सोमवार, अगस्त 08, 2011

मां का प्यार

एक सौदागर राजा के महल में दो गायों को लेकर आया। दोनों ही स्वस्थ, सुंदर व दिखने में लगभग एक जैसी थीं। सौदागर ने राजा से कहा, 'महाराज, ये गायें मां-बेटी हैं। पर मुझे यह नहीं पता कि मां कौन है व बेटी कौन, क्योंकि दोनों में खास अंतर नहीं है। मैंने अनेक जगह पर लोगों से यह पूछा किंतु कोई भी इन दोनों में मां-बेटी की पहचान नहीं कर पाया। बाद में मुझे किसी ने यह कहा कि आपका मंत्री बेहद कुशाग्र बुद्धि का है और यहां पर मुझे अवश्य मेरे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा। इसलिए मैं यहां पर चला आया। कृपया मेरी समस्या का समाधान किया जाए।'

यह सुनकर सभी दरबारी मंत्री की ओर देखने लगे। मंत्री अपने स्थान से उठकर गायों की तरफ गया। उसने दोनों का बारीकी से निरीक्षण किया किंतु वह भी नहीं पहचान पाया कि वास्तव में कौन मां है और कौन बेटी? अब मंत्री बड़ी दुविधा में फंस गया। उसने सौदागर से एक दिन की मोहलत मांगी। घर आने पर वह बेहद परेशान रहा। उसकी पत्नी इस बात को समझ गई। उसने जब मंत्री से परेशानी का कारण जानना चाहा तो उसने सौदागर की बात बता दी। यह सुनकर पत्नी मुस्कराते हुए बोली, 'अरे, बस इतनी सी बात है। यह तो मैं भी बता सकती हूं।'

अगले दिन मंत्री अपनी पत्नी को वहां ले गया जहां गायें बंधी थीं। मंत्री की पत्नी ने दोनों गायों के आगे अच्छा भोजन रखा। कुछ ही देर बाद उसने मां व बेटी में अंतर बता दिया। लोग चकित रह गए। मंत्री की पत्नी बोली, 'पहली गाय जल्दी-जल्दी खाने के बाद दूसरी गाय के भोजन में मुंह मारने लगी और दूसरी वाली ने पहली वाली के लिए अपना भोजन छोड़ दिया। ऐसा केवल एक मां ही कर सकती है। यानी दूसरी वाली मां है। मां ही बच्चे के लिए भूखी रह सकती है।' सभी मंत्री की पत्नी की प्रशंसा करने लगे।
संकलन: रेनू सैनी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें