शनिवार, अगस्त 31, 2013

जानिए इसाई मिशनरियों का असली मकसद ।



आखिर ये इसाई मिशनरी क्यूँ धर्मान्तरण करवाते है ?

जानिए इसाई मिशनरियों का असली मकसद ।
When the missionaries came to Africa they had the Bible and we had the land. They said, 'Let us pray.' We closed our eyes. When we opened them we had the Bible and they had the land.

Bishop Desmond Tutu quotes

धर्मान्तरण का एक मात्र उद्देश्य आपकी प्राकर्तिक संपदा को हासिल करना है जिस का अभाव हैं इन ईषाआईओ के पास
अगर कुछ हैं तो ठण्ड और बर्फ


धर्म-परिवर्तन का असली मकसद सिर्फ सस्ते मजदुर और बड़ी फ़ौज खड़ी करना होता है ।
पाश्चिम में जो भी निर्णय लिए जाते है, उन्हें भारत में लागू करने का काम इन धर्मान्तरित लोगो द्वारा किया जाता है।
मत भूलिए की मिशनरी इन गरीब धर्मान्तरित लोगो को यूँ ही पैसे नहीं देगी ।
अगर मिशनरी संस्थाएं धर्मान्तरण पर पैसा खर्च करती है तो जाहिर सी बात है की वो इसे अलग तरीके से वसूल करेंगे ।

और इसी तरह पश्चिमी देशों का मकसद सामने आता है ।
वो चाहते है भारत को फिर से गुलाम बनाना (सीधे तौर पर नहीं बल्कि धार्मिक गुलाम बनाकर)
और फिर हमारे देश के सारे संसाधनों पर कब्ज़ा कर सके।

मौजूदा वक्त में ये काम इसाई कांग्रेस की मदद से किया जा रहा है ।
देश के मंदिरों का सोना चुराने की कोशिश भी इसी कड़ी का हिस्सा है ।

एशियाई देशों के हिन्दू और बौद्ध लोगों को साथ आना होगा ।
हमारी परम्पराएँ मिलती है, हमारी संस्कृति मिलती है |

हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख सभी को साथ आना होगा इन मिशनरियों से मुकाबला करने ।

साभार - @Ban Missionaries In India

रूपए की कीमत और डालर


रूपए की कीमत और डालर
===============
इस पर बहुत सारी पोस्ट फेसबुक पर आ रही है l मैंने सोचा मै भी अपने मन की बात लिख दूँ ,,राजीव दिक्सित जी का एक विडिओ देखा था l आखिर क्यों लगातार रुपया गिरता जा रहा है ,,कुछ लोग कांग्रेस से ऊपर सोचते ही नहीं यही भुल है l कांग्रेस तो छोटा सा प्यादा है उनका (इल्क्लुमिनाती का )l कुछ लोग सोचते हैं की दूसरी सरकार आएगी और रुपया डालर बराबर कर देगी ,,,हा हा हा जितना हंसू उतना कम है l सही मायने में तो रोना आता है ,,की आप देश भक्ति को वोट से जोड़ देते हो ,,सरकार बदलने से पेट्रोल आपको सस्ता नहीं मिलेगा l सरकार बदलने से आप रूपए की कीमत नहीं बढ़ा पाओगे l ये तो साजिश के तहत घटाया जा रहा है l जी हाँ आपको गरीब बनाने के लिए ,,,जी हाँ आपके खनिज को लुटने के लिए ,,,कौन लूट रहा है आपके खनिज ...कांग्रेस ,,,नहीं उसके उपर भी कोई है उनके बाप ,,,वो बाप लोग यहाँ की सरकार को कंट्रोल करते हैं चाहे कांग्रेस की हो या किसी की l वो बाप लोग मिडिया और न्यायालय को अपनी बपौती समझते हैं ,,दुसरे शब्दों में कहूँ संविधान भी उन्ही का दिया हुआ है l
इल्लुमिनाती (यूरोप के वो तेरह राजघराने ,अंग्रेज कह लीजिए ),,जब देश को आज़ाद (नकली आज़ादी )करके गई तो लोगो ने सोचा हम आज़ाद हो गए ,,अब हमसे कोई लगान नहीं लिया जाएगा ,,,अब हमसे कोई टेक्स नहीं लिया जाएगा l पर क्या ऐसा हुआ ?
हुआ यूँ की उन तेरह राज घरानों(इल्लुमिनाती ) ने लूटने का फार्मूला बदल दिया ,,,अब वो डंडा लेकर नहीं परेशान करते ,,बल्कि डंडे वालो की फ़ौज खड़ी कर दी ,पुलिस जज कोर्ट सरकार संविधान सब उन्ही का ही तो काम करते हैं l

बात करते है राजीव जी के उस विडिओ की
https://www.youtube.com/watch?v=hCcPuXVYmKI

इल्लुमिनाती ने तीन प्रमुख संस्थाएं बनाई ,,,imf और वर्ल्ड बैंक ,,,तीसरा कारखाना लगाया जिसको आप अमेरिकी फेड रिजर्व के नाम से जानते हैं ,,पर बहुत लोग जानते होंगे की अमेरिका सरकार का है वो फेड रिजर्व l अम्रेरिका का नहीं इल्लुमिनाती का है वो फेड रिजर्व l फेड रिजर्व में ठोक भाव में डालर (कागज़ )छापना शुरू किया ,,कर्जा बाटने के लिए ,,,जी हाँ अमेरिका को भी कर्जा दिया ,,,सारे देशो को फ्री में कागज(डालर ) के बाटा ,,बदले में उनको क्या चाहिए था ? संसाधन ,,कैसा संसाधन ,,अरब देशो से पेट्रोल,,,भारत से लोहा कोयला आदि आदि l जब की संसाधनों पर मूल हक़ देश की जनता का होना चाहिए l पर उन राक्षसों को जनता नाम से नफरत है ,,,पूरी पृथ्वी उनके बाप की है ऐसा सोचते हैं वो राक्षस l
१९४५ के आस पास की बात है जब उन्होंने न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का प्रोग्राम आस्तित्व में लाए ,उसके बाद ही उपर्युक्त तीन संस्थाओं को बनाया l

कैसे लुटती है इल्लुमिनाती इन संस्थाओं से
===========================
जबरन विश्व के सारे देशों को इनमे शामिल होने के लिए दबाव बनवाया ,,,डालर यानी कागज़ देने का लालच दिया ,,,नेहरु तो उनका एजेंट मान गया सारी बात ,,नहीं मानता तो मौत होती ,,मिला कर्जा (डालर, कागज )भारत को पहली बार ,जब की भारत को कर्ज की आवश्यकता ही नहीं थी इतने संसाधन खुद थे भारत के पास l बदले में विदेशी कंपनियों का जाल बिछाया और ठेका मिलने लगा खदानों का ,,लूटने लगे वो संसाधनों को ,,आज तक लुट रहे हैं l

अब थोड़ी सी दिकत आने लगी राक्षसों को ,,,संसाधन उनको महंगे मिलते थे ,,इसलिए imf से दबाव बनवा कर रूपए की किमत गिरवाने लगे ,,,आज तक वो सिलसिला जारी है ,,कोई भी प्रधान मंत्री बनता है वो रुपया गिरवाता है ,,सरकार को डर इस बात का रहता है की कहीं वर्ल्ड बैंक पुराना कर्जा न मांगने लगे l जब की कर्जा कैसा ,,लिया तो डालर यानी कागज ही था l
वैनिजुएला के राष्ट्रपति ने इतना बोला की मुझे पेट्रोल के बदले डालर नहीं चाहिये सोना गोल्ड चाहिए ,,मरवा दिया इल्लुमिनाती ने l

पहले लोहा इल्लुमिनाती 50 रूपए किलो खरीदती थी आज आठ रूपए किलो खरीद रही है ,,,मतलब जनता के लिए मंहगाई बढ़ रही है उनके लिए घट रही है ,,,कैसे रूपए का दाम गिरवा कर ,,किस्से अपनी ही बनाई संस्था imf से l


ब्रम्ह वाक्य ==

wto ,वर्ड बैंक ,imf ,,से रिश्ता तोड़ो ,भारत की सेना मजबूत करो ,सेना के हथियार भारत में बनवाओ ,सेना इतनी मजबूत होनी चाहिए की इन तीनो संस्थाओं से सम्बन्ध टूटने के बाद जो राक्षसों द्वारा युद्ध थोपा जाएगा उस युद्ध को भारत की सेना लड़ सके l भारत की सेना इतनी मजबूत होनी चाहिए की नाटो की सेना से युद्ध लड़ सके l


समाधान =पुरे इल्लुमिनाती नेटवर्क का विनाश ,,,कैसे होगा युद्ध से ,,,कौन लडेगा ,,कोई भारत वासी ,,,कैसा युद्ध होगा ,,योगमाया से युद्ध लड़ा जाएगा ,,सनातन धर्म की स्थापना का समय आ चूका है ,,पापी बढ़ चुके हैं ,,राक्षसों का विनाश होगा l अगला महाभारत होगा l

आप लोग क्या करें =गीता को केवल पढ़ें ही न उसको जीवन में उतारे ,,देखें कहीं आपके अन्दर तो दानव ने तो नहीं प्रवेश कर लिया l चिंतन करें l आत्मज्ञान ले l सब कुछ पैसा नहीं है ऐसा सोचे l अपने धन को आप कहीं गलत कार्यों में तो नहीं लगा रहे......देश और धर्म का रक्षक बनें......यही अंतिम समाधान है..........वन्दे मातरम् जय हिन्द जय मातृभूमि

शुक्रवार, अगस्त 30, 2013

ये मीडिया और कांग्रेस के हकले किस 31 हज़ार टन सोने की बात कर रहे हैं??

ये मीडिया और कांग्रेस के हकले किस 31 हज़ार टन सोने की बात कर रहे हैं?? भैय्या भारत के पास सिर्फ और सिर्फ 557 टन सोना है और सरकार इसे भी गिरवी रखने के चक्कर में है
आज से 21 वर्ष पहले मनमोहन सिंह ने कहा था कि उदारीकरण और वैश्वीकरण के परिणाम 20साल में देखने को मिलेंगे!

परिणाम आज सामने है 1991 में 67टन सोना गिरवी रखा गया था और आज 2013 में 500टन सोना गिरवी रखने की नौबत आ गई है! वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने 500 टन सो
ना गिरवी रखने का सुझाव दिया है !

देश को इतना कंगाल कर दिया है कि कांग्रेस सरकार 500 टन
सोना गिरवी रखेगी !ये 500 टन सोना कितने का है ?आइये देखें !

अगर 10 ग्राम सोना --------------------- 30000 (30 हजार ) रुपए का

तो 100 ग्राम सोना होगा ------------------ 300000 (3 लाख ) रूपये का

तो 1 किलो होगा ---------------------------3000000 (30 लाख) रूपये का

तो 10 किलो होगा ---------------------------30000000 (3 करोड़ ) रूपये का

तो 100 किलो होगा ------------------------300000000 (30 करोड़ ) रूपये का

तो 1000 किलो (1टन) होगा --------------3000000000 (300 करोड़ ) रूपये का

तो 10000 किलो (10 टन) होगा -----------30000000000 (3000 करोड़ ) रूपये का

तो 100000 किलो(100 टन)------------------300000000000 (30000 हजार करोड़ ) रूपये का

तो 500000 किलो (500 टन)-----------------1500000000000(1 लाख 50 हजार करोड़ ) रूपये का

500 टन सोने की कीमत 1 लाख 50 हजार करोड़ है !
और मंदमोहन सिंह का एक कोयला घोटाला 1 लाख 80 हजार करोड़ का है बाकी घोटाले अलग है !

हो रहा है भारत नीलाम !
देश की पूरी तरह वाट लगाने के बाद अब काँग्रेस की निगाह पद्मनाभ मंदिर के खजाने पर है... एक "विद्वान"(?) पत्रकार ने कयास लगाया है कि रूपए की कीमत को रोकने के लिए मंदिरों में "फालतू"(??) रखा सोना गिरवी रखा जाए, क्योंकि रिज़र्व बैंक के पास जितना सोना है, उससे संकट दूर नहीं होगा...

पता नहीं अर्थशास्त्रियों के दिमाग में कैसे-कैसे विचार, कहाँ-कहाँ से आते हैं...
यानी एक तो अर्थशास्त्री, ऊपर से IMF और वर्ल्ड बैंक से रिटायर्ड, ऊपर से चुनाव लड़ने की चिंता नहीं... तो भला अब ये पद्मनाभ मंदिर का सोना बेचें या आपके घर से सोना जबरन उठवा लें, इनका कौन कुछ बिगाड़ लेगा...

http://blogs.wsj.com/indiarealtime/2013/08/26/can-temple-gold-help-the-rupee/
(खबर वाल स्ट्रीट जर्नल के ब्लॉग में प्रकाशित हुई है)...

==============
दाभोलकर के नास्तिक शिष्य और सेकुलरिज़्म की सडांध से भरे हुए लोग इस पोस्ट पर कमेन्ट ना ही करें तो बेहतर होगा...

शुभ संध्या (है तो नहीं)... लेकिन फिर भी रख लीजिए...
.

Suresh Chiplunkar

गुरुवार, अगस्त 29, 2013

क्या ये कहानी मीडिया और सरकार ने नहीं सुनी

क्या ये कहानी मीडिया और सरकार ने नहीं सुनी ---आर्य जितेंद्र
https://www.youtube.com/watch?v=JCcO_uthtig
इस बार केरल की एक पूर्व नन ने हिम्‍मत दिखाई है. 67 साल की मेरी चांडी ने अपनी आत्‍मकथा में सच को बयां किया है. यह सच डरावना है, पर सच है. कई चीज़ों पर सोचने को मजबूर करता है. उसका कहना है कि चर्च के अंदर की जि़न्‍दगी आध्‍यात्मिकता की बजाय वासना से भरी है. होगी ही. ये कथित पादरी सेक्‍स को दबाकर बैठे हैं और दबा सेक्‍स जब भी बाहर आता है, वह वासना का ही रूप लेता है.
कैथोलिक चर्च से जुड़ी इस नन ने कहा है कि वह 13 साल की उम्र में घर से भागकर नन बनी और 4 दशक तक इससे जुड़ी रही. 4 दशकों के जुड़ाव के बाद उसे शोषण और अकेलापन मिला. पादरी ने रेप की कोशिश की. विरोध करने पर 12 साल पहले ही चर्च छोड़ देना पड़ा. चांडी कहती हैं कि मुझे तो यही लगा कि पादरी और नन दोनों ही मानवता की सेवा के लिए अपने संकल्‍प से भटककर शारीरिक ज़रूरतों की पूर्ति में लग गए हैं. इसी तरह के अनुभवों से तंग आकर चर्च और कान्‍वेंट छोड़ दिया.
बहुत गहरे अर्थ लिए है यह पूरा बयान. चांडी 4 दशक तक चर्च तक जुड़ी रही, पर उसे अकेलापन मिला, शोषण मिला. जब तक इंसान की सभी इंद्रियां काम करती हैं और उसका उन पर पूर्ण नियं‍त्रण नहीं है तो भला बगैर सेक्‍स कैसे रहा जा सकता है? पादरी सेक्‍स के बिना नहीं रह सकते. जैसा कि इस पादरी के केस में हुआ. जैसा कि सेपेरेट एजुकेशन पा रहे बच्‍चों के साथ होता है. जब वे स्‍कूल से बाहर निकलते हैं तो क्‍या होता है....? या तो वे सेक्‍स को दबा देते हैं, या कुछ गलत कर जाते हैं. दोनों की स्थितियां भयावह हैं. दरअसल कुछ गलत किया जाना, पूर्व में दबाई गई भावनाओं का ही नतीजा है. भावनाओं को दबाने से वे खत्‍म नहीं हो जातीं, बल्कि ज्‍वालामुखी की तरह खतरनाक होती रहती हैं. जब फूटती हैं तो नतीजा बुरा ही होता है.
चांडी का यह कहना कि ''पादरी और नन दोनों ही मानवता की सेवा के लिए अपने संकल्‍प से भटककर शारीरिक ज़रूरतों की पूर्ति में लग गए हैं.'' साफ दर्शाता है कि सिर्फ पुरुष (पादरी) ही नहीं महिलाएं (नन) भी इस कृत्‍य में शामिल हैं, चाहकर या अनचाहे. चांडी ने यह भी कहा कि ऐसे अनुवभों से आजिज आकर उसने चर्च छोड़ा. मतलब, इस तरह के काम, सरेआम थे. स्‍वाभाविक है कि सेक्‍स पुरुष और स्‍त्री दोनों में जीवित है. दोनों को जब भी मौका मिलेगा, वे तृप्ति करेंगे. छिपकर. पादरियों और ननों के लिए छिपने के लिए धार्मिक संस्‍थानों से बेहतर जगह और कोई नहीं हो सकती.
सेक्‍स कोई गुनाह नहीं, जबकि वासना पूरी तरह से गुनाह है. रेप गुनाह है. बेहतर होगा कि पादरी और नन ऐसे नियुक्‍त हों, जो शादीशुदा जीवन बसर कर रहे हों या शादीशुदा जीवन गुज़ार चुके हों. कम से कम रेप जैसी घटनाओं में कमी आ सकती है.तभी चर्च भी हिन्दुओ के मंदिर की तरह रह सकता है

बुधवार, अगस्त 28, 2013

मंदिरों में "फालतू"(??) रखा सोना गिरवी रखा जाए, क्योंकि रिज़र्व बैंक के पास जितना सोना है, उससे संकट दूर नहीं होगा..

Suresh Chiplunkar
देश की पूरी तरह वाट लगाने के बाद अब काँग्रेस की निगाह पद्मनाभ मंदिर के खजाने पर है... एक "विद्वान"(?) पत्रकार ने कयास लगाया है कि रूपए की कीमत को रोकने के लिए मंदिरों में "फालतू"(??) रखा सोना गिरवी रखा जाए, क्योंकि रिज़र्व बैंक के पास जितना सोना है, उससे संकट दूर नहीं होगा...

पता नहीं अर्थशास्त्रियों के दिमाग में कैसे-कैसे विचार, कहाँ-कहाँ से आते हैं...
यानी एक तो अर्थशास्त्री, ऊपर से IMF और वर्ल्ड बैंक से रिटायर्ड, ऊपर से चुनाव लड़ने की चिंता नहीं... तो भला अब ये पद्मनाभ मंदिर का सोना बेचें या आपके घर से सोना जबरन उठवा लें, इनका कौन कुछ बिगाड़ लेगा...


http://blogs.wsj.com/indiarealtime/2013/08/26/can-temple-gold-help-the-rupee/
(खबर वाल स्ट्रीट जर्नल के ब्लॉग में प्रकाशित हुई है)...

==============
दाभोलकर के नास्तिक शिष्य और सेकुलरिज़्म की सडांध से भरे हुए लोग इस पोस्ट पर कमेन्ट ना ही करें तो बेहतर होगा...

शुभ संध्या (है तो नहीं)... लेकिन फिर भी रख लीजिए...    



The Padmanabhaswamy Temple in Thiruvananthapuram, Kerala, where enormous quantities of gold were found in the vaults in July 2011.

http://blogs.wsj.com/indiarealtime/2013/08/26/can-temple-gold-help-the-rupee/

At a time when nothing seems to be able to stem the Indian rupee’s decline, a novel idea to boost the currency is doing the rounds: use the tons of gold stashed away in people’s homes and in temples.
The rupee sank to an all-time low of 65.56 for one U.S. dollar on Thursday (before recovering slightly Friday,) partly on fears that India will find it tough to finance its wide current-account deficit; the gap reflects the fact that India imports more than its exports.
To lower the deficit, the Indian government has announced several steps in recent weeks to reduce its imports, such as raising the import duties on gold.
But market experts aren’t so sure that high prices will deter India’s gold buyers, so some people have come up with an alternate solution: recycle the gold already in India.
India currently holds around 20,000 tons of gold, according to the World Gold Council. At current prices, that would be worth $950 billion.
A small piece of this gold – around 558 tons  or 2.79% – is held by the Reserve Bank of India, making it the 11th largest official owner of gold in the world, according to data from the World Gold Council and International Monetary Fund.
The rest is held by households and individuals, in their homes or bank vaults, and by Indian temples, which have historically received gold bars, coins and even jewelry as donations from patrons.
There is no firm estimate of how much gold is held by Indian temples, but it is believed to be several thousand tons. In Sri Padmanabhaswamy temple in Kerala, where a large and intact hoard of temple treasure was discovered in 2011, there is estimated to be gold and jewelry valued at one trillion rupees (US$16billion.)
Jamal Mecklai, founder of Mumbai-based currency consulting firm Mecklai Financial, suggested that the Indian government should make use of some of this temple gold.
In a commentary published last week, Mr. Mecklai said the government should ask the Tirupati Trust Foundation, linked to the eponymous south Indian temple, to deposit its gold stock with India’s state-run banks.
Mr. Mecklai said the banks could pay the Tirupati Trust an interest for its gold, and then sell a large portion of the stock in the domestic market – thus ultimately, reducing the need to import. Mr. Mecklai estimated that the Tirupati Trust holds about 1,700 tons of gold, which would be worth around $81 billion.
On similar lines, an association of jewelers is suggesting that the government encourage individuals to deposit their gold jewelry with banks.
“If we will be able to bring out only 10% of the gold holdings, we don’t need to import any gold for the next two years,” Haresh Soni, chairman of the Mumbai-based All India Gems & Jewellery Trade Federation told India Real Time. Mr. Soni said he has submitted a plan to this effect to the government and some banks.
Indian banks already offer a so-called gold deposit scheme, in which they accept gold bars and jewelry from individuals and pay interest on it. But at the moment, banks require a minimum deposit of 500 grams of gold. Experts say this is too much to ask, since many individuals may want to deposit smaller quantities, say 100 to 200 grams.
Mr. Soni suggests that banks lower their minimum deposit required.
In another suggestion, London Bullion Market Association Chairman David Gornall told The Hindu Business Line newspaper that the Reserve Bank of India could swap the 200 tons of gold that it had bought from the International Monetary fund in 2009, for dollars. This will boost dollar inflows at a time, when foreign investors are taking out the greenback from the country.

मंगलवार, अगस्त 27, 2013

जादू टोने के विरुद्ध कानून लाया जा रहा है जो की सिर्फ हिंदुओं पर ही लागू होगा!

जादू टोने के विरुद्ध कानून लाया जा रहा है जो की सिर्फ हिंदुओं पर ही लागू होगा! जैसे कि अन्य धर्मो में यह सब नहीं होता! मुसलमान भी टोन टोटके मानते है और इसाई भी! इसाइयो में काफी अधिक है अंधविश्वास अगर किसी को संदेह है तो यूरोप में रह कर देख आये!

तो फिर यह कानून सिर्फ हिन्दुओं के लिए क्यों? क्या यह हिन्दू धर्म को समाप्त करने की साजिश तो नहीं? यह इतिहास सैकड़ो साल पहले भी दोहराया जा चूका है!

कई सदी पहले यूरोप में Pagan धर्म पाया जाता था जिसमे की प्रकृति की पूजा होती थी! उनके धर्म में भी शवो का दाह संस्कार शवो को जला कर होता था! पेड़ो और जीवो की महत्वता थी! बाद में इसाई धर्म फैलाने के लिए Pagan धर्म को शैतान के धर्म का दर्जा दिया गया! Pagan धर्म में विश्वास रखने वालो को शैतान के पुजारी होने का दर्ज दिया गया! अधिकतर को जादू टोना करने का आरोप लगा कारागार में डाल दिया गया! जैसे जैसे इसाई धर्म फैलाने की जद्दो जिहाद तेज़ हुयी वैसे वैसे ही अन्य धर्मो के दमन का चक्र तेज़ हुआ! कुल 3 सदी चला यह जिसमे एक लाख तक Pagan धर्म ज्ञानी लोगो मौत के घात उतरा गया!

औरतो की महत्वता थी तो इसासी धर्म के प्रचारको ने औरत को नरक का द्वार बताया बताया और काफी स्वतंत्र विचार रखने वाली औरतो को "चुड़ैल" की संज्ञा दे कर मरवा दिया! मौत भी ऐसी खौफनाक जिसकी कल्पना से रोये खड़े हो जाए!
बाकी का काम पोप की साल्वेशन आर्मी ने किया! आज सारा यूरोप इसाइयत के चपेट में है! यूनान जैसे देश में जिनके की अपने देवी देवता थे वह की आज एक कट्टर इसाई राष्ट्र है!

क्या हमारे देश को भी इसी पद्धति पर तेज़ी से इसाई राष्ट्र बनाने की साजिश नहीं कर रही है सोनिया गाँधी?
http://en.wikipedia.org/wiki/Witch_trials_in_Early_Modern_Europe

http://www.xtimeline.com/evt/view.aspx?id=656619

http://the-kundalini.com/witch-craft-trials-witch-trials-in-europe/

सोमवार, अगस्त 26, 2013

Simplicity has always been the hallmark of senior Bharatiya Janata Party leader Manohar Parrikar

In a country where VIPs are never known to move around without obstructing normal traffic and without being surrounded by a coterie of their own and security, here is the Chief Minister of Goa, Manohar Parrikar.

### DO SHARE ###

He moves around in cabs, takes drop as a pillion rider on two wheelers, travels economy class, carries his own luggage, no entourage surrounding him - simplicity which others of his stature rarely care about.

He is also the first BJP Chief Minister in Goa, no wonder people vote for him.

Simplicity has always been the hallmark of senior Bharatiya Janata Party leader Manohar Parrikar, who would be taking over as the Chief Minister of Goa on Friday, after his party received overwhelming majority in the recently held State Legislative Assembly elections.

Even as entire political activities were revolving around this one person, the Chief Minister-designate took time to walk down the city lanes to reach restaurant Cafeal, on Wednesday, a day after routing the Congress.

He walked through the narrow lanes sans security, as curious onlookers followed him.

After spending almost ten minutes amidst common people eating ‘paav bhaji’, he went to Varsha Book stall, from where he regularly buys newspapers and magazines.

He purchased a few with headlines roaring out BJP’s historic win, and later proceeded to a star hotel where senior BJP leaders were waiting for him.

He was thereafter elected as a leader of BJP legislative wing and also of the alliance.

On Thursday too, Mr. Parrikar went to the Mahalaxmi Temple, housing a deity which he believes in most. Later he mingled with thousands of Holi revellers at the Azad Maidan, again without any security, and came back fully coloured.

“He is a informal person. When he was Chief Minister, he even went to America with sandals on. He does not crave for posh clothes or style,” Rajendra Desai, a senior journalist, told PTI.

In 2004, when the state was hosting IFFI for the first time, Mr. Desai recalls how Mr. Parrikar donned a simple shirt and trouser to the function amidst celebrities who wore formals.

The two-time Chief Minister had also shocked everyone with his simple ways when he once walked out of the Rajasthan airport.

Senior leader Sushma Swaraj in an election campaign meeting narrated the anecdote.

“One day, I was waiting on an airport in Rajasthan when the staff came rushing to me and asked where is Goa CM (Parrikar) as he was expected to land in the flight.

We started searching for him and saw that Mr. Parrikar was already walking out of the airport with his bag hanging to shoulder without insisting for VVIP treatment,” she said.

Read some more here
http://ibnlive.in.com/blogs/rajengarabadu/707/63384/goa-cm-flies-the-way-you-and-i-do.html
http://www.thehindu.com/news/national/other-states/parrikars-austere-ways/article2976900.ece

रविवार, अगस्त 25, 2013

क्या है चौरासी कोस परिक्रमा, जानिए ?.........


क्या है चौरासी कोस परिक्रमा, जानिए ?.....................,

इटली की भक्ति करते करते अब दोगले कांग्रेसी हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति को भूल चुके है | इन दोगलो को ये नही मालूम की जब राजा दशरथ को कोई सन्तान नही थी तब उनको वशिष्ठ जी ने पुरे अयोध्या को चारो तरफ ८४ कोस का परिक्रमा करने को कहा .. फिर राजा दशरथ में सबसे पहले ८४ कोसी परिक्रमा की थी |
फिर बाद में ये परिक्रमा हिन्दुधर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया | भगवान राम हर वर्ष चौरासी कोसी परिक्रमा करते थे |
यहाँ तक की मुगलों के राज में और सबसे बदनाम मुगल शासक औरंगजेब के राज में भी कभी इस पर रोक नही लगी ..लेकिन आज इस परिक्रमा को रोक दिया गया है |

- मान्यताओं के मुताबिक अयोध्या के राजा राम का साम्राज्य 84 कोस (252‍ किलोमीटर) में फैला था। राज्य का नाम कौशलपुर था जिसकी राजधानी अयोध्या थी। इसी वजह से दशकों से 84 कोसी परिक्रमा की परंपरा है।

यात्रा के मार्ग में उत्तर प्रदेश के छह जिले आते हैं- बाराबंकी, फैजाबाद, गोंडा, बहराइच, अंबेडकरनगर और बस्ती जिला। उक्त जिलों में यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव होते हैं जहां रुककर यात्री आराम करते हैं।

कैसे करते हैं परिक्रमा : परिक्रमा करने वाले 84 कोस की दूरी पैदल, बस, ट्रैक्टर-ट्रॉली तथा अन्य साधनों से तय करते हैं। इनमें अधिकांश परिक्रमार्थी संपूर्ण परिक्रमा पैदल चलकर पूर्ण करते हैं।

यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं- धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है। सत्य बोलना, दूसरों के अपराधों का क्षमा करना, तीर्थों में स्नान करना, आचमन करना, भगवत निवेदित प्रसाद का सेवन, तुलसीमालापर हरिनामर कीर्तन या वैष्णवों के साथ हरिनाम संकीर्तन करना चाहिए।

परिक्रमा के समय मार्ग में स्थित ब्राह्मण, श्रीमूर्ति, तीर्थ और भगवद्लीला स्थलियों का विधिपूर्वक सम्मान एवं पूजा करते हुए परिक्रमा करें। परिक्रमा पथ में वृक्ष, लता, गुल्म, गो आदि को नहीं छेड़ना, साधु-संतों आदि का अनादर नहीं करना, साबुन, तेल और क्षौर कार्य का वर्जन करना, चींटी इत्यादि जीव-हिंसा से बचना, परनिन्दा, पर चर्चा और कलेस से सदा बचना चाहिए


क्या है चौरासी कोस परिक्रमा, जानिए ?.....................,

इटली की भक्ति करते करते अब दोगले कांग्रेसी हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति को भूल चुके है | इन दोगलो को ये नही मालूम की जब राजा दशरथ को कोई सन्तान नही थी तब उनको वशिष्ठ जी ने पुरे अयोध्या को चारो तरफ ८४ कोस का परिक्रमा करने को कहा .. फिर राजा दशरथ में सबसे पहले ८४ कोसी परिक्रमा की थी |
फिर बाद में ये परिक्रमा हिन्दुधर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया | भगवान राम हर वर्ष चौरासी कोसी परिक्रमा करते थे |
यहाँ तक की मुगलों के राज में और सबसे बदनाम मुगल शासक औरंगजेब के राज में भी कभी इस पर रोक नही लगी ..लेकिन आज इस परिक्रमा को रोक दिया गया है |

 - मान्यताओं के मुताबिक अयोध्या के राजा राम का साम्राज्य 84 कोस (252‍ किलोमीटर) में फैला था। राज्य का नाम कौशलपुर था जिसकी राजधानी अयोध्या थी। इसी वजह से दशकों से 84 कोसी परिक्रमा की परंपरा है।

यात्रा के मार्ग में उत्तर प्रदेश के छह जिले आते हैं- बाराबंकी, फैजाबाद, गोंडा, बहराइच, अंबेडकरनगर और बस्ती जिला। उक्त जिलों में यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव होते हैं जहां रुककर यात्री आराम करते हैं।

कैसे करते हैं परिक्रमा : परिक्रमा करने वाले 84 कोस की दूरी पैदल, बस, ट्रैक्टर-ट्रॉली तथा अन्य साधनों से तय करते हैं। इनमें अधिकांश परिक्रमार्थी संपूर्ण परिक्रमा पैदल चलकर पूर्ण करते हैं।

यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं- धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है। सत्य बोलना, दूसरों के अपराधों का क्षमा करना, तीर्थों में स्नान करना, आचमन करना, भगवत निवेदित प्रसाद का सेवन, तुलसीमालापर हरिनामर कीर्तन या वैष्णवों के साथ हरिनाम संकीर्तन करना चाहिए।

परिक्रमा के समय मार्ग में स्थित ब्राह्मण, श्रीमूर्ति, तीर्थ और भगवद्लीला स्थलियों का विधिपूर्वक सम्मान एवं पूजा करते हुए परिक्रमा करें। परिक्रमा पथ में वृक्ष, लता, गुल्म, गो आदि को नहीं छेड़ना, साधु-संतों आदि का अनादर नहीं करना, साबुन, तेल और क्षौर कार्य का वर्जन करना, चींटी इत्यादि जीव-हिंसा से बचना, परनिन्दा, पर चर्चा और कलेस से सदा बचना चाहिए

तो फट्टू हिन्दुओं ,आप चैन से सोते रहिये



जिन हिन्दुओं की चौरासी कौसी यात्रा का विवाद देखकर आगे से पेंट गीली हो रही है (अच्छे शब्दों में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ रहा है ) , उनके लिए पेंट पीछे से "पीली" होने लायक कुछ खबरें :-

चार दिन पहले आपकी ही लोकप्रिय समाजवादी पार्टी ने सारी सरकारी योजनाओं की 20 प्रतिशत धनराशी मुस्लिमों के लिए आरक्षित करने की घोषणा की है और आपको पता तक नहीं चला !!

कुछ महीने पहले आपकी यूपी की लोकप्रिय सरकार ने दुर्दांत आतंकवादियों की रिहाई की कोशिश सिर्फ इसलिए की क्योंकि वे मुस्लिम थे और आपको पता तक नहीं चला !!

आपके ही अखिलेश यादव जी "हमारी बेटी उसका कल" योजना लेकर आये जो सिर्फ मुस्लिम लड़कियों के लिए बनायीं गयी योजना है और आपको पता तक नहीं चला !!

आपकी ही कांग्रेसी असम सरकार ने वहां हिन्दुओं का नरसंहार करवाया , बांग्लादेशियों को बसवाया और आपको पता तक नहीं चला !!

आपके ही हैदराबाद प्रशासन ने मंदिर की घंटियों पर इसलिए रोक लगा दी की क्योंकि एक समुदाय विशेष को उससे "खलल" पड़ता था और आपको पता तक नहीं चला !!

छोटे छोटे बच्चों पर आपके ही शांतिप्रिय लोगों ने इसलिए हमला किया क्योंकि वे प्रभात फेरी में वन्दे मातरम गा रहे थे और आपको पता तक नहीं चला !!

आपकी ही लोकप्रिय कश्मीर सरकार ने किश्तवाड़ में हिन्दुओं की मारकाट का नंगा नाच करवाया और पूरे देश को वहां जाने तक पर प्रतिबन्ध लगा दिया और आपको पता तक नहीं चला

आपकी ही सेक्युलर केंद्र सरकार ने कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों के रिश्तेदारों को नौकरी और भत्ता देने की योजना बनायीं और आपको पता तक नहीं चला !!

तो फट्टू हिन्दुओं ,आप चैन से सोते रहिये , पेंट गीली हो या पीली , धोने पोंछने के लिए हम कट्टर सांप्रदायिक हिंदूवादी लोग है ना !!


अपनी बहिनों की मुल्लो से आबरू बचाना दो भाईयो को बहुत भारी पड़ा !!!

यूपी के मुजफ्फरनगर के कवाल क्षेत्र में कालेज की छुंट्टी के बाद गौरव के साथ घर जा रही परिवार की दो लड़कियों से 1.30 बजे शाहनवाज ने छेड़खानी की, जिसका गौरव ने विरोध किया। उस समय तो विवाद टल गया।इसके 15 मिनट के अंदर ही सचिन अपने रिश्ते के भाई मलिकपुरा निवासी गौरव के साथ बाइक से मौके पर पहुंचा। आरोप है कि दोनों ने शहनवाज पर हमला कर लहूलुहान कर दिया। जिसके बाद दर्जनभर मुल्लो ने दोनों की मोटर साइकिल घेर ली। इसके बाद दोनों को दौड़ा-दौड़ा कर तब तक पीटा गया जब तक उनकी जान नहीं चली गयी। क्रूरता का आलम ये कि एक युवक कि गोली से मृत्यु के बाद , दुसरे युवक की छाती पर चढकर उसका गला रेंतने के बाद उसके सिर पर चक्की के पाटो से कई बार प्रहार किया गया !!!

दोनों भाईयो ने बचने के लिए बाइक छोड़कर भागना चाहा, लेकिन चारों तरफ से लोगों ने दोनों को घेर लिया। नाली में गिरा-गिराकर धारदार हथियार से प्रहार किया। इसके बाद दोनों को ईट व पत्थरों से कुचल दिया। हैवानियत का नंगा नाच लगभग आधे घंटे तक चला। इतनी बड़ी घटना के बावजूद चंद कदम दूर स्थित पुलिस चौकी से कोई सिपाही घटनास्थल पर नहीं पहुंच सका।

मैं क्या कहू ???? क्या लिखू ??? बस आँखों में अंगार भरा हुआ हैं !!! आप भी क्या करोगे ??? मैंने लिख दिया हैं , उस पर लाइक की मूक सहमती टेक दोगे !!! आसाराम के खिलाफ दिन रात भौंकने वाली मिडिया ने दिखाई ये खबर ????? ये खबर हर मिडिया के पेज पर मैं तो डालने जा रहा हूँ , और दूंगा उन्हें खुलकर गालिया !!!!

मोदी के आने से देश नही सुधरेगा , देश सुधरेगा तुम्हारे सुधरने से !!!

वंदेमातरम्

अमित तेवतिया '' निःशब्द ''

अल्लाहु अकबर के नारे लगा लगा के इन बच्चो के शरीर का एक एक अंग कटा गया, पुरुष अंग तक कटा गया ! पत्थरो से मार मार के जान ले ली गयी और मरने के बाद भी लाश का सर कलम कर दिया गया ! मरने वाले हिन्दू और मारने वाले मुसलमान ! मरने वालो का कसूर इतना की बहन के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर पाए ! उत्तर प्रदेश का हर मुसलमान अपने को अखिलेश और मुलायम समझने लगा है ! पिछले एक सप्ताह में 6 सांप्रदायिक दंगे 10 से ज्यादा की मौत ! ये हालत तो अकेले मुज़फ्फर नगर जिले के है !उत्तर प्रदेश जल रहा है ! अब सेकुलरो को समझाने के लिए क्या करे? मीडिया कहाँ है कुछ पता नहीं ! शायद आशाराम वाला मुद्दा ज्यादा TRP देता है !
हिन्दू मुस्लिम की एकता की बात केवल वो लोग करते है जिनका ह्रदय निष्ठुर है जो दुसरो के दर्द को समझने की काबिलियत नहीं रखते या वो लोग है जिनको इतिहास का मुसलमानों की मानसिकता और ज़मीनी यथार्त का ज्ञान नहीं है
#जसवीर

शनिवार, अगस्त 24, 2013

#न्यूज चैनल है वो हमें हमारे #धर्म से दूर करने का प्रयास कर रहें हैं।


कृपया ध्यान से पूरी पोस्ट पढ़े और विचार करें: साथ अपने विचारों को जरुर बताएं:

आज जितने भी #न्यूज चैनल है वो हमें हमारे #धर्म से दूर करने का प्रयास कर रहें हैं। जब कोई #संत अच्छा कार्य करेंगे तो किसी न्यूज में नहीं दिखाया जाता और जैसे किसी के बारे में झूठा आरोप लगता है तो तुरंत सभी न्यूज चैनल पे ब्रेकिंग न्यूज बना कर दिखाया जाता है। जब पंडित जी मंदिर में घंटी बजायेगे तो ज्यादा घंटी बजा दी बता कर न्यूज दिखाया जाता है। हमेशा धर्म को अंधविश्वास बताया जाता है। ओ माई गौड जैसी बकवास फिल्मो को बहुत तारीफ के साथ उसका प्रचार किया जाता है। आप बताओ हमारे संत जो भी समाज के लिए अच्छा काम करते है क्या वो दिखाया जाता है ? क्या उनके दुनिया को सवारने का प्रयास की जानकारी हम तक मिल पाती है ?

जवाब है नहीं, जब दिखाया जायेगा तो सिर्फ नकारात्मक न्यूज ताकि लोग धर्म को छोड़ दें। आप ये बात समझो आज कोई किसी का हत्या, चोरी या और किसी भी तरह का अपराध करने से डरता है तो मात्र कानून के कारण, पर अगर उस इन्सान को ये समझ आ जाये की मैं कानून से बच सकता हूँ तो वो खुले हाँथ से अपराध करता है। पर अगर उसे ये समझ आ जाये की तू कानून से अपने पहुच के कारण बच जायेगा पर उस परमात्मा से नहीं बचेगा। वहाँ तेरी कोई पैरवी, पहुँच नहीं चलेगी। वो हर पर्दे के पीछे तुझे देख रहा है तो बोलो कोई कभी अपराध करेगा हीं नहीं। और इस बात क्या ज्ञान तुम्हे कैसे होगा ? मात्र और मात्र संत के द्वारा हीं हो सकता है। और उन्ही संतो के बारे में झूठा आरोप न्यूज पे दिखाया जाता जाता है। एक बात याद रखो जिस दिन संत दुनिया में नहीं होंगे एक पल भी दुनिया नहीं टिकेगी। इसका सर्वनाश हो जायेगा। और साधू - संत जितने भी वो जन मानस के हित के लिए कार्य करते हैं उन्हें कोई नहीं दिखता। दिखाया जायेगा तो सिर्फ गलत न्यूज।

एक और बात है किसी संत पर आरोप लगता है तो सब को तुरंत विश्वास हो जाता है और अगर किसी से कहो की वहाँ निशुल्क पढाया जाता है, वहाँ निशुल्क ऑपरेशन होता है, वहाँ निशुल्क विकलांगो का इलाज होता है तो लोगो का तुरंत जवाब होता है ! "क्या हम देखे है क्या भरोसा की ये सब सेवा निशुल्क हो रहा है, खुद देखेंगे तो न, ऐसे बिना देखे कैसे भरोसा करें ? " और उसी पापी व्यक्ति को संतो के बारे में झूठा गलत बात न्यूज चैनलों के माध्यम से पता चलेगी तो बोलेगा "देखा इन लोगो को क्या कर रहे हैं" अरे पापी! जब तू अच्छी बातों को देख के हीं विश्वास है करता है तो गलत बात को बिना देखे कैसे विश्वास कर लिया ? अगर अच्छी बातों को तुझे देखना जरुरी है, तो बुरी बातो को भी तो न मान। और ये क्यों हो रहा है क्यों की सभी पर पाप सवार है और जब पाप सवार होता है तो हर जगह पाप हीं दीखता है। इसी को समझाने के लिए एक सुन्दर प्रसंग है:

"एक बार #भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन और दुर्योधन को अपने पास बुलाया और एक कागज दिया और अर्जुन से कहा की तुम इसमें दस बुरे व्यक्ति का नाम लिख कर मुझे दो, नाम उनके लिखना जो तुमको बुरे लगते हों। और दुर्योधन को भी दिया एक कागज और कहा की इसमें दस अच्छे व्यक्तियों के नाम लिखना, जो तुम्हे अच्छे लगते हो। और इसके लिए भगवान ने कुछ समय निर्धारीत कर दिया। समय पूरा होने पर दोनों ने सादा कागज भगवान को लौटा दिया। भगवान ने पूछा ऐसा क्यों ? अर्जुन बोले! भगवान मुझे कोई बुरा नहीं दिख रहा, सब में कुछ न कुछ अच्छाई है। और दुर्योधन बोला! भगवान कोई भी अच्छा नहीं है, सब में कुछ न कुछ बुराई है। तब श्री कृष्ण ने बताया की तुम खुद बुरे हो इसलिए तुम्हे सब बुरा हीं लगता है। अर्जुन स्वयम अच्छा है इसलिए उसे सबका अच्छाई हीं दीखता है।"

इसी तरह तुम अच्छे बात पर विश्वास नहीं करते और बुरे पर तुरंत करते हो। पर इस आदत को बदलो। पर तुम्हारी सामर्थ नहीं की तुम स्वयं खुद को बदल सको। इसके लिए भी तुम्हें #साधू - #संतो के आवश्यकता पड़ेगी। भगवान की कथा - सत्संग की आवश्यकता पड़ेगी।

उदाहरण स्वरुप संतो के द्वारा होने वाले कुछ परोपकार के कार्य जो कोई न्यूज चैनल नहीं दिखाती:

संत श्री आसाराम जी बापू के आश्रम के सेवाकार्यों की झलक
सत्संगः देश-विदेश में सदविचारों, सुसंस्कारों, यौगिक क्रियाओं व स्वास्थ्यप्रद युक्तियों का ज्ञान बाँटा जा रहा है। असंख्य लोग असाध्य रोगों से मुक्ति पा रहे हैं। ध्यान योग शिविरों में कुंडलिनी योग व ध्यान योग द्वारा तनाव व विकारों से छुटकारा दिलाकर लोगों की सुषुप्त शक्तियों को जागृत किया जाता है।
विद्यार्थी उत्थान शिविरः इनमें पूज्य बापूजी के सान्निध्य में विद्यार्थियों को ज्ञान-ध्यान-यौगिक क्रियाओं का प्रसाद प्राप्त होता है।
सत्साहित्य प्रकाशनः आश्रम द्वारा 14 भाषाओं में 345 पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है। मासिक पत्रिका ʹऋषि प्रसादʹ 7 भाषाओं में प्रकाशित की जा रही है। मासिक पत्र ʹलोक कल्याण सेतुʹ भी प्रकाशित होता है।
बाल संस्कार केन्द्रः ये 18000 केन्द्र विद्यार्थियों में सुसंस्कार सिंचन में रत हैं। पिछड़े लोगों का विकासः गरीबों, आदिवासियों को नियमित निःशुल्क अनाज-वितरण, भंडारे (भोजन-प्रसाद वितरण), अनाज, वस्त्र, बर्तन, बच्चों को नोटबुकें, मिठाई प्रसाद आदि का वितरण तथा नकद आर्थिक सहायता देने का कार्य बड़े पैमाने पर होता है।
प्याऊः सार्वजनिक स्थलों पर शीतल छाछ व जल का निःशुल्क वितरण होता है।
ʹभजन करो, भोजन करो, रोजी पाओʹ योजनाः जो बेरोजगार या नौकरी-धंधा करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें सुबह से शाम तक जप, कीर्तन, सत्संग का लाभ देकर भोजन और रोजी दी जाती है ताकि गरीबी, बेरोजगारी घटे व जप-कीर्तन से वातावरण की शुद्धि हो। आपातकालीन सेवाः अकाल, बाढ़, भूकंप, सुनामी तांडव – सभी में आश्रम ने निरंतर सेवाएँ दी हैं।
गौ-सेवाः विभिन्न राज्यों में 9 बड़ी गौशालाओं का संचालन हो रहा है, जिनमें कत्लखाने ले जाने से रोकी गयीं हजारों गायों की सेवा की जा रही है।
ʹयुवा सेवा संघʹ तथा युवाधन सुरक्षा व व्यसनमुक्ति अभियानः इनसे युवाओं को मार्गदर्शन मिल रहा है तथा व्यसनों के व्यसन छूट रहे हैं।
चिकित्सा-सेवाः निर्दोष चिकित्सा पद्धतियों से निष्णात वैद्यों द्वारा उपचार किये जाते हैं। ʹनिःशुल्क चिकित्सा शिविरोंʹ का आयोजन होता है। दूर-दराज के आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में चल-चिकित्सालय जाते हैं। अस्पतालों में सेवाः मरीजों में फल, दूध व दवाओं का वितरण किया जाता है। और भी बहुत सारे सेवा कार्य है जिसकी विस्तृति जानकारी के लिए इस लिंक पे जाये www.ashram.org
क्या मीडिया ने ये सब दिखाया ?

(1) विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष परम पूज्य शांतिदूत श्री #देवकीनंदन #ठाकुर जी महाराज के द्वार हमेशा समय - समय पर सेवा शिविर। उत्तराखंड आपदा में महाराज श्री ने स्वयम जा कर शांति सेवा शिविर के द्वारा पीड़ितो की सेवा की । उतराखंड में मृतकों के आत्मा के शांति के लिए वृन्दावन में यज्ञ। गंगा माँ, यमुना माँ की रक्षा हेतु शांति पद यात्रा। उत्तराखंड के राहत के लिए पाँच लाख का चैक दिया गया। बच्चो सत्मार्ग पर लाना,समाज के विकास करना, गौ माता की सेवा और रक्षा हो, गंगा माँ, यमुना माँ की रक्षा हेतु शांति सेवा परिवार का गठन। समय - समय पर कम्बल, चादर इत्यादि वितरण कार्य। निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर। और भी अनेको सेवा कार्य।

(2) नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक पूज्य साधू #कैलाश मानव जी के द्वारा नारायण सेवा संस्थान के माध्यम से निशुल्क विकलांग बच्चो का ऑपरेशन। निशुल्क दवा, इलाज, खाने, रहने, सभी की सेवा। मानसिक विकलांग जिसे उनके माँ बाप नहीं रखते वो उन्हें नारायण सेवा संस्थान में छोड़ देते है और संस्थान उन्हें रखती है। और भी अनेको सेवा कार्य।

(3) विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट के संस्थापक परम पूज्य राष्ट्रीय संत श्री #चिन्मयानंद बापू जी के द्वारा मीमांसा विद्या पीठ (हरिद्वार) का निर्माण, जहा निशुल्क बच्चो को शिक्षा दी जाएगी जो निर्माणाधीन है। उतराखंड में बापू जी ने स्वयम जा कर पीड़ितो की सेवा की। समय - समय पर अनेको सेवा कार्य विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा किये जाते हैं।

(4) परम पूज्य #बाबा #रामदेव जी के द्वारा उत्तराखंड आपदा सेवा कार्यों में पतंजली योगपीठ ने सबसे प्रथम भूमिका निभाई। आचार्य कुलम का निर्माण। जिसमे बच्चो का भविष्य उज्जवल होगा और वो शिक्षित होने के साथ चरित्रवान भी बनेगे। समाज को सुधारने के लिए अपने को समर्पित कर दिया है बाबा जी ने।

(5) परम पूज्य जगद्गुरु #कृपालु जी महाराज के द्वारा उत्तराखंड राहत कोष में एक करोड़ का सहयोग प्रदान किया गया। समय - समय पर अनेको सेवा कार्य। जगद्गुरु कृपालु परिषत के द्वारा निशुल्क अस्पताल। जगद्गुरु कृपालु परिषत के द्वारा निशुल्क शिक्षा। और भी अन्य सेवा कार्य।

संतो के किसी भी सेवा कार्य को किसी भी न्यूज चैनल पर नहीं दिखाया जाता। ये तो एक उदाहरण स्वरुप है जिससे आपको पता चले की संतो के किसी भी सेवा कार्य को आप नहीं जान पाते। ये तो बहुत धन्यवाद है धार्मिक चैनलों (आस्था, आस्था भजन, संस्कार, अध्यात्म, श्रद्धा,) का जो हमें इन संतो से जोड़ कर रखते है। इस लिए किसी भी संत पे जब कोई आरोप लगे, तो ध्यान रखो, बिना सोचे - समझे कभी मत विश्वास करो। क्यों की अगर तुम संतो से दूर हो गए तो तुम्हारा पतन निश्चित है।

इस बात पे आप सब के क्या विचार है कृपया जरुर बताये।

जय जय श्री राधे श्याम

शुक्रवार, अगस्त 23, 2013

क्या आप जानते हैं..मोती लाल नेहरु की 1 धर्म पत्नी और 4 अन्य अवैध पत्नियाँ थीं.

क्या आप जानते हैं... श्री मोती लाल नेहरु के
परिवार को ? अरे वोही.... जवाहरलाल नेहरु का बाप...!!! अब पढिये।।

मोती लाल नेहरु की 1 धर्म पत्नी और 4 अन्य अवैध
पत्नियाँ थीं.
(1) श्रीमती स्वरुप
कुमारी बक्शी (विवाहिता पत्नी) से दो संतानें
थीं .
(2) थुस्सू रहमान बाई - से श्री जवाहरलाल नेहरु
और शैयद हुसैन. (अपने मालिक मुबारक अली से
पैदा हुए थे! मालिक को निपटा दिया उसके बाद
उसकी धन संपत्ति और बीबी बच्चे हथिया लिए
थे )
(3) श्रीमती मंजरी - से
श्री मेहरअली सोख्ता (आर्य समाजी नेता ).
(4) ईरान की वेश्या - से मुहम्मद अली जिन्ना .
(5) नौकरानी (रसोइया )- से शेख
अब्दुल्ला (कश्मीर के मुख्यमंत्री ).
(1) श्रीमती स्वरुप
कुमारी बक्शी (विवाहिता पत्नी) से दो संतानें
थीं
A. श्रीमती कृष्णा w/o श्री जय सुख लाल
हाथी (पूर्व राज्यपाल ).
B. श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित w/o
श्री आर.एस.पंडित (पूर्व. राजदूत रूस), पहले विजय
लक्ष्मी ने अपने आधे भाई शैयद हुसैन से सरारिक
सम्बन्ध स्थापित किये थे जिससे संतान हुई
चंद्रलेखा जिसको श्री आर.एस.पंडित ने
अपनी बेटी के रूप में स्वीकार किया !
*********************
(2) थुस्सू - रहमान बाई - से श्री जवाहरलाल नेहरु
और शैयद हुसैन -
यह इनके मालिक मुबारिक अली की संतान
थी जिनको इन्होने मुबारिक की मौत के बाद
अपना लिया था. मुबारक अली की एक और
संतान थी मंज़ूर
अली जोकि इंदिरा की खुनी पिता थे
चोसेकी जवाहर ने कमला कॉल
को कभी अपनी पत्नी नहीं माना था और
सुहागरात भी नहीं मनाई! कमला कश्मीरी पंडित
थी यह जवाहर को एकदम
नहीं जाचा चोसेकी वोह सिर्फ मुल्ले या अँगरेज़
को ही उच्ची रचे का घोडा मानते थे!
कमला की जिंदगी एक दासी के प्रकार
सी थी जिस अबला नारी को मंजूर अली ने
ही हाथ थम लिया था! इसी कारण वस नेहरु
को इंदिरा जरा भी नही सुहाती थी! अब जब
कनोनन तौर पर
इंदिरा ही उसकी बेटी थी इसलिए न चाहते हुए
भी उसको इंदिरा को आगे
बढ़ाना पड़ा हलाकि उसके
जीतीजी इंदिरा कोई खेल नहीं कर पाए थी!
वोह तो बेचारे शास्त्री जी इसकी बातों मई
आकर ताशकंत चले गए थे पाकिस्तान से
समझोता करने वहां इंदिरा ने याह्या खान
की मदद से शास्त्री जी को जहर देकर मर
डाला था और बताया की मौत ह्रदय
की गति रुकने से हो गए. कोई पोस्ट मोर्तेम
नहीं कोई रिपोर्ट नहीं. इंदिरा ने मौका पते
ही झट से कुर्सी हड़प ली थी
प्रियदर्शिनी नेहरु उर्फ़ मैमूना बेगम उर्फ़
श्रीमती इंदिरा खान -w/o श्री फिरोज जेहंगिर
खान (पर्शियन मुस्लमान) जोकि बाद में
गाँधी बन गए थे!
से दो पुत्र एक राजीव खान (पिता फ़िरोज़
जेहंगिर खान) और संजीव खान (पिता मोहम्मद
युनुस), तीसरा बच्चा जो म. ओ. मथाई
(जवाहरलाल का पी ऐ)
जिसको गिरा दिया गया चोसेकी वोह
आशंका थी की कही रंग दबा हुआ (काला)
निकला तब कैसे मुह चुपएँगी!
*********************
(3) श्रीमती मंजरी - से 1 पुत्र श्री
मेहरअली सोख्ता (आर्य समाजी नेता ).
*********************
(4) ईरान की वेश्या - से
मुहम्मद अली जिन्ना
*********************
(5) नौकरानी (रसोइया ) से
शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के मुख्यमंत्री ). शेख
अब्दुल्लाह के दो पुत्र फारूक अब्दुल्ला , पुत्र उमर
अब्दुल्ला
**************************
नेहरु ने देश के ३ टुकड़े करे थे – इंडिया (इंदिरा के
लिए), पाकिस्तान (अपने आधे भाई जिन्ना के
लिए) और कश्मीर (अपने आधे भाई शेख अब्दुल्लाह के
लिए)! अरे वाह वाह एक ही परिवार तीनो जगह
सियासत! बही मन्ना पड़ेगा नेहरु के दिमाग को!
यह वही नेहरु है जिनके मुह बोले पिता मोतीलाल
के पिता गयासुद्दीन गाजी जमुना नहर वाले
देल्ली से चम्पत हो गए थे १८५७ की म्युटिनी में और
जाकर चुप गए कश्मीर में! जेहा अपना नाम
परिवर्तित किया था गयासुद्दीन गाजी से
पंडित गंगाधर नेहरु! नया नाम और सर पर
गाँधी टोपी लगाये पहुच लिए इलाहबाद! लड़के
को वकील बनाया और लगा दिया मुबारक
अली की लॉ कंपनी में जेहा अपनी कर्तूरतो से
बाज नहीं आये!
नोट:- एक घर से तीन प्रधानमन्त्री और
चौथा राहुल को कांग्रेस बनाने जा रही है !
साभार - जॉन मथाई की आत्मकथा से
(जवाहरलाल नेहरु के व्यक्तिगत सचिव ).

वर्ण और जाति में भेद

वर्ण और जाति में भेद


भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में वर्ण व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वर्ण का शब्दिक अर्थ है - वरण करना, रंग, एवं वृत्ति के अनुरूप। वरण का अर्थ है - चुनना अथवा व्यवसाय का निर्धारण। इस अर्थ के अनुसार विद्वान ‘वर्ण’ को व्यक्तियों का समूह मानते हैं। ऋग्वेद में ‘आर्य’ तथा दस्यु’ में अन्तर स्पष्ट करने के लिए ‘वर्ण’ शब्द का प्रयोग हुआ है। जो विद्वान वर्ण का अर्थ ‘वृत्ति’ मानते हैं, उनके अनुसार जिन व्यक्तियों का स्वभाव समान होता है उनसे ही एक ‘वर्ण’ का निर्माण हुआ। किन्तु इन सब धारणाओं से वर्ण के ‘वर्ण व्यवस्था’ वाले अर्थ का स्पष्टीकरण नहीं होता।

‘गीता’ में श्रीकृष्ण ने एक स्थल पर कहा है कि ‘मैंने गुण और कर्म के आधार पर चार वर्णो का निर्माण किया है। पुराणों में भी अनेक स्थानों पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र को क्रमशः शुक्ल, रक्त, पीत और कृष्ण कहा है। ‘वर्ण’ शब्द का अर्थ इस प्रकार विवादस्पद है। किन्तु यह निश्चित है कि प्राचीन सामाजिक विभाजन ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों में था जिसका अन्तर्निहित उद्देश्य सामाजिक संगठन, समृद्धि, सुव्यवस्था को बनाये रखना था।

‘वर्ण की उत्पत्ति’

हमारे धर्म ग्रन्थों ने वर्ण की उत्पत्ति की विस्तार से व्याख्या की है।
प्राचीन आदर्श वर्ण व्यवस्था यद्यपि आज पूर्णतया विकृत हो चुकी है और आज इसका समाज में कोई अस्तित्व नहीं है। वर्ण व्यवस्था के सम्बन्ध में ऋग्वेद के ‘पुरुषसूक्त’ में निम्नलिखित श्लोक मिलता है -

“ब्राह्मणों स्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः।
ऊरु तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत।।” 1

अर्थात् ईश्वर ने स्वयं चार वर्णों की सृष्टि की। इन वर्णों का जन्म उसके शरीर के विभिन्न अंगों से हुआ, मुख से ब्राह्मण की, बाहु से क्षत्रिय की, ऊरु से वैश्य की और पैंरों से शूद्र की उत्पत्ति हुई। मुख शरीरांगों में सर्वोच्च है तथा उसका काम बोलना मनन, चिन्तन है, तद्हेतु ब्राह्मण वर्ण का कार्य भी पठन-पाठन, कथा-वाचन व प्रवचन नियत किया गया। बाहु भौतिक बल की प्रतीक है। इनके द्वारा ही रक्षण, भरण-पोषण, आदि कार्य होता है। अतएव क्षत्रिय का प्रथम धर्म प्रजा रक्षण माना गया है। आक्रमण, आप्ति आदि से रकषा करना उसका कर्तव्य है। इन्द्रिय संयम, यज्ञानुष्ठान, सत्य भाषण, न्याय का रक्षण, सेवकों का भरण-पोषण, अपराधी को दण्ड देना, धार्मिक कार्यों का सम्पादन आदि कर्म क्षत्रिय का धर्म माने गए। इसी हेतु वे समाज रक्षक बने और उन्हें प्रजा पालन का काम सौंपा गया। ऊरु उत्पादन की द्योतक है। तद्हेतु वाणिज्य व्यापार द्वारा उत्पादन वैश्यों का प्रमुख कर्तव्य माना गया। व्यापार, ब्याज लेना, पशुपालन, खेती, ये सब वैश्यों के सनातन धर्म माने गए। पैर का स्थान सबसे नीचे है और वह सेवा का प्रतीक है। इसलिए ही शूद्रों का समाज में निम्न स्थान माना गया और द्विजों की सेवा-पूजा उनका कर्तव्य।

महाभारत में भी शूद्र का परम कर्तव्य तीनों वर्णों की सेवा करना बताया गया। इसी प्रकार ‘मनु’ ने ‘मनुस्मृति’ में लिखा है कि शूद्रों का कार्य तीनों वर्णों के लोगों की बिना किसी ईर्ष्या भाव से सेवा करना है। स्पष्ट है कि चारों वर्णों में ब्राह्मण और क्षत्रिय को लगभग समान महत्व दिया गया, ब्राह्मण को ज्ञानी, क्षत्रिय को शूरवीर, वैश्यों को धन का स्वामी, व शूद्रों को सर्वसेवक कहा गया। चिन्तक ‘श्री अरविन्द’ के अनुसार “समाज में मनन, चिन्तन, पठन-पाठन में संलग्न ब्राह्मणों का सर्वोच्च स्थान माना गया, तदनन्तर प्रजा रक्षण व राज्य की देख भाल करने वाले क्षत्रियों का द्वितीय तथा सबसे अन्तिम किन्तु आदृत स्थान वाणिज्य व्यापार करने वाले वैश्यों को माना गया।” 2

महाभारत में भी विभिन्न वर्णों की उत्पत्ति का उल्लेख इस प्रकार किया गया है कि “उस पुरुष को हमारा प्रणाम है जो ब्राह्मणों को मुख में, क्षत्रियों को बाहुओं में, वैश्यों को ऊरु में, तथा शूद्रों को पैरों में धारण किये है।“

ब्राह्मण ग्रन्थों में गायत्री के भिन्न-भिन्न मंत्र भिन्न-भिन्न वर्णों के लिए बताए गए तथा ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों के लिए बलि की अलग-अलग पद्धतियों का विधान बताया गया है। बसन्त ऋतु में ब्राह्मणों, ग्रीष्म में क्षत्रियों और शरद ऋतु में वैश्यों के लिए यज्ञ जैसा पावन कर्म निषिद्ध बताया गया है।

“बृहदारण्यकोपनिषद” में मानव जाति के चारों वर्णों की उत्पत्ति का आधार ब्रह्मा द्वारा रचित देवताओं के चार वर्ण बताए गए हैं। इन्द्र, वरुण, सोम, यम आदि क्षत्रिय देवताओं, रुद्र, वसु, आदित्य, मरुत आदि वैश्य देवताओं, पुशान आदि शूद्र वर्ण के देवताओं की सृष्टि ईश्वर द्वारा की गई और इन सबसे पूर्व ब्राह्मणों की सृष्टि हो ही चुकी थी। इस वर्ण व्यवस्था के आधार पर ही मानव जाति में भी क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्णों की सृष्टि की गई।

‘भृगु संहिता’ में भी चारों वर्णों की उत्पत्ति का उल्लेख इस प्रकार है कि सर्वप्रथम ब्राह्मण वर्ण था, उसके बाद कर्मों और गुणों के अनुसार ब्राह्मण ही क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण वाले बने तथा इन वर्णों के रंग भी क्रमशः श्वेत, रक्तिम, पीत और कृष्ण थे। बाद कें तीनों वर्ण ब्राह्मण वर्ण से ही विकसित हुए। यह विकास अति रोचक है जो ब्राह्मण कठोर, शक्तिशाली, क्रोधी स्वभाव के थे, वे रजोगुण की प्रधानता के कारण क्षत्रिय बन गए। जिनमें तमोगुण की प्रधानता हुई, वे शूद्र बने। जिनमें पीत गुण अर्थात् तमो मिश्रित रजो गुण की प्रधानता रही, वे वैश्य कहलाये तथा जो अपने धर्म पर दृढ़ रहे तथा सतोगुण की जिनमें प्रधानता रही वे ब्राह्मण ही रहे। इस प्रकार ब्राह्मणों से चार वर्णो का गुण और कर्म के आधार पर विकास हुआ।
गीता में श्रीकृष्ण ने भी चारों वर्णो का विभाजन गुण और कर्मो के आधार पर ही बताया है। याज्ञवक्य, बौधायन, वशिष्ठ आदि ने भी चार वर्णो को स्वीकार किया है।
‘वर्ण व्यवस्था का आधार जन्म अथवा कर्म’ - यह एक बड़ा ही विवादस्पद विषय है। इस विषय में विद्वानों के तीन वर्ग हैं - पहला वर्ग वह जो वर्ण व्यवस्था का आधार ‘जन्म’ मानता है। दूसरा वर्ग वह जो ‘कर्म’ को ही वर्ण विभाजन का आधार बताता है तथा तीसरा वर्ग वह जो समन्वयवादी सिद्धान्त का प्रतिपादक है अर्थात् जो जन्म और कर्म दोनों को वर्ण व्यवस्था का आधार मानता है।

‘वर्ण व्यवस्था का आधार जन्म है’ - ‘वी.के.चटोपाध्याय’ ने वर्ण व्यवस्था का आधार जन्म बताया है। इसके लिए उन्होंने कुछ प्रमुख व्यक्तियों के उदाहरण दिए हैं -यथा-युधिष्ठिर ब्राह्मणोचित गुणों से युक्त थे, लेकिन जन्म से क्योंकि वे क्षत्रिय वर्ण के थे, अतएव क्षत्रिय ही कहलाए। इसी प्रकार द्रोणाचार्य रणनीति के कुशल ज्ञाता थे तथा युद्ध करना उनका कर्म था, लेकिन जन्म के वर्ण के आधार पर वे ब्राह्मण ही माने गये। निःसन्देह व्यक्ति के गुण उसे जन्म से ही प्राप्त होते हैं, पूर्व जन्म में जो कर्म किए गए हों उन्हीं के अनुसार उसके गुणों का निश्चय होता है। ‘वर्ण व्यवस्था का आधार कर्म है’ - हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य का वर्ण निर्धारण कर्म और गुणों के आधार पर ही होता है जैसा कि‘मनु’ने ‘मनुस्मृति’ में बताया है –

“शूद्रो बा्रह्मणतामेति ब्राह्मणश्चेति शूद्रताम्।
क्षत्रियाज्जात्मेवन्तु विद्याद् वैश्यात्तथैव च।।” 3

अर्थात् शूद्र कुल में उत्पन्न होकर ब्राह्मण, क्षत्रिय के समान गुण, कर्म स्वभाव वाला हो, तो वह शूद्र, ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य हो जाता है। वैसे ही जो ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य कुल में उत्पन्न हुआ हो, उसके गुण व कर्म शूद्र के समान हो, तो वह शूद्र हो जाता है, वैसे ही क्षत्रिय या वैश्य कुल में उत्पन्न होकर ब्राह्मण व शूद्र के समान होने पर, ब्राह्मण व शूद्र हो जाता है। ऋग्वेद में भी वर्ण विभाजन का आधार कर्म ही है। निःसन्देह गुणों और कर्मो का प्रभाव इतना प्रबल होता है कि वह सहज ही वर्ण परिवर्तन कर देता है; यथा विश्वामित्र जन्मना क्षत्रिय थे, लेकिन उनके कर्मो और गुणों ने उन्हें ब्राह्मण की पदवी दी। राजा युधिष्ठिर ने नहुष से ब्राह्मण के गुण - यथा, दान, क्षमा, दया, शील चरित्र आदि बताए। उनके अनुसार यदि कोई शूद्र वर्ण का व्यक्ति इन उत्कृष्ट गुणों से युक्त हो तो वह ब्राह्मण माना जाएगा।

