सोमवार, मई 28, 2012

क्रिश्चियन योगा; हिन्दुत्व के विरुद्ध एक ढोंगपूर्ण षड्यंत्र

एक समय था जब भारत विश्वगुरु व सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। तक्षशिला व नालन्दा तो शिक्षा के वैश्विक केन्द्र थे अन्यथा भारत का प्रत्येक घर विज्ञान व शोध का केन्द्र था। नालंदा जैसे ज्ञान के भव्य मन्दिर 1193 में बख्तियार खिलजी जैसे मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा जलाकर राख़ कर दिए गए। अंग्रेजों ने भी भारतीय विज्ञान को भारी क्षति पहुंचाई। 17वीं सदी से आज तक भारतीय विज्ञान के महान शोधों-सूत्रों को अँग्रेजी नाम देकर छल किए गए और आज अदरक, कालीमिर्च, हल्दी व नीम जैसी पारंपरिक आयुर्वेद की औषधियों के अमेरिका-यूरोप द्वारा पेटेंट कराये जाने के प्रयास हो रहे हैं।
christiasn yogaइन दिनों “क्रिश्चियन योगा” प्रोपगंडा के तहत सनातन भारत का योग विज्ञान निशाने पर है। योग हिन्दू धर्म की मानवता को अभूतपूर्व देन है। योग हिन्दुत्व की नींव भी है और शिखर भी। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि तपस्वी, ज्ञानी व कर्मों में लगे व्यक्ति से भी योगी श्रेष्ठ है अतः अर्जुन तू योगी बन! योग हिन्दुत्व का ध्येय है किन्तु आज क्रिश्चियन मिशनरीज़ द्वारा योग के भी ईसाईकरण अर्थात धर्मांतरण के दुष्प्रयास हो रहे हैं। ईसाई देशों में जहां कई चर्च इस काम में लगे हैं वहीं भारत में निनान पॉल नामक केरल के एक पादरी ने योग के ईसाईकरण का अभियान छेड़ा है।
योग शब्द संस्कृत की “युज्” धातु से बना है जिसका अर्थ है जुड़ना या एक होना अर्थात जीवात्मा का ब्रम्ह के साथ एक हो जाना अर्थात कैवल्य। कैवल्य अर्थात मोक्ष हिन्दू धर्म का विशिष्ट दर्शन है जहां पर प्रत्येक मत अंत में एक हो जाता है क्योंकि “तुम ईश्वर के अंश हो, तुम ही ईश्वर हो, आयमात्मा ब्रम्ह, अहम् ब्रम्हास्मि” ऐसा कहने का साहस भारतीय हिन्दू ऋषियों के अतिरिक्त कोई भी नही कर सका। सभी प्राणियों में एक ईश्वर को देखना ही योग है इसीलिए गीता कहती है समता ही योग है, “समत्वम् योग उच्यते”। स्वामी विवेकानंद ने जब शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में इस दर्शन का उद्घोष किया तो सम्पूर्ण विश्व अचंभित हो गया! विश्व के अन्य सभी नए धर्म स्वर्ग के ऐशों-आराम के वादे तक ही सीमित हैं जबकि हिन्दू धर्म स्वर्ग को निकृष्ट कहकर बेझिझक उसकी अवहेलना कर देता है। भारतीय दर्शन में ब्रम्हत्व की प्राप्ति अर्थात पूर्ण सत्य का दर्शन ही परम उद्देश्य है इसी इसीकारण यहाँ ज्ञान की पूजा होती रही है। योग वस्तुतः जीव-ब्रम्ह के योग का मार्ग है जिसेकि विभिन्न रूपों से स्पष्ट किया गया है। महर्षि पतंजलि के अनुसार “योगश्चित्तवृत्ति निरोंध:” अर्थात चित्त की वृत्तियों (मन) का संयमन ही योग है। माण्डूक्योपनिषद अद्वैत प्रकरण श्लोक 40 भी यही अर्थ स्पष्ट करता है। जन्नत में इंद्रियों के सुख भोगना ही जिस दर्शन का चरम उद्देश्य हो वह योग पर दावा कैसे ठोंक सकता है?
हिन्दू धर्म का प्रत्येक ग्रन्थ योग पर आधारित है। गीता के 18 अध्याय सांख्ययोग, कर्मयोग, भक्तियोग आदि योग अध्याय ही हैं। रामायण-भागवद आदि ग्रन्थ भक्ति योग पर आधारित हैं, सगुण उपासना या मूर्तिपूजा आदि के द्वारा भगवान से एकत्व स्थापित करना ही भक्तियोग या प्रेमयोग है जिसके विषय में गीता के 12वें अध्याय के श्लोक 2 में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि ऐसा योगी मेरे मत में सर्वश्रेष्ठ है । वेद व उपनिषद योग ग्रन्थ ही हैं। ऋग्वेद के मण्डल 1 सूक्त 18 का 7वां श्लोक है कि योग के बिना विद्वान का कोई भी यज्ञकर्म सिद्ध नहीं होता। श्वेताश्वतरोपनिषद का अध्याय 2 गीता के अध्याय 6 की भांति योग प्रक्रिया प्राणायाम-आसन आदि कैसे किए जाएँ यही बताता है, चरमयोग पर तो उपनिषदों का एक-एक मन्त्र ही समर्पित है। गीता में अध्याय 11 श्लोक 4, 9 अध्याय 18 श्लोक 78 आदि स्थानों पर भगवान को योगेश्वर कहा गया है, पुराणों में भगवान शिव के लिए योगीश्वर सम्बोधन आया है। जिस हिन्दुत्व की जड़ से लेकर फल तक सर्वत्र योग की ही अवधारणा हो, जहां ईश्वर को भी योगेश्वर व योगीश्वर कहा जाता हो, जिसने सम्पूर्ण विश्व को योग की शिक्षा दी हो उसे चन्द चर्च-मिशनरीज़ यह बताने का दुस्साहस कर रहे हैं कि योग को हिन्दू धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए? सनातन हिन्दू उपासना पद्धति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्रिकाल संध्या में प्राणायाम आदि योग ही उपासना है! कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी यह कहकर क्रिश्चियन योगा का बचाव करते हैं कि योग व धर्म दो अलग चीजें हैं। यदि वास्तव में ऐसा हैं तो फिर योग को क्रिश्चियन योगा क्यों बनाया जाना चाहिए? भगवान कृष्ण गीता अध्याय 4/1 में कहते हैं कि इस अविनाशी योग विज्ञान को मैंने सूर्य से कहा था, सूर्य ने मनु से, मनु ने इक्ष्वाकु से कहा था। अर्थात हिन्दू धर्म के अनुसार योग का इससे सनातन संबंध है।
क्रिश्चियन योगा में सूर्य नमस्कार व विभिन्न हिन्दू मंत्रों, विशेषकर ॐ, को निकाल कर उसके स्थान पर मनचाहे शब्द रख दिए गए। प्रणव अर्थात ॐ ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति का नाद है, हिन्दू शास्त्रों में प्रणव को योग व उपासना की आत्मा कहा गया है। कठोपनिषद 2/15, प्रश्नोपनिषद पंचम प्रश्न, तैत्तरीयोपनिषद अष्टम अनुवाक, श्वेताश्वरोपनिषद प्रथम अध्याय, मंडूक्योपनिषद आगम प्रकरण आदि सर्वत्र ओंकार के महत्व को बता गया है। हिन्दू योग विज्ञान के आधे भाग को शैतानियत घोषित कर देना और आधे को तोड़मरोड़कर क्रिश्चियानिटी का ठप्पा लगा देना, इससे अधिक संकीर्ण, हास्यास्पद व निंदनीय मानसिकता कुछ नहीं हो सकती।
सम्पूर्ण विश्व में मौलिक संस्कृतियों को नष्टकर ईसाइयत फैलाने के लिए चर्च ने सदैव षडयंत्रों का प्रयोग किया है। भारत में चर्च का इतिहास काफी प्राचीन है किन्तु धर्मांतरण का चक्र तब तक प्रारम्भ नहीं हो सका जब तक पुर्तगाली यहाँ नहीं आए। सोलहवीं शताब्दी के मध्य में प्रसिद्ध पादरी फ्रांसिस ज़ेवियर, जोकि आज सैंट ज़ेवियर के नाम से भारत में पूजे जाते हैं, भारत आए और तटीय क्षेत्रों में परवास मछुआरों को ईसाई बनाने का काम शुरू किया अन्यथा उनकी नावें पुर्तगाली जला देते थे। गोवा आदि क्षेत्रों में हिन्दुओं पर अमानवीय अत्याचार हुए, ब्राम्हणों की निर्मम हत्याएं की गईं। किन्तु विश्व के सबसे सशक्त समझे जाने वाले हिन्दू धर्म की सदियों पुरानी दृढ़ धार्मिक आस्थाओं के कारण चर्च को कुछ विशेष सफलता नहीं मिली। 1604 में डी नोब्ली नामक फ्रांसीसी पादरी भारत भेजा गया जोकि 1606 में मदुरई मिशन का प्रमुख नियुक्त हुआ। भारत में छल कपट व षडयंत्रों से धर्मांतरण की नींव उसने रखी। धर्मांतरण के सभी प्रयासों में असफल होने के बाद उसने पोप पॉल पंचम को पत्र लिखा कि यहाँ मूर्तिपूजकों को ईसाई बनाने के मेरे सभी प्रयास व्यर्थ हो चुके हैं अब मेरे पास कोई और रास्ता नहीं बचा है। पुर्तगालियों द्वारा किए गए अत्याचारों के कारण वे और भी दूर हो गए हैं। इसके बाद नोब्ली ने लोगों को भरमाने के लिए क्रांगनोर के आर्चबिशप से अनुमति लेकर ब्राम्हण बनने का ढोंग किया। संस्कृत तमिल सीखने के साथ साथ उसने जनेऊ, चोटी, तिलक रखना व भगवा कपड़े पहनना भी शुरू का दिया। उसने मदुरई में कोविल (तमिल में मन्दिर) नाम से अपना एक आश्रम बनाया और क्रिश्चियन प्रार्थनाओं को तमिल संस्कृत में रचा, खुद को रोम का ब्राम्हण बताकर उसने आस्थाओं का शोषण करते हुए क्रिश्चियन पाठ पढ़ाना व प्रसाद बांटना शुरू कर दिया। ब्राम्हण दिखने के लिए वो जमीन पर सोना, दांत माँजना व शौच के बाद पानी से सफाई भी करने लगा। इस तरह उसने कुछ वर्षों में 120 हिन्दुओं को पथभ्रमित कर धर्मांतरित कर दिया। सितम्बर 1883 में विवेकानन्द के शिकागो भाषण के बाद विश्व में हिन्दू धर्म का शंखनाद गूँज उठा था जिससे भारत में ईसाई मिशनरीज़ के धर्मांतरण के षडयंत्रों को करारा झटका लगा था। इससे निपटने के लिए एक धर्मांतरित ईसाई भवानीचरण ने ब्रम्हबान्धव नाम से मिशनरीज़ प्रोपगंडा फैलाने के लिए सन्यासी वेशभूषा का डी नोब्ली का पाखण्ड शुरू किया था।
meditating jesusक्रिश्चियन आश्रम का यह षड्यंत्र 1921 से पी. चेंचियह द्वारा सुनियोजित व संगठित तरीके से शुरू किया गया जिसमे पादरियों को सन्यासी वेश-भूषा, शाकाहारी भोजन, व क्रिश्चियनाइज्ड हिन्दू परम्पराओं को अपनाने को कहा गया। ईसामसीह एवं मेरी के हिन्दू ऋषि व हिन्दू महिला की वेशभूषा में चित्र बनाए गए। प्रीस्ट्स को पुजारी के भेष मे दिखाया गया। कई चित्रों में जीसस को योगमुद्रा में दिखाया गया। आश्रमों के नाम भी “क्राइस्टकुल”, “क्राइस्ट सेवा संघ” आदि ईसाइयत मिक्स्ड संस्कृत में रखे गए। विदेशी फ़ंड पर ऐसे आश्रमों की बाढ़ आगई, अपनी संस्कृति परम्पराओं में कठोर निष्ठा रखने वाले आदिवासी व निम्न वर्ग इन जालों में सबसे अधिक फंसे फिर प्रचारित किया गया कि आदिवासी व निम्न जातियाँ अपने को हिन्दू नहीं मानती और स्वेक्षा से ईसाई बन रहे हैं। श्रीराम गोयल जी ने इस विषय पर एक कैथोलिक आश्रम नाम से पृथक पुस्तक ही लिखी है।
हंसों के बींच बगुलों का यह षड्यंत्र आज भी कई रूपों में काम कर रहा है। छोटे-छोटे गावों में कार्यक्रम किए जाते हैं जिनमें भीड़ जुटाने के लिए लाउडस्पीकर पर राम भजन बजाए जाते हैं और बाद में पानी से रोग व शैतानी साया ठीक करने का ढोंग होता है। अगले दिन मरीजों को बताया जाता है कि उनके घरों में मूर्तियाँ रखी हैं इसलिए कृपा नहीं हो रही फिर घर जाकर मूर्तियों को तोड़कर फेंका जाता है उनकी जगह क्राइस्ट मेरी की मूर्ति रख दी जाती है और फिर पैसे दिए जाते हैं और गले में क्रॉस लटका दिया जाता है। 2008 में उत्तर प्रदेश के कस्बे में मैंने इस पूरे षड्यंत्र को पहली बार देखा था। समाज व धर्मों को जानने की इस यात्रा में एक पादरी से मेरी पहली मुलाक़ात 12-13 वर्ष की आयु पर हुई थी जिसमें उसने मुझे ईसामसीह पर एक कॉमिक्स की तरह एक किताब कुछ अन्य किताबों के साथ दी थी। उसके पीछे एक फॉर्म था जिसे भरके भेजने पर उधर से रुपए आते थे। साथ में “क्राइस्ट गीता” नाम से एक किताब थी जिसमें गीता की नकल पर 18 अध्याय रचे गए थे। क्राइस्ट गीता व क्राइस्ट रामायण व सत्संग उसी सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा हैं जिसके अंतर्गत आज “क्रिश्चियन योगा” का प्रोपगंडा शुरू हुआ है, इसे इंडीजेनाइज्ड क्रिश्चियानिटी कहते हैं।
इंडीजेनाइज्ड क्रिश्चियानिटी व क्रिश्चियन योगा चर्च का गहरा षड्यंत्र है। इससे न सिर्फ अपनी परम्परा संस्कृति से दृढ़ता से चिपके हिंदुओं को धर्मांतरित किया जा रहा है साथ ही यह चर्च के ढहते साम्राज्य को बचाने का प्रयास भी है। इंद्रियसुखों के लालच पर टिका संकीर्ण एकेश्वरवाद आज पराभूत हो रहा है, हजारों लाखों की संख्या में पश्चिमी नागरिक हरिद्वार वृन्दावन आदि स्थानों पर हिन्दू धर्म की सघन स्वतन्त्र अध्यात्म शाखाओं की छांव में आश्रय ले रहे हैं, अमेरिका में लगभग 20 मिलियन लोग योग की शरण में आ चुके हैं। हिन्दुत्व एकेश्वरवाद का दुराग्रह नहीं करता अपितु विभिन्न मार्गों की प्रस्तीर्ण शाखाओं को अन्त में मूल में एक चरम बिन्दु पर मिला देता है। गीता 15/1 व कठोपनिषद 2/3/1 आदि हिन्दू शास्त्रों में “ऊर्ध्वमूलमधःशाखम्….” रूपी वृक्ष का उल्लेख किया है जिसमें विभिन्न शाखाओं के बाद भी मूल में मात्र ब्रम्ह ही है। विविधता में एकता का ऐसा उदार व वास्तविक सन्देश विश्व का कोई और दर्शन कभी दे ही नहीं सका। पी. चेंचियाह ने अपनी पुस्तक “द हिन्दू” में स्वीकार किया है कि हिन्दू धर्म में योग जैसे अनूठे साधन हैं जोकि व्यक्ति को असीम ऊंचाई तक उठा सकता है जबकि क्रिश्चियानिटी के पास ऐसा कुछ भी नहीं है। क्रिश्चियानिटी की इस गरीबी को ढंकने के लिए, बाबजूद इसके कि चर्च खीज में कई बार योग को शैतानी काम घोषित कर चुकी हैं क्योंकि योग प्रत्येक रूप में अंर्त या बाह्य प्रकृति की उपासना ही है और बाइबल व्यवस्था विवरण 17/2-4 में कहती है की सूर्य चन्द्रमा अथवा देवी देवता पूजकों को तुम पत्थरों से मार डालो, हिन्दू अध्यात्म योग विज्ञान पर डकैती डालने के प्रयास हो रहे हैं। यह वैटिकन के सम्पूर्ण विश्व के ईसाईकरण के प्रयास का एक हिस्सा है। पॉप जॉन पॉल II ने 6 नवम्बर 1999 को भारत में खड़े होकर इस बात की घोषणा की थी कि पहली सहस्राब्दि में यूरोप और दूसरी सहस्राब्दि में अमेरिका एवं अफ्रीका में हमने क्रॉस गड़ा दिया अब तीसरी सहस्राब्दि में एशिया की बारी है। यह पॉप की केवल एक गर्वोक्ति नहीं थी, यह का सुनियोजित प्लान है जिसे वैटिकन ने 18 अप्रैल 1998 से मई 1998 के बींच रोम में आयोजित ईसाई धर्मसभा में “एक्लेसिया इन एशिया” नाम से पारित किया गया था।
हिन्दुओं को इन हथकंडों को समझना होगा, योग का ईसाईकरण हिन्दू संस्कृति के ईसाईकरण का षड्यंत्र है, हिन्दुओं के ईसाईकरण का षडयंत्र है, “एक्लेसिया इन एशिया” के अंतर्गत भारत के ईसाईकरण का षड्यंत्र है। यदि हमने अपनी उदारता को उदासीनता से बाहर नहीं निकाला तो सनातन भारतीय संस्कृति का गौरव इतिहास में सिमट जाएगा, ग्रीक जैसे देश व भारत में मिज़ोरम, नागालैंड, केरल जैसे राज्य इसके ज्वलंत प्रमाण हैं।
.वासुदेव त्रिपाठीhttp://tripathivasudev.jagranjunction.com/2012/05/27/christian_yoga_against/

शुक्रवार, मई 25, 2012

देश में चल रहे गुप्त षड्यंत्र को समझने के लिए कृपया पांच मिनट दीजिए *

‎* देश में चल रहे गुप्त षड्यंत्र को समझने के लिए कृपया पांच मिनट दीजिए *

लेख से पहले आपको एक सच्ची कहानी सुनाना चाहता हूँ::

हमारे देश में एक महान वैज्ञानिक हुए हैं प्रो. श्री जगदीश चन्द्र बोस। भारत को और हम भारतवासियों को उन पर बहुत गर्व है। इन्होने सबसे पहले अपने शोध से यह निष्कर्ष निकाला कि मानव की तरह पेड़ पौधों में भी भावनाएं होती हैं। वे भी हमारी तरह हँसते खिलखिलाते और रोते हैं। उन्हें भी सुख दुःख का अनुभव होता है और श्री बोस के इस अनुसंधान की तरह इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।

श्री बोस ने शोध के लिये कुछ गमले खरीदे और उनमे कुछ पौधे लगाए। अब इन्होने गमलों को दो भागों में बांटकर आधे घर के एक कोने में तथा शेष को किसी अन्य कोने में रख दिया। दोनों को नियमित रूप से पानी दिया, खाद डाली। किन्तु एक भाग को श्री बोस रोज़ गालियाँ देते कि तुम बेकार हो, निकम्मे हो, बदसूरत हो, किसी काम के नहीं हो, तुम धरती पर बोझ हो, तुम्हें तो मर जाना चाहिए आदि आदि। और दूसरे भाग को रोज़ प्यार से पुचकारते, उनकी तारीफ़ करते, उनके सम्मान में गाना गाते। मित्रों देखने से यह घटना साधारण सी लगती है। किन्तु इसका प्रभाव यह हुआ कि जिन पौधों को श्री बोस ने गालियाँ दी वे मुरझा गए और जिनकी तारीफ़ की वे खिले खिले रहे, पुष्प भी अच्छे दिए।

तो मित्रों इस साधारण सी घटना से बोस ने यह सिद्ध कर दिया कि किस प्रकार से गालियाँ खाने के बाद पेड़ पौधे नष्ट हो गए अर्थात उनमे भी भावनाएं हैं।

मित्रों जब निर्जीव से दिखने वाले सजीव पेड़ पौधों पर अपमान का इतना दुष्प्रभाव पड़ता है तो मनुष्य सजीव सदेह का क्या होता होगा ?
वही होता है जो आज हमारे भारत देश का हो रहा है।

500 -700 वर्षों से हमें यही सिखाया पढाया जा रहा है कि तुम बेकार हो, खराब हो, तुम जंगली हो, तुम तो हमेशा लड़ते रहते हो, तुम्हारे अन्दर सभ्यता नहीं है, तुम्हारी कोई संस्कृति नहीं है, तुम्हारा कोई दर्शन नहीं है, तुम्हारे पास कोई गौरवशाली इतिहास नहीं है, तुम्हारे पास कोई ज्ञान विज्ञान नहीं है आदि आदि। मित्रों, अंग्रेजों के एक एक अधिकारी भारत आते गए और भारत व भारतवासियों को कोसते गए। अंग्रजों से पहले ये गालियाँ हमें फ्रांसीसी देते थे, और फ्रांसीसियों से पहले ये गालियाँ हमें पुर्तगालियों ने दीं। इसी क्रम में लॉर्ड मैकॉले का भी भारत में आगमन हुआ। किन्तु मैकॉले की नीति कुछ अलग थी। उसका विचार था कि एक एक अंग्रेज़ अधिकारी भारतवासियों को कब तक कोसता रहेगा ? कुछ ऐसी स्थायी व्यवस्था करनी होगी कि हमेशा भारतवासी खुद को नीचा ही देखें और हीन भावना से ग्रसित रहें।

इसलिए उसने जो व्यवस्था दी उसका नाम रखा Education System. सारा सिस्टम उसने ऐसा रचा कि भारतवासियों को केवल वह सब कुछ पढ़ाया जाए जिससे वे हमेशा गुलाम ही रहें और उन्हें अपने धर्म संस्कृति से घृणा हो जाए। इस शिक्षा में हमें यहाँ तक पढ़ाया कि भारतवासी सदियों से गौमांस का भक्षण कर रहे हैं। अब आप ही सोचे यदि भारतवासी सदियों से गाय का मांस खाते थे तो आज के हिन्दू ऐसा क्यों नहीं करते ? और इनके द्वारा दी गयी सबसे गंदी गाली यह है कि हम भारतवासी आर्य बाहर से आये थे। आर्यों ने भारत के मूल द्रविड़ों पर आक्रमण करके उन्हें दक्षिण तक खदेड़ दिया और सम्पूर्ण भारत पर अपना कब्ज़ा ज़मा लिया और हमारे देश के वामपंथी चिन्तक आज भी इसे सच साबित करने के प्रयास में लगे हैं।

इतिहास में हमें यही पढ़ाया गया कि कैसे एक राजा ने दूसरे राजा पर आक्रमण किया। इतिहास में केवल राजा ही राजा हैं प्रजा नदारद है, हमारे ऋषि मुनि नदारद हैं। और राजाओं की भी बुराइयां ही हैं, अच्छाइयां गायब हैं। आप जरा सोचे कि अगर इतिहास में केवल युद्ध ही हुए तो भारत तो हज़ार साल पहले ही ख़त्म हो गया होता और राजा भी कौन कौन से गजनी, तुगलक, ऐबक, लोदी, तैमूर, बाबर, अकबर, सिकंदर जो कि भारतीय थे ही नहीं। राजा विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान गायब हैं। इनका ज़िक्र तो इनके आक्रान्ता के सम्बन्ध में आता है। जैसे सिकंदर की कहानी में चन्द्रगुप्त का नाम है। चन्द्रगुप्त का कोई इतिहास नहीं पढ़ाया गया और यह सब आज तक हमारे पाठ्यक्रमों में है।

इसी प्रकार अर्थशास्त्र का विषय है। आज भी अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले बड़े बड़े विद्वान् विदेशी अर्थशास्त्रियों को ही पढ़ते हैं। भारत का सबसे बड़ा अर्थशास्त्री चाणक्य तो कही है ही नहीं। उनका एक भी सूत्र किसी स्कूल में भी बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता। जबकि उनसे बड़ा अर्थशास्त्री तो पूरी दुनिया में कोई नहीं हुआ।

दर्शनशास्त्र में भी हमें भुला दिया गया। आज भी बड़े बड़े दर्शनशास्त्री अरस्तु, सुकरात, देकार्ते को ही पढ़ रहे हैं जिनका दर्शन भारत के अनुसार जीरो है। अरस्तु और सुकरात का तो ये कहना था कि स्त्री के शरीर में आत्मा नहीं होती वह किसी वस्तु के समान ही है, जिसे जब चाहा बदला जा सकता है।
आपको पता होगा 1950 तक अमेरीका और यूरोप के देशों में स्त्री को वोट देने का अधिकार नहीं था। आज से 20-22 साल पहले तक अमेरीका और यूरोप में स्त्री को बैंक अकाउंट खोलने का अधिकार नहीं था। साथ ही साथ अदालत में तीन स्त्रियों की गवाही एक पुरुष के बराबर मानी जाती थी।
इसी कारण वहां सैकड़ों वर्षों तक नारी मुक्ति आन्दोलन चला तब कहीं जाकर आज वहां स्त्रियों को कुछ अधिकार मिले हैं। जबकि भारत में नारी को सम्मान का दर्जा दिया गया। हमारे भारत में किसी विवाहित स्त्री को श्रीमती कहते हैं। कितना सुन्दर शब्द हैं श्रीमती जिसमें दो देवियों का निवास है।
श्री होती है 'लक्ष्मी' और मति यानी 'बुद्धि' अर्थात सरस्वती। हम औरत में लक्ष्मी और सरस्वती का निवास मानते हैं। किन्तु फिर भी हमारे प्राचीन आचार्य दर्शनशास्त्र से गायब हैं। हमारा दर्शन तो यह कहता है कि पुरुष को सभी शक्तियां अपनी माँ के गर्भ से मिलती हैं और हम शिक्षा ले रहे हैं उस आदमी की जो यह मानता है कि नारी में आत्मा ही नहीं है।

चिकित्सा के क्षेत्र में महर्षि चरक, सुश्रुत, धन्वन्तरी, शारंगधर, पतंजलि सब गायब हैं और पता नहीं कौन कौन से विदेशी डॉक्टरों के नाम हमें रटाये जाते हैं। आयुर्वेद जो न केवल चिकित्सा शास्त्र है अपितु जीवनशास्त्र है वह आज पता नहीं चिकित्सा क्षेत्र में कौन से पायदान पर आता है ?

तो मित्रों सदियों से हमें वही सब पढ़ाया गया कि हम कितने अज्ञानी हैं, हमें तो कुछ आता जाता ही नहीं था, ये तो भला हो अंग्रेजों का कि इन्होने हमें ज्ञान दिया, हमें आगे बढ़ना सिखाया आदि आदि। यही विचार ले कर लॉर्ड मैकॉले भारत आया जिसे तो यह विश्वास था कि स्त्री में आत्मा नहीं होती और वह हमें शिक्षा देने चल पड़ा। हम भारतवासी जो यह मानते हैं कि नारी में देवी का वास है उसे मैकॉले की इस विनाशकारी शिक्षा की क्या आवश्यकता है ?

उस शिक्षा पद्धति जो हमें नारी को पब, डिस्को और बीयर बार में ले जाना सिखा रही है, क्यों ???

सोचिए जरा !!

सोमवार, मई 21, 2012

महात्मा गान्धी- कुछ अनकहे कटु तथ्य


महात्मा गान्धी- कुछ अनकहे कटु तथ्य
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।

2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है।

3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।

4.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।

5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।

6.गान्धी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।

7.गान्धी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।

8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।

9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।

10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।

11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।

12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।

13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।

14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।

15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।

16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।

उपरोक्त परिस्थितियों में नथूराम गोडसे नामक एक देशभक्त सच्चे भारतीय युवक ने गान्धी का वध कर दिया।
न्य़यालय में चले अभियोग के परिणामस्वरूप गोडसे को मृत्युदण्ड मिला किन्तु गोडसे ने न्यायालय में अपने कृत्य का जो स्पष्टीकरण दिया उससे प्रभावित होकर उस अभियोग के न्यायधीश श्री जे. डी. खोसला ने अपनी एक पुस्तक में लिखा-
"नथूराम का अभिभाषण दर्शकों के लिए एक आकर्षक दृश्य था। खचाखच भरा न्यायालय इतना भावाकुल हुआ कि लोगों की आहें और सिसकियाँ सुनने में आती थींऔर उनके गीले नेत्र और गिरने वाले आँसू दृष्टिगोचर होते थे। न्यायालय में उपस्थित उन प्रेक्षकों को यदि न्यायदान का कार्य सौंपा जाता तो मुझे तनिक भी संदेह नहीं कि उन्होंने अधिकाधिक सँख्या में यह घोषित किया होता कि नथूराम निर्दोष है।"

शुक्रवार, मई 18, 2012

ज्ञान धर्म से बड़ा है,वेद ज्ञान से धर्म स्थापना करें


मुस्लिम और आर्यों में भेद और लड़ाई क्यों,
बहुत से आर्य इस बात का दावा करते है, की जो अरब देशो से मुस्लिम आये है वो सब हजारो साल पहले आर्य ही थे, इसके लिए कुछ शक्तिशाली प्रमाण भी वो लोग देते है,
आर्यों के पास वेद ज्ञान था, मै ही नहीं सब मानते है वेद ज्ञान ही मानव को जीने और परमात्मा जानने का सूत्र है, मेने पश्चिम सभ्यता के बहुत से फिलोसोफेर से बात की वेद ज्ञान के बारे में, जो लोग वेद को जानते थे उन्होंने बस यही कहा की वेद ही एक एसा ज्ञान है जिस से हम संतुस्ट हुए है,
फिर दोस्तों इस संसार में ऐसी क्या जरुरत थी की नये धर्म बन गये, जैसे इस्लाम और इसाई,
आर्यों की ही किताबो से पड़कर पता चला वेद का प्रचार कम हो गया था, और लोग जीना भूल गये थे, मांसाहार और विस्य्वासना में फंस रहे थे, फिर कुछ उस समय के जो धार्मिक लोग थे जैसे मोहोमद पैगम्बर लोगो को अपने ज्ञान के आधार पे चलाना चाहा, और एक नये धर्म की स्थापना की, इस्लाम धर्म की, लेकिन मोहोमद पैगम्बर को वेद का पूरा ज्ञान नहीं था, इसलिए धर्म स्थापना में उन्होंने कई त्रुटी कर दी, और इस्लाम धर्म के मोल्वियो ने उन्हें एक गलत रूप दे दिया, लोगो को जबरन मुस्लिम बनाया गया, भारत देश में भी,
जो लोग भारत में मुसलमान है उनमे से ज्यादातर औरंगजेब के शाशन से पहले हिन्दू ही थे,
तो फिर इन सब को वेद ज्ञान, से दोबारा वैदिक नहीं बनाया जा सकता है क्या? , माना कि कट्टरता, मतान्द, अज्ञान, या फिर अपूर्ण ज्ञान रस्ते के रूकावट है, लेकिन हमारे पास वेद है ना, अब आर्यों पे ये जिम्मेवारी है या तो वो वेद ज्ञान से धर्म स्थापना करें, या फिर मुसलमानों को मुर्ख समज कर वेद ज्ञान को कमजोर साबित करें
अगर वेद एक सम्पूर्ण ज्ञान है तो मुसलमान क्यों उसए मान ने के लिए तैयार नहीं, या फिर को सच्चा वेद ज्ञान देने वाला नहीं, मतलब कमी तो है, या तो मुसलमान लोग अपनी धर्म कि मतान्द्ता से ज्यादा जुड़े हुए है, या फिर कोई वेद ज्ञान का ठोस प्रचारक नहीं है,
अंत में मै यही कहूँगा ज्ञान ही सबसे बड़ा हथियार है, ज्ञान ही इस कट्टरता को खत्म कर सकता है, लेकिन कट्टरता यहाँ ज्ञान को खत्म कर रही है, इसलिए इस ज्ञान के हथियार को चलाने के लिए जिस ज्ञानी कि जरुरत है वो दुनिया में है ही नहीं है, लेकिन सायद आप आर्यों में कोई एसा हो
इसलिए बाबा रामदेव ने इसे ही कुछ विचार रखकर सभी धर्मो के दलितों के आरक्षण कि बात कही थी, बाबा को कुछ सम्भावना दिख रही है, आप लोग भी संभवना देखो, लेकिन सियासती ( पोलिटिक्स) आधार पे नहीं, ज्ञान के आधार पे, मै तो यही मानता हु कि ज्ञान धर्म से बड़ा है,
  
Virender Singh
August 10, 2011 

गुरुवार, मई 17, 2012

गुरुत्वाकर्षण शक्ति कि खोंज न्यूटन ने की ,ये हमारे लिए शर्म की बात है.

जिस समय न्यूटन के पुर्वज जंगली लोग थे ,उस समय मह्रिषी भाष्कराचार्य ने प्रथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था. किन्तु आज हमें कितना बड़ा झूंठ पढना पढता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति कि खोंज न्यूटन ने की ,ये हमारे लिए शर्म की बात है.

भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।
मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो
विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।
- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश
आगे कहते हैं-

आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं
गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति
समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।
- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश

अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं।

ऐसे ही अगर यह कहा जाय की विज्ञान के सारे आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके प्रमाण उपलब्ध हैं ! आवश्यकता स्वभाषा में विज्ञान की शिक्षा दिए जाने की है !

गुरुवार, मई 10, 2012

शिया के अनुसार सुन्नी मुसलमान नहीं होते ......bu kumar Sushil Kumar

शिया के अनुसार सुन्नी मुसलमान नहीं होते ......bu kumar Sushil Kumar

मेरे पिछले पोस्ट (अजान में और नमाज में विवाद !!) मै कमेन्ट आया की शिया मुसलमान नहीं होते है ==== जब मने जानकारी इकठ्ठा करनी शुरू की तो पता चला की (शिया के अनुसार सुन्नी मुस्लमान नहीं होते ) शिया सुन्नी को काफ़िर कहता है और सुन्नी शिया को ............................. ==== शियाओं की मुख्य किताबें यह हैं 1نهج البلاغ .नहजुल बलाग 2 .اُصول كافيउसूले काफी 3 .حياة القُلوبहयातुल कुलूब 4 .और حقُّ الايمانहक्कुल ईमान . कुछ समय पाहिले मैंने उर्दू में एक किताब " शिया सुन्नी इख्तिलाफात "पढ़ी ,जिसे मौलाना "नौमानी "ने लिखा है .और यह किताब एक सुन्नी साईट http://ahanaf .com में उपलब्ध है . मौलाना नौमानी ने अपनी इस किताब में जो लिखा है ,वह ज्यों का त्यों उर्दू से हिंदी में लिखा जा रहा है - "शियाओं के कुफ्रिया अकायद (मान्यताएं )और तकफीर (नास्तिकता )के लिए उनको काफ़िर करार दिया जा सकता है .शिया अपने कौल और अमल के खिलाफ कम करते हैं.और अपनी किताबें छुपाते हैं .इसलिए उनको मुनाफिक (कपटी )जिन्दीक (भ्रष्ट )और काफ़िर करार दिया जा सकता है .शियाओं को कोई सुन्नी मुसलमान बर्दाश्त नहीं कर सकता है .क्योंकि शियाओं के अकायद यह है - ................... 1 -शियाओं के अकायद. ................ " इमाम के बगैर दुनिया कायम नहीं रह सकती है ."उसूल काफी -पेज 103 "इमाम को मानना ईमान की शर्त है "उसूल काफी -पेज 105 "इमाम की अताअत फर्ज है "उसूल काफी -पेज 109 "इमाम जिसे चाहें हलाल और जिसे चाहें हराम कर सकते हैं "उसूल काफी -पेज 278 "शिया जालिम और फ़ासिक भी हो ,तोभी जन्नत में जायेगा "उसूल काफी -पेज 238 "शिया मुसहफे फातिमा को असली कुरान मानते हैं .इमाम जफ़र के मुताबिक यह कुरान से तिन गुना बड़ी थी "उसूल काफी -पेज 146 "इमाम जफ़र ने कहा कि जो अपने दीन(धर्म )को छुपाकर रखेगा ,अल्लाह उसे इज्जत देगा ,और जो अपने दीन को जाहिर कर देगा अल्लाह उसे रुसवा और जलील कर देगा "उसूल काफी -पेज 458 "इमाम दुनिया और आखिरत के मालिक हैं ,वह जिसे चाहें बक्श(क्षमा )कर सकते हैं "उसूल काफी -पेज 259 "इमाम जफ़र ने कहा कि दीन के दस हिसे हैं ,जिसमे से नौ हिस्से शियाओं के पास है .बाकी सब बे दीन (अधर्मी )हैं "उसूल काफी -पेज 486 2 -कुरान में तब्दीली और कमीबेशी .................... "शिया लोगों का अकीदा है कि ,कुरान में तब्दीली ,और कमीबेशी कि गयी है .इमाम जाफर ने कहा कि असली कुरान जो मुहमद पर नाजिल हुई थी उसमे 17000 आयतें थीं "उसूल काफी -पेज 671 "कुरान का दो तिहाई हिस्सा गायब कर दिया गया है "उसूल काफी ,फासले ख़िताब -पेज 70 "शियाओं का दावा है कि ,असली कुरान तो वह था ,जो अली ने मुरत्तिब (सम्पादित )किया था .और असली कुरान आज इमाम मेंहदी ले पास है " उसूल काफी -पेज 139 "कुरआन से पंजतन पाक (मुहम्मद के परिवार के लोग ,फातिमा ,अली ,हसन और हुसैन ) के बारे में और इमामों के बारे में जो भी लिखा था उसे निकाल दिया गया ,और कुरान में तहरीफ़ की गयी है "उसूल काफी -पेज 623 "अबूबकर ,उस्मान और उमर ने कुरान को बदल दिया था ,इसके लिए यह लोग मुजरिम और काफ़िर हैं "उसूल काफी -पेज 647 3 -सहाबा और तीन खलीफा जहन्नमी और लानती हैं ........................ "इमाम के मायने अली ,कुफ्र का मतलब अबू बकर ,और फस्क का मतलब उस्मान और उमर है "उसूल काफी -पेज 269 "जो अली की इमामत से इन्कार करे वह जहन्नमी है "उसूल काफी -पेज 270 "जिस तरह अल्ल्लाह ने रसूल को नामजद (नियुक्त )किया था ,उसी तरह अली कोऔर 12 इमामों को नामजद किया था "उसूल काफी -पेज 170 "अबू बकर ने खिलाफत पर बैठने से पहिले शैतान से बैयत (प्रतिबद्धता )की थी "फरोगे काफी -किताबे रौजा -पेज 159 और 160 "यह तीनों खलीफा (अबू बकर ,उस्मान ,उमर )और सभी सहबा मुर्तद और फासिक हैं "उसूल काफी -किताब रौजा -पेज 115 "अल्लाह के कामों में गलती भी हो सकती है ,जिसे बदा(بدا )कहा जाता है "उसूल काफी -पेज 814 "इमाम रजा ने कहा है की अल्लाह ने हमें "बदा "का अधिकार देकर भेजा है "उसूल काफी -पेज 86 4 -जब इमाम मेहदी प्रकट होंगे तो - ..................... "जब इमाम मेहदी आयेंगे तो ,रसूल उनसे बैयत करेंगे "हक्क्कुल यकीन-पेज 139 " "मुहम्मद की पत्नी आयशा को जिन्दा करेंगे ,और उससे फातिमा के ऊपर किये गए जुल्मों का इंतकाम लेंगे .और आयशा को दर्दनाक सजाएँ देंगे " हक्कुल यकीन -पेज 145 "अबू बकर उस्मान और उमर को कब्र सेनिकाला जायेगा और जिन्दा करके हजारों बार सूली पर चढ़ाया जायेगा "हक्कुल यकीन -पेज 145 "काफिरों से पहिले ,इन तीनों खलीफाओं और सहबिओं को सजा दी जाएगी .और बार बार जिन्दा करके क़त्ल किया जायेगा .फिर इनको नेस्तनाबूद कर दिया जायेगा "हक्कुल यकीन जिल्द 2 पेज 527 "आयशा और हफ्शा ने रसूल को जहर दिया था .और शहीद किया था .इनको किये की सजा दी जाएगी "हयातुल कुलूब -पेज 870 "जब इमाम मेहदी आएंगे तो ,आयशा को जिन्दा करके उस पर कोड़े लगायेगे "हक्कुल यकीन .जिल्द 2 पेज 361 "इमाम मेहदी काफिरों से पहिले सुन्नियों क़त्ल करवाएंगे "हक्कुल यकीन .जिल्द 2 पेज 527 "शिया मानते हैं कि रसूल कि मौत के बाद ही सारे सुन्नी मुरतद(धर्म भ्रष्ट ) हो गए थे ,सिवाय अबू जर और सलमान फारसी के ' उसूल काफी .जिल्द 3 पेज 115 5 -शिया -सुन्नी में अंतर ....................... शिया सुन्नी में मुख्य अंतर यह है 1 .शिया इमामों को और सुन्नी खलीफाओं को मानते हैं 2 .दौनों की अजाने और नमाजों के तरीके अलग हैं . 3 -शिया तीन बार और सुन्नी पांच बार नमाज पढ़ते है . 4 .शिया अस्थाई शादी "मुतआ "करते है . 5 .शिया सिर्फ अली को मानते हैं .बाकी सभी खलीफाओं और सहबियों को मुनाफिक (पाखंडी )गासिब (लुटेरा )जालिम (क्रूर )और इमां से खाली मानते हैं . 6 .शियाओं का नारा है "नारा ए हैदरी "और "या अली है . 7 .शिया मानते हैं कि सुन्नियो ने ही इमाम हुसैन को क़त्ल किया था .और सुन्नी अपराधी हैं. 8 .शिया यह भी मानते हैं कि ,मुहमद की पत्नी आयशा और हफ्शा चरित्रहीन और षडयंत्रकारी थी इन्हीं ने मुहम्मद को जहर देकर मारा था ................. शिया सुन्नी नमाज में अंतर --- ................. जिस तरह से शिया और सुन्नियों के विचार एक दूसरे से विपरीत और भिन्न हैं, उसी तरह उनकी अजान, नमाज भी अलग हैं. 1. शिया दिन में सिर्फ तीन बार नमाज पढ़ते हैं, और मगरिब के साथ ईशा की नमाज मिला देते है. सुन्नी पांच बार नमाज पढ़ते हैं. 2. सुन्नी हाथ बांध कर और शिया हाथ खोलकर नमाज पढ़ते हैं. 3. शिया "खैरल अमल " शब्द अधिक कहते हैं. 4. सुन्नी सजदे के समय जमीन पर सर रखते हैं, शिया किसी लकड़ी के बोक्स या ईंट पर सर रखते हैं. 5- शिया दुआ के बाद "आमीन " शब्द नहीं बोलते. 6 -तबर्रा धिक्कार . तबर्रा एक प्रकार की गाली (Insult )जो शिया मुहर्रम के महीने के एक तारीख से दस तारीख तक अपनी मजलिसों में खलीफाओं सहबियों और सुन्नियों को देते है .शिया बहुल क्षेत्रों जैसे लखनऊ ,हैदराबाद में तबर्रा खुल कर कहा जाता है .तबर्रा कविता के रूप में बोला जाता है .दक्खिन के शासक " قلي قتب شاهकुली क़ुतुब शाह "ने तबर्रा की एक पूरी किताब ही लिख दी है .जो दक्खिनी बोली में है .उसका एक नमूना देखिये - "इमामां पर हुए जो जुल्म नको पूछो मुसलमाना ये बातां तुम से कहने में कलेजा मुंह को आया है , सुवर के गू में मून्छियाँ दाढ़ियाँ यजीदियाँ की हजारां लानताँ उस पर कि जिसने ऐसा जाया है " =================== वास्तव में मुसलमान संतरे की तरह है ,कि जो देखने में एक लगता है ,लेकिन उसके अन्दर फाकें ही फांकें है .इसी तरह मुसलामामों के दूसरे फिरके भी है जो एक दुसरे को फूटी आँखों से नहीं देखना चाहते है .जो मसलमान यह सपने देख रहे है जैसे जैसे मुसलमान बढ़ाते जायेगे ,वह मजबूत होते जायेंगे .लेकिन यह मुसलमानों का केवल सपना ही है .जैसे जैसे मुसलमान बढ़ेंगे उतने ही लड़ेंगे ,और इनको परस्त करने में कोई देर नहीं लगेगी .केवल प्रयास करने की,जरूरत है .और उचित समय की देर है ! ===================== इसी तरह वहाबी (देवबंदी (,बरेलवी ,सूफी ,बोहरा ,इस्माइली ,कुर्द सब एक दुसरे को मुसलमान नहीं मानते .और काफ़िर ,मुनकिर ,मुनाफिक या बिदआती कहते . मुल्लों की तालीम के कारण लड़ना मुसलमानों का स्वभाव बन गया .हरेक में कट्टरपन जहर भर गया है .अभी तो उनके लड़ने के लिए गैर मुस्लिम मौजूद है .अगर जिस दिन दुर्भाग्य से सभी मुसलमान बन गए तो उसी दिन मानव जाति का सफाया हो जायेगा ============== .इनके अंतर्विरोध के बारे में अलग से विस्तार से कभी आगे लिखा जायेगा . इसलिए अगर इस पृथ्वी पर मानव जाति को बनाए रखना है ,तो इस्लाम के जहरीले दुष्प्रचार ,और जकारिया जैसे कुटिल लोगों का हर तरह से पूरी ताकत के साथ विरोध करना हम सबका परम कर्तव्य होना चाहिए . ........................ जय महाकाल !!!

