सोमवार, अगस्त 22, 2011

जिसका ना, आदि अनादी हो वह धर्म सनातन होता है


जिसका ना, आदि अनादी हो
वह धर्म सनातन होता है
संस्कृति सभ्यता का ये
प्रतीक अब हिन्दू बन के रोता है
क्यूंकि भारत का आर्य ही अब
पाश्चात्य पार्थ सा सोता है
दायित्वों को खुद भूल गया
और मूल हमारा खोता है
निज हिन्दू को पहचानो अब
ना ब्राम्हण बनिया बाद करो
वक़्त है सम्हलो और सम्हालो
ना धर्म अपना बर्बाद करो
ले हाथ में तरकस और गदा
कुछ चोरों का तुम नाश करो
भारत अनमोल धरोहर है
क्या रत्नों को कोई खोता है
तुम रत्न रहे हो विश्व में भी
सागर पग इसके धोता है
जिसका ना, आदि अनादी हो
वह धर्म सनातन होता है

संदीप पटेल
(२०/०८/२०१ १ ) शनिवार रात्रि ११:३०

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