सोमवार, अगस्त 08, 2011

'सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-2011'

Rameshwar Arya
‎'सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-2011'-


SICKULAR और McCauley पुत्रों द्वारा ... शर्म-निरपेक्षता और सांप्रदायिक-सापेक्षता का मिला जुला संगम


1- 'बहुसंख्यक' हत्यारे, हिंसक और दंगाई प्रवृति के होते हैं। (विकीलीक्स के खुलासे में सामने आया था कि देश के बहुसंख्यकों को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की इस तरह की मानसिकता है।) जबकि 'अल्पसंख्यक' तो दूध के दुले हैं। वे तो करुणा के सागर होते हैं। अल्पसंख्यक समुदायक के तो सब लोग अब तक संत ही निकले हैं।


2- दंगो और सांप्रदायिक हिंसा के दौरान नारी बलात्कार अपराधों को तभी दंडनीय मानने की बात कही गई है अगर वह अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के साथ हो। यानी अगर किसी बहुसंख्यक समुदाय की महिला के साथ दंगे के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति बलात्कार करता है तो ये दंडनीय नहीं होगा।


3- यदि दंगे में कोई अल्पसंख्यक घृणा व वैमनस्य फैलता है तो यह अपराध नहीं माना जायेगा, लेकिन अगर कोई बहुसंख्यक ऐसा करता है तो उसे कठोर सजा दी जायेगी। (बहुसंख्यकों को इस तरह के झूठे आरोपों में फंसाना आसान होगा। यानी उनका मरना तय है।)


4- इस अधिनियम में केवल अल्पसंख्यक समूहों की रक्षा की ही बात की गई है। सांप्रदायिक हिंसा में बहुसंख्यक पिटते हैं तो पिटते रहें, मरते हैं तो मरते रहें। क्या यह माना जा सकता है कि सांप्रदायिक हिंसा में सिर्फ अल्पसंख्यक ही मरते हैं?


5- इस देश तोड़क कानून के तहत सिर्फ और सिर्फ बहुसंख्यकों के ही खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। अप्ल्संख्यक कानून के दायरे से बाहर होंगे।


6- सांप्रदायिक दंगो की समस्त जवाबदारी बहुसंख्यकों की ही होगी, क्योंकि बहुसंख्यकों की प्रवृति हमेशा से दंगे भडकाने की होती है। वे आक्रामक प्रवृति के होते हैं।


7- दंगो के दौरान होने वाले जान और माल के नुकसान पर मुआवजे के हक़दार सिर्फ अल्पसंख्यक ही होंगे। किसी बहुसंख्यक का भले ही दंगों में पूरा परिवार और संपत्ति नष्ट हो जाए उसे किसी तरह का मुआवजा नहीं मिलेगा। वह भीख मांग कर जीवन काट सकता है। हो सकता है सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का दोषी सिद्ध कर उसके लिए जेल की कोठरी में व्यवस्था कर दी जाए।


8- कांग्रेस की चालाकी और भी हैं। इस कानून के तहत अगर किसी भी राज्य में दंगा भड़कता है (चाहे वह कांग्रेस के निर्देश पर भड़का हो।) और अल्पसंख्यकों को कोई नुकसान होता है तो केंद्र सरकार उस राज्य के सरकार को तुरंत बर्खास्त कर सकती है। मतलब कांग्रेस को अब चुनाव जीतने की भी जरूरत नहीं है। बस कोई छोटा सा दंगा कराओ और वहां की भाजपा या अन्य सरकार को बर्खास्त कर स्वयं कब्जा कर लो।


सोनिया गांधी और अहमद पटेल के नेतृत्व में इन 'देशप्रेमियों' ने 'सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-2011' को तैयार किया है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें