गुरुवार, मई 31, 2018

पशु बचाओ देश बचाओ

1959 की क्यूबा की कम्युनिस्ट क्रांति से पूर्व क्यूबा अमेरिका को बीफ निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश था। हालत ये हो गई थी कि क्यूबा में दुधारू पशुओं खास कर गायों की भारी कमी हो गई थी। कामरेड फिडेल कास्त्रो ने सत्ता सम्हालते ही गोवध पर रोक लगा दी और दोषी पाए जाने पर 10 वर्ष की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान किया जो अभी भी लागू है। क्यूबा ने गायों की कमी दूर करने के लिए भारत और कनाडा से गायें मंगवाई और भारी पैमाने पर डेरी फार्मिंग शुरू की। सप्ताह में कभी तीन से चार दिन मांस खाने वाले क्यूबाई लोग शाकाहारी बन गये। आज पशुपालन और कृषि क्यूबा की आय का मुख्य आधार है। भारत में बेहिसाब गोवंश और दुधारू पशुओं के वध का सिलसिला जो चल पड़ा है वो एक दिन क्यूबा में जो स्थिथि 1959 से पूर्व थी वेसी हो जाएगी। हो क्या जाएगी हो गई है। आज पशुओं की कमी के कारण रासायनिक खाद का प्रयोग होने लगा है जो बिमारियों की जड़ बन चुकी है। सिंथेटिक दूध बिक रहा है। सोयाबीन का दूध और दही बिक रहा है। गाँवों में कभी एक किसान के घर में पशुओं का रेवड होता था वहां अब गिनती के पशु रह गये हैं। ट्रेक्टर ने बेलों को खत्म कर दिया और आयातित पाउडर के पोलिपेक और डिब्बा बंद दूध ने गाय भेंस और बकरी को। अगर समय रहते नहीं चेते तो बहुत बुरे दिन आने वाले हैं। बच्चे दूध क्या होता है भूल जायेंगे। पशु बचाओ देश बचाओ।

शनिवार, मई 26, 2018

रेडक्लिफ के किस्से भारत और पाकिस्तान

ML Gurjar Lachipura ‘पाकिस्तान को लाहौर इसलिए दे दिया ताकि उनके पास कोई तो ढंग का शहर हो' ''मैंने तो लाहौर भारत को दे दिया था, लेकिन तभी मुझे अहसास हुआ कि पाकिस्तान के पास कोई बड़ा शहर नहीं है। मैं कलकत्ता पहले ही भारत को दे चुका था। मुझे लाहौर पाकिस्तान को देना पड़ा।''ये कहना था भारत-पाकिस्तान के बीच बंटवारे की लाइन खींचने वाले सिरील रेडक्लिफ का। लॉर्ड माउंटबेटन ने रेडक्लिफ को बाउंड्री कमीशन का चेयरमैन बनाया था। उन पर ही सीमा रेखा खींचने की पूरी जिम्मेदारी थी। रेडक्लिफ ने लाहौर के किस्से के बारे में एक इंटरव्यू में इसका जिक्र किया था। बंटवारे के ऐसे ही कई किस्से हैं, जो हम यहां बताने जा रहे हैं। # किस्सा नं.

 1 पाकिस्तान को एक बड़ा शहर देना था इसलिए लाहौर दे दिया लाहौर को पाकिस्तान में देने का किस्सा भी बहुत दिलचस्प है। लाहौर में हिंदू और सिख कम्युनिटी के लोग और उनकी प्रॉपर्टी ज्यादा संख्या में थी। इसके बावजूद ये शहर पाक को सिर्फ इसलिए दे दिया गया, क्योंकि उसके पास कोई बड़ा शहर नहीं था। भारत में बंटवारे की लकीर खींचने वाले रेडक्लिफ ने अपने एक इंटरव्यू में ये बात बताई थी। उन्होंने कहा था कि उनके पास इसके सिवा कोई विकल्प ही नहीं था। 'पाकिस्तानियों को शुक्रगुजार होना चाहिए' मुस्लिमों से भेदभाव के आरोप पर भी रेडक्लिफ ने कहा था, 'पाकिस्तानियों को मेरा शुक्रगुजार होना चाहिए, क्योंकि मैंने तर्कों से हटकर उन्हें लाहौर सौंप दिया, जोकि भारत का हिस्सा होना चाहिए था। बंटवारा करने में मैंने हिन्दुओं से ज्यादा मुस्लिमों का पक्ष लिया।

#किस्सा नं. - 2 मुस्लिम मेंबर ने छुट्टियां मनाने के लिए मांगा था दार्जिलिंग दार्जिलिंग भारत की मशहूर टूरिस्ट प्लेस में से है। बाउंड्री कमीशन का एक मुस्लिम मेंबर इसे पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहता था। बाउंड्री कमीशन के चेयरमैन रेडक्लिफ ने बताया था कि बंगाल से आने वाले एक मुस्लिम मेंबर ने अकेले में ले जाकर उनसे इस बारे में बात भी की थी। मेंबर ने कहा था, ''मैं और मेरी फैमिली हर साल गर्मियों में छुट्टियां मनाने दार्जिलिंग जाते हैं। ऐसे में अगर दार्जिलिंग भारत के हिस्से में चला गया, तो वहां जाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा।

#किस्सा नं.- 3 ऐन वक्त पर भारत के हिस्से में आ गया फिरोजपुर शहर बंटवारे में पंजाब का कौन सा हिस्सा भारत में रहेगा और कौन-सा पाकिस्तान के हिस्से में जाएगा, ये रेडक्लिफ तय कर चुके थे। उन्होंने हिंदुस्तान के नक्शे पर बंटवारे की लकीर भी खींच दी थी, लेकिन माउंटबेटन के दबाव में उन्हें ये फैसला बदलना पड़ा था। माउंटबेटन ने उन्हें खाने पर इनवाइट किया था। यहां खाने की मेज पर कई जगहें इधर से उधर कर दी गईं। इनमें फिरोजपुर जिला और जार तहसील भी शामिल थे, जो ऐन वक्त पर पाकिस्तान से भारत के हिस्से में आ गए थे। माउंटबेटन नेहरू के दबाव में आ गए थे और उनके कहने पर ही रेडक्लिफ को फिरोजपुर भारत को देना पड़ा था।

#किस्सा नं. - 4 ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगा दीमक लगा पाकिस्तान जिन्ना ने जब मुस्लिमों के लिए अलग देश पाकिस्तान की डिमांड रखी थी, तब माउंटबेटन ने उन्हें आगाह किया था कि तुम्हें अपंग, बिखरा हुआ और दीमक लगा पाकिस्तान मिलेगा, जो ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगा। दरअसल, लाहौर रेजोल्यूशन के मुताबिक, मुस्लिम लीग पंजाब और बंगाल में आने वाले किसी भी मुस्लिम जोन की डिमांड नहीं कर सकती थी, ये दोनों दलों के समर्थन पर ही निर्भर था। ऐसे में जिन्ना के चाहने से उन्हें कुछ नहीं मिलना था। बंटवारे से नाखुश जिन्ना ने माउंटबेटन को गुस्से में ये तक कह दिया था कि मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप मुझे कितना बड़ा या छोटा हिस्सा देंगे, लेकिन जो भी हिस्सा होगा वो मेरा अपना होगा

#किस्सा नं.- 5 बंटवारे से पहले महिंद्रा एंड मोहम्मद थी महिंद्रा कंपनी भारत की बड़ी कंपनियों में से एक महिंद्रा एंड महिंद्रा का भी आजादी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। 1945 में जब इस कंपनी ने लुधियाना में स्टील ट्रेडिंग कंपनी शुरू की थी, तब कंपनी में जेसी महिंद्रा और केसी महिंद्रा भाइयों के साथ एक पार्टनर गुलाम मोहम्मद भी हुआ करते थे। वहीं, कंपनी का नाम महिंद्रा एंड महिंद्रा की जगह महिंद्रा एंड मोहम्मद था। 1947 में जब बंटावार हुआ, तो गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गए और वहां की कैबिनेट का हिस्सा बने। ऐसे में बाद में कंपनी का नाम बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा कर दिया गया। , https:// www.youtube.com/watch?v=GaZXAmnNDak

गुरुवार, मई 24, 2018

कठुआ तो एक टेस्ट ड्राइव था , असली निशाना तो भारतीय सेना हैं

 मैं ना कहता था कि कठुवा तो एक test-Drive है , असली निशाना इंडियन आर्मी है । वामी मीडिया, BollyDawood, कश्मीरी पुलिस और जिहादी नेता के समर्थन से कठुवा का fake Case बनाया गया, ताकि अगर ये experiment सफल हुवा तो आगे भारतीय सेना को fake rape केस में फँसा कर "Rapist Indian army" का खेल खेला जा सके। आपको मेजर गोगोई तो याद ही होंगे, वही मेजर गोगोई जिन्होंने एक कश्मीरी आतंकी को अपने jeep से बांध कर सफलतापूर्वक तरीके से कश्मीर में Election करवाया था, अब कठुवा फ़र्ज़ी बलात्कार कांड की अपार सफलता के बाद वामी मीडिया , BollyDawood और कश्मीरी पुलिस के nexus ने उन्ही मेजर गोगोई पे एक कश्मीरी लड़की का बलात्कार का आरोप लगाया..पहले चरण में इस news को सागरिका घोष, बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई ने धडाधड Tweet मारा...लेकिन दूसरे चरण में BollyDawood की छोकरियां अपने हाँथ में playboard लेके " I AM ASHAMED OF INDIAN ARMY" कहती , उसके पहले ही ये Fake news का गुब्बारा फुट गया। सारा मामला खुल के सामने आ गया है कि एक कश्मीरी युवक "समीर अहमद" एक लड़की को लेकर मेजर गोगोई के होटल में आया...वो मेजर गोगोई से मिलने की ज़िद करने लगा लेकिन होटल मैनेजर ने उन्हें मिलने नहीं दिया और बहसबाज़ी होने पर लोगों ने पुलिस को बुला लिया...अब क्योंकि कहानी पहले से तैयार थी, तो सागरिका घोष, बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई ने धडाधड Tweet कर दिए , की मेजर गोगोई बलात्कारी निकला..अब सच सामने आने के बाद वो पुराने गाने की Lyrics tweet करते देखे गए हैं। इसके पहले भी सोफियां में 2 कश्मीरी लड़कियों के डूब के मर जाने को कश्मीरी पुलिस ने Rape बता कर इंडियन Army के 2 जवान को फंसा दिया था, पर CBI जांच होने पे सारी साजिश बेनकाब हो गयी थी। आंखे खोलो भाइयों, उनका निशाना साफ है हिन्दू, हिंदुस्तान, हिंदुस्तानी सेना को बदनाम करना , हमें भी खुद को तैयार रखना है , 2019 आते-आते ऐसे हमलों की बाढ़ आ जायेगी। हर्षवर्धन साभार

बुधवार, मई 23, 2018

कांग्रेस मुक्त भारत के साथ - साथ सवर्ण मुक्त भारत - ??

दिनेश कुमार प्रजापति

 कांग्रेस मुक्त भारत के साथ - साथ सवर्ण मुक्त भारत - ?? सच्चाई ये है जिसे जनता राम भक्त समंझ रही है वो सच्चा अम्बेडकर भक्क्त हो चुका है , क्या आपने चुनाव जीतने के बाद एक भी बार अयोध्या जाते हुए मोदी जी को देखा है ?? पहले कांग्रेस ने आग लगाई तो हम सभी ने यह सोचा कि भाजपा हमारी पार्टी है जी भर कर वोट दिए और दिलवाए लेकिन भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत के साथ साथ सवर्ण मुक्त भारत पर उतारू हो गई और यह तो सत्ता की लालच के लिए कांग्रेस से भी ज्यादा गिर गई। BJP अब BSP-2 बन चुकी है मोदी जी जिस तरह आप आरक्षण और SC/ST एक्ट पे जोर दे रहे है अगर उतना जोर राम मंदिर पे देते तो आज राम मंदिर बन गया होता !! जिस तरह से आपने आडवाणी जी , मुरली मनोहर जोशी , यशवंत सिन्हा जैसे हिंदूवादी नेताओ को किनारे किया ये साबित होता है कि आपकी हिदुत्व छवि सिर्फ एक जुमला बाजी है 4 सालो में एक भी हिंदुत्व का काम नही हुआ ! आखिर मोदी जी कहा गया आपका 56 इंच का सीना ?? या ये भी एक जुमला है ?? 56 इंच के सीने की बात करू तो 56 इंच का सीना वास्तविक रुप से तो हमने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का देखा है जिन्होंने डंके की चोट में बांग्लादेश से आरक्षण को पूर्ण रुप से समाप्त कर दिया... मुझे पता है बहुत से सवर्ण नेताओ की गुलामी करते है क्योकि ये जय चंद बने बैठे है ...लेकिन कब तक गुलामी करोगे ?? तुम्हारे जो बच्चे होंगे वो नेताओ की गुलामी करे इसकी क्या गारंटी है ?? आरक्षण के मुद्दे पे क्यो मुँह पे ताला लगा के बैठे हो ??? क्यो अपने आका से जबाब नही माँगते ?? हिंदुत्व के ठेकेदार कह जानी वाली सरकार गौ- हत्या , कश्मीरी पंडित का पुनर्वास , राममंदिर , जैसे काम क्यो नही कर पा रही सिवाय बयान वाज़ी के ... जितना आरक्षण और SC/ST एक्ट पे जोर दे रहे है उतना राममंदिर पे क्यो नही दे पा रहे ?? याद रहे SC/ST एक्ट से हजारों निर्दोष सवर्ण और OBC वाले फसाये जा चुके है ...और अब इसको सरकार नोवी अनुसूची में डालने जा रही है ..याद रहे SC/ST एक्ट का विरोध नही हुआ तो भविष्य में स्वर्ण और ओबीसी वालो के लिए ये गले का फंदा साबित होगा ... मोदी जी आप SC/ST एक्ट के लिए तो सुप्रीम कोर्ट के विरुद्ध जाने की दम रखते हैं लेकिन राम मंदिर पर क्यो नही ?? आपके नेता बोलते है "कसम राम की खाते है मंदिर वही बनाएंगे" अपने बाप की क्यो नही खाते भाई?? कहि इस लिए तो नही अगर मंदिर बन गया तो आपका एक मुद्दा खत्म हो जाएगा ?? 1- बाबा साहब की वजह से PM बना हु - माननीय मोदी जी 2- कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नही कर सकता - शिवराज सींग 3- BJP आरक्षण खत्म ना करेगी ना ही करने देगी - मोटू टकला 4- हजार सालो में भी खत्म नही होगा आरक्षण ,- उमा ताई तो सुन लो अगर तुम जैसे नेता हाथ धोके सवर्णो के पीछे पड़ेंगे तो सवर्ण तो दबायेग ही नोटा , फिर दलाल कहते फिरेंगे हिन्दू गद्दार है !! कर्नाटक में जो सवर्णो ने NOTA दबा के विरोध किया है उससे आज कई पार्टीया डरी सहमी है अपनी ताकत को पहचाने और एक जुटता दिखाए !! मानता हूं कुछ दलाल लोग NOTA वालो का मजाज उड़ाएंगे लेकिन उनसे डरे नही ..जयचंद जैसे लोग जीवन मे हमेशा तुम्हे मिलेंगे !!कुछ लोग तो तुम्हे देश द्रोही तक का सर्टिफिकेट देंगे ..लेकिन असल मे ये एक खुद देश द्रोही है ! जो देश को ग्रह युद्ध के लिए धकेल रहे है ! माननीय मोदी जी यदि आप 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले आरक्षण मुक्त भारत और एससी एसटी एक्ट को पूर्ण रुप से प्रतिबंधित कर दिए तो हम सभी यह वादा करते हैं कि आपको 2019 में प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक पायेगा क्योंकि आज भी औसत एक सवर्ण के पास 10 दलित भाइयों की वोट है हमारी संख्या कम आंकने की कोशिश मत करिए, छोटी सी चींटी विशाल हाथी को बैठाया देती है और एक छोटा सा छेद बड़े से बड़ा जहाज को डुबो देता है। हमारी इस बात को गंभीरता से लीजिए। क्यों देश में नफरत का बीज बो रहे है, इस आरक्षण और एससी एसटी एक्ट के कारण समाज मे बहुत ज्यादा नफरतें बढ़ती जा रही है जो आने वाले भविष्य में गृह युद्ध का कारण बनेगी। अभी भी समय है मान जाइए अन्यथा यह देश नष्ट हो जाएगा अपनी सत्ता की लालच और अंधी भूख में इस देश को नष्ट मत करिए। जिस देश को आजाद कराने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों की आहुति दी है उसको नष्ट होने से बचा लीजिए। नोट- पार्टी समर्थकों से अनुरोध है यहा कुतर्क ना दे आरक्षण पे क्या राय है बस वही दे ! जय हिंद जय भारत,आरक्षण मुर्दाबाद, !!

हिंदू प्राणी

संसार का सबसे बुद्धिमान,परिवर्तन शील प्राणी है हिन्दू मुसलमान को देखिए, ये आज भी कुरान पर ही ईमान लाता है, जैसे कुरान लिखे जाने के समय लाता था। कुरान के विरुद्ध न सुनना चाहता है न कुछ करना। ईसाई को देखिए, बाइबिल के विरुद्ध न सुनना चाहता है और न करना ये ईसाई और मुल्ले कितने भी रईस हो जाये , कितने भी पढ़ लिख जाए किन्तु प्रचार अपनी उन्ही घिसीपिटी शिक्षाओं का करते है। संसार के किसी मुल्ले और ईसाई ने अपने त्योहार मनाने का तरीका नही बदला अब अपने हिन्दू को देख लो इसके धर्म की मूल पुस्तक है "वेद", ये यह भी नही जानता, वेद का पालन तो क्या खाक करेगा। और अगर गलती से वेद पढ़ लिया तो यह जानकर की वेद जड़पूजा अर्थात प्रतिमा पूजा, अवतारवाद, भाग्यवाद, आडम्बर के विरुद्ध है, कर्म, संघर्ष और पराक्रम की शिक्षा देता है तो ये उसे भी फाड़ कर फेंक देंगे क्योकि इसे न संघर्ष करना है न कर्म, इसे तो भगवान भरोसे बैठना है भगवान के नाम पर व्रत, तीर्थ यात्रा, पूजन का आडम्बर करना है। आज 300 से अधिक रामायण है मिलावटी, ये मूल प्रति को छोड़ कर सब को मानता है, क्योकि मूल प्रति में महृषि वाल्मीकि जादू टोनो की बात न करके विज्ञान व वेद की शिक्षा देते है और श्री राम को मनुष्य कहते हुए उन्हें वेदो का विद्वान कहते है, मूल प्रति में न तो राम को विष्णु का अवतार कहा गया, न राम को भगवान बताया गया, न सीता की अग्नि परीक्षा हुई , न हनुमान जी के पूँछ थी, न जटायु पक्षी था, न रामसेतु तैरते पत्थरो से बना, न श्री हनुमान बन्दर की शक्ल थे, न श्री हनुमान ने उड़कर समुद्र पार किया, न राम ने सबुरी के झूठे बेर खाये, न लक्षण ने कोई लक्षण रेखा खींची, न जामवंत रीछ जानवर थे, न श्री राम ने शिवलिंग की स्थापना की। इसलिये हिन्दू इस मूल प्रति को पढ़ना ही नही चाहता क्योकि इसे तो सुख संघर्ष में नही चाहिए, राम भरोसे बैठने में चाहिए। काल्पनिक गपोड राम कथा को ये ईश्वर की लीला बताकर पूजा भक्ति में लीन रहना धर्म समझते हैं। 1000 साल तक इस हिन्दू ने गुलामो की तरह अपने धर्म मे अनेको परिवर्तन स्वीकार किये, 70 श्लोकों की गीता 700 की बना दी, कृष्ण को भी रसिया छलिया, चोर, चरित्रहीन, विष्णु अवतार बना कर ही दम लिया। यह हिन्दू आज भी यह जानना ही नही चाहता कि रक्षाबंधन राखी बांधने का नही अपितु यज़योपवित धारण करने का त्योहार है, स्त्री पुरुष सभी अपने पुराने यजयोपवीत उतार कर नए धारण करते है, यह यग्योपवीत ही हमारी रक्षा का सूत्र है। जन्मदिन पर केक नही काटा जाता बल्कि यज्ञ-संध्या-उपासना करके आत्मवलोकन किया जाता है। लेकिन ईसाई कुसंस्कृति को इसने अपना लिया। दिवाली पटाखे फोड़ने का नही बल्कि दिए (दीपक) जलाकर, नई फसल के अन्न से यज्ञ करके पर्यावरण को सुगन्धित करने का त्योहार है। होली नई फसल के आने के उपलक्ष्य में मनाए जाना प्राकृतिक पर्व है। अग्नि में 7 प्रकार के अन्न की आहुति देकर यज्ञ कर फागुन के रंग से खुशी मनाई जाती है। हिन्दू ने अपने मूल सिद्धांतों व संस्कृति की बलि दे दी आधुनिक बनने की होड़ में याद रखना, वेद कहते है जो धर्म के सिद्धांतो से समझौता करके धर्म की रक्षा करने का प्रयास करता है वह समूल नष्ट हो जाता है। यही कारण है हिन्दू हर तरह से समूल नष्ट होता जा रहा है। पहले तो अरबी गाली 'हिन्दू' नाम स्वीकार कर नाम भ्रष्ट हो गया, फिर धार्मिक गलत मान्यताओं को जन्म देकर तीर्थ, पूजन, कर्मकांड, ब्राह्मण दान, दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी पूजन जैसे कुचक्रों को जन्म देकर पतित हो गया। हिन्दुओ लौट आओ वापस अपनी महान संस्कृति की ओर, वेदो के महान विज्ञान व पराक्रम की ओर, वेदों की शिक्षाओं को अपना कर उत्कृष्ट बनो, आर्य नाम धारण करो।

मंदिरों का चढ़ावा सिर्फ उनकी सुव्यवस्था और सनातन प्रचार में ही खर्च हो।

Swami Rishiraj Anand मंदिरों का चढ़ावा सिर्फ उनकी सुव्यवस्था और धर्म-प्रचार में ही खर्च हो --- ============================== =============== प्राचीन काल से ही यह परम्परा थी कि मंदिरों का उपयोग एक साधना स्थल के रूप में ही होता था| मंदिरों की वास्तु शैली और दिनचर्या ऐसी होती थी साधकों की साधना के दिव्य स्पंदन वहाँ सुरक्षित रहते और वहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के हृदयों को दिव्य भावों और पवित्रता से भर देते| . मंदिरों के साथ एक गौशाला, पाठशाला, अन्नक्षेत्र और सदावर्त भी होते थे| मंदिरों का धन सिर्फ वहाँ की सुव्यवस्था और धर्मप्रचार के लिए ही होता था| गौशाला में गौसंवर्धन का कार्य होता| भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित व गायों पर निर्भर थी| पाठशाला में बच्चों को आरम्भिक रूप से लौकिक, नैतिक और धार्मिक शिक्षा दी जाती थी| वहाँ से पढ़े विद्द्यार्थी बड़े चरित्रवान होते थे| अन्नक्षेत्र से ब्रह्मचारी विद्यार्थियों को अन्नदान दिया जाता था| सदावर्त से साधू सन्यासियों को उनकी आवश्यकता के सामान की पूर्ती की जाती थी| . कालांतर में विदेशी आक्रमणों के कारण यह व्यवस्था नष्ट हो गयी| मंदिर भी वे ही बचे जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से हिन्दू शासकों का संरक्षण प्राप्त था| हिन्दू शासकों व हिन्दू सेठ साहूकारों द्वारा संचालित मन्दिर ही सुव्यवस्थित रहे| पर राजा महाराजाओं का राज्य समाप्त होने पर हिन्दू मंदिरों की लूट खसोट आरम्भ हो गयी| अधिकांश मंदिर भारत की धर्मनिरपेक्ष (अधर्मसापेक्ष) सरकार ने अपने अधिकार में कर लिए| उनके धन का दुरुपयोग अपने स्वार्थ के लिए करना शुरू कर दिया| . इस धर्मनिरपेक्ष सरकार ने किसी दरगाह, मस्जिद या चर्च को अपने अधिकार में नहीं लिया, सिर्फ मंदिरों को ही लिया कयोंकि इसकी योजना धीरे धीरे हिन्दू धर्म को नष्ट करने की थी| बाकि बचे मंदिरों पर जिनकी चली उन्होंने अपना निजी अधिकार कर लिया और घर बना लिए| . भोले भाले हिन्दू, मंदिरों में रूपया चढाते रहे यही सोचकर कि वे भगवान को चढ़ा रहे हैं, पर आज तक क्या किसी ने भगवान को या किसी देवी-देवता को रुपया उठाते या स्वीकार करते हुए देखा है क्या? उनका क्या उपयोग होता है यह कोई नहीं सोचता| पैसा वहीं चढ़ाना चाहिए जहाँ उसका सदुपयोग होता हो| जहां पर पाठशाला योगशाला सदावर्त गौशाला न हो वह मंदिर मंदिर नही सिर्फ दुकान है । दान की उपयोगिता इसी में है इन्ही सेवाओं लिए दान करना चाहिए । बाकी दान करना व्यर्थ है द्धान्त का दुरूपयोग होता है जिसका अभिशाप दानकर्ता को ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भोगना पड़ता है । दान के भी नियम है नियम का पालन करने से ही लाभ की आशा करनी चाहिए ।

सोमवार, मई 21, 2018

अधिकतर व्यापार नोटबन्दी ओर GST से मरा है। रियल एस्टेट तो कम से कम 10 साल के लिए गया। नोटबन्दी के बाद atm में कैश भी बराबर नही आ रहा है। इसका मतलब या तो सरकार मैनेज नही कर पा रही है या सरकार को अब ये समझ नही आ रहा है कि मार्किट में पैसे का फ्लो कैसे बनाया जाए। दरअसल, सरकार की व्यपारियो को अधिक से अधिक टेक्स के दायरे में लाने की कोशिश और डिजिटल इंडिया ने सब गड़बड़ कर दिया। इसलिए मोदी को ये पता है कि मेरे से छोटा व्यापारी दुखी है और स्वर्ण हिन्दू भी नाराज़ है। इसलिए, अब ये महोदय दलित और मुल्लो पर दांव खेल रहे हैं। इससे और गड़बड़ हो रहा है।
हम लोगों का इतना Brain wash किया गया है कि हमारे basic concepts ही गड़बड़ हो गये हैं।
हम
Gang को party कहते हैं;
गैंगतंत्र को गणतंत्र कहते हैं;
Demoncracy को Democracy कहते हैं;
हम Corporates की गुलामी को आज़ादी कहते हैं;
उनके Loot को trade कहते हैं;
उनको कौड़ियों के भाव देश की जमीन देने को हम lease कहते हैं;
उनको देश को लूटने में आर्थिक सहायता को हम share कहते हैं;
उन्हें जनता के खून पसीने की कमाई को उपलब्ध करानेवाली संस्था को हम bank कहते हैं;
उनके लिए Infrastructure खड़ा करने को हम विकास कहते हैं;
उनक

बुधवार, मई 16, 2018

नैतिकता


# नैतिकता
महाभारत का युद्ध अंतिम चरण में था। भीम और दुर्योधन के बीच भीषण युद्ध चल रहा था।
चूँकि दुर्योधन का शरीर गंधारी के वरदान से जंघा छोड़ सम्पूर्ण बज्र का बन चुका था। दुर्योधन हारे नही हार रहा था।
तब श्रीकृष्ण ने कहा-
भीम भैया दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करो, यहाँ।
श्रीकृष्ण के वचन सुनकर दुर्योधन जोर से चिल्लाया-
मधुसूदन ये क्या कथन कह रहे है। मल्ल युद्ध मे कमर के नीचे प्रहार युद्ध नियम के खिलाफ है।
'नैतिकता' के खिलाफ है।
श्रीकृष्ण मुस्कुराए और बोले-
वाह! दुर्योधन वाह! आज तुम्हें संकट के समय युध्द नियम और नैतिकता जैसे उच्च मापदण्ड याद आ गए।
याद करो जब एक निहत्थे बालक अभिमन्यु पर, 8-8 महारथियों ने, एक साथ शस्त्रो से प्रहार किया। जिनमें तुम भी थे।
तब कहाँ गए थे युद्ध नियम।
कहाँ थी तुम्हारी नैतिकता।
नैतिकता की दुहाई देने वाले दुर्योधन जब तुम्हारे आदेश पर पांडवो के 5 पुत्र मध्य रात्रि में सोते समय कायरो की भाँति मार दिए गए।
तब कहाँ थे युध्द नियम।
कहाँ थी नैतिकता।
इसलिए हे अनैतिकता के रथ पर सवार अनैतिक पुरुष, तुम्हारे मुख से नैतिकता की बात शोभा नही देती।
शास्त्रो में लिखा है-
क्षमा भी उसे ही किआ जाता है, जो क्षमा योग्य हो।
नैतिकता उसी के साथ कि जाती है, जो खुद उसके योग्य है।
इसलिए मंझले भैया भीम- उठाओ गदा और दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करो। इसमे किसी भी प्रकार की धर्म हानि नही होगी।
अंत मे दुर्योधन मारा गया।
कर्नाटक में भी यही प्रसंग चल रहा है- 'नैतिकता'।
अनैतिकता के रथ पर सवार कांग्रेस नैतिकता की दुहाई दे रही है। संविधान के नियम बता रही है।
तो हे कांग्रेस याद करो अटल जी सरकार, जब तुम सब दलों ने मिलकर एक वोट से गिरा दी थी। जिसमे तुम भी शामिल थे।
तब कहाँ थी नैतिकता।
जिस देवेगौड़ा के साथ तुमने गठबंधन किआ है, उनकी सरकार किस तरह गिराई थी।
तब कहाँ थी नैतिकता।
और हे कांग्रेस तुम किस संविधान के नियमो की बात करते हो। गोवा, मेघालय में खुद की बड़ी पार्टी होने की दुहाई देते हो। किन्तु हरियाणा, दिल्ली भुल जाते हो।
दिल्ली में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के वाबजूद तुमने 'आप' को समर्थन देकर सत्ता बनाई, तब कहाँ थे, नियम।
जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता, आज तक भुगत रही है।
5 साल, माफिलाल।
इसलिए हे अमित शाह गदा उठाओ और कांग्रेस की जंघा पर जोरदार प्रहार करो, जो बगावत कर रहे विधयकों के कारण अब भी नरम है।
क्योंकि कांग्रेस का शरीर jds के समर्थन से पूर्ण वज्र का बन चुका है।
अब उम्मीद यही है की कलियुगी महाभारत का परिणाम भी, द्वापर महाभारत जैसा ही हो।
साभार : राकेश गुहा...

सोमवार, मई 14, 2018

भारत से कैसे गायब कर दिया गया, जो कि शरीर के लिए सबसे Best Alkalizer है

Abhinav Chaturvedi
# सेंधा_नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया, जो कि शरीर के लिए सबसे Best Alkalizer है :
आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??
आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं।
एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) ।
सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है, पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है, जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’, वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है, वहाँ से ये नमक आता है, मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।
तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले, काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी देसी विदेशी कंपनियो (अनपूर्णा, कैपटन कुक, टाटा ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ !
अब समझिए खेल क्या था ??
खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ , आओडीन युक्त नमक खाओ !
आप सबको आओडीन की कमी हो गई है, ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था, उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया (1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए, जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया, उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया, और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता, वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:-
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है, क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।
ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है।
तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है, इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है, यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :-
ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है, क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है। अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है, दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है।
तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है, जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है, ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है।
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है, इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ।
जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है, ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है, और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है, यह शरीर में घुलता नही है।
इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है।
विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है, जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है, आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है।
1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है, यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
# निवेदन : 10 हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है, भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है।
आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है, जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था, यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था, स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।
आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !!
सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
3 महीने लगातार सेंधा नमक का प्रयोग करके देखिये, समस्त रक्त संबंधित विकार दूर हो जाएंगे ।।।
फायदे अनंत हैं, प्रभु पहले शुरू तो करिये...
अंत में आखिरी ज्ञान : गे गांधी के द्वारा किये गये डंडी यात्रा से समुद्री नमक का व्यापार और चलन शुरू हुआ भारत में ।।