‘भागवत पुराण’ भी गुणों को ही वर्ण निर्धारण का प्रमुख आधार घोषित करता है। प्रख्यात दार्शनिक ‘राधा कृष्णन’ भी गुण और कर्म के आधार पर वर्ण विभाजन मानते हैं। वर्ण व्यवस्था को वे कर्म प्रधान व्यवस्था कहते हैं। ‘डा.धुरिये’ के अनुसार वर्ण, मानव रंग से संबंधित है। प्राचीनकाल में मानव समाज में ‘आर्य तथा दस्यु’ दो वर्ण थे। द्रविड़ों को पराजित करने वाले आर्य शनैः शनैः स्वयं की द्विज कहने लगे। बाद में आर्यो तथा द्विजों की वृद्धि होने पर उनके कर्म भी विविध प्रकार के हो गए। तभी उनके विविध कर्मो के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र इन चार वर्णो की उत्पत्ति हुई। इसी प्रकार ‘आपस्तम्ब सूत्रों’ में भी यही बात कही गई है कि वर्ण ‘जन्मना’ न होकर वास्तव में ‘कर्मणा’ हता है -

“धर्मचर्ययाजधन्योवर्णः पूर्वपूर्ववर्णमापद्यतेजातिपरिवृत्तौ।
अधर्मचर्यया पूर्वो वर्णो जधन्यं जधन्यं वर्णमापद्यते जाति परिवृत्तौ।।”4

अर्थात् धर्माचरण से निकृष्ट वर्ण अपने से उत्तम वर्ण को प्राप्त होता है और वह उसी वर्ण में गिना जाता है - जिस-जिस के वह योग्य होता है । वैसे ही अधर्म आचरण से पूर्व अर्थात् उत्तम वर्ण वाला मनुष्य अपने से नीचे-नीचे वाले वर्ण को प्राप्त होता है और उसी वर्ण में गिना जाता है।

वर्णाश्रम व्यवस्था के विषय में गाँधी जी के विचार उल्लेखनीय है -
“मेरी सम्मति में वर्णाश्रम मानवीय स्वभाव में अन्तर्ग्रथित है। हिन्दू धर्म ने केवल इसे एक वैज्ञानिक रूप दे दिया है। ये चार वर्ण तो मनुष्य के पेशों की परिभाषा करते हैं। वे सामाजिक पारस्परिक सम्बन्धों को निर्बाधित या नियमित नहीं करते।” 5
निःसन्देह व्यक्ति के गुण उसे जन्म से ही प्राप्त होते हैं। पूर्व जन्म में जो कर्म किए गए हैं, उन्हीं के अनुसार उसके गुणों का निश्चय होता है। वे गुण उसके वर्तमान जीवन को प्रभावित करते हैं। इन्हीं गुणों के आधार पर वह उच्च से निम्न व निम्न से उच्च वर्ण को प्राप्त हो जाता है। जैसे बाल्मीकि जाति के शूद्र थे, किन्तु अपने आचार- व्यवहार तथा गुणों के बल से ब्राह्मण कहलाए।

‘समन्वयवादी दृष्टिकोण’ - वर्ण व्यवस्था का सर्वोत्कृष्ट दृष्टिकोण है समन्वयवादी दृष्टिकोण। इसके अनुसार वर्ण व्यवस्था का व्यवहारिक आधार जन्म और कर्म दोनों हैं। क्योंकि वर्ण निर्धारण में केवल जन्म या केवल कर्म को ही आधार मान लेना न्याय संगत नहीं। व्यक्ति पहले तो जन्म के अनुसार ही ब्राह्मण या वैश्य आदि कहलाता है। लेकिन बाद में उसके कर्मों और गुणों को देखकर उसका वर्ण परिवर्तन आवश्यक हो जाता है। अतएव जन्म और कर्म दोनों के आधार पर वर्ण निर्धारण करना अधिक वैज्ञानिक और व्यवहारिक है।

‘जाति का अर्थ और परिभाषा’- ---

जहाँ वर्ण का संबंध जन्म के साथ-साथ कर्म और गुणों से होता है, वहाँ जाति का संबंध केवल जन्म से ही होता है। वर्ण व्यवस्था यदि एक आदर्श विचार है, तो जाति व्यवस्था एक संकीर्ण एवं निकृष्ट विचार है। वर्ण व्यवस्था यदि एक बृहत नैतिक व्यवस्था है जो समाज को सन्तुलित और संगठित करती है, तो वहाँ जाति व्यवस्था समाज को टुकड़ों में बाँट देने वाली व्यवस्था है, जिसमें जन्म से ही व्यक्ति ऊँचा या नीचा मान लिया जाता है। अतएव वर्ण व्यवस्था संगठन को जन्म देने वाली है तथा जाति व्यवस्था विघटन को। जाति की विभिन्न विद्वानों के अनुसार विभिन्न परिभाषाएँ उल्लेखनीय हैं -

‘सरसिजले’ के अनुसार - “जाति उन परिवारों अथवा परिवार समूहों का एक संकलन है, जो एक सामान्य नाम धारण किए हुए है, जो किसी काल्पनिक पूर्वज, मनुष्य या देवता से एक सामान्य वंश परम्परा या उत्पति का दावा करते हैं, जो एक ही परम्परागत व्यवसाय अपनाये जाने पर बल देते हैं और एक सजातीय समुदाय के रूप में मान्य होते हैं तथा जो अपना ऐसा मत व्यक्त करने योग्य हैं।” 6

‘ब्लण्ट’ के अनुसार - “जाति एक अन्तर्विवाही समूह या अन्तर्विवाही समूहों का संकलन है, जो एक सामान्य नाम धारण किए होता है, जिसकी सदस्यता वंशानुगत होती है। वह सामाजिक सहवास के क्षेत्र में अपने सदस्यों पर कुछ प्रतिबन्ध लगाता है। उसके सदस्य एक सामान्य परम्परागत व्यवसाय करते हैं अथवा किसी सामान्य आधार पर अपनी उत्पत्ति का दावा करता हैं और इस प्रकार एक समरूप समुदाय के रूप में मान्य समझा जाता हैं।” 7

‘हट्टन’ के अनुसार - “ जाति वह व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत सम्पूर्ण समाज अनेक आत्मकेन्द्रित तथा एक दूसरे से पृथक-पृथक इकाईयों में विभाजित होता है। इन इकाईयों के आपसी संबंध ऊँच-नीच के आधार पर सांस्कृतिक रूप से निश्चित होते हैं।” 8

‘स्मिथ’ के अनुसार - “जाति परिवारों के उस समूह को कहते हैं, जो विवाह, खान-पान सम्बन्धी कुछ संस्कारों की पवित्रता का पालन करने के लिए बनाए गए नियमों से बँधा हो।” 9

ये सभी परिभाषाएँ अनेक दृष्टियों से अपूर्ण हैं। किसी में जाति को एक समुदाय बताया गया है, जो बिल्कुल त्रुटिपूर्ण है; तो किसी परिभाषा में जाति और गोत्र को एक ही मान लिया गया है। जाति के सांस्कृतिक पक्षों की ओर भी कोई संकेत नहीं दिया गया है। वैसे उपर्युक्त सभी परिभाषाओं में ‘हट्टन’ की परिभाषा सर्वाधिक उचित प्रतीत होती है। वस्तुतः समस्त तत्वों को समेटते हुए जाति की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है - “जाति एक ऐसी संकीर्ण व्यवस्था है, जो समाज का खण्डात्मक विभाजन कर देती है। जिसके कारण व्यक्तियों पर खान-पान और सामाजिक सहवास संबंधी कुछ प्रतिबन्ध लगे होते हैं; जिनका पालन आवश्यक होता है तथा उन प्रतिबन्धों व नियमों का उल्लंघन करने पर व्यक्ति जाति से अलग भी माना जा सकता है। जाति प्रथा में छुआछूत के आधार पर उच्च तथा निम्न जातियों को सामाजिक और धार्मिक विशेषाधिकार दिए जाते हैं तथा विवाह संस्था को नियमित बनाने के लिए विवाह संबंधी नियम और निषेध भी सभी व्यक्तियों द्वारा मान्य होते हैं।”

इस प्रकार जाति प्रथा की निम्नलिखित विशेषताएँ लक्षित होती हैं। -

प्रथम, स्थिति, पद, कार्य के आधार पर जाति समाज का खण्डात्मक विभाजन कर देती है। प्रत्येक जातिगत खण्ड अपनी जाति के नियमों व रीतिरिवाजों का पालन करने के लिए बाध्य होता है।

द्वितीय, यह एक ऐसी संकीर्ण व्यवस्था है, जो व्यक्तियों के, समाज में ऊँचे-नीचे स्तरों की सृष्टि कर उनमें भेदभाव को जन्म देती है। यथा समाज में इसी जातिगत भावना के कारण ब्राह्मण को सर्वोच्च माना जाता है तथा शूद्र को सबसे निम्न व तिरस्कृत जाति वाला समझा जाता है। व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य इस प्रकार का भेदभाव उनमें प्रतिस्पर्धा को जन्म देता है।

तृतीय, जातियाँ अपने-अपने खण्डों पर कुछ विशेष नियमों, बन्धनों को आरोपित करती हैं, जो खान-पान, रहन-सहन से सम्बन्धित होते हैं। कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में तो इस प्रकार के नियम बन्धन सबसे अधिक जटिल हैं। सामाजिक सहवास संबंधी नियमों के आधार पर निम्न जाति वालों के लिए उच्च जाति वालों का संसर्ग निषिद्ध होता है।

चतुर्थ, छुआछूत के कारण तथा समाज के उच्च-निम्न, खण्डात्मक विभाजन के कारण ब्राह्मण जाति क्योंकि सबसे पवित्र और पूजनीय है, अतएव उसे समस्त सार्वजनिक स्थलों में जाने का अधिकार है। लेकिन शूद्र क्योंकि अपवित्र निम्न जाति है, अतएव वह प्रत्येक सामाजिक स्थलों में प्रवेश पाने की अधिकारी नहीं है।

पंचम, जाति प्रथा के अनुसार प्रत्येक जाति का जातिगत व्यवसाय होता है,जिसे अपनाए रखना नैतिक और धार्मिक रूप से अनिवार्य माना जाता है। वही व्यवसाय जीविकोपार्जन का आधार होता है।

षण्ठ, जाति व्यवस्था ने विवाह जैसे भावनात्मक और पवित्र संबंध को भी नियमों में बाँधने से नहीं छोड़ा। जाति प्रथा के अनुसार व्यक्ति अपनी ही जाति में विवाह कर सकता है। जाति से बाहर किए गए विवाह अस्थिर और शीघ्र ही समाप्त होते देखे गए हैं। इसलिए विवाह सम्बन्ध की नियमितता व स्थिरता के लिए जाति प्रथा के अनुसार जाति से बाहर विवाह निषिद्ध होता है।


लेकिन आधुनिक काल में जाति और वर्ण सम्बन्धी मान्यताओं में बहुत अधिक परिवर्तन आ रहा है। रुढवादिता और संकीर्णता शनैः शनैः दूर हो रही है। जातिगत बन्धन और नियमों का अतिक्रमण सामान्य रूपेण लक्षित होता है। जाति प्रथा शिथिल होती जा रही है तथा भारतीय सामाजिक जीवन में प्रगतिसूचक परिर्वतन आते जा रहे हैं...............

गुरुवार, अगस्त 22, 2013

कभी गौर किया है -

कभी गौर किया है -

मुस्लिम महिला आसानी से 8-10 बच्चे सामान्य जचकी से कर लेती हैं

बिना दवाओं के - लेकिन ज़्यादातर हिन्दू महिलाओं का ऑपरेशन होता है ।

इस कारण दो से अधिक संतान नहीं हो सकती -----------------------------

क्या कोई साजिश है ??

आसाराम #बापू को बदनाम करने के लिए क्या क्या साजिश करेंगे ये इसाई मिशनरी लोग?

