल अखेरे वलक़द्रे,खैरेही व शररेही मिनाल्लाहे तयला वल बय्से बादल मौते |أمنت با الله ومليكه و كتبه و ر سله و أ ليو م أ لا خر و أ لقد خير ه و شر ه من أ لله تعا لى ؤ أ لبعث بعد ا لمو ت हिंदी में पहले लिखा हूँ इसका अर्थ ---ईमान लाया मै अल्लाह पर और उसके फरिश्तों पर,और उसके किताबों पर और उसके रसूलों पर और क़यामत के दिन पर और उसपर की.अच्छी और बुरी तकदीर खुदाये तायला की तरफ से होती है,और मौत के बाद उठाये जानेपर| यह है मजहबी ईमान,अब देखें की यह मनुष्य मात्र के लिए है या फिर किसी वर्ग विशेष केलिए? अब धर्म में परमात्मा का मानना तो जरुरी है ? किन्तु हज़रत मुहम्मद को रसूल कोई ज़रूरीनहीं और न ही कुरान को परमात्मा की किताब मानना ज़रूरी है |कारण धार्मिक किताब,और.मजहबी, किताब में भी अन्तर है | धर्म की किताब मानव मात्र का उपदेश है, मजहबी किताब में सिर्फ मजहब के मानने वालों के लिए उपदेश है | मात्र इतनाही नहीं कुरान के अतिरिक्त,उनसे पहले की किताबों को मानना पड़ेगा,आश्चर्यजनक बात है की जिस किताब को बातिल कर दिया गया छांट दिया गया,रिजेक्ट, कर दिया गया उसे भी मानना होगा |यह सब मजहबी मान्यता है अगर आप इसको संदेह करते है, या नहीं मानते हैं तो मजहब में आप के लिए कोई जगह नहीं|
अब देखें की उनके रसूलों पर बिश्वास करना होगा, वह रसूल कितने है ? चार [4 ] उनके नाम पहले बताया गया है | रसूल उनको कहाजाता है जिन पर अल्लाह ने किताबें नाज़िल की हों, यद्यपि नबी,या पैगम्बर एक लाख या दो लाख चौबीस हज़ार बताये जाते है | जो इन लोगों को भी सठीक पता नहीं, इन सब पर बिश्वास करना या ईमान लाना होगा | धर्म में इसकी कोई ज़रूरत नहीं है, कारण धर्म की किताब मानव मात्र का एक ही है वह अदि प्रारम्भिक काल से है उसे बदलने से परमात्मा पर दोष लगेगा, जो पहले ही दर्शया गया ही | यहाँ मै यह बताना चाहूँगा की पैगम्बर, का अर्थ है पैगाम लाने वाला,वह पैगाम किसका,अल्लाह का | तो खुलासा यह हुवा की कुरान का अल्लाह सर्वब्यापक नहीं है ? अगर वह हर जगह होता तो फिर पैगम्बर के हाथ अपना पैगाम नहीं भेजता | इसी को हिन्दू लोग अवतार कहते और मानते हैं | किन्तु धर्म में अवतार के लिए कोई जगह नहीं,परमात्मा का कोई अवतार नहीं होता, यही कारन है की डॉ जाकिर नाईक, और उसके चेले यह सब कह रहे हैं की हज़रत मुहम्मद कलि युगके अवतार हैं, जो कल्कि अवतार बतारहे हैं,वेद और पुरानों का हवाला दे रहे हैं |
जो की यह सब मजहबी जूनून इसी को कहते हैं, कारण धर्म में इसकी कोई ज़रूरत ही नहीं वेड में परमात्मा अवतार नहीं लेते,और नहीं वेड में किसी व्यक्ति विशेष की चर्चा और न किसी की नाम की कोई गुन्जायेश | मजहब किसी व्यक्ति के निर्मित हैं, जैसा इस्लामी मजहब से मुहम्मद को हटाया जाये तो मजहब का अस्तित्व समाप्त | तो मजहब किसी इन्सान निर्मित है,और धर्म परमात्मा निर्मित | यही कारण है की धर्म सबके लिए है,मजहब सबके लिए नहीं, यानि जो मुहम्मद को अल्लाह्का आखरी रसूल नहीं मानता या मुहम्मद को नहीं मानता वह मुस्लमान नहीं बन सकता | कुरान गवाह है ,,देखें يٰٓاَيُّھَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَاُولِي الْاَمْرِ مِنْكُمْ ۚ فَاِنْ تَنَازَعْتُمْ فِيْ شَيْءٍ فَرُدُّوْهُ اِلَى اللّٰهِ وَالرَّسُوْلِ اِنْ كُنْتُمْ تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ۭ ذٰلِكَ خَيْرٌ وَّاَحْسَنُ تَاْوِيْلًا 59؀ۧ اے وہ لوگوں جو ایمان لائے ہو، حکم مانو تم اللہ کا اور حکم مانو اس کے رسول صلی اللہ علیہ وسلم کا ف۱ اور ان لوگوں کا جو صاحب امر ہوں تم میں سے ف۲، پھر اگر تمہارا اگر کسی بات پر آپس میں اختلاف ہوجائے تو تم اس کو لٹا دیا کرو اللہ اور اس کے رسول صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف، اگر تم ایمان (ویقین) رکھتے ہو اللہ پر، اور قیامت کے دن پر، یہ بہتر ہے (تمہارے لئے فی الحال) اور (حقیقت اور) انجام کے اعتبار سے بھی،
अब देखें की यही मजहब है कुरान का कहना है की अगर आप मुहम्मद को नहीं मानते तो कोई भी मुस्लमान नहीं बनसकता | यह मजहब है, और धर्म में इसके लिए कोई ज़रूरी नहीं की आप किसी इन्सान का बताया,या चलाया हुवा मान्यता को आप मानें | धर्म में परमात्मा के साथ किसी भी बिचोलिया की ज़रूरत ही नहीं, सीधा आप परमात्मा को जानें और उसी का ही आदेश का पालन करें |

सोमवार, सितंबर 16, 2013

आने वाली पीढ़ी को बांझ बनाने के लिए आयरन की नीली गोली दी जा रही हैं?



आजकल कई राज्यों में (विशेष रूप से कांग्रेस तथा सपा शासित) जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि मे आयरन की नीली गोली दी जा रही हैं। ये गोलिया बेहद खतरनाक है।शायद आने वाली पीढ़ी को बांझ बनाने के लिए OXYTOCIN जैसा कोई कैमिकल तो नहीं मिलाया है। क्या बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कोई प्रयोग तो नहीं ? पता नहीं मनमोहन सिंह ने क्या मिला रखा है ?

http://khabar.ndtv.com/news/show/879-chidren-fall-ill-after-consuming-iron-pills-37852
http://www.ehealthme.com/drug_side_effects/Stadol-1887961
http://treato.com/Iron+Supplement,Oxytocin/?a=s 
http://www.p7news.com/state/11623-delhi-200-children-feels-sick-by-eating-iron-tablet.html

छात्राओं के लिए मर्ज बन गई नीली गोली

सामान्य अस्पताल प्रशासन को नहीं छात्राओं के स्वास्थ्य की फिक्र

चिकित्सक की बजाए ट्रेनिंग नर्सों के हाथ में थी छात्राओं के उपचार की कमान

नरेंद्र कुंडू
जींद। छात्राओं में खून की कमी दूर करने के लिए दी जा रही नीली गोलियां अब छात्राओं के लिए मर्ज बन चुकी हैं। मारे दर्द के छात्राओं का दम निकला जा रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी छात्राओं के इस दर्द को नजरअंदाज कर रहे हैं। जींद के सामान्य अस्पताल में तो आलम यह है कि यहां मौजूद चिकित्सक आयरन

 की गोलियां लेने के बाद बीमार होकर आने वाली छात्राओं के उपचार की तरफ ध्यान देना भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहे हैं। http://nkundu.blogspot.in/2013/08/blog-post_9.html अस्पताल प्रशासन के अधिकारी भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही के कारण नीली गोलियों का खौफ छात्राओं के जहन में लगातार बढ़ता जा रहा है। सामान्य अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड में तैनात चिकित्सकों की लापरवाही वीरवार को उस समय फिर उजागर हुई, जब आयरन की गोलियां लेने के बाद तबीयत बिगडऩे पर गांव धनखड़ी के राजकीय उच्च विद्यालय की 11 छात्राओं को उपचार के लिए यहां लाया गया। एमरजैंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक द्वारा इन छात्राओं का ठीक से उपचार करना तो दूर, चिकित्सक ने एक बार भी इन छात्राओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने की जहमत तक नहीं उठाई। एमरजैंसी वार्ड में मौजूद ट्रेङ्क्षनग नर्सों द्वारा इन छात्राओं का उपचार किया गया।
धनखड़ी गांव के राजकीय उच्च विद्यालय में बुधवार को छात्राओं को आयरन की गोलियां बांटी गई थी। स्वास्थ्य विभाग की टीम की मौजूदगी में सभी छात्राओं को आयरन की गोलियां खिलाई गई। गोलियां लेने के बाद बुधवार को तो छात्राएं ठीक-ठाक घर चली गई लेकिन जैसे ही वीरवार सुबह स्कूल में पहुंची तो कई छात्राओं को पेट दर्द, सिर दर्द की शिकायत हुई। स्कूल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी छात्राओं को उपचार के लिए सी.एच.सी. कंडेला में पहुंचाया लेकिन यहां मौजूद स्टाफ ने छात्राओं का उपचार करने की बजाए छात्राओं को जींद के सामान्य अस्पताल में रैफर कर दिया। इसके बाद स्कूल स्टाफ के सदस्य सभी छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में ले आए लेकिन यहां स्थिति वहां से भी बुरी थी। यहां मौजूद स्टाफ ने छात्राओं के साथ आए अध्यापकों से छात्राओं की पर्ची के पैसे की मांग की। इसके बाद अध्यापकों ने अपनी जेब से पैसे खर्च कर छात्राओं की पर्ची बनवाकर छात्राओं का उपचार शुरू करवाया।

ट्रेनिंग नर्सों ने किया छात्राओं का उपचार

सामान्य अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड में मरीजों के उपचार के लिए चिकित्सक तो मौजूद था लेकिन ड्यूटी पर मौजूद इस चिकित्सक ने एक बार भी दर्द से करहा रही छात्राओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने की जहमत नहीं उठाई। वार्ड में मौजूद चिकित्सक द्वारा छात्राओं का उपचार शुरू नहीं करने पर वार्ड में मौजूद ट्रेनिंग नर्सों ने ही छात्राओं का उपचार किया।

जबरदस्ती खिलाई गोलियां

राजकीय उच्च विद्यालय धनखड़ी की 9वीं कक्षा की छात्रा अंजू, माफी, मन्नू, छात्र अंकित, 8वीं कक्षा की छात्रा नीतू, रेनू, रीतू, 7वीं कक्षा की छात्रा अंजू, अन्नू, ज्योति, तथा छठी कक्षा की छात्रा मोनिका ने कहा कि आयरन की गोलियां देने आए स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने ही उन्होंने गोलियां लेने से मना कर दिया था लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जबरदस्ती उन्हें गोलियां खिलाई।

