क्या आज हम वास्तविक रूप से स्वतंत्र हैं?
यदि किसी भी देश को पराधीन करना हो तो आने वाली पीढ़ी को उसके अतीत से अलग
कर दो या उसके प्रति घृणा पैदा कर दो, जिससे आने वाली पीढ़ी स्वयं को अपने
पूर्वजों की संतान नहीं अपितु नए शासक की संतान समझने लगेंगी और सर्वदा नए
शासक के पराधीन रहेंगी और उसकी सेवा करती रहेंगी| कुछ ऐसा ही पूर्ण अलगाव
होने वाला था ४ अक्टूबर १९९४ को हमारा हमारे अतीत से|
आज बहुतेरे
ऐसे लोग होंगे जो संस्कृत को मृत भाषा समझते है, जोकि सत्य नहीं| परन्तु
यह पूर्णतः सत्य होता यदि ४ अक्टूबर १९९४ को सर्वोच्च अदालत ने संस्कृत के
पक्ष में यह निर्णय न लिया होता| धर्म निरपेक्षता के आधार पर संस्कृत पर
अंकुश लगाने की बात की जाने लगी थी, देश को उसके गौरवशाली इतिहास से अलग
किया जाने वाला था| आज यदि संस्कृत हमारे विद्यालयों में जीवित है तो इस
निर्णय के कारण| हम अपने देश की संस्कृति को उसके अतीत से अलग करके नहीं
देख सकते और कुछ सौ वर्षों के पूर्व तक हमारी संस्कृति पूर्वजों का ज्ञान
संस्कृत भाषा में ही था|
अब यह आपका निर्णय है, या तो हम अपने गौरवशाली
इतिहास और पूर्वजों के ज्ञान से अलग हो जाएँ या सत्य को समझें और अपनी
जड़ों से जुडें और पूर्ण स्वराज प्राप्त करें|
http://www.indiankanoon.org/ doc/1305668/
यदि किसी भी देश को पराधीन करना हो तो आने वाली पीढ़ी को उसके अतीत से अलग कर दो या उसके प्रति घृणा पैदा कर दो, जिससे आने वाली पीढ़ी स्वयं को अपने पूर्वजों की संतान नहीं अपितु नए शासक की संतान समझने लगेंगी और सर्वदा नए शासक के पराधीन रहेंगी और उसकी सेवा करती रहेंगी| कुछ ऐसा ही पूर्ण अलगाव होने वाला था ४ अक्टूबर १९९४ को हमारा हमारे अतीत से|
आज बहुतेरे ऐसे लोग होंगे जो संस्कृत को मृत भाषा समझते है, जोकि सत्य नहीं| परन्तु यह पूर्णतः सत्य होता यदि ४ अक्टूबर १९९४ को सर्वोच्च अदालत ने संस्कृत के पक्ष में यह निर्णय न लिया होता| धर्म निरपेक्षता के आधार पर संस्कृत पर अंकुश लगाने की बात की जाने लगी थी, देश को उसके गौरवशाली इतिहास से अलग किया जाने वाला था| आज यदि संस्कृत हमारे विद्यालयों में जीवित है तो इस निर्णय के कारण| हम अपने देश की संस्कृति को उसके अतीत से अलग करके नहीं देख सकते और कुछ सौ वर्षों के पूर्व तक हमारी संस्कृति पूर्वजों का ज्ञान संस्कृत भाषा में ही था|
अब यह आपका निर्णय है, या तो हम अपने गौरवशाली इतिहास और पूर्वजों के ज्ञान से अलग हो जाएँ या सत्य को समझें और अपनी जड़ों से जुडें और पूर्ण स्वराज प्राप्त करें|
http://www.indiankanoon.org/
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