शुक्रवार, अगस्त 16, 2013

मोदी की गुगली से मनमोहन क्लीन बोल्ड .!!



मनमोहन का भाषण और 15 अगस्त ......मोदी की गुगली से मनमोहन क्लीन बोल्ड .!!!

मोदी ने दी मनमोहन को दी सीधी बहस की चुनौती.....................

देश के 67वें स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का लाल किले की प्राचीर से देश के नाम लगातार दसवां भाषण उम्मीदों का रोडमैप कम और विदाई का रिपोर्ट कार्ड अधिक नजर आया। उनके संबोधन में कुछ किया है और ज्यादा करेंगे का वादा था। शायद यही कारण रहा कि नरेंद्र मोदी ने अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार उनके इस संबोधन की जमकर चीर-फाड़ की। यह पहला मौका था जब स्वतंत्रता दिवस पर पीएम के भाषण को एक सूबे के सीएम की तरफ से सीधे चुनौती दी गई।

प्रधानमंत्री ने लाल किले से अपनी सरकार के नौ सालों के कामकाज के बखान के साथ ही कांग्रेसी शासन के दौरान देश की तरक्की के भी कसीदे काढ़े। महंगाई, भ्रष्टाचार जैसी अहम चुनौतियों से किनारा कर गए पीएम ने विकास के अधिकतर मोर्चो पर इरादे ही अधिक परोसे। सीमा पर पाकिस्तानी गुस्ताखियों पर हिदायत देने में भी संयम रखा। चुनाव से पहले अपने इस आखिरी संबोधन में केंद्र सरकार के नए चुनावी कार्ड खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने और सांप्रदायिकता के खिलाफ आगाह करने पर खासा जोर था।

प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को अपने 32 मिनट के भाषण में अपनी सरकार की उपलब्धियों पर आंकड़ों का बही-खाता खोलने पर खासा जोर दिया। हालांकि आम आदमी को बेहाल कर रही महंगाई और भ्रष्टाचार के आरोपों पर मनमोहन मौन साध गए।

लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण पर मोदी गुजरात के कच्छ से कटाक्षों और आरोपों के ऐसे प्रक्षेपास्त्र फेंके कि दिल्ली की सियासत गरमा गई। सियासत के स्पिन मास्टर मोदी ने प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता पर सवाल भी उठाए तो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण के सहारे। इसी तरह रॉबर्ट वाड्रा प्रकरण के सहारे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी मोदी ने तीखे तंज कसे।



भुज के लालन कॉलेज से प्रधानमंत्री के लाल किला के भाषण का जवाब देते हुए मोदी ने चीन और पाकिस्तान के सामने सरकारी लाचारगी को निशाना बनाया। कांग्रेस में परिवारवाद और भ्रष्टाचार का बोलबाला होने का हवाला देते हुए कहा कि देश अब परिवर्तन के लिए छटपटा रहा है। नेतृत्व के सवाल पर ही मिशन- 2014 को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश में जुटे मोदी की तैयारी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आधे घंटे के प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस संबोधन का जवाब मोदी ने एक घंटे तक दिया।

मनमोहन की 9 साल की उपलब्धियों के साथ ही कांग्रेस के 60 साल के शासन की बखिया भी उधेड़ी। उन्होंने मनमोहन के संबोधन को निराश करने वाला और दृष्टिविहीन करार दिया। मोदी ने कटाक्ष किया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आखिरी भाषण और मनमोहन के इस भाषण में कोई अंतर नहीं है। देश में विकास की धारा रुक गई है।

मनमोहन को सीधी बहस की चुनौती देते हुए मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ने भी अपने संबोधन में सहनशक्ति की सीमा की याद दिलाई थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से भारत की संप्रभुता पर हो रहे हमले का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। इसी लाचारगी के कारण आंतरिक सुरक्षा खतरे में है। मोदी ने याद दिलाया कि राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार का भी सवाल उठाया लेकिन प्रधानमंत्री के लिए यह कोई मुद्दा ही नहीं है।

आम चुनाव से पहले की इस सियासी लड़ाई में मोदी प्रधानमंत्री के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष समेत पूरी कांग्रेस को भी घसीट कर ले आए। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारी भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस में 'सास-बहू और दामाद' पनप रहे हैं। लोकतंत्र के युग में परिवारवाद की बेल इतनी मजबूत हो गई है कि मनमोहन सिंह को कांग्रेस शासन से इतर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी या मोरारजी भाई तो दूर लाल बहादुर शास्त्री या देश को एकजुट करने वाले वल्लभ भाई पटेल भी याद नहीं आते हैं।

मोदी ने विकास के मोर्चे पर भी मनमोहन के नेतृत्व को घेरा और कहा कि केंद्रीय नीतियों के कारण रुपया धरातल पर आ गया और जनता का विश्वास डगमगा गया है। खाद्य सुरक्षा के नाम पर गरीबों को और महंगी रोटी दी जाने वाली है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य मोर्चे पर फेल हो रही सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।

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