पैसे लेकर बनाई पर्ची

धनखड़ी गांव के राजकीय उच्च विद्यालय के पी.टी.आई. अध्यापक सतबीर ने बताया कि जब वह स्कूल की 11 छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में लेकर पहुंचा तो यहां मौजूद चिकित्सक ने उसे छात्राओं की पर्ची बनवाने को कहा। जब वह पर्ची बनवाने के लिए खिड़की पर पहुंचा तो वहां मौजूद कर्मचारी ने उससे पर्ची के पैसे मांगे। अध्यापक सतबीर ने बताया कि उसने खिड़की पर मौजूद कर्मचारी को पूरे मामले से अवगत करवाया लेकिन वह फिर भी पैसे लेकर पर्ची बनाने की जिद पर अड़ा रहा। इसके बाद उसने अपनी जेब से पैसे देकर पर्ची बनवाई। सतबीर ने बताया कि जब उसने मीडिया के सामने यह मामला रखा तो इसके बाद उसे पैसे वापिस दिलवाए गए।
सामान्य अस्पताल में पिछले 17 दिनों से उपचाराधीन नगूरां की छात्राएं।

सी.एच.सी. कंडेल पर नहीं दिया गया छात्राओं को प्राथमिक उपचार

छात्राओं के साथ आए अध्यापकों ने बताया कि जब वह छात्राओं को उपचार के लिए सी.एच.सी. कंडेला पर लेकर गए तो वहां मौजूद स्टाफ ने छात्राओं का प्राथमिक उपचार करना भी वाजिब नहीं समझा। वहां मौजूद स्टाफ ने बिना प्राथमिक उपचार के ही सभी छात्राओं को जींद के सामान्य अस्पताल में रैफर कर दिया। जबकि वहां छात्राओं के उपचार के लिए वह सभी दवाइयां मौजूद थी जो जींद के सामान्य अस्पताल में छात्राओं को दी
गई।
मीडिया के सामने अपनी बेटी को सरकारी स्कूल नहीं भेजने की जानकारी देते नगूरां की महिला।

स्टाफ नर्स ने बीमार छात्राओं पर झाड़ा रौब

सामान्य अस्पताल में उपचार के लिए आई छात्राएं उस समय बहुत डर गई जब वहां मौजूद स्टाफ नर्स ने उन पर अपना रौब झाडऩा शुरू किया। वहां मौजूद स्टाफ नर्स ने छात्राओं को डांटते हुए कहा कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ है, तुम जानबुझ कर यह ड्रामा कर रही हो। स्टाफ नर्स ने छात्राओं पर बरसते हुए कहा कि अगर अब कि बार किसी भी छात्रा ने पेट दर्द की शिकायत की तो वह उनकी नाक में नलकी डाल देगी। स्टाफ नर्स की इस धमकी के बाद तो छात्राओं की हालत और पतली हो गई। अब वह न तो अपने दर्द को छूपा सकती थी और न ही बयां कर सकती थी।

एक बैड पर हुए 11 छात्राओं का उपचार

आयरन की गोलियां लेने से धनखड़ी गांव के स्कूल की 11 छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद इन छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में लाया गया। यहां पर इन छात्राओं को लेटने के लिए तो क्या ठीक से बैठने के लिए भी जगह नहीं मिली। 11 छात्राओं का उपचार एक बैड पर ही किया गया। एक बैड पर 11 छात्राएं होने के कारण वह इस पर लेट तो क्या ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी।

बाहर से लानी पड़ रही हैं दवाइयां

लगभग 17 दिन पहले आयरन की गोलियां लेने के बाद बीमार हुई नगूरां स्कूल की 2 छात्राओं की तबीयत में अब तक भी कोई सुधार नहीं है। नगूरां स्कूल की 9वीं कक्षा की छात्रा मनीषा के पिता कपूर ङ्क्षसह तथा ताऊ हरकेश ने बताया कि लगभग 17 दिनों से वह अपनी बच्ची का उपचार करवा रहे हैंं लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं है। मनीषा के परिजनों ने आरोप लगाया कि यहां मौजूद चिकित्सकों द्वारा उपचार के लिए उनसे बाहर से दवाइयां मंगवाई जा रही हैं। कपूर सिंह ने कहा कि वह मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। उसकी आॢथक स्थित काफी कमजोर है। इसलिए वह बाहर से दवाइयां लाने में सक्षम नहीं है। वहीं नगूरां गांव की 9वीं कक्षा की छात्रा मोना की मां सावित्री ने कहा कि लगभग 17 दिन पहले उसकी बेटी ने भी आयरन की गोली ली थी और उसी दिन से वह भी बीमार चल रही है। पिछले 17 दिनों से अस्पताल में ही दाखिल है लेकिन इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी उसकी बेटी की हालत में कोई सुधार नहीं है। सावित्री ने कहा कि अब वह कभी भी अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में नहीं भेजेगी।