(सबूत के साथ यह पोस्ट पढ़िए और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे)

आसाराम #बापू को बदनाम करने के लिए क्या क्या साजिश करेंगे ये इसाई
मिशनरी लोग?
कल किसी लड़की "के द्वारा" आसाराम बापू पर गलत आरोप लगाये गए और उसके तुरंत बाद सोशल मीडिया पर यह तस्वीर फैलाई गयी और कहा गया की यह आसाराम बापू की तस्वीर है ।
बहुत से लोग शायद मान भी गए होंगे ।
लेकिन फोटो में ये दो लोग है विरातो और धिरजा ।
विरातो विदेश में एक ओशो समर्थक गुरु थे और धिरजा उनकी पत्नी ।
बस दिखने में विरातो #आसाराम बापू की तरह लगते है इसीलिए विरातो और धिरजा की यह तस्वीर #हिन्दू-विरोधियों ने हर जगह फैलाई ताकि आसाराम बापू को बदनाम किया जा सके ।

जो लोग हिन्दू धर्म छोड़कर दुसरे धर्मो में चले गए है उनसे निवेदन है की कृपया हिन्दू धर्म को व्यर्थ बदनाम ना करे ।
भारत में जन्मे हो, भारत से गद्दारी ना करो ।
यहाँ का खाके यहाँ न थूको ।

कुछ लिंक >

१) http://www.oshonews.com/2013/02/virato/

२) http://www.newfrontier.com/russia/Virato&Dhiraja.jpg

३) http://www.newfrontier.com/dhiraja/bio.htm

४) http://www.newfrontier.com/russia/Russian_Women.htm



अभी सुमेरपुर पली और जोधपुर के साधको के हवाले से खबर आई हैं की जोधपुर कलेक्टर ऑफिस तयह हाई कोर्ट के परिसर में सभी साधक और धर्मप्रेमी एकत्रित हुए तथा आश्रम बापू के खिलाफ लगाये आरोपों के बारे में जवाब माँगा ...............आधिकरिओन ने बताया के लड़की की मेडिकल जाँच नेगेतिवे आई जिसमे दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है उन्होंने ये भी बताया की मीडिया की आफ्वाहो पे ध्यान न दे ...................लो खा ली न मुह की ...तो मीडिया वालो जाओ और मुह कला कर लो......छुपने की जगह ढूंढो.......... .....बापूजी की फ़ौज करेगी मौज..............झूट का मुह कला सच का बोलबाला......
#आसाराम #बापू :------ अहमदाबाद (#गुजरात) के

आरोप लगाने वाली लड़की :--------- शाहजहांपुर (यू.पी.) की

आरोप लगाने वाली लड़की ने रिपोर्ट का कहना है कि बापू ने उसके साथ बलात्कार किया :----- जोधपुर (राजस्थान) में

बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाई गई है :------- नई दिल्ली के उस पुलिस थाने में जिसके पास जिस्मफरोशी की मंदी (जी.वी. रोड) है!

है ना अजीब बात ! यह बलात्कार का मामला निराधार है, इसकी पुष्टि यहीं हो जाती है!

साल में अरबों रूपये हिन्दू धर्म के विनाश हेतु व्यय करने वाली #पोप की #ईसाई मिशनरीज़ जानती है कि हिन्दू जाती के आधार उनके #धर्म #गुरु होते होंते हैं! ऑयर सोनिया गधी ईसाई मिशनरीज़ की मुख्य अध्यक्ष है इण्डिया में! गद्दार कांग्रेस पार्टी जानती है कि आसाराम बापू, रामदेव, श्री-श्री रविशंकर जैसे हजारों संत-महात्मा अपने करोड़ों भक्तों को यदि एक बार कह दें कि देश के हित में वोट मोदी को दे दो ... तो उनके करोड़ों भक्त उनका कहा अवश्य मानेंगे!
इसलिए सोनिया गांधी और उसकी तलवे चाटू #कांग्रेस मोदी के दमन और हिन्दू जाति के सर्वनाश के लिए उनके धर्म गुरुओं को बार-बार ऐसे गंदे आरोप लगवाकर उनको बदनाम करने में लगी हुई है ताकि हिंदुओं की श्रद्धा और विश्वास उनके धर्मगुरुओं से हट जाये !

तथ्यों को सुनकर विश्वास मत करो बल्कि उसकी अंदर घुसकर पूरा रहस्य जानो ............... आप मनुष्य हो न कि गौमांस खाने वाले कटुआ ...................

सुना है आसाराम बापू के विरुद्ध योंन उत्पीडन का केस हुआ है,

वैसे ये कोई नया मामला नहीं है,
लाखो अनाथ बच्चो को अपने आश्रम में रख कर ईसाईयों के धंधे को चोपट कर रखा है आसाराम बापू ने,
पिछली बार भी उनके आश्रम में ईसाई एजेंट्स ने 2 बच्चो की हत्या करके आरोप बापू आसाराम पर मढने की कोशिश की थी, वही दिल्ली रेप काण्ड पर भी उनके ब्यान को जिस तरह से तोडा मरोड़ा गया था वो भी काफी निंदनीय था,
पर भला हो सुदर्शन न्यूज का जिसने उनका असली ब्यान जनता के सामने रखा,
समय समय पर ईसाई मिशनरी अब हिन्दू साधू संतो को बदनाम करने का कुचक्र रच रहे है,
ये वही आसाराम है जिन्होंने सोनिया गन्दी के मिशन भारत ईसाईकरण को हवा में उड़ा कर रख दिया है,
क्या किसी मीडिया ने अब तक आसाराम बापू के उन सेवा कार्यों को जनता के सामने लाने का प्रयास किया है जिनसे आज लाखो -करोडो लोग लाभान्वित हो रहे है .
क्या किसी मीडिया ने अब तक यह दिखाया की देश-विदेश में उनके द्वारा सदविचारों, सुसंस्कारों, यौगिक क्रियाओं व स्वास्थ्यप्रद युक्तियों का ज्ञान बाँटा जा रहा है। असंख्य लोग असाध्य रोगों से मुक्ति पा रहे हैं
क्या किसी मीडिया ने अब तक कब यह दिखाया की गाव –गाव सहर- सहर व्यवसनमुक्ति अभियान चला लाखो का जीवन नर्क के आग में जाने से बचाया है बापू ने ,
प्राकृतिक प्रकोप में सहायता रूप बापू ने हजारों को रहने के लिए पक्के मकान बना के दिए है क्या ये किसी बिकाऊ मिडिया ने बताया है आज तक..?
उनकी प्रेरणा से ३५००० के उपर समितियाँ हर सहर में विद्वार्थी व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन करती है ताकि हमारी युवा शक्ति तेजस्वी और उन्नत बने क्या आप ने यह कभी अपने टीवी चैनल पर देखा है..? .
आज बापू के आश्रम में पचासों हज़ार गायों की सेवा होती है जिसे कत्ल खानों में काटने से बचाया गया . क्या किसी मीडिया ने अब तक कभी यह दिखाया है ...?
सौ दो सौ नहीं हजारों गरीब बच्चे उनके आश्रम गुरुकुल में मुफ्त शिक्षा पा रहे है भोजन कपडे और आश्रय के साथ क्या किसी मीडिया ने अब तक कभी यह दिखाया...?
भजन करो भोजन पाओ और जाते-जाते ८० -१०० रूपए दक्षिणा भी ले जाओ जैसे अभियान बापू जी के प्रेरणा से एक नहीं हजारों अदिवासी इलाको में चलायी जा रहे है ,क्या किसी मीडिया ने अब तक कभी यह दिखाया...?
बापू अपने सत्संग प्रसाद ने लाखों को तनाव व विकारों से छुटकारा दिलाकर जीवन उन्नत कर रहे है उन पर इस प्रकार का आरोप मडना अत्यंत ही लज्जा जनक है .

Suresh Chavhanke - Bindas Bol fans
कईयों की सोच है कि आसाराम बापू
का विवादों से गहरा रिस्ता है इस
विवादों के रिस्ता पर थोडा़ नजर
डाला जाये।

नब्बे के दशक में आडवाणी की रथ यात्रा में
आसाराम बापू ने अहम भूमिका निभाई। रथ
यात्रा के लिये बापू के जनाधार जुटाने में
बड़ी भूमिका निभाई। उस जनाधार
को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी ने बापू की जमकर
तारीफें कीं। इसके बाद दिल्ली के एक
समागम में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने
उनके पैर तक छुए थे। कुछ दिन पहले कांग्रेस
द्वारा रामदेव महराज के बचाव में
आसाराम बापू नें खुल कर रामदेव महराज के
पक्ष में बोले थे। इस से पहले भी हिन्दुस्तान
तथाकथीत के महारानी और राजकुमार
को आसाराम बापू जी खडी़-खडी़ सुना चुके
हैं।
कुछ दिन पहले भी आसाराम बापु पर यौन
शोषण का आरोप लग चुका है इससे पहले वर्ष
2009 में राजू चंडक उर्फ राजू लंबू नाम के
आश्रम में ही काम करने वाले इस व्यक्ति ने
कोर्ट के सामने हलफनामे में लिखकर
दिया था कि आसाराम बापू तंत्र-मंत्र
की आड़ में लड़कियों का यौन शोषण करते हैं।
राजू का दावा था कि उसने खुद देखी।
मामले की छानबीन आगे बढ़ी, लेकिन कुछ
ही दिन बाद एक न्यूज चैनल ने स्टिंग
ऑपरेशन के जरिये राजू लंबू का चिठ्ठा खोल
दिया। स्टिंग ऑपरेशन में पता चला कि राजू
संत आसाराम को यौनशोषण के मामले में जेल
पहुंचाने के उद्देश्य से 5 लाख रुपए में एक
लड़की को लेकर आया था। उस
लड़की को बाकायदा पुलिस के सामने बयान
देने के लिये ट्रेनिंग दी गई। उस
लड़की को प्रशिक्षण देने वालों में एक
वकील भी था, जिसने उसे बताया कि उसके
किस बयान पर आसाराम बापू पर कौन
सी धारा लगेगी। इससे पहले राजू उस
लड़की को लेकर प्रेसवार्ता करता, न्यूज
चैनल ने टीवी पर स्टिंग ऑपरेशन फ्लैश कर
दिया, जिसके बाद उसे पुलिस ने गिरफ्तार
कर लिया। राजू लंबू आसाराम बापू के आश्रम
में 20 साल तक काम कर चुका था और उनके
ट्रस्ट में ट्रस्टी भी था। राजू लंबू किस
कारण से आसाराम बापू को बदनाम करने
का कोशीश किया आज तक
किसी मिडीया ने नही दिखाया।
बापू जी या उनके साधकों द्वारा चलाये
जा रहे इसाई वनवासी बन्धुओं की घर
वापसी कार्यकम्र के कारण इसाई
मिशनरी और कांग्रेस सरकार आसाराम
बापु को हमेशा से फुटी आँख नही सुहाती है।
आज समय है सभी देशभक्त आसाराम बापू के
साथ खडे़ रह कर इसाई मिश्नरी के
दुस्प्रचार के द्वारा देश तोड़ने के कार्य
की भर्तसना करें। आसाराम बापू के साथ डट
कर खडा़ रहें।
हिन्दू धर्म को तोड़ने का बहुत ही घृणित सडयँत्र किया जा रहा है और इसी चलते हिदू समाज में संतो के प्रति आस्था को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है . जय हिंद
!! नमो नमः हिन्दू धर्म !!
!! नमे भारतम् !!

क्या चर्च पोषित दलाल मीडिया वालो
ने कभी ये खबर दिखाई???

क्या मीडिया वालो ने कभी ये हैडलाइन दी 'पादरी पर लगा बलात्कार का आरोप'

लिंक:

http://m.youtube.com/watch?v=m1Nl5VAX6xM&desktop_uri=%2Fwatch%3Fv%3Dm1Nl5VAX6xM
.