डॉ वफ़ा सुल्तान की आत्मकथात्मक पुस्तक A GOD WHO HATES बड़े काम की है। इस किताब को पढ़ने-गुनने के बाद आपको मुसलमानों पर सिर्फ दया आएगी क्योंकि वे इस्लाम नामक घातक बीमारी के शिकार हैं और उन्हें इस बीमारी से मुक्त कराना हम सबका वैश्विक कर्तव्य है।
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चीन में मुस्लिम बच्चों को उनके माँ-बाप से अलग किया जा रहा है ताकि इस्लाम की शिक्षा उन्हें न मिले और वे जिहादी होने से बच जाएँ। मानवाधिकार को सुनिश्चित करने के लिए इससे बड़ा कोई काम नहीं हो सकता। इसके लिए चीन की सरकार बधाई की पात्र है।
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ऐसा इसलिए कि मजहब की शक़्ल में इस्लाम एक मानव-घाती कब्ज़ावादी राजनीतिक विचारधारा है जिसे माननेवाला चुप्पा या सक्रिय जिहादी होता है। इस लिहाज से इस्लाम के सबसे बड़े शिकार ख़ुद मुसलमान हैं और वे पूरी दुनिया को अपना शिकार बना रहे हैं। चीन ने इस बात को न सिर्फ समझा है बल्कि उससे बचाव का कारगर तरीका भी अपनाया है जिसे देर-सबेर सभी देशों को स्वीकारना पड़ेगा।
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चीन के क़दम का महत्त्व सीरियाई मनोचिकित्सक डॉ वफ़ा सुल्तान के शोध-निष्कर्ष से समझा जा सकता है जिसमें वे कहती हैं कि क़ुरान पढ़ने के बाद भी मुसलमान बना रहनेवाला मनोरोगी होता है। दूसरी तरफ़ INFIDEL की लेखिका अयान हिरसी अली इसी बात से बहुत ख़ुश हैं कि दुनिया के अधिकतर मुसलमान वह सब नहीं करते जो ख़ुद हुज़ूर ने किया भले वे उसे सही कहते-मानते हों। अगर ऐसा नहीं होता तो दुनिया अबतक नरक हो गई होती।
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इस कठिन समय में चीन के जिनपिंग और सऊदी राजकुमार बिन सलमान दुनिया की आशा के केंद्र हैं। वे यह साबित करते हैं कि दुनिया कभी विकल्पहीन नहीं होती। जिन्हें इन बातों के महत्त्व पर भरोसा न हो उन्हें क़ुरआन जरूर पढ़ना चाहिए, मोहम्मद की जीवनी भी क्योंकि यह पढ़ना आपके और पूरी दुनिया के अस्तित्व से जुड़ा है।
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अंग्रेजी पढ़नेवालों के लिए डॉ वफ़ा सुल्तान की आत्मकथात्मक पुस्तक A GOD WHO HATES बड़े काम की है। इस किताब को पढ़ने-गुनने के बाद आपको मुसलमानों पर सिर्फ दया आएगी क्योंकि वे इस्लाम नामक बीमारी के शिकार हैं और उन्हें इस बीमारी से मुक्त कराना हम सबका वैश्विक कर्तव्य है। इस पोस्ट के साथ इस्लाम और मुसलमानों पर लिखी कुछ बहुचर्चित पुस्तकों का फ्रंट-कवर स्क्रीनशॉट संलग्न है।
©चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
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चीन में मुस्लिम बच्चों को उनके माँ-बाप से अलग किया जा रहा है ताकि इस्लाम की शिक्षा उन्हें न मिले और वे जिहादी होने से बच जाएँ। मानवाधिकार को सुनिश्चित करने के लिए इससे बड़ा कोई काम नहीं हो सकता। इसके लिए चीन की सरकार बधाई की पात्र है।
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ऐसा इसलिए कि मजहब की शक़्ल में इस्लाम एक मानव-घाती कब्ज़ावादी राजनीतिक विचारधारा है जिसे माननेवाला चुप्पा या सक्रिय जिहादी होता है। इस लिहाज से इस्लाम के सबसे बड़े शिकार ख़ुद मुसलमान हैं और वे पूरी दुनिया को अपना शिकार बना रहे हैं। चीन ने इस बात को न सिर्फ समझा है बल्कि उससे बचाव का कारगर तरीका भी अपनाया है जिसे देर-सबेर सभी देशों को स्वीकारना पड़ेगा।
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चीन के क़दम का महत्त्व सीरियाई मनोचिकित्सक डॉ वफ़ा सुल्तान के शोध-निष्कर्ष से समझा जा सकता है जिसमें वे कहती हैं कि क़ुरान पढ़ने के बाद भी मुसलमान बना रहनेवाला मनोरोगी होता है। दूसरी तरफ़ INFIDEL की लेखिका अयान हिरसी अली इसी बात से बहुत ख़ुश हैं कि दुनिया के अधिकतर मुसलमान वह सब नहीं करते जो ख़ुद हुज़ूर ने किया भले वे उसे सही कहते-मानते हों। अगर ऐसा नहीं होता तो दुनिया अबतक नरक हो गई होती।
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इस कठिन समय में चीन के जिनपिंग और सऊदी राजकुमार बिन सलमान दुनिया की आशा के केंद्र हैं। वे यह साबित करते हैं कि दुनिया कभी विकल्पहीन नहीं होती। जिन्हें इन बातों के महत्त्व पर भरोसा न हो उन्हें क़ुरआन जरूर पढ़ना चाहिए, मोहम्मद की जीवनी भी क्योंकि यह पढ़ना आपके और पूरी दुनिया के अस्तित्व से जुड़ा है।
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अंग्रेजी पढ़नेवालों के लिए डॉ वफ़ा सुल्तान की आत्मकथात्मक पुस्तक A GOD WHO HATES बड़े काम की है। इस किताब को पढ़ने-गुनने के बाद आपको मुसलमानों पर सिर्फ दया आएगी क्योंकि वे इस्लाम नामक बीमारी के शिकार हैं और उन्हें इस बीमारी से मुक्त कराना हम सबका वैश्विक कर्तव्य है। इस पोस्ट के साथ इस्लाम और मुसलमानों पर लिखी कुछ बहुचर्चित पुस्तकों का फ्रंट-कवर स्क्रीनशॉट संलग्न है।
©चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
Hey your blog is amazing and your post is very helpful for every person. Gud luck for your good work. Thanks for this post.NISHAKHATOONSHA
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