क्या ये कहानी मीडिया और सरकार ने नहीं सुनी
क्या ये कहानी मीडिया और सरकार ने नहीं सुनी ---आर्य जितेंद्र
https://www.youtube.com/watch?v=JCcO_uthtig
इस बार केरल की एक पूर्व नन ने हिम्मत दिखाई है. 67 साल की मेरी चांडी ने
अपनी आत्मकथा में सच को बयां किया है. यह सच डरावना है, पर सच है. कई
चीज़ों पर सोचने को मजबूर करता है. उसका कहना है कि चर्च के अंदर की
जि़न्दगी आध्यात्मिकता की बजाय वासना से भरी है. होगी ही. ये कथित पादरी
सेक्स को दबाकर बैठे हैं और दबा सेक्स जब भी बाहर आता है, वह वासना का ही
रूप लेता है.
कैथोलिक चर्च से जुड़ी इस नन ने कहा है कि वह 13 साल की
उम्र में घर से भागकर नन बनी और 4 दशक तक इससे जुड़ी रही. 4 दशकों के
जुड़ाव के बाद उसे शोषण और अकेलापन मिला. पादरी ने रेप की कोशिश की. विरोध
करने पर 12 साल पहले ही चर्च छोड़ देना पड़ा. चांडी कहती हैं कि मुझे तो
यही लगा कि पादरी और नन दोनों ही मानवता की सेवा के लिए अपने संकल्प से
भटककर शारीरिक ज़रूरतों की पूर्ति में लग गए हैं. इसी तरह के अनुभवों से
तंग आकर चर्च और कान्वेंट छोड़ दिया.
बहुत गहरे अर्थ लिए है यह पूरा बयान. चांडी 4 दशक तक चर्च
तक जुड़ी रही, पर उसे अकेलापन मिला, शोषण मिला. जब तक इंसान की सभी
इंद्रियां काम करती हैं और उसका उन पर पूर्ण नियंत्रण नहीं है तो भला बगैर
सेक्स कैसे रहा जा सकता है? पादरी सेक्स के बिना नहीं रह सकते. जैसा कि
इस पादरी के केस में हुआ. जैसा कि सेपेरेट एजुकेशन पा रहे बच्चों के साथ
होता है. जब वे स्कूल से बाहर निकलते हैं तो क्या होता है....? या तो वे
सेक्स को दबा देते हैं, या कुछ गलत कर जाते हैं. दोनों की स्थितियां भयावह
हैं. दरअसल कुछ गलत किया जाना, पूर्व में दबाई गई भावनाओं का ही नतीजा है.
भावनाओं को दबाने से वे खत्म नहीं हो जातीं, बल्कि ज्वालामुखी की तरह
खतरनाक होती रहती हैं. जब फूटती हैं तो नतीजा बुरा ही होता है.
चांडी
का यह कहना कि ''पादरी और नन दोनों ही मानवता की सेवा के लिए अपने संकल्प
से भटककर शारीरिक ज़रूरतों की पूर्ति में लग गए हैं.'' साफ दर्शाता है कि
सिर्फ पुरुष (पादरी) ही नहीं महिलाएं (नन) भी इस कृत्य में शामिल हैं,
चाहकर या अनचाहे. चांडी ने यह भी कहा कि ऐसे अनुवभों से आजिज आकर उसने चर्च
छोड़ा. मतलब, इस तरह के काम, सरेआम थे. स्वाभाविक है कि सेक्स पुरुष और
स्त्री दोनों में जीवित है. दोनों को जब भी मौका मिलेगा, वे तृप्ति
करेंगे. छिपकर. पादरियों और ननों के लिए छिपने के लिए धार्मिक संस्थानों
से बेहतर जगह और कोई नहीं हो सकती.
सेक्स कोई गुनाह नहीं, जबकि वासना
पूरी तरह से गुनाह है. रेप गुनाह है. बेहतर होगा कि पादरी और नन ऐसे
नियुक्त हों, जो शादीशुदा जीवन बसर कर रहे हों या शादीशुदा जीवन गुज़ार
चुके हों. कम से कम रेप जैसी घटनाओं में कमी आ सकती है.तभी चर्च भी हिन्दुओ
के मंदिर की तरह रह सकता है
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