हमारे पुरखों ने हिंदुस्तान चुना, अब हमें संदेह की नजर से क्यों देखा जाता है |

Jitendra Pratap Singh
अनेक पढ़े लिखे मुसलमान सोशल मीडिया पर लफ्फाजी करते नजर आते हैं – हमारे पुरखों ने हिंदुस्तान चुना, अब हमें संदेह की नजर से क्यों देखा जाता है |
सच क्या है ?
मुसलमान भाईयो – बेशक आपके पुरखों ने हिंदुस्तान चुना लेकिन – जब भारत विभाजन के लिए वोटिंग हुई तब उन्होंने किसके पक्ष में वोट किया था ? दुर्भाग्य यह है कि जिन हिन्दुस्तानी मुसलमानों ने पाकिस्तान बनाने के पक्ष में वोट किया, वे पाकिस्तान नहीं गए, और जो हिन्दू पाकिस्तान नहीं चाहते थे, वे मार पीट कर पाकिस्तान से निकाल दिए गए |
और अब जिन्ना के प्रति दीवानेपन की हद तक आपका प्यार और अपनापन जताना क्या कहता है ? हिन्दू जिन्ना को खलनायक मानते हैं क्योंकि –
उसने साफ़ लफ्जों में कहा कि हम हिन्दुओं के साथ नहीं रह सकते |
आज की तरह, उस समय भी मस्जिदों में तकरीरें हो रही थीं - " इस्लाम खतरे में है "
1945 के प्रांतीय चुनावों में मुस्लिम लीग ने मात्र एक प्रचार किया - यही समय है अपनी ताकत दिखाने का , अगर इन चुनावों में हम चूक गए तो हम सदा के लिए बर्बाद हो जाएँगे , यही समय है पाकिस्तान बनाने का , मुस्लिम लीग को जिताएँ और इस्लाम को जीवित रखें ,
पंजाब , संयुक्त प्रांत , बंगाल में मुसलमानों ने पोस्टर चिपकाए
" दीन बनाम दुनिया "
" जमीर बनाम जागीर "
" हककोशी बनाम सफेदपोशी "
जाहिर है पहला शब्द मुसलमानों के लिए और दूसरा भारत के लिए और तीसरा कांग्रेस के लिए था ।
इन चुनावों की हार जीत पाकिस्तान बनने या न बनने का श्वेतपत्र था , इसीलिए यह चुनाव ऐतिहासिक है ,
मजा यह कि इसके बावजूद आज जिसे पाकिस्तान कहा जाता है, वहां के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में मुस्लिम लीग एक भी सीट नहीं पा सकी थी |
लेकिन इसके विपरीत आज के भारत में पाकिस्तान और मुस्लिम लीग के पक्ष में मतदान हुआ और बंगाल में मुसलमानों के लिए 119 आरक्षित सीटो पर मुस्लिम लीग ने 114 सीट जीती, सयुंक्त प्रांत में 66 आरक्षित सीटो पर मुस्लिम लीग ने 54 सीटो पर जीत दर्ज की , मद्रास में 29आरक्षित सीटो पर मुस्लिम लीग ने सभी 29 सीट जीत लीं । शायद यही भारत की मूल समस्या है कि जो पाकिस्तान चाहते थे, वे भारत में रह गए और जो नहीं चाहते थे, वे पाकिस्तान में बलि चढ़ गए |
काँग्रेस उस समय हिन्दू पार्टी घोषित थी और उसे हिन्दुओं के 91 प्रतिशत वोट मिले भी | मुस्लिम लीग ने चुनाव केवल और केवल अलग देश पाकिस्तान के आधार पर लड़ा और मद्रास स्थित मुसलमानों ने भी पाकिस्तान पर मोहर लगा दी, यूपी बिहार तो दूर की बात है | वहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया |
जिन्ना जानता था कि मुसलमान उसके पीछे खड़े हैं जो उसके एक इशारे पे रक्त की नदियां भी बहा सकते हैं, अतः उसने डायरेक्ट एक्शन का आव्हान किया | इस सीधी कार्रवाई का सीधा सादा मतलब था – काट दो काफिरों को | लूट लो उनकी औरतें |फिर क्या था मुसलमानों की हिंसक भीड़ हिन्दुओ पर टूट पड़ी , लाखो की संख्या में लोग मारे गए ,
और आज जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर सीने से चिपकाए घूमते मुसलमान दिखते हैं, तो यह मानने का पर्याप्त आधार है कि वे आज भी जिन्ना की मानसिकता से ही प्यार करते हैं |
ठीक बैसे ही, जैसे पाकिस्तान के हक़ में वोट देने वाले उनके पुरखे करते थे | आज मुसलमान काँग्रेस का वोटर है क्योंकि वे जानते हैं कि कांग्रेस का नेतृत्व उनके ही अपने वाले के हाथ में है | राहुल के दादा भी तो आखिर मुसलमान ही थे ना ?
नरेंद्र मोदी कितने दिन का मेहमान है ? आज नहीं तो कल उसे तो हटना ही है | खुद हिन्दुत्ववादी उसे हटाने के पीछे पड़े हैं | सेक्यूलर तो उसे फूटी आँखों नहीं देख पा रहे | बस 2019 का इंतज़ार है, फिर उसके बाद तो क्या पाकिस्तान और क्या हिन्दुस्तान. दोनों का नेतृत्व मुस्लिम के हाथ में होगा | वोट की दम पर लिया था पाकिस्तान, वोट से ही जीतेंगे हिन्दुस्तान | तो चंद दिनों के लिए जिन्ना की तस्वीर हटाई ही क्यों जाए ? आखिर सत्तर साल से भी तो लगी रही | अब तक क्यों नहीं हटाई गई ?
लगी रहने दो !
क्या कभी बदलेगी यह मानसिकता ?
क्या सेक्यूलर लोग उन्हें कभी बदलने देंगे ?
अब देखिये ना कि एनडीटीवी के रवीश कुमार पांडे जैसे हिन्दू पत्रकार कहते हैं कि भगवा गमछा गले में डालकर मुसलमानों को डराना बंद होना चाहिए |
तो रवीश कुमार जी से एक निवेदन – हे महाप्रभु अपनी पहचान छुपाकर खुद भगवा गमछा पहन के मुसलमानों की बस्ती में जाइए, और उन्हें धमका के वापस आ जाइये ......
अगर वो आपकी धमकी से डर के भाग गये तो आप सही ......
अगर उन्होंने आपका हाँथ पैर तोड़ दिया तो ??????
तय है कि वे तो नहीं बदलेंगे, किन्तु क्या हिन्दू भी सोते ही रहेंगे ? चुपचाप इंतजार करेंगे कि कब एक बार फिर कोई जिन्ना डायरेक्ट एक्शन का कॉल दे और उन्हें इस असार संसार से मुक्ति मिले ? ये दुनिया फानी है, आनी और जानी है |
रवीश कुमार जी तो कहते भी हैं – क्या फर्क पड़ता है, अगर सारे हिन्दू मुसलमान बन भी जाएँ तो ?
क्या सचमुच कोई फर्क नहीं पड़ता ?
काश कोई एक मुसलमान तो आगे आये और कहे कि हटाओ एएमयू से जिन्ना की तस्वीर, ये घिनौना इंसान था, ये हत्यारा हमारा आदर्श नहीं हो सकता |

रविवार, मई 13, 2018

जवाहरलाल नेहरु अभिनेत्री नरगिस के मामा थे कैसे ?

Akhilesh Sharma
दरअसल नेहरू खानदान जन्मजात अय्यास था ! इनकी अय्यासी के किस्से उस जमाने में बहुत मशहूर थे ! जवाहरलाल नेहरु अभिनेत्री नरगिस के मामा थे कैसे ? जानने के लिए पढ़िए पूरी पोस्ट।
नरगिस की नानी दिलीपा मंगल पाण्डेय के ननिहाल के राजेन्द्र पाण्डेय की बेटी थीं... उनकी शादी 1880 में बलिया में हुई थी लेकिन शादी के एक हफ़्ते के अंदर ही उनके पति गुज़र गए थे.दिलीपा की उम्र उस वक़्त सिर्फ़ 13 साल थी.! उस ज़माने में विधवाओं की ज़िंदगी बेहद तक़लीफ़ों भरी होती थी ! ज़िंदगी से निराश होकर दिलीपा एक रोज़ आत्महत्या के इरादे से गंगा की तरफ़ चल पड़ीं लेकिन रात में रास्ता भटककर मियांजान नाम के एक सारंगीवादक के झोंपड़े में पहुंच गयीं जो तवायफ़ों के कोठों पर सारंगी बजाता था.!
मियांजान के परिवार में उसकी बीवी और एक बेटी मलिका थी ! वो मलिका को भी तवायफ़ बनाना चाहता था.दिलीपा को मियांजान ने अपने घर में शरण दी. और फिर मलिका के साथ साथ दिलीपा भी धीरेधीरे तवायफ़ों वाले तमाम तौर-तरीक़े सीख गयीं और एक रोज़ चिलबिला की मशहूर तवायफ़ रोशनजान के कोठे पर बैठ गयीं ! रोशनजान के कोठे पर उस ज़माने के नामी वक़ील मोतीलाल नेहरू का आना जाना रहता था जिनकी पत्नी पहले बच्चे के जन्म के समय गुज़र गयी थी. दिलीपा के सम्बन्ध मोतीलाल नेहरू से बन गए...इस बात का पता चलते ही मोतीलाल के घरवालों ने उनकी दूसरी शादी लाहौर की स्वरूप रानी से करा दी जिनकी उम्र उस वक़्त 15 साल थी...इसके बावजूद मोतीलाल ने दिलीपा के साथ सम्बन्ध बनाए रखे...इधर दिलीपा का एक बेटा हुआ जिसका नाम मंज़ूर अली रखा गया...उधर कुछ ही दिनों बाद 14 नवम्बर 1889 को स्वरूपरानी ने जवाहरलाल नेहरू को जन्म दिया ! साल 1900 में स्वरूप रानी ने विजयलक्ष्मी पंडित को जन्म दिया और 1901 में दिलीपा के जद्दनबाई पैदा हुईं...अभिनेत्री नरगिस इन्हीं जद्दनबाई की बेटी थीं. ! मंज़ूर अली आगे चलकर मंज़ूर अली सोख़्त के नाम से बहुत बड़े मज़दूर नेता बने ! और साल 1924 में उन्होंने यह कहकर देशभर में सनसनी फैला दी कि मैं मोतीलाल नेहरू का बेटा और जवाहरलाल नेहरू का बड़ा भाई हूं !
उधर एक रोज़ लखनऊ नवाब के बुलावे पर जद्दनबाई मुजरा करने लखनऊ गयीं तो दिलीपा भी उनके साथ थी जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के किसी काम से उन दिनों लखनऊ में थे उन्हें पता चला तो वो उन दोनों से मिलने चले आए दिलीपा जवाहरलाल नेहरू से लिपट गयीं और रो-रोकर मोतीलाल नेहरू का हालचाल पूछने लगीं मुजरा ख़त्म हुआ तो जद्दनबाई ने जवाहरलाल नेहरू को राखी बांधी ! साल 1931 में मोतीलाल नेहरू ग़ुज़रे तो दिलीपा ने अपनी चूड़ियां तोड़ डालीं और उसके बाद से वो विधवा की तरह रहने लगीं !
(गुजराती के वरिष्ठ लेखक रजनीकुमार पंड्या जी की क़िताब ‘आप की परछाईयां’ से साभार।)