मानसिक रुप से कमजोर हैं छात्राएं

छात्राओं को ज्यादा दिक्कत नहीं है। उन्होंने खुद एमरजैंसी में जाकर छात्राओं से बातचीत की है और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है। गोलियों के कारण थोड़ा बहुत साइडिफेक्ट हो जाता है। यह इतनी ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है लेकिन कुछ छात्राएं मानसिक रुप से कमजोर होने के कारण ज्यादा डर जाती हैं। नगूरां की जो लड़की पिछले कई दिनों से अस्पताल में दाखिल है, वह भी मानसिक रुप से कमजोर है। इसलिए वह ज्यादा डरी हुई है। उसे उपचार से ज्यादा एकांत की जरुरत है। यहां वह लोगों की ज्यादा भीड़ को देखकर भी भयभीत हो जाती है। सी.एच.सी. कंडेला में तैनात स्टाफ ने इस मामले में लापरवाही की है। इसलिए उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
डा. दयानंद, सिविल सर्जन
सामान्य अस्पताल जींद
हरियाणा सरकार ने मंगलवार को स्वीकार किया कि एक राज्यस्तरीय अभियान के तहत आयरन की गोलियां खाने के लिए दिए जाने के बाद 879 बच्चे बीमार पड़ गए। बच्चों में गोलियों के दुष्प्रभाव के रूप में पेट में दर्द और मिचली आने की शिकायतें पाई गईं। आयरन की गोलियां खाने से 50 बीमार, 8 गंभीर
रेवाड़ी :जिले के गांव मामडिय़ा अहीर के स्कूल में आज आयरन की गोलियां खाने से 50 बच्चे बीमार हो गए। जिसमें 8 बच्चों की गंभीर हालत को देखते हुए रेवाड़ी के ट्रोमा सेन्टर में भर्ती कराया गया। बाकी बच्चों को ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया है। स्कूल के कार्यकारी मुख्याध्यापक सुनील कुमार ने बताया कि आज प्रात: सरकार के आदेश पर बच्चों को आयरन की गोलियां खिलाई गईं। गोलियां खाने के थोड़ी देर बाद ही बच्चों में उल्टी-दस्त व पेट दर्द की शिकायत शुरू हो गई। 8 बच्चों को ज्यादा तकलीफ हुई तो उनको रेवाड़ी के ट्रोमा सेन्टर में भर्ती कराया गया। बाकी बच्चों को खोल व सीहा के स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया।
गुस्साए अभिभावकों ने की स्कूल अध्यापक से हाथापाई
हांसी :राजकीय उच्च विद्यालय सुलतानपुर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई आयरन की गोलियोंं से बीमार पड़े छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने स्कूल में आकर हंगामा कर दिया।
अभिभावकों का कहना था कि स्कूल अध्यापक प्रशासन के रोकने के बावजूद बच्चों को आयरन की गोलियां दे रहा है। उधर स्कू ल के अध्यापक ने एक छात्र के पिता पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने स्कूल में आकर बेवजह अध्यापकों को धमकाना शुरू कर दिया और उनसे गाली गलौच शुरू कर दी। जब उसने उसे ऐसा करने से रोका तो उसने उससे हाथापाई करनी शुरू कर दी, दूसरे अध्यापकों ने बीच-बचाव कर उसे बचाया।
धांसू स्कूल के 26 छात्र बीमार
हिसार :स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को आयरन की गोलियां देने के सघन अभियान के तीसरे दिन भी विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों की हालत खराब हो गई। इस कड़ी में आज धांसू गांव स्थित सरकारी हाई स्कूल के 26 से अधिक विद्यार्थियों की गोली लेने के बाद तबीयत खराब हो गई। पता चलते ही स्कूल प्रशासन तुरंत विद्यार्थियों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में दाखिल कराया गया। वहीं नारनौंद में बीते दिन गोली लेने से बीमार अधिकांश विद्यार्थियों की हालत में अभी सुधार नहीं हुआ है। इसी तरह हांसी के सुल्तानपुरा गांव और बरवाला के बयानाखेड़ा गांव के सरकारी स्कूल में गोली लेने वाले 50 से अधिक विद्यार्थियों के पेट में दर्द की परेशानी दूर नहीं हुई है।
सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
भूना : भूना ब्लॉक के गांव चौबारा में आयरन की गोली खाने से एक दर्जन से अधिक बच्चों की हालात खराब होने पर अभिभावकों ने स्वास्थ्य विभाग व सरकार के खिलाफ जमकर रोष प्रदर्शन किया। अभिभावकों का कहना है कि सरकार आयरन की गोलियां छात्राओं को देने की बजाए उन्हें मिड-डे-मिल में ताजा अनार खिलाए ताकि विद्यार्थियों में खून की कमी न रहे। गांव के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगाया है कि घटिया स्तर की आयरन की गोलियां बच्चों को दी जा रही हैं। जिसके कारण बच्चों का स्वास्थ्य सुधरने की बजाए बिगड़ रहा है।
जींद के घोघडिय़ा गांव में 66 बच्चे अस्पताल में
जींद : आयरन की गोली खाने के बाद जिले के घोघडिय़ा गांव के राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल में आज प्रात: हो रही प्रार्थना सभा में एकाएक छात्र-छात्राओं को चक्कर आने लगे। विद्यार्थी पेट को हाथ से पकड़ कर जमीन पर बैठने लगे। जिसके चलते यहां उपस्थित स्कूल स्टाफड्ड में हड़कंप मच गया। घोघडिय़ा स्कूल में 326 छात्र-छात्राओं को आयरन की गोलियां दी गई थी। अध्यापक अपने-अपने निजी वाहनों में पेट दर्द, उल्टी आने की शिकायत करने वाले विद्यार्थियों को लेकर तुरंत गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य में पहुंचने लगे। स्वास्थ्य केंद्र में 66 छात्र-छात्राओं को पेट दर्द, उल्टी की शिकायत होने पर उपचार के लिए लाया गया।
यहां एकाएक इलाज के लिए विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने पर बेड़ों की संख्या कम पडऩे पर चारपाई पर लेटा कर इलाज किया गया। घटना की जानकारी मिलने के बाद पीडि़त विद्यार्थियों के अभिभावकों का जमघट अस्पताल में लग गया। दोपहर दो बजे तक गंभीर रूप बीमार एक दर्जन विद्यार्थियों को छोड़ सभी को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
कथूरा प्रबंधन कमेटियों के अध्यक्षों ने दिए इस्तीफे ,ग्रामीणों ने मांगी माफी
गोहाना : गांव कथूरा के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयरन की गोलियां खाने के बाद छात्राओं की तबीयत बिगडऩे से उपजे विवाद को लेकर गुरुवार को विद्यालय परिसर में बैठक हुई। बैठक में विद्यालय के शिक्षकों के साथ दुव्र्यवहार करने वाले लोगों ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली। कन्या विद्यालय और गांव के दूसरे राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विद्यालय प्रबंधन समितियों के अध्यक्षों ने अपने पदों से इस्तीफे दे दिए।
झोरडऩाली के दो छात्र बीमार
सिरसा :आयरन की गोली खाने के दूसरे दिन गांव झोरडऩाली के दो स्कूली छात्रों को पेट दर्द की शिकायत के बाद सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। स्कूल के अन्य बच्चों की भांति कक्षा नौ के छात्र सुनील पुत्र कृष्ण तथा आठवीं के छात्र योगेश पुत्र पृथ्वीराज ने दो दिन पहले आयरन की नीली गोली खाई थी।
फरीदाबाद में 20 बच्चे अस्पताल में
http://blog.bharatthakurgroup.com/2013/07/blog-post_8788.html

शनिवार, सितंबर 14, 2013

भारत के मंदिरों से धन लूटने के आधुनिक (सभ्य) तरीका

भारत के मंदिरों से धन लूटने के आधुनिक (सभ्य) तरीका 


किसी ज़माने में जब भारत सोने की चिड़िया हुआ करता था तब आक्रान्ता सेना लेकर आते थे तथा भारत के मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों पर लूटपाट और हत्याएं कर चले जाया करते थे ......

65 वर्ष पूर्व तक अंग्रेज़ भी यही कर रहे थे पर आज 21 वीं सदी में लूटपाट करने का तरीका कुछ बदल गया है l

अब तक तो यही समझा जा रहा था की भारत में अब सब कुछ लुट चूका है और अब लूटने के लिए वो अपार दौलत नहीं बची है पर जैसे ही वर्ल्डबैंक/ IMF जैसी अमरीकी संस्थाओं को भारत के मंदिरों में अपार सोना व अन्य कीमती धातु रूप में अपार धन होने खबर मिली वैसे ही भारत में कार्यरत उनके एजेंटों ने उसे अमरीका भिजवाने का कार्य शुरू कर दिया l

सबसे पहले तो जिन मंदिरों में अपार सम्पदा रखी है उन्हें भारत सरकार ने अपने कब्ज़े में ले लिया साथ ही भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर पद पर अपना व्यक्ति आसीन कर दिया l

अब भारतीय बाजारों से डॉलर निकाल कर रुपये की कीमत को जान बूझ कर कम किया गया तथा मीडिया में भ्रम फैलाया गया की यह सब अन्तराष्ट्रीय हालातों के कारण हो रहा है ......

अब रुपये को स्थिर करने के लिए भारतीय मंदिरों का सोना गिरवी रखने की बात फैला दी गयी जिसके बाद मीडिया में यह भ्रम फैलाया गया की यह पैसा देश के काम आ रहा है .......
जबकी ऐसा बिलकुल नहीं है .......क्योंकि सदियों सोने को ही असल धन माना जाता जिसकी वास्तविक कीमत होती है जबकि करंसी नोट के बदले यदि उतने ही मूल्य का सोना नहीं मिलता तो करंसी नोट की कीमत एक कागज़ के टुकड़े से ज्यादा कुछ नहीं होती.....

यह बात अमरीकी कॉरपोरेट्स द्वारा चालित IMF/वर्ल्डबैंक जैसी संस्थाओं को अच्छे से पता है तथा उन्हें यह भी पता है की इसके दम पर भारत अपना पुराना क़र्ज़ उतार स्वयं सामर्थवान हो सकता है ......इसीलिए इस धन को भारत से लेने के लिए यह सब प्लान रचा गया ......

क्योंकि भारत में अव्वल दर्जे के मूर्खों की कोई कमी नहीं जिन्हें यह अर्थशास्त्र की एक मामूली प्रक्रिया नज़र आ रही है क्योंकि वो इन लूटने वाली संस्थाओं द्वारा चालित न्यूज़ चैनलों पर इनके नौकर अर्थशास्त्रियों के व्याख्यान पढ़ते और सुनते हैं ......

अंग्रेजियत में डूबे इन IMF एजेंटों की डिग्रियों के बोझ तले दबे इन मूर्खों को यह समझने की ज़रूरत, बैठे बिठाये हमारा धन तिजोरी से निकल कर गैर की तिजोरी में कभी वापस ना आने क लिए जा रहा है और बदले में हमें कुछ पैसों का एक कागज़ का टुकड़ा थमाया जा रहा है.......

फिर भी इन्हें इसमें कॉमन सेन्स नहीं सिर्फ अर्थशास्त्र और ऐसा करने वालों की डिग्रियां नज़र आती हैं ..... !!!


world bank,IMF और अमेरिका कैसे भारत को लूटते है विस्तार से जानने के लिए यहाँ click करे !!

http://www.youtube.com/watch?v=elicZLUmp9s

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वन्देमातरम !
#anshuaman

बड़ा झूठ प्रचारित किया जाता है कि अंग्रेजी के बिना कुछ नहीँ हो सकता

अंग्रजी भाषा की डिक्शनरी मेँ मात्र चार लाख शब्द हैँ........!!

मित्रोँ, हमारे देश मेँ एक सबसे बड़ा झूठ प्रचारित किया जाता है कि अंग्रेजी के बिना कुछ नहीँ हो सकता क्योँकि यह पूरे विश्व की भाषा है और सबसे समृद्ध है। आइये आपको अंग्रेजी की सच्चाई बताते हैँ-

1. भारत ही शायद अकेला ऐँसा देश है जहाँ विदेशी भाषा अंग्रजी मेँ शिक्षा दी जाती है। बाकि सभी देश अपनी मातृ भाषा मेँ ही अपनी शिक्षा ग्रहण करते है।
2. पूरे विश्व मेँ सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा चीनी है फिर इसके बाद हिन्दी और तीसरे स्थान पर रुसी भाषा है। अंगेजी का बारहवाँ स्थान है। तो फिर अंग्रेजी पूरे विश्व की भाषा कहाँ से हो गयी?

3. हमारा देश ही एकमात्र अकेला ऐँसा देश है जहाँ विदेशी भाषा मेँ समाचार पत्र छपते हैँ। बाकि किसी भी दूसरे देश मेँ विदेशी भाषा मेँ अखबार नहीँ छपते हैँ। और अगर छपते भी हैँ तो बहुत कम मात्रा मेँ।

4. अंग्रजी भाषा की डिक्शनरी मेँ मात्र चार लाख शब्द हैँ और अंग्रेजी के मूल शब्द सिर्फ 65 हजार हैँ बाकि दूसरे भाषाओँ से चोरी किये हुये शब्द हैँ। इसके विपरीत हिन्दी मेँ 70 लाख तथा संस्कृत मेँ 100 अरब से भी अधिक शब्द हैँ और जिस भाषा का शब्दकोष जितना अधिक होता है वह भाषा उतनी ही अधिक समृद्ध होती है अर्थात अंग्रेजी का व्याकरण सबसे खराब है।

5. दुनिया का कोई भी धर्मशास्त्र और अन्य पुस्तकेँ कभी अंग्रेजी मेँ
नही लिखी गयी। इसके अलावा कोई भी दर्शनशास्त्री, धर्मशास्त्री आजतक
अंग्रेजी भाषा बोलने वाला नहीँ हुआ। रुसो, प्लूटो, अरस्तू इत्यादि इनका अंग्रेजी भाषा से कोई लेना-देना नहीँ था। यहाँ तक की ईसा मसीह की अपनी भाषा कभी भी अंग्रेजी नहीँ रही। ईसा मसीह ने जो उपदेश दिये थे
वो भी अंग्रेजी भाषा मेँ कभी नहीँ दिये। बल्कि ईसा मसीह ने अरमेक भाषा में अपने उपदेश दिए थे। और बाइबिल भी अंग्रेजी भाषा मेँ नहीँ लिखी गयी थी। बल्कि अरमेक भाषा में लिखी गयी थी। अरमेक भाषा की लिपि बिल्कुल बांग्ला भाषा की लिपि के तरह थी।

6. सयुक्त राष्ट्र महासंघ और नासा की रिपोर्ट के अनुसार संस्कृत भाषा कम्प्यूटर के लिये सबसे उत्तम् है क्योँकि इसका व्याकरण शत् प्रतिशत
शुद्ध है। इसके अलावा अंग्रेजों ने दुनिया में सबसे कम वैज्ञानिक शोध
कार्य किये। तो मित्रोँ ये कहानी है अंग्रजी भाषा की और हमारे देश मेँ
बच्चोँ के ऊपर जबरदस्ती अंग्रेजी थोप दी जाती है। तथा बच्चा बेचारा सारी उम्र अंग्रेजी का मारा फिरता रहता है। और उसके सिर्फ अंग्रेजी सीखने के चक्कर मेँ दूसरे महत्वपूर्ण विषय छूट जाते हैँ। इसके अलावा जब सेना के ऑफिसर की भर्ती होती है तो वहाँ भी अंग्रेजी आना जरुरी होता है।
अब अंग्रेजी का फौज से क्या लेना देना। विश्व के ताकतवर देश चीन जापान जर्मनी फ्राँस इत्यादि देश के सैनिक तो अंग्रेजी जानते भी नहीँ हैँ।
तो मित्रोँ हमको इस अंग्रेजियत की गुलामी से बाहर निकलना होगा। क्योँकि किसी भी राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास सिर्फ उनकी मातृभाषा और
राष्ट्रभाषा मेँ हो सकता है।

गुरुवार, सितंबर 12, 2013

गुमनामी बाबा थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस!


गुमनामी बाबा थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस!

Reports India's top Hindi newspaper Jagran in its Kolkata edition of today.

फैजाबाद [कृष्णकांत]। गुमनामी बाबा के अट्ठाइस साल पुराने रहस्य में नया मोड़ आ गया है। राज्य सरकार भी अब उन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस मान रही है। 17 मई को शासन स्तर पर गृहसचिव की अध्यक्षता में बैठक के निर्णयों पर हो रही कार्यवाही से तो यही प्रतीत हो रहा है। शासन और जिला प्रशासन के पत्राचार में गुमनामी बाबा उर्फ भगवन जी को नेताजी सुभाषचंद्र के तौर पर उल्लिखित किया गया है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसी साल 31 जनवरी को गुमनामी बाबा से संबंधित दस्तावेजों को संग्रहालय में रखने व बाबा के संदर्भ में एक आयोग गठित करने का आदेश दिया था। गृहसचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में गुमनामी बाबा यानी नेता सुभाषचंद्र बोस से संबंधित दस्तावेजों को संग्रहालय में रखने का निर्णय तो किया है, लेकिन आयोग गठन शासन ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का भी फैसला किया है। चार सितंबर को गृह अनुभाग से मिले पत्र के बाद जिला मजिस्ट्रेट विपिन कुमार द्विवेदी ने अयोध्या में निर्माणाधीन रामकथा संग्रहालय का चयन दस्तावेजों को रखने के लिए किया है।

रहस्यमय व्यक्तित्व वाले गुमनामी बाबा उर्फ भगवन जी की मृत्यु फैजाबाद के रामभवन में 16 सितंबर 1985 को हुई थी। उनके कमरे व बक्सों से मिले दस्तावेजों से उनकी पहचान नेताजी सुभाषचंद्र बोस के तौर पर होने के संकेत मिले। दस्तावेजों में नेताजी की पारिवारिक तस्वीरें, आजाद हिन्द फौज की वर्दी, जापानी, जर्मन व अंग्रेजी भाषा में लिखे पत्र, समाचार पत्रों पर राजनीतिक टिप्पणियां, नेताजी के जन्मदिवस 23 जनवरी पर टेलीग्राम से दिए गए सैकड़ों बधाई संदेश थे। आजाद हिंद फौज के गुप्तचर शाखा के प्रमुख डॉ. पवित्रमोहन राय के कुछ संदेश भी दस्तावेजों में मिले थे। उच्च न्यायालय के आदेश पर ये साक्ष्य फैजाबाद के कोषागार में डबल लाक में 24 बक्सों में रखे गए हैं।

गौरतलब है कि बरामद इन्हीं साक्ष्यों के मद्देनजर कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित मुखर्जी आयोग ने 14 नवंबर 2005 को केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में माना था कि नेताजी की मौत 1945 की विमान दुर्घटना में नहीं हुई। संसद में मई 2006 में रिपोर्ट पर जमकर बहस हुई थी। संसद ने इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया था।

समाधि बनी श्रद्धा का केंद्र: गुमनामी बाबा की समाधि सरयू के गुप्तारघाट पर स्थित है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश के लोग आते रहते हैं। यह स्थान पर्यटनस्थल के रूप में विकसित हो रहा है। यहां आने वाले अधिकांश लोग पश्चिम बंगाल के होते हैं।
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For an authentic, detailed description of the Bhagwanji/Gumnami Baba angle to the Netaji mystery, read Anuj Dhar's bestselling book "India's biggest cover-up".

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मोबाईल टावर:- सुविधा या जीवन के लिए एक बड़ा खतरा ?


मोबाईल टावर:- सुविधा या जीवन के लिए एक बड़ा खतरा ?
मोबाईल टावरों के विकिरण से गौरैया चिड़ियाओं की प्रजाति समाप्ति की और है, अब घर की छत पर भी गौरैया दिखाई नहीं देतीं, इसके विकिरण की वजह से गौरैया के अन्डे समय से पहले ही फूट जाते हैं, और उससे उनकी प्रजाति को गम्भीर संकट पैदा हो गया है, ....मानव जीवन पर भी इसके दुष्प्रभाव दिखाई देने लगे हैं, पूरी दुनिया में मोबाइल फोन के इस्तेमाल में बहुत भारी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में मानव स्वास्थ्य पर मोबाइल फोन विकिरण का प्रभाव चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। मोबाइल फोन सूक्ष्म तरंग परास में विद्युत चुम्बकीय विकिरण इस्तेमाल करते हैं। समय के दौरान, सेल फोन कॉल प्रतिदिन की संख्या, प्रत्येक कॉल की समयावधि और सेल फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। सेल फोन की तकनीक में भारी बदलाव आया है।सबसे पहले, रेडियो आवृत्ति, तरंगों में ऊर्जा की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है, खासतौर पर जब विकिरणों की उन किस्मों से तुलना की जाए जो कैंसर का खतरा बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं, जैसे कि गामा किरणें, एक्सरे और पराबैंगनी किरणों की रोशनी। सेल फोन टावरों से निकलने वाली तरंगों की ऊर्जा। अणुओं में रासायनिक बंधनों को खंडित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, जिस तरह विकिरण के इन अपेक्षाकृत शक्तिशाली रूपों की वजह से कैंसर हो सकता है।
दूसरा मसला तरंग का है, तरंगों का लंबा तरंग होता है जिसे केवल आकार में केवल एक इंच या दो इंच तक सांद्रित किया जा सकता है। इससे यह असंभाव्य हो जाता है कि UV तरंगों की ऊर्जा को शरीर में अलग-अलग कोशिकाओं को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त रूप से सांद्रित किया जा सकता है।
तीसरे, भले अगर UV तरंगे उच्चतर मात्राओं में शरीर में कोशिकाओं को किसी तरह से प्रभावित कर पाएं, जमीनी स्तर पर मौजूद UV तरंगों की मात्रा बहुत कम है। विलोम वर्ग नियम कहलाने वाले आधारभूत वैज्ञानिक सिद्धांत के कारण संस्तुत सीमाओं से बहुत कम। सेल फोन टावरों के पास UV तरंगों से ऊर्जा की मात्राएं शहरी क्षेत्रों में अन्य स्रोतों जैसे रेडियो एवं टेलीविजन प्रसारण स्टेशनों से UV विकिरण की पृष्ठभूमि मात्राओं से काफी अलग नहीं हैं।
इन्हीं कारणों की वजह से, अधिकांश वैज्ञानिक तर्क देते हैं कि सेल फोन एंटीनाओं या टावरों द्वारा कैंसर पैदा किया जाना असंभाव्य है। 3 विशेषज्ञ एजेंसियां जो आमतौर पर कैंसर पैदा करने वाली अरक्षितताओं (कैंसर जन्य कारक) का वर्गीकरण करती हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर नेशनल टोक्सोलॉजी प्रोग्राम और एन्वायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ने सेल फोन टावरों का उनके कैंसरजन्य संभाव्यता के संबंध में वर्गीकरण नहीं किया है। IARC मोनोग्राफ प्रोगामों के माध्यम से ऐसे पर्यावरणीय कारणों की पहचान करना चाहती है जो मानवों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
सरकार राजस्व वसूली के चक्कर में लोगों के जीवन से खेल रही है, अभी ना जागृत हुए तो समय हाथ से ना निकल जाए
नीरज कौशिक

सोमवार, सितंबर 09, 2013

दलाल मीडिया ने ही भारत को बरबाद किया है

Ignited Mind
जरुर पढ़े .......
ये हैं हमारे आस-पास के हालात ! दिल पर हाथ रखकर कहिये कि क्या ये सच नहीं ?

सवाल ये है कि #मुस्लिम महज़ 15% हो कर भी 85% #हिन्दुओं को कैसे नचाते हैं ? क्यों 85% हिन्दुओं के लिये राजनेताओं को तुष्टिकरण नीति की जरूरत नहीं होती, लेकिन 15% मुस्लिम वोट के लिये वो उसका थूक चाटने को तैयार रहते हैं? बिल्कुल साधारण कारण है। राजनीति-सामाजिक मामलों में मुस्लिमों की एकता !

ऐसा नहीं है कि जाति के आधार पर सिर्फ़ #हिन्दु ही बना हुआ है, मुस्लिमों में भी अंधाधुँध जातिवाद है। बल्कि कयी मामलों में तो हिन्दुओं से भी कहीं ज्यादा। लेकिन जब बात राजनीति की आती है तो मुस्लिम अपने मौलवी की सुनता है। मौलवी ललकार लगाता है कि #बीजेपी को वोट नहीं देना है, #मुल्ला बोलता है, "जी हाँ!"

लेकिन हिन्दुओं में ठीक उल्टा है। वो बिखरा हुआ है। ना सिर्फ़ उसके यहाँ जाति-आधारित वोट पड़ते हैं, बल्कि इस घिनौने जातिवाद से भी ज्यादा घिनौना रूप है उसके दोगले "सेक्युलरिज्म" का। ध्यान दें, "सेक्युलरिज्म" और "दोगला सेक्युलरिज्म" दोनो बिल्कुल ही अलग चीजें हैं। ज्यादातर हिन्दु "सेक्युलरिज्म" के नहीं, बल्कि "दोगले सेक्युलरिज्म" का शिक़ार हैं और अपनी ही नस्ल को जयचँद बनकर खा रहे हैं।

समस्या का हल इसमें नहीं है कि बीजेपी या किसी विशेष राजनीतिक दल को इस चुनाव में जिता दिया जाय। आसार तो हैं कि इस बार ऐसा होगा, क्योंकि हिन्दु अब वास्तव में इस दोगलेपन से उब चुका है। लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने के बावजूद हिन्दु को मुसलमान के बराबर का वाज़िब हक़ मिलने की सम्भावना कम ही है।

फिर क्या इलाज़ है ? इलाज़ है समग्र हिन्दु-एकता। नेता वोट माँगने जायें तो सीध बोलें कि या तो मुस्लिम के विशेष-अधिकार समाप्त करो, या फिर हिन्दु को भी वो सारे अधिकार दो। इस चीज को अपने एजेण्डा में शामिल करो, तभी वोट मिलेगा। इतनी जल्दी तो ये बात सम्भव नहीं हो पायेगी, लेकिन अब वक़्त आ गया है कि हिन्दु को ये लड़ाई लड़नी पड़ेगी, नहीं तो जैसे दूसरे मुल्क़ों में हिन्दु इतिहास बनकर रह गया है, वैसे ही जल्दी ही भारत में भी वो इतिहास की चीज बन जायेगा। फ़ैसला आपका है, भविष्य बनना चाहते हो या इतिहास !

Raju Patel
मैंने हमेशा कहा है की मीडिया ने ही भारत को बरबाद किया है

क्योंकि जब तक हिन्दू मारे जाते हैं मीडिया खामोश रहती है
अभी पिछले साल असम में ६ जुलाई से १५ जुलाई तक हिन्दू मारे
जाते रहे मीडिया खामोश मगर ज्यों ही १६ जुलाई से हिन्दुओं ने

जवाब देना शुरू किया मीडिया दहाड़े मार-२ कर रोने लगी
और एक सांसद जी भी सोनिया के पास जाकर रोने लगे
और सोनिया की भी आँखें डबडबा गई और वहां २० जुलाई को वहां
सेना भेज दी गई

इसीतरह जब मुजफ्फर नगर में लड़की छेड़ने के बाद उस लड़की के भाइयों
को मार डाला गया था
उसी समय अगर पुलिश खुद कड़ी कार्यवाही कर देती और मीडिया भी मामले
को तूल दे देती (हां मीडिया ये नहीं बाताती की मामला हिन्दू मुस्लिम है मगर मीडिया को
ये कहकर मामले को जोर-शोर से उठाना चाहिए था की शोहदों के खिलाफ कार्यवाही होनी
चाहिए)

तो शायद दंगा इतना नहीं बढ़ पाता
मगर मीडिया का जब आदमी खुद दंगे का शिकार हो गया तब मीडिया को याद आया की
इस खबर को दिखाना है इसलिए मैं भारत की बर्बादी में सबसे ज्यादा मीडिया को दोषी
मानता हूँ

जय श्री राम