सोमवार, अगस्त 08, 2011

सुचना के अधिकार से नेहरु के बारे में आज एक बहुत ही गन्दी और भयावह सच्चाई पता चली है .

सुचना के अधिकार से नेहरु के बारे में आज एक बहुत ही गन्दी और भयावह सच्चाई पता चली है .


असल में नेहरु हिन्दुओ से बहुत घृणा करते थे .
जब सरदार पटेल जी के प्रयासों से सोमनाथ मंदिर १९५१ में बनकर तैयार हुआ तो सरदार पटेल जी ने राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी से मंदिर का उद्घाटन करने का अनुरोध किया .जिसे राजेन्द्र बाबू ने सहर्ष स्वीकार कर लिया . साथ ही सरदार पटेल जी ने नेहरू जी से भी पत्र लिखकर इस समारोह में भाग लेने की अपील की .
लेकिन नेहरु जिसे कांग्रेसी भारत का "शिल्पी " आदि ना जाने किन किन अलंकारों से नवाजते है उसने अपनी गन्दी और तुच्छ मानसिकता का परिचय देते हुए सिर्फ वोट बैंक की खातिर सरदार पटेल को एक पत्र लिखकर कहा की वो किसी भी ऐसे समारोह में नहीं जाते जिसे देश का साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़े .
और नेहरु ने राजेन्द्र बाबू से भी पत्र लिखकर सोमनाथ के उद्घाटन समारोह में ना जाने की अपील की . जिसे राजेन्द्र बाबू ने अस्वीकार कर दिया . लेकिन चूँकि भारत में प्रधानमंत्री सत्ता का केन्द्र है इसलिए राजेंद्र बाबू ने नेहरु का मान रखते हुए सरकारी खर्च के बजाय निजी पैसे से समारोह में सिरकत की . उन्होंने फ्रोंतियर मेल ट्रेन से बरोड़ा फिर बरोड़ा से सोमनाथ पहुचे .
जबकि देश के राष्ट्रपति को विशेष ट्रेन और जहाज़ की सुबिधा है .
जबकि नेहरु लखनऊ के नदवा इस्लामिक कालेज , अजमेर दरगाह , और देवबंद के दारुल उलूम के कई समारोहों में उसने एक प्रधानमंत्री के तौर पर शिरकत किया था ..
क्या तब नेहरु को इस देश की साम्प्रदायिक सद्भाव का ख्याल नहीं था ?
असल में वर्तमान में सोनिया गाँधी नेहरु के ही वोट बैंक के तुस्टीकरण की निति को आगे बढा रही है .

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