Dr-Abhishek Pratap Singh Rathore
1 )महमूद ग़ज़नवी ---वर्ष 997 से 1030 तक 2000000 , बीस लाख सिर्फ बीस लाख लोगों को महमूद ग़ज़नवी ने तो क़त्ल किया था और 750000 सात लाख पचास हज़ार लोगों को गुलाम बना कर भारत से ले गया था 17 बार के आक्रमण के दौरान (997 -1030). ---- जिन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया , वे शूद्र बना कर इस्लाम में शामिल कर लिए गए। इनमे ब्राह्मण भी थे क्षत्रिय भी वैश्य भी और शूद्र भी थे ।
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2 ) दिल्ली सल्तनत --1206 से 1210 ---- कुतुबुद्दीन ऐबक --- सिर्फ 20000 गुलाम राजा भीम से लिए थे और 50000 गुलाम कालिंजर के राजा से लिए थे। जो नहीं माना उनकी बस्तियों की बस्तियां उजाड़ दीं। गुलामों की उस समय यह हालत हो गयी कि गरीब से गरीब मुसलमान के पास भी सैंकड़ों हिन्दू गुलाम हुआ करते थे ।
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3) इल्ल्तुत्मिश ---1236-- जो भी मिलता उसे गुलाम बना कर, उस पर इस्लाम थोप देता था।
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4) बलबन ----1250-60 --- ने एक राजाज्ञा निकल दी थी , 8 वर्ष से ऊपर का कोई भी आदमी मिले उसे मौत के घाट उत्तर दो। महिलाओं और लड़कियों वो गुलाम बना लिया करता था। उसने भी शहर के शहर खाली कर दिए।
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5) अलाउद्दीन ख़िलजी ---- 1296 -1316 -- अपने सोमनाथ की लूट के दौरान उसने कम उम्र की 20000 हज़ार लड़कियों को दासी बनाया, और अपने शासन में इतने लड़के और लड़कियों को गुलाम बनाया कि गिनती
कलम से लिखी नहीं जा सकती। उसने हज़ारों क़त्ल करे थे और उसके गुलमखाने में 50000 लड़के थे और 70000 गुलाम लगातार उसके लिए इमारतें बनाने का काम करते थे। इस समय का ज़िक्र आमिर खुसरो के लफ़्ज़ों में इस प्रकार है " तुर्क जहाँ चाहे से हिंदुओं को उठा लेते थे और जहाँचाहे बेच देते थे।.
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6) मोहम्मद तुगलक ---1325 -1351 ---इसके समय पर तने कैदी हो गए थे की हज़ारों की संख्या मेंरोज़ कौड़ियों के दाम पर बेचे जाते थे।
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7) फ़िरोज़ शाह तुगलक -- 1351 -1388 -- इसकेपास 180000 गुलाम थे जिसमे से 40000 इसके महल की सुरक्षा में लगे हुए थे। इसी समय "इब्न बतूता " लिखते हैं की क़त्ल करने और गुलाम बनाने की वज़ह से गांव के गांव खाली हो गए थे। गुलाम खरीदने और बेचने के लिए खुरासान ,गज़नी,कंधार,काबुल और समरकंद मुख्य मंडियां
हुआ करती थीं। वहां पर इस्तांबुल,इराक और चीन से से भी गुलाम ल कर बेचे जाते थे।
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8) तैमूर लंग --1398/99 --- इसने दिल्ली पर हमले के दौरान 100000 गुलामों को मौत के घाट उतरने के पश्चात ,2 से ढ़ाई लाख कारीगर गुलाम बना कर समरकंद और मध्य एशिया ले गया।
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9) सैय्यद वंश --1400-1451 -- हिन्दुओं के लिए कुछ नहीं बदला, इसने कटिहार ,मालवा और अलवर को लूटा और जो पकड़ में आया उसे या तो मार दिया या गुलाम बना लिया। .
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10) लोधी वंश-1451--1525 ---- इसके सुल्तान बहलूल ने नीमसार से हिन्दुओं का पूरी तरह से वंशनाश कर दिया और उसके बेटे सिकंदर लोधी ने यही हाल रीवां और ग्वालियर का किया।
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11 ) मुग़ल राज्य --1525 -1707 --- बाबर -- इतिहास में ,क़ुरान की कंठस्थ आयतों ,कत्लेआम और गुलाम बनाने के लिए ही जाना जाता है।
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12 ) अकबर ---1556 -1605 ---- बहुत महान थे यह अकबर महाशय , चित्तोड़ ने जब इनकी सत्ता मानाने से इंकार कर दिया तो इन्होने 30000 काश्तकारों और 8000 राजपूतों को या तो मार दिया या गुलाम बना लिया और, एक दिन भरी दोपहर में 2000 कैदियों का सर कलम किया था। कहते हैं की इन्होने गुलाम प्रथा रोकने की बहुत कोशिश की फिर भी इसके हरम में 5000 महिलाएं थीं। इनके समय में ज्यादातर लड़कों को खासतौर पर बंगाल की तरफ अपहरण किया जाता था और उन्हें हिजड़ा बना दिया जाता था। इनके मुख्य सेनापति अब्दुल्लाह खान उज़्बेग, की अगर मानी जाये तो उसने 500000 पुरुष और गुलाम बना कर मुसलमान बनाया था और उसके हिसाब से क़यामत के दिन तक वह लोग एक करोड़ हो जायेंगे।
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13 ) जहांगीर 1605 --1627 --- इन साहब के हिसाब से इनके और इनके बाप के शासन काल में 5 से 600000 मूर्तिपूजकों का कत्ल किया गया था औरसिर्फ 1619-20 में ही इसने 200000 हिन्दू गुलामों को ईरान में बेचा
था।
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14) शाहजहाँ 1628 --1658 ----इसके राज में इस्लाम बस ही कानून था, या तो मुसलमान बन जाओ या मौत के घाट उत्तर जाओ। आगरा में एक दिन इसने 4000 हिन्दुओं को मौत के घाट उतरा था। जवान लड़कियां इसके हरम भेज दी जाती थीं। इसके हरम में सिर्फ 8000 औरतें थी।
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15) औरंगज़ेब--1658-1707 -- इसके बारे में तो बस इतना ही कहा जा सकता है की ,जब तक सवा मन जनेऊ नहीं तुलवा लेता था पानी नहीं पीता था। बाकि काशी मथुरा और अयोध्या इसी की देन हैं। मथुरा के मंदिर
200 सालों में बने थे इसने अपने 50 साल के शासन में मिट्टी में मिला दिए। गोलकुंडा में 1659 सिर्फ 22000 लड़कों को हिजड़ा बनाया था।
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16)फर्रुख्सियार -- 1713 -1719 ,यही शख्स है जो नेहरू परिवार को कश्मीर से दिल्ली ले कर आया था, और गुरदासपुर में हजारों सिखों को मार और गुलाम बनाया था।
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17) नादिर शाह --1738 भारत आया सिर्फ 200000 लोगों को मौत के घाट उत्तर कर हज़ारों सुन्दर लड़कियों को और बेशुमार दौलत ले कर चला गया।
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18) अहमद शाह अब्दाली --- 1757-1760 -1761 ----पानीपत की लड़ाई में मराठों युद्ध के दौरान हज़ारों लोग मरे ,और एक बार में यह 22000 लोगों को गुलाम बना कर ले गया था।
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19) टीपू सुल्तान ---1750 - 1799 ---- त्रावणकोर के युद्ध में इसने 10,000 हिन्दू और ईसाईयों को मारा था एक मुस्लिम किताब के हिसाब से कुर्ग में रहने वाले 70,000 हिन्दुओं को इसने मुसलमान बनाया था। ऐसा नहीं कि हिंदुओं ने डटकर मुकाबला नहीं किया था, बहुत किया था, उसके बाद ही इस संख्या का निर्धारण इतिहासकारों ने किया जो कि उपरोक्त दी गई पुस्तकों एवं लिंक में दिया गया है ।
गुलाम हिन्दू चाहे मुसलमान बने या नहीं ,उन्हें नीचा दिखाने के लिए इनसे अस्तबलों का , हाथियों को रखने का, सिपाहियों के सेवक होने का और इज़्ज़त करने के लिए साफ सफाई करने के काम दिए जाते थे। जो गुलाम नहीं भी बने उच्च वर्ण के लोग वैसे ही सब कुछ लूटा कर, अपना धर्म न छोड़ने के फेर में जजिया और तमाम तरीके के कर चुकाते चुकाते समाज में वैसे ही नीचे की पायदान शूद्रता पर पहुँच गए। जो आतताइयों से जान बचा कर जंगलों में भाग गए जिन्दा रहने के उन्होंने मांसाहार खाना शुरू कर दिया और जैसी की प्रथा थी ,और अछूत घोषित हो गए।
Now come to the valid reason for Rigidity in Indian Caste System--------
वर्ष 497 AD से 1197 AD तक भारत में एक से बढ़ कर एक विश्व विद्यालय हुआ करते थे, जैसे तक्षिला, नालंदा, जगदाला, ओदन्तपुर। नालंदा विश्वविद्यालय में ही 10000 छात्र ,2000 शिक्षक तथा नौ मंज़िल का पुस्तकालय हुआ करता था, जहाँ विश्व के विभिन्न भागों से पड़ने के लिए विद्यार्थी आते थे। ये सारे के सारे मुग़ल आक्रमण कारियों ने ध्वस्त करके जला दिए। न सिर्फ इन विद्या और ज्ञान के मंदिरों को जलाया गया बल्कि पूजा पाठ पर सार्वजानिक और निजी रूप से भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया। इतना तो सबने पढ़ा है, लेकिन उसके बाद यह नहीं सोचा कि अपने धर्म को ज़िंदा रखने के लिए ज्ञान, धर्मशास्त्रों और संस्कारों को मुंह जुबानी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया गया ।
सबसे पहला खतरा जो धर्म पर मंडराया था ,वो था मलेच्छों का हिन्दू धर्म में अतिक्रमण / प्रवेश रोकना। और जिसका जैसा वर्ण था वो उसी को बचाने लग गया। लड़कियां मुगलों के हरम में न जाएँ ,इसलिए लड़की का जन्म अभिशाप लगा ,छोटी उम्र में उनकी शादी इसलिए कर दी जाती थी की अब इसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसका पति संभाले, मुसलमानों की गन्दी निगाह से बचने के लिए पर्दा प्रथा शुरू हो गयी। विवाहित महिलाएं पति के युद्ध में जाते ही दुशमनों के हाथों अपमानित होने से बचने के लिए जौहर करने लगीं ,विधवा स्त्रियों को मालूम था की पति के मरने के बाद उनकी इज़्ज़त बचाने कोई नहीं आएगा इसलिए सती होने लगीं, जिन हिन्दुओं को घर से बेघर कर दिया गया उन्हें भी पेट पालने के लिए ठगी लूटमार का पेशा अख्तिया करना पड़ा। कौन सी विकृति है जो मुसलमानों के अतिक्रमण से पहले इस देश में थी और उनके आने के बाद किसी देश में नहीं है।
हिन्दू धर्म में शूद्र कृत्यों वाले बहरूपिये आवरण ओढ़ कर इसे कुरूप न कर दें इसीलिए वर्णव्यवस्था कट्टर हुई , इसलिए कोई अतिशियोक्ति नहीं कि इस पूरी प्रक्रिया में धर्म रूढ़िवादी हो गया या वर्तमान परिभाषा के हिसाब से उसमे विकृतियाँ आ गयी। मजबूरी थी वर्णों का कछुए की तरह खोल में सिकुड़ना। यहीं से वर्ण व्यवस्था का लचीलापन जो की धर्मसम्मत था ख़त्म हो गया। इसके लिए आज अपने को शूद्र कहने वाले ब्राह्मणो या क्षत्रियों को दोष देकर अपने नए मित्रों को ज़िम्मेदार कभी नहीं हराते हैं .
वैसे जब आप लोग डा. सविता माई(आंबेडकर जी की ब्राह्मण पत्नी) के संस्कारों को ज़बरदस्ती छुपा सकते हैं,जब आप लोग अपने पूर्वजो के बलिदान को याद नहीं रख सकते हैं जिनकी वजह से आप आज भी हिन्दू हैं तो आप आज उन्मुक्त कण्ठ से ब्राह्मणो और क्षत्रिओं को गाली भी दे सकते हैं,जिनके पूर्वजों ने न जाने इस धर्म को ज़िंदा रखने के लिए क्या क्या कष्ट सहे वर्ना आज आप भी अफगानिस्तान , सीरिया और इराक जैसे दिन भोग रहे होते। और आज जिस वर्णव्यवस्था में हम विभाजित हैं उसका श्रेय 1881 एवं 1902 की अंग्रेजों द्वारा कराई गयी जनगणना है जिसमें उन्होंने demographic segmentation को सरल बनाने के लिए हिंदु समाज को इन चार वर्णों में चिपका दिया। वैसे भील, गोंड, सन्थाल और सभी आदिवासियों के पिछड़ेपन के लिए क्या वर्णव्यवस्था जिम्मेदार है?????
कौन ज़िम्मेदार है इस पूरे प्रकरण के लिए अनजाने या भूलवश धर्म में विकृतियाँ लाने वाले पंडित या उन्हें मजबूर करने वाले मुसलमान आक्रांता ?? या आपसे सच्चाई छुपाने वाले इतिहास के लेखक ??
कोई भी ज़िम्मेदार हो पर हिन्दू भाइयो अब तो आपस में लड़ना छोड़ कर भविष्य की तरफ एक सकारात्मक कदम उठाओ। . अगर आज हिन्दू एक होते तो आज कश्मीर घाटी में गिनती के 2984 हिन्दू न बचते और 4.50 लाख कश्मीरी हिंदू 25 साल से अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह न रह रहे होते और 16 दिसंबर के निर्भया काण्ड ,मेरठ काण्ड ,हापुड़ काण्ड …………गिनती बेशुमार है, इस देश में न होते। वैसे सबसे मजे की बात यह है कि जिनके पूर्वजों ने ये सब अत्याचार किए, 800 साल तक राज किया, वो तो पाक साफ हो कर अल्पसंख्यकों के नाम पर आरक्षण भी पा गये और कटघरे में खड़े हैं, कौन?. जवाब आपके पास है
1 )महमूद ग़ज़नवी ---वर्ष 997 से 1030 तक 2000000 , बीस लाख सिर्फ बीस लाख लोगों को महमूद ग़ज़नवी ने तो क़त्ल किया था और 750000 सात लाख पचास हज़ार लोगों को गुलाम बना कर भारत से ले गया था 17 बार के आक्रमण के दौरान (997 -1030). ---- जिन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया , वे शूद्र बना कर इस्लाम में शामिल कर लिए गए। इनमे ब्राह्मण भी थे क्षत्रिय भी वैश्य भी और शूद्र भी थे ।
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2 ) दिल्ली सल्तनत --1206 से 1210 ---- कुतुबुद्दीन ऐबक --- सिर्फ 20000 गुलाम राजा भीम से लिए थे और 50000 गुलाम कालिंजर के राजा से लिए थे। जो नहीं माना उनकी बस्तियों की बस्तियां उजाड़ दीं। गुलामों की उस समय यह हालत हो गयी कि गरीब से गरीब मुसलमान के पास भी सैंकड़ों हिन्दू गुलाम हुआ करते थे ।
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3) इल्ल्तुत्मिश ---1236-- जो भी मिलता उसे गुलाम बना कर, उस पर इस्लाम थोप देता था।
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4) बलबन ----1250-60 --- ने एक राजाज्ञा निकल दी थी , 8 वर्ष से ऊपर का कोई भी आदमी मिले उसे मौत के घाट उत्तर दो। महिलाओं और लड़कियों वो गुलाम बना लिया करता था। उसने भी शहर के शहर खाली कर दिए।
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5) अलाउद्दीन ख़िलजी ---- 1296 -1316 -- अपने सोमनाथ की लूट के दौरान उसने कम उम्र की 20000 हज़ार लड़कियों को दासी बनाया, और अपने शासन में इतने लड़के और लड़कियों को गुलाम बनाया कि गिनती
कलम से लिखी नहीं जा सकती। उसने हज़ारों क़त्ल करे थे और उसके गुलमखाने में 50000 लड़के थे और 70000 गुलाम लगातार उसके लिए इमारतें बनाने का काम करते थे। इस समय का ज़िक्र आमिर खुसरो के लफ़्ज़ों में इस प्रकार है " तुर्क जहाँ चाहे से हिंदुओं को उठा लेते थे और जहाँचाहे बेच देते थे।.
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6) मोहम्मद तुगलक ---1325 -1351 ---इसके समय पर तने कैदी हो गए थे की हज़ारों की संख्या मेंरोज़ कौड़ियों के दाम पर बेचे जाते थे।
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7) फ़िरोज़ शाह तुगलक -- 1351 -1388 -- इसकेपास 180000 गुलाम थे जिसमे से 40000 इसके महल की सुरक्षा में लगे हुए थे। इसी समय "इब्न बतूता " लिखते हैं की क़त्ल करने और गुलाम बनाने की वज़ह से गांव के गांव खाली हो गए थे। गुलाम खरीदने और बेचने के लिए खुरासान ,गज़नी,कंधार,काबुल और समरकंद मुख्य मंडियां
हुआ करती थीं। वहां पर इस्तांबुल,इराक और चीन से से भी गुलाम ल कर बेचे जाते थे।
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8) तैमूर लंग --1398/99 --- इसने दिल्ली पर हमले के दौरान 100000 गुलामों को मौत के घाट उतरने के पश्चात ,2 से ढ़ाई लाख कारीगर गुलाम बना कर समरकंद और मध्य एशिया ले गया।
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9) सैय्यद वंश --1400-1451 -- हिन्दुओं के लिए कुछ नहीं बदला, इसने कटिहार ,मालवा और अलवर को लूटा और जो पकड़ में आया उसे या तो मार दिया या गुलाम बना लिया। .
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10) लोधी वंश-1451--1525 ---- इसके सुल्तान बहलूल ने नीमसार से हिन्दुओं का पूरी तरह से वंशनाश कर दिया और उसके बेटे सिकंदर लोधी ने यही हाल रीवां और ग्वालियर का किया।
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11 ) मुग़ल राज्य --1525 -1707 --- बाबर -- इतिहास में ,क़ुरान की कंठस्थ आयतों ,कत्लेआम और गुलाम बनाने के लिए ही जाना जाता है।
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12 ) अकबर ---1556 -1605 ---- बहुत महान थे यह अकबर महाशय , चित्तोड़ ने जब इनकी सत्ता मानाने से इंकार कर दिया तो इन्होने 30000 काश्तकारों और 8000 राजपूतों को या तो मार दिया या गुलाम बना लिया और, एक दिन भरी दोपहर में 2000 कैदियों का सर कलम किया था। कहते हैं की इन्होने गुलाम प्रथा रोकने की बहुत कोशिश की फिर भी इसके हरम में 5000 महिलाएं थीं। इनके समय में ज्यादातर लड़कों को खासतौर पर बंगाल की तरफ अपहरण किया जाता था और उन्