बुधवार, मई 09, 2012

सुप्रीम कोर्ट ने हज-सब्सिडी को गैर-इस्लामिक बताते हुए समाप्त करने के निर्देश दिऐ


सुप्रीम कोर्ट ने हज-सब्सिडी को गैर-इस्लामिक बताते हुए समाप्त करने के निर्देश दिऐ
कुरआन के अनुसार सच्चे मुसलमान के लिए हज यात्रा केवल अपनी कमाई से प्राप्त धन से ही हलाल मानी जाती है.
पाकिस्तान ने भी हज सब्सिडी गैर इस्लामिक मानकर उसे उसे बंद कर दिया
किसी भी मुस्लिम देश में हज यात्रियों के लिए सरकारी सब्सिडी नहीं है
मुल्लो ने मुफ्त की सब्सिडी पर अब तक कोई फतवा क्यों नहीं दिया
यह शरियत की हिदायतों के खिलाफ है फिर भी कर रहे हो
तो फिर वन्देमातरम गाने में क्या हर्ज है
अयोध्या में मंदिर निर्माण में क्या परेशानी है

आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हज-सब्सिडी को गैर-इस्लामिक बताते हुए समाप्त करने का केंद्र -सरकार को निर्देश दिया है. परन्तु तथाकथित सेकुलर जमात के कुछ पहरेदार और कुछ राजनैतिक-पार्टियां हज-सब्सिडी खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से गहरे-सन्निपात में हैं. कैसी विडम्बना है कि वंदे मातरम गाने में आपत्ति है क्योंकि वो इस्लाम विरुद्ध है पर इस्लाम विरुद्ध तरीके से हज पर जाने में आपत्ति नहीं है? क्या शर्मनाक नहीं है ये दोहरापन ?मैं पूछना चाहता हूँ कि बात- बात पर फतवे जारी करने वाले इतने सालों से मुफ्त की सब्सिडी पर क्यों कोई फतवा नहीं निकाल पाए? मेरा कहना है कि अमरनाथ और मानसरोवर यात्रा पर तो सरकार कोई भी सब्सिडी नहीं देती फिर भी प्रति वर्ष लाखों गरीब-भक्त इन दोनों स्थानों पर दर्शन करने जाते हैं| ऐसे में जो राजनैतिक-पार्टियां सुप्रीम कोर्ट द्वारा हज-सब्सिडी खत्म किये जाने का विरोध कर रही हैं दर-असल उन्हें हज से कोई लेना देना नहीं है बल्कि वो सिर्फ मुस्लिम-वोट हथियाने की राजनीति के चलते इस मुद्दे को हवा में उछाल रहे हैं.
कुरआन-ए-पाक में स्पष्ट उल्लेख है कि सच्चे मुसलमान के लिए हज यात्रा केवल अपनी कमाई में से या फिर निकट सम्बन्धी से प्राप्त धन राशि से ही हलाल मानी जाती है. इसीलिए किसी भी मुस्लिम देश में हज यात्रियों के लिए सरकारी सब्सिडी का प्रावधान नहीं है ,क्योंकि यह शरियत की हिदायतों के खिलाफ है.
जब सब्सिडी लेकर हज यात्रा की जा रही है इसका मतलब मुसलमान शरियत की हिदायतों का पालन नहीं कर रहा है और तो देशहित में बहुत बातों में सहयोग क्यों नहीं करते तो फिर वन्देमातरम गाने में क्या हर्ज है
अयोध्या में मंदिर निर्माण में क्या परेशानी है
भारत सरकार प्रतिवर्ष 600 करोड़ रुपये से ज्यादा हज सब्सिडी पर खर्च करती है जिसका फायदा लगभग 1.25 लाख हाजी हर वर्ष उठाते हैं। पिछले पांच वर्षो में भारत ने हज यात्रा पर करीब 2,891.71 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की है। गत-वर्ष भारत सरकार ने हज यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को एयर इंडिया की हवाई यात्रा में 38,800 रुपये प्रति श्रद्धालु की सब्सिडी दी थी। वैसे भी इस्लाम तो हज पे अपने धन से जाने की बात करता है, इसीलिए पाकिस्तान में न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया था कि हज सब्सिडी गैर इस्लामिक है और पाकिस्तान ने उसे बंद कर दिया | दुनिया का कोई भी देश वर्तमान समय में हज-सब्सिडी नहीं देता है. इसलिए भारत में हज-सब्सिडी समाप्त करने का माननीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय निश्चित तौर पर स्वागत-योग्य है परन्तु यदि हज-सब्सिडी गैर-इस्लामिक है तो 10 वर्ष बाद सरकार को हज-सब्सिडी खत्म करने के निर्देश का कोई औचित्य समझ में नहीं आता . तत्काल हज-सब्सिडी समाप्त की जानी चाहिए.

जस्टिस आफताब आलम और रंजना प्रकाश देसाई की बेंच ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया। बेंच ने हज यात्रा पर जाने वाले प्रधानमंत्री के शिष्टमंडल में प्रतिनिधियों की संख्या 30 से घटा कर दो करने के भी निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि वह हज कमेटी के कामकाज और हज यात्रियों की चयन प्रक्रिया की भी जांच करेगा। सुनवाई के दौरान केंद्र ने हज यात्रियों को सब्सिडी देने की नीति का बचाव किया।
उसने हलफनामा पेश कर कहा कि 'लोगों को जीवन में एक बार सब्सिडी देने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं। इसके तहत उन आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्होंने कभी हज नहीं किया।'

क्या था मामला : सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील पर सुनवाई कर रहा था। दरअसल हर साल 11 हजार हज यात्री वीआईपी कोटा के तहत जाते हैं। हाईकोर्ट ने इनमें से 800 यात्रियों को प्राइवेट ऑपरेटर के जरिए भेजने के निर्देश दिए थे। इसके लिए विदेश मंत्रालय को निर्देशित किया गया था। केंद्र सरकार ने इस फैसले को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

कब दी गई कितनी सब्सिडी

वर्ष आवेदन आए हज पर गए सब्सिडी

2009 3,57,388 1,20,131 690 करोड़ रु.

2010 3,00,680 1,26,191 600 करोड़ रु. 2011 3,02,616 1,25,051 605 करोड़ रु.

खेल हवाई टिकट का : भारत से हर साल हज कमेटी की ओर से सवा लाख लोग हज करने जाते हैं। इन्हें हज सब्सिडी मिलती है। करीब 50 हजार लोग निजी ऑपरेटर के जरिये हज को जाते हैं। इन्हें सब्सिडी नहीं मिलती। लेकिन दोनों के खर्च में कोई खास फर्क नहीं होता। दोनों ही में हज यात्रा करने पर प्रति व्यक्ति 95 हजार से लेकर 1.5 लाख रुपये तक खर्च आता है। क्योंकि हज कमेटी सिर्फ एयर इंडिया की चार्टर्ड फ्लाइट बुक करती है। फ्लाइट काफी महंगी पड़ती है, जबकि निजी एयरलाइन से जाना सस्ता पड़ता है

सोमवार, मई 07, 2012

जब उमा भारती ने पाल दिनाकरन का मसला उठाया तब नीच और कमीना चैनेल स्टार न्यूज़ के दर्द क्यों होने लगा ..

अब पूरे देश को पता चला कि जब उमा भारती ने पाल दिनाकरन का मसला उठाया तब नीच और कमीना चैनेल स्टार न्यूज़ के दर्द क्यों होने लगा ..

मित्रों, जब सबसे पहले उमा भारती जी ने इस देश मे पाल दिनाकरन के मामले पर बहस छेड़ी तब भारत मे सिर्फ दो लोगो के े दर्द उठने लगा जैसे कोई गुंटूर की तीखी लाल मिर्च पिस कर सरसों के तेल मे मिलाकर इनके पिछवाड़े घुसेड़ दिया गया हो ..

१- केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय

२- स्टार न्यूज़

अब पूरी कहानी जानिए ..

असल मे सुबोधकांत सहाय मंत्री बनना चाहते थे लेकिन उनको पता था की सोनिया के दरबार मे सिर्फ हिंदू विरोधी लोग ही सफल होते है .. जैसे अम्बिका सोनी और दिग्विजय सिंह ये दोनों ने ईसाइयत कुबूल कर लिया है ..

फिर उन्होंने पाल दिनाकरन से सम्पर्क किया .. पाल दिनाकरन पोप का बहुत खास आदमी है और पोप इसके कामो से बहुत खुश है क्योकि एक तो इसने हर साल पूरे एशिया मे करीब तीन करोड लोगो को ईसाई बनाता है और दूसरा ये अपनी कृपा की कमाई मे से पोप को चंदा भेजता है ..

फिर इसके सिपारिश पर पोप ने सोनिया गाँधी से सुबोधकान्त सहाय को मंत्री बनाने का आदेश दिया और पोप के ईशारे पर सोनिया ने तुरंत ही सुबोधकांत सहाय को मंत्री बना दिया ..

फिर इसके बाद दिनाकरन और सुबोधकांत मिलकर एक वीडियो बनाते है जिसमे दिनाकरन सुबोधकांत को मंत्री बनाये जाने के लिए प्रार्थना कर रहा है .. जबकि ये विडियो सुबोधकांत के मंत्री बन जाने के बाद शूट हुआ ..

जब उमाभारती जी ने पाल दिनाकरन का मामला उठाया तो सबसे गंदा और चौकाने वाला रिएक्शन सुबोधकांत सहाय का था जैसे हम किसी कुत्ते के दूम पर जूता पहनकर खड़े हो जाये या किसी कुत्ते की पूछ उठाकर वहाँ पेट्रोल लगा दिया जाए ..

आजतक ने आज उस वीडियो का खुलासा किया और साफ साफ कहा की क्या इसीलिए सुबोधकांत सहाय उमा भारती से चिढ़ गए थे ?

मित्रों स्टार न्यूज़ का भारत का मुख्य कर्ता धर्ता शाजी जमां नामक एक कट्टर सुन्नी मुस्लिम है . जो इस चैनेल का मुख्य सम्पादक के साथ साथ कोंटेंट हेड भी है .. स्टार ग्रुप एक कट्टर ईसाई रूपर्ट मर्डोक का है और स्टार ग्रुप ईसाईयों की बहुत सी संस्थायो को दान देता है . वाईएमसीए की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार स्टार ग्रुप ने पिछले साल कुल तीन करोड डॉलर ईसाई संस्था वाईएमसीए को दान दिया |

फिर उमा भारती के बयान के बाद पोप से लेकर भारत मे सोनिया गाँधी सब हरकत मे आ गए . और आनन् फानन मे दो तीन चनेलो को उमा भारती की के बयान को गलत तरीके से दिखाने की सुपारी दे दी गयी ..

लेकिनछात्र जीवन मे आरएसएस के स्वंयसेवक रहे इंडिया टीवी के रजत शर्मा ने पाल बाबा दिनाकरन की बखिया उधेड़नी शुरू कर दी और फिर टीआरपी के खेल मे दूसरे चैनेल आजतक भी कूद पड़ा फिर जाकर लोगो को पर्दे के पीछे इस नीच पोर्नग्रेस का खेल का पता चला

मित्रों उस वीडियो को जब कई चनेलो ने दिखया तब सुबोधकांत सहाय के ईशारे पर पाल दिनाकरन ने अपनी साईट से उस वीडियो को हटा लिया ..लेकिन कुछ मीडिया वालो के पास वो वीडियो है
Courtesy- Jitendra Pratap Singh

सुना है इन्सान के दुःख दर्द का इलाज मिला है क्या बुरा है अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाए


यह द्रश्य देखकर शायद आपको अचम्भा हो लेकिन यह शहर के उस स्थान का है जहाँ से बरेली शहर के अधिकारीयों एवं नेताओ का गुजरना आम है।

जनता के हक की लड़ाई लड़ने के नाम पर वोट लेकर संसद मे पहुचने वाले नेता बेईमान साबित हो रहे है।
पहले राजनीती समाजसेवा के लिए की जाती थी अब तो नेता बाकायदा अपना व्यवसाय बताने लगे है... एक नहीं सेकड़ों एन जी ओ ऐसी है जो गरीबों के उदहार के नाम पर अनुदान लेकर अपनी जेबे गरम कर रही हैं।

गरीबों को कितना लाभ मिल रहा द्रश्य स्पष्ट कर रहा है। यह बात अब दूर तलक जरूर जाएगी क्योकि सब अपना अपना पेट भरने में लगे हुए हैं आम जनता से किसी को नहीं है सरोकार।


इन्सान को इन्सान के साथ खाना देखना कोई आम बात नहीं है लेकिन पेट की आग बुझाने के लिए बचा खाना सड़क पर डाला गया हो गरीब उठा कर खाने लगे ... इसी बीच गो माता आ जाएँ और वो भी खाने का लुफ्त उठाने लगे .... इन्सान तो इन्सान को ही भूलता जा रहा है लेकिन बेजुवान जानवर कितने समझदार हैं....जिसे इस इन्सान की पेट की आग देखकर तरस आ गया और दोनों साथ साथ खाने लगे।


हमारे देश मे ये बिडम्बना है एक आदमी महीने भर में बमुश्किल ३००० रूपये ही कमा पाता है वही दूसरा आदमी तीन लाख रुपये वेतन ले रहा है और साथ में बिभिन्न सुबिधाओं का आनंद भी उठा रहा है फिर भी करोड़ों के घोटाले कर रहा है लेकिन अभी भी भूखा है..... इसीलिए गरीबों की परवाह किये बगैर सिर्फ अपने लिए सोचता है_________


"हर सेकेंड भूख से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है.
यानी हर घंटे 3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 86400 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी हर साल 3,15,3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 58 प्रतिशत मौते भूख की वजह से होती है_______"




सुना है इन्सान के दुःख दर्द का इलाज मिला है
क्या बुरा है अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाए

किसी ने सच ही कहा है-

वो भूख से मरा था,फ़ुटपाथ पे पड़ा था
चादर उठा के देखा तो पेट पे लिखा था
सारे जहां से अच्छा,सारे जहां से अच्छा
हिन्दुस्तां हमारा,हिन्दुस्त ां हमारा

भूख लगे तो चाँद भी रोटी नज़र आता है
आगे है ज़माना फिर भी भूख पीछे पीछे
सारी दुनिया की बातें दो रोटियों के नीचे

किसी ने सच ही कहा ...

