भारत में ईसाई मिशनरीज कितनी शक्तिशाली हे इस पुरे लेख को पढ़ कर आप समझ सकते हे !
चार साल पहले रांची के चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) के चेयरपर्सन डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने यहां के हिनू में स्थित मिशनरी ऑफ चैरिटी (MOC)के द्वारा चलाए जा रहे शिशु भवन का औचक निरीक्षण किया था. बताया जाता है कि तब शिशु भवन की कई सिस्टर्स ने इस पर हंगामा करते हुए उनको रोकने की कोशिश की थी. डॉ. सिंह को इसकी सजा भुगतनी पड़ी. इसके कुछ ही महीनों बाद डॉ. सिंह को CWC के प्रमुख पद से हटा दिया गया.
डॉ. सिंह ने अपने क्लीनिक में आजतक-इंडिया टुडे से बात की. उन्होंने बताया, 'करीब साढ़े चार साल पहले मुझे लगा कि मेरे पक्ष सही है. कुछ सूत्रों से जानकारी मिली थी कि शिशु भवन से बच्चे अवैध तरीके से बेचे जा रहे हैं. इस सूचना के आधार पर मैं जनवरी, 2014 में इस केंद्र की जांच करने गया. लेकिन वहां की सिस्टर्स ने मेरे साथ सहयोग नहीं किया और हमें तब कोई जानकारी नहीं मिली.'
गौरतलब है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था से मदर टेरेसा की प्रतिष्ठा जुड़ी है. इसलिए इसके आश्रय स्थलों से बच्चों के बेचे जाने की खबर के सामने आते ही काफी हंगामा शुरू हो गया. हालांकि रांची के बिशप ऑफ आर्कडियोसेस ने इसे 'कैथोलिक चर्च को बदनाम करने की साजिश' बताया.
उन्होंने कहा, 'यह कैथोलिक चर्च को बदनाम करने की कुटिल योजना योजना है. लोगों को डराया जा रहा है. यह कोई छिपी बात नहीं है कि हमें विदेश से चंदा मिलता है. यदि वे हमारे एमओसी खाते को बंद करना चाहते हैं तो इसके लिए उनके पास कोई वजह होनी चाहिए. एफसीआर गाइडलाइन के तहत पूरा ब्योरा सरकार के पास है. हमें प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है और उम्मीद है कि वह हस्तक्षेप करेंगे.'
इस मामले की जांच कर रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) ने कहा है कि दोनों आश्रय स्थलों का साल 2015 से पहले का रेकॉर्ड गायब है.
डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने साल 2014 में झारखंड सरकार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक और झारखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस बारे में लेटर लिखकर जानकारी भी दी थी.
मिशनरी ऑफ चैरिटीज ने इसके बाद डॉ. सिंह के खिलाफ ही राज्य समाज कल्याण विभाग के सचिव के यहां शिकायत दर्ज करा दी. संस्था ने आरोप लगाया कि डॉ. सिंह कई पत्रकारों और फोटोग्राफर के साथ शिशु भवन गए और उन्होंने बखेड़ा किया.
डॉ. सिंह ने बताया, 'राज्य सरकार ने जल्दबाजी में एक जांच कराई और संस्था को क्लीन चिट दे दिया. मुझे पद से निलंबित कर दिया गया.' जांच कमेटी ने कहा कि डॉ. सिंह यह साबित नहीं कर पाए कि उन्होंने किस कानून के तहत मिशनरीज के आश्रय स्थल का निरीक्षण किया था.
डॉ. सिंह ने कहा, 'कमिटी ने CWC चेयरपर्सन के इन परिसरों में जांच के अधिकार पर सवाल उठाए. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत CWC चेयरपर्सन को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र में बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कदम उठाए.'
चार साल पहले रांची के चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) के चेयरपर्सन डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने यहां के हिनू में स्थित मिशनरी ऑफ चैरिटी (MOC)के द्वारा चलाए जा रहे शिशु भवन का औचक निरीक्षण किया था. बताया जाता है कि तब शिशु भवन की कई सिस्टर्स ने इस पर हंगामा करते हुए उनको रोकने की कोशिश की थी. डॉ. सिंह को इसकी सजा भुगतनी पड़ी. इसके कुछ ही महीनों बाद डॉ. सिंह को CWC के प्रमुख पद से हटा दिया गया.
डॉ. सिंह ने अपने क्लीनिक में आजतक-इंडिया टुडे से बात की. उन्होंने बताया, 'करीब साढ़े चार साल पहले मुझे लगा कि मेरे पक्ष सही है. कुछ सूत्रों से जानकारी मिली थी कि शिशु भवन से बच्चे अवैध तरीके से बेचे जा रहे हैं. इस सूचना के आधार पर मैं जनवरी, 2014 में इस केंद्र की जांच करने गया. लेकिन वहां की सिस्टर्स ने मेरे साथ सहयोग नहीं किया और हमें तब कोई जानकारी नहीं मिली.'
गौरतलब है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था से मदर टेरेसा की प्रतिष्ठा जुड़ी है. इसलिए इसके आश्रय स्थलों से बच्चों के बेचे जाने की खबर के सामने आते ही काफी हंगामा शुरू हो गया. हालांकि रांची के बिशप ऑफ आर्कडियोसेस ने इसे 'कैथोलिक चर्च को बदनाम करने की साजिश' बताया.
उन्होंने कहा, 'यह कैथोलिक चर्च को बदनाम करने की कुटिल योजना योजना है. लोगों को डराया जा रहा है. यह कोई छिपी बात नहीं है कि हमें विदेश से चंदा मिलता है. यदि वे हमारे एमओसी खाते को बंद करना चाहते हैं तो इसके लिए उनके पास कोई वजह होनी चाहिए. एफसीआर गाइडलाइन के तहत पूरा ब्योरा सरकार के पास है. हमें प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है और उम्मीद है कि वह हस्तक्षेप करेंगे.'
इस मामले की जांच कर रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) ने कहा है कि दोनों आश्रय स्थलों का साल 2015 से पहले का रेकॉर्ड गायब है.
डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने साल 2014 में झारखंड सरकार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक और झारखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस बारे में लेटर लिखकर जानकारी भी दी थी.
मिशनरी ऑफ चैरिटीज ने इसके बाद डॉ. सिंह के खिलाफ ही राज्य समाज कल्याण विभाग के सचिव के यहां शिकायत दर्ज करा दी. संस्था ने आरोप लगाया कि डॉ. सिंह कई पत्रकारों और फोटोग्राफर के साथ शिशु भवन गए और उन्होंने बखेड़ा किया.
डॉ. सिंह ने बताया, 'राज्य सरकार ने जल्दबाजी में एक जांच कराई और संस्था को क्लीन चिट दे दिया. मुझे पद से निलंबित कर दिया गया.' जांच कमेटी ने कहा कि डॉ. सिंह यह साबित नहीं कर पाए कि उन्होंने किस कानून के तहत मिशनरीज के आश्रय स्थल का निरीक्षण किया था.
डॉ. सिंह ने कहा, 'कमिटी ने CWC चेयरपर्सन के इन परिसरों में जांच के अधिकार पर सवाल उठाए. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत CWC चेयरपर्सन को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र में बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कदम उठाए.'
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