मंगलवार, अगस्त 09, 2011

मन्दिर खजाने के मूल्यांकन में विदेशी व्यक्ति क्यों?

मन्दिर खजाने के मूल्यांकन में विदेशी व्यक्ति क्यों?

Suresh Chiplunka ji की पोस्ट को राष्ट्रव्यापी प्रश्न बनाने का एक प्रयास, बाकी जनता का जैसा निर्णय
मन्दिर खजाने के मूल्यांकन में विदेशी व्यक्ति क्यों?
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केरल की पत्रिका "मलयाला मनोरमा" की "एक्स्क्लूसिव" खबर के अनुसार, राष्ट्रीय संग्रहालय के निदेशक सीवी आनन्द बोस ने पद्मनाभ मन्दिर से निकलने वाले खजाने एवं दुर्लभ मूर्तियों व सिक्कों के आकलन हेतु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया है जो खजाने की वास्तविक कीमत आँकेगा। कुछ गम्भीर सवाल इस प्रकार हैं -

1) मलयाला मनोरमा पत्रिका को यह सारी खबरें कौन लीक कर रहा है और इसके पीछे क्या उद्देश्य हैं?
2) जब सुप्रीम कोर्ट ने सम्पत्ति के बारे में जानकारी प्रकाशित करने पर रोक लगाई थी तो मलयाला मनोरमा ने मूल्यवान वस्तुओं की सूची कैसे छापी?
3) मन्दिर के खजाने को देखकर सबसे अधिक मलयाला मनोरमा की नींद क्यों खराब हो रही है?
4) राष्ट्रीय संग्रहालय के निदेशक को किसने यह अधिकार दिया कि आकलन समिति में किसी विदेशी मूल्यांकनकर्ता को शामिल करें?
5) क्या आनन्द बोस ने यह समिति गठित करने से पहले कोई प्रेस कान्फ़्रेंस आयोजित की? आखिर किसने यह समिति बनाने की अनुमति दी? यह खबरें सबसे पहले मलयाला मनोरमा को ही क्यों मिल रही हैं?
6) क्या विदेशी मूल्यांकनकर्ता को शामिल करने में त्रावणकोर राजपरिवार के सदस्यों की सहमति है?
7) क्या इतने बड़े खजाने को विश्व भर में सरेआम "सार्वजनिक" किये जाने से अन्य मन्दिरों-मठों की सुरक्षा खतरे में नहीं पड़ी है?

सबसे अन्त में एक और सवाल कि भाजपा सहित सभी प्रमुख हिन्दू संगठन इस मुद्दे पर "मुँह में दही जमाकर" क्यों बैठे हैं? अभी तक इनकी तरफ़ से कोई "आधिकारिक बयान अथवा सुझाव" ठोस रूप में सामने क्यों नहीं आया?

Aap se meree hruday se apeal hai ki uprokt post ko promote karne men ham log kisi bhi prakaar ki koi kasar na chhoden .. Aapke anant aabhaar

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