माँ पत्थर उबालती रही कड़ाही में रात भर
बच्चे फ़रेब खा कर चटाई पर सो गए
चमड़े की झोपड़िया में आग लगी भैया
बरखा न बुझाए बुझाए रुपैया

किसी ने सच ही कहा ...

वो आदमी नहीं मुक़म्मल बयां है
माथे पे उसके चोट का गहरा निशां है

इक दिन मिला था मुझको चिथड़ों में वो
मैने जो पूछा नाम कहा हिन्दुस्तान है हिन्दुस्तान है

कुछ लोग दुनिया में नसीब लेके आते हैं
बाकी बस आते हैं और यूं ही चले जाते हैं
जाने कब आते हैं और जाने कब जाते हैं

किसी ने सच ही कहा ...

ये बस्ती उन लोगों की बस्ती है
जहां हर गरीब की हस्ती एक एक साँस लेने को तरसती है
इन ऊँची इमारतों में घिर गया आशियाना मेरा
ये अमीर मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए

भूख लगे तो चाँद ..........

किसी ने सच ही कहा______

सेनाध्यक्ष ने बिलकुल सही कहा था की सेना के पास गोला बारूद से लेकर लड़ाई की सभी चीजे खत्म हो चुकी है ...

सेनाध्यक्ष ने बिलकुल सही कहा था की सेना के पास गोला बारूद से लेकर लड़ाई की सभी चीजे खत्म हो चुकी है ...

मित्रों, जब सेनाप्रमुख ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था की सेना के पास हथियारों, गोला बारूद आदि की कमी है और सेना के पास लड़ाई के लिए दो दिन का भी स्टॉक नही है , तब कांग्रेस के कई सीडी छाप नेताओ ने सेनाप्रमुख को गलत ठहराने ले लग गए थे ..

लेकिन आज संसद की रक्षा मामलो की स्टेंडिंग कमेटी जिसके मुखिया कांग्रेसी है और जिसमे पाँच सदस्य कांग्रेस के है उसने भी अपनी रिपोर्ट मे कहा है की सेना के पास सिर्फ दो दिन की लड़ाई का सामान है और वायुसेना के पास हेलिकोप्टर और विमानों की भयंकर कमी है ..

मित्रों, ये नीच कांग्रेस के लिए देश का मतलब सिर्फ नकली गाँधी खानदान है और कांग्रेस अब इसी नकली गांधियो की ही रक्षा को देश की रक्षा समझती है .. बाकी देश गया भाड मे...

मीडिया को भी भोंदू युवराज को दिखाने का समय मिलता है बाड़ी देश जाए भाड़ में , राहुल गधे ने किया यू पी की हार का पोस्टमार्टम वगेरह वगेरह, अरे मूर्खों कभी ये भी दिखा दिया करो की राहुल भोंदू ने काले धन पर बात की , राहुल गधे ने सेना में हो रहे भ्रष्टाचार और दलाली पर दुःख व्यक्त किया देश को खतरे में बताया , या कभी चीन पाकिस्तान पर कोई बयान दिया हो ???

बस नकली नौटंकी करता रहता है और भारत की दलाल , भाण्ड मीडिया भी उसे ही दिखाती है ...

जागो भारतीयों जागो ...वो तो जनरल वी के सिंह जी हैं जिनकी वजह से इतने सारे खुलासे हो गए इस भ्रष्ट सरकार के बारे नहीं तो कोई रसोइपति जैसे सेनाध्यक्ष होते तो शायद हमें इस सच्चाई के बारे में भी नहीं पता चलता ....

अब सोचिये जरा इस भ्रष्ट तंत्र को स्वस्थ बनाने के बारे में की कैसे और क्या भूमिका अदा करके हम अपने भारत को इस भ्रष्ट कांग्रेस/काले अंग्रेजों के राज से बचा सकते हैं ...

हिन्दू अश्त्र-शस्त्र क्यूँ ना उठाये ?


इस लेख को पढने के बाद कोई मुझे ये बताये की हिन्दू अश्त्र-शस्त्र क्यूँ ना उठाये ? अगर तथाकथित बुद्धिजीवियों, सिकुलर और हिन्दू विरोधीयो की भाषा में कहू तो हिन्दू आतंकवादी/भगवा आतंकवादी क्यूँ ना बने ?

* रामायण एक काल्पनिक कहानी है - पंडित जवाहरलाल नेहरू और गवर्नर जनरल राजाजी
* रामायण और महाभारत मात्र कहानी है - तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी. राजगोपालाचारी
* राम मात्र एक काल्पनिक पात्र था - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि
* राम पियक्कड़ था - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि
* कौन था यह राम? किस इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की थी? और क्या इसका कोई प्रमाण है? - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि
* हिमालय और गंगा जितना बड़ा सत्य हैं , राम का चरित्र उतना ही झूठा है - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि
* भगवान राम इस देश मे पैदा ही नहीं हुए थे और रामायण काल्पनिक है , इस धरती पर राम का कभी कोई अस्तिव रहा ही नहीं है - कांग्रेस की केन्द्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा
* भारत माता और देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाये - दुष्ट एम् एफ हुसैन
* अमरनाथ यात्रा पाखंड है - अग्निवेश
* हिन्दुओं के आराध्य देवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश का उपहास उड़ाया - भांड कुमार विश्वास
* शिव, कृष्ण और दुर्गादेवी का असभ्य और फूहड़ वर्णन किया गया - इग्नू के पाठ्यक्रम में
* भारत माता डायन है - आजम खान, समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री
* भारत माता डायन है - तस्लीमुद्दीन ओवैसी
* कृष्ण के अस्तित्व पर प्रश्न उठाये जाते है.
* मंदिरों में घंटी बजने पर रोक लगायी जाती है.
* केरल मे कोई रिक्शा चालक अपने वाहन पर श्री कृष्ण या जय हनुमान नहीं लिख सकता.
* "सरस्वती वन्दना" को साम्प्रदायिक कहा जाता है.
* "वन्दे मातरम" को सांप्रदायिक कहा जाता है.
* "भारत माता की जय" को सांप्रदायिक कहा जाता है.
* "जय श्री राम" के उदघोष को सांप्रदायिक कहा जाता है.
अब कोई भारत माता को फूहड़ गीत लिख कर अपमानित कर रहा है - दिबाकर बनर्जी

अब भी जिसका खून ना खौला, खून नहीं वो पानी है !!
जो अपनी मात्रभूमि, स्वाभिमान और गरिमा के लिए ना लड़ा..वो बेकार जवानी है !!

इसे पढने के बाद जो पीड़ा और क्रोध आपके मन में उत्पन्न हुआ होगा ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ. मैं अपने अंतर्मन और दृदय में दबी वेदना और पीड़ा को इस अमूल्य गीत के माध्यम से व्यक्त करना चाहता हु ..............

उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती
रगों में तेरे बह रहा है खून राम श्याम का
जगदगुरु गोविंद और राजपूती शान का
तू चल पड़ा तो चल पड़ेगी साथ तेरे भारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
उठा खडग बढा कदम कदम कदम बढाए जा
कदम कदम पे दुश्मनो के धड़ से सर उड़ाए जा
उठेगा विश्व हांथ जोड़ करने तेरी आरती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
तोड़कर ध्ररा को फोड़ आसमाँ की कालिमा
जगा दे सुप्रभात को फैला दे अपनी लालिमा
तेरी शुभ कीर्ति विश्व संकटों को तारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
है शत्रु दनदना रहा चहूँ दिशा में देश की
पता बता रही हमें किरण किरण दिनेश की
ओ चक्रवती विश्वविजयी मात्र-भू निहारती
देश है पुकारता पुकरती माँ भारती ||

|| जय भारत || || जय माँ भारती ||