रविवार, अगस्त 18, 2013

इस्लाम की नीव कब और क्योँ पड़ी?

इस्लाम की नीव कब और क्योँ पड़ी?

570ई से पूर्व इस्लाम का कोई अस्तित्व नही था।
आप सब जानते होँगे कि इस्लाम की नीव मोहम्मद नामक एक तुच्छ जीव ने डाली
आपको ये बता देँ 470 ई मेँ जब मुगल भारत आये तो मुगलोँ का कोई धर्म नही था मुगल बिलकुल जानरोँ जैसे थे बस ये अपना लोभ देखते थे
मुगल न तो अपने माँ बाप बाई किसी से कोई मतलब नही था ये भूख लगने पर अपने बच्चोँ तक को खा जाते थे
पूरे राक्षस थे मुगल

मुगलोँ के भारत आने के पश्चात एक कुछ समय भारत मेँ रहने के बाद मुगलोँ के बच्चे भारतीय माहौल मेँ पड़ कर थोड़े जानकार हुए
पर अपने खानदानी आदतोँ को बदल न सके

इन्ही बच्चोँ मेँ एक बच्चा थोड़ा होशियार था जिसका नाम मोहम्मद था
मोहम्मद ने भारतीय परमपरा पर ध्यान दिया तो उसकी समझ मेँ आया की इंसानियत क्या होती है
पर पूरी तरह से वो खुद भी नही समझ पाया

फिर मोहम्मद ने सोचा क्योँ न खुद का एक धर्म बनाया जाए
फिर मोहम्मद ने उन सभी मुगलोँ, डाकुओ, लुटेरोँ आदि को इकठठा किया जो समाज मेँ रहने योग नही थे
और उनको अल्ला जो एक काल्पनिक नाम है उसको खुदा(ईश्वर) का नाम बता कर हिन्दु धर्म से कुछ चीजे चुराकर और खुद विचारोँ को एक रुप देकर इश्लाम धर्म का गठन कर दिया
चूँकी उसने अपने साथ उन लोगोँ को रख लिया जिनका समाज मेँ कोई अस्तित्व नही था
जब इस काल्पनिक धर्म का नाम दुनियाँ मेँ छिपे हुए राक्षसोँ और दरिन्दोँ को पता चली तब सब दुनियाँ के कोने से भाग कर आये और इस्लाम नामक अर्धम मेँ शामिल हो गये

आप सब जानते है धरती पर आदि काल से पापियोँ का भी रहना रहा है जो मानव जाति के लिए हमेशा से खतरा रहा है

ये सब जाकर इस्लाम कबूल कर मुल्ले बन गये
अब ये राक्षस मानवोँ के बीच रहकर तबाही फैलाते है

दर्शल इस्लाम एक राक्षस जाति है
ये सच था
सच है
और ये सच कभी नही बदलेगा

हम इस राक्षस जाति को तबाह कर देँगे
इस्लाम का अस्तित्व मिटा देँगे

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जय महाकाल

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