ईसाईयों से प्रश्न। उत्तर देने की औकात है तो साहस करो।
1.बाईबिल में लिखा है कि पहले दिन गॉड ने पानी बनाया, दूसरे दिन हवा बनाया, तीसरे दिन धरती बनाया और चौथे दिन सूरज बनाया। इससे दो सवाल निकलते हैं।
क) जब सूरज चौथे दिन बना तो बिना सूरज के तेरे गॉड ने तीन दिनों की गिनती कैसे किया? बिना सूरज दिनरात तो हो नहीं सकता।
ख)जब तीसरे दिन पृथ्वी बनी तो जल और हवा बिना धरती के किस गुरुत्वाकर्षण के अधीन सुरक्षित रहे? और अंतरिक्ष में समा नहीं गए?
2.धरती किस पर टिकी है यह स्टीफेन हॉकिंग ने चर्च के पादरी से पूछा। तो पादरी ने उत्तर दिया कछुए की पीठ पर। कछुआ किस पर टिका है? तो दूसरे कछुए की पीठ पर। दूसरा कछुआ किस पर टिका है तो तीसरे कछुए की पीठ पर? वह कछुआ किस पर टिका है? तो चौथे कछूए की पीठ पर। चौथा कछुआ किस पर टिका है? तो पाँचवे कछूए की पीठ पर। आगे छठे कछूए की बात पूछते ही चर्च वालों ने हमला कर दिया उनपर। बहुत मुश्किल से जान बचाकर भागा वह विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक।
3.ईसाईयत का गॉड सर्वशक्तिमान (omnipotent) नहीं है। क्योंकि वह सन ऑफ डेविल से डरता है। और सन ऑफ डेविल से नफरत भी करता है। उसका अधिकार सन ऑफ डेविल पर नहीं चलता है। इसलिए वह सर्वव्यापक (omnipresent) भी नही है। अतः ईसाईयत गॉड के लाईट की बात करता है। जैसे अंधेरे का जनरेटर हो उनका गॉड।
4.गॉड से कोई ईसाई सीधा नहीं मिल सकता है। वह फादर मदर के माध्यम से ही गॉड को जान सकता है। और उनके फादर का जन्नत है कुँवारी लड़कियां जो वरजिन मरियम बनकर लावारिस जीसस पैदा कर सकें।
5.डे ऑफ जजमेंट जब आएगा तब गॉड सबको कब्र से जिंदा करेगा। और सबका फैसला करेगा कि कौन हेवेन में जायेगा और कौन हेल में जायेगा। फिर सवाल उठता है कि जो जीसस के जीते जी 2018 बर्ष पहले ईसाई बन गया होगा और तभी मर गया होगा उसको तो जजमेन्ट के लिए 2018 वर्ष की प्रतीक्षा करनी पड़ गयी यदि आज ही डे ऑफ जजमेंट आ गया तो। और जो आज ही मरा होगा उसका जजमेंट तो तुरंत मरते के साथ ही मिल गया। यह तो बड़ा अन्याय है। जस्टिस डीलेड इज जस्टिस डीनाएड। इसका मतलब उनके गॉड को न्याय करने की अकल नहीं है। ऐसे बेवकूफ गॉड से क्या उम्मीद करें कि वह हमें जीवन मरण से मुक्ति दिला देगा।
6.गॉड उसका ही जजमेंट करेगा जिसका डेड बॉडी का ढाँचा कब्र में पड़ा रहेगा तबतक। यदि किसी का ढाँचा जला दिया जाएगा या जिंदा जला दिया गया और पूरा शरीर गाड़ा नहीं गया है तो गॉड उसका जजमेंट नहीं करेगा। इसका अर्थ उनके गॉड को मनुष्य को बनाने की औकात नहीं है। मनुष्य को कोई और बनाता है जो इनके गॉड का बाप होगा निश्चित रूप से।
7.गॉड ने सबसे पहले एडम को बनाया। (Adam was the first created man specifically named in Scripture, Genesis 1:26-31 – 2:1-25) और उसे जंगल में छोड़ दिया अकेले मरने को। एक दिन एडम सोया हुआ था। उसको अकेला देखकर गॉड को दया आई। और उसने एडम की एक पसली खींची और एक औरत बना दिया। उसका नाम रखा इव। (Eve the first woman specifically named in Scripture, Genesis 2:18-25) गॉड ने कहा एडम को उसके मनोरंजन के लिए एक औरत की जरूरत है। अब कई प्रश्न उठते हैं-
क)एक पसली की हड्डी से किस विज्ञान की तकनीक के सहारे औरत बनाई जा सकती है? क्या कोई ऐसा सफल एक्सपेरिमेंट संभव हुआ है आज तक?
ख)एडम को अकेला सोया देखकर गॉड को दया आयी। इसका अर्थ उनका गॉड दयालु भी नहीं है। और क्रूर कसाई है। दूसरा वह विजनरी भी नहीं है। उसको यह बात एडम को बनाते समय ही क्यों नहीं समझ में आई?
ग)औरत का निर्माण एडम के मनोरंजन के लिए हुआ है। अर्थात औरत मनुष्य नहीं है। वह मर्द के खेलने और मनोरंजन के लिए बनी है। यह बाइबल का कथन है। यह तो नारी जाति का तिरस्कार और अपमान है।
क्रमशः...........................
~मुरारी शरण शुक्ल।
1.बाईबिल में लिखा है कि पहले दिन गॉड ने पानी बनाया, दूसरे दिन हवा बनाया, तीसरे दिन धरती बनाया और चौथे दिन सूरज बनाया। इससे दो सवाल निकलते हैं।
क) जब सूरज चौथे दिन बना तो बिना सूरज के तेरे गॉड ने तीन दिनों की गिनती कैसे किया? बिना सूरज दिनरात तो हो नहीं सकता।
ख)जब तीसरे दिन पृथ्वी बनी तो जल और हवा बिना धरती के किस गुरुत्वाकर्षण के अधीन सुरक्षित रहे? और अंतरिक्ष में समा नहीं गए?
2.धरती किस पर टिकी है यह स्टीफेन हॉकिंग ने चर्च के पादरी से पूछा। तो पादरी ने उत्तर दिया कछुए की पीठ पर। कछुआ किस पर टिका है? तो दूसरे कछुए की पीठ पर। दूसरा कछुआ किस पर टिका है तो तीसरे कछुए की पीठ पर? वह कछुआ किस पर टिका है? तो चौथे कछूए की पीठ पर। चौथा कछुआ किस पर टिका है? तो पाँचवे कछूए की पीठ पर। आगे छठे कछूए की बात पूछते ही चर्च वालों ने हमला कर दिया उनपर। बहुत मुश्किल से जान बचाकर भागा वह विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक।
3.ईसाईयत का गॉड सर्वशक्तिमान (omnipotent) नहीं है। क्योंकि वह सन ऑफ डेविल से डरता है। और सन ऑफ डेविल से नफरत भी करता है। उसका अधिकार सन ऑफ डेविल पर नहीं चलता है। इसलिए वह सर्वव्यापक (omnipresent) भी नही है। अतः ईसाईयत गॉड के लाईट की बात करता है। जैसे अंधेरे का जनरेटर हो उनका गॉड।
4.गॉड से कोई ईसाई सीधा नहीं मिल सकता है। वह फादर मदर के माध्यम से ही गॉड को जान सकता है। और उनके फादर का जन्नत है कुँवारी लड़कियां जो वरजिन मरियम बनकर लावारिस जीसस पैदा कर सकें।
5.डे ऑफ जजमेंट जब आएगा तब गॉड सबको कब्र से जिंदा करेगा। और सबका फैसला करेगा कि कौन हेवेन में जायेगा और कौन हेल में जायेगा। फिर सवाल उठता है कि जो जीसस के जीते जी 2018 बर्ष पहले ईसाई बन गया होगा और तभी मर गया होगा उसको तो जजमेन्ट के लिए 2018 वर्ष की प्रतीक्षा करनी पड़ गयी यदि आज ही डे ऑफ जजमेंट आ गया तो। और जो आज ही मरा होगा उसका जजमेंट तो तुरंत मरते के साथ ही मिल गया। यह तो बड़ा अन्याय है। जस्टिस डीलेड इज जस्टिस डीनाएड। इसका मतलब उनके गॉड को न्याय करने की अकल नहीं है। ऐसे बेवकूफ गॉड से क्या उम्मीद करें कि वह हमें जीवन मरण से मुक्ति दिला देगा।
6.गॉड उसका ही जजमेंट करेगा जिसका डेड बॉडी का ढाँचा कब्र में पड़ा रहेगा तबतक। यदि किसी का ढाँचा जला दिया जाएगा या जिंदा जला दिया गया और पूरा शरीर गाड़ा नहीं गया है तो गॉड उसका जजमेंट नहीं करेगा। इसका अर्थ उनके गॉड को मनुष्य को बनाने की औकात नहीं है। मनुष्य को कोई और बनाता है जो इनके गॉड का बाप होगा निश्चित रूप से।
7.गॉड ने सबसे पहले एडम को बनाया। (Adam was the first created man specifically named in Scripture, Genesis 1:26-31 – 2:1-25) और उसे जंगल में छोड़ दिया अकेले मरने को। एक दिन एडम सोया हुआ था। उसको अकेला देखकर गॉड को दया आई। और उसने एडम की एक पसली खींची और एक औरत बना दिया। उसका नाम रखा इव। (Eve the first woman specifically named in Scripture, Genesis 2:18-25) गॉड ने कहा एडम को उसके मनोरंजन के लिए एक औरत की जरूरत है। अब कई प्रश्न उठते हैं-
क)एक पसली की हड्डी से किस विज्ञान की तकनीक के सहारे औरत बनाई जा सकती है? क्या कोई ऐसा सफल एक्सपेरिमेंट संभव हुआ है आज तक?
ख)एडम को अकेला सोया देखकर गॉड को दया आयी। इसका अर्थ उनका गॉड दयालु भी नहीं है। और क्रूर कसाई है। दूसरा वह विजनरी भी नहीं है। उसको यह बात एडम को बनाते समय ही क्यों नहीं समझ में आई?
ग)औरत का निर्माण एडम के मनोरंजन के लिए हुआ है। अर्थात औरत मनुष्य नहीं है। वह मर्द के खेलने और मनोरंजन के लिए बनी है। यह बाइबल का कथन है। यह तो नारी जाति का तिरस्कार और अपमान है।
क्रमशः...........................
~मुरारी शरण शुक्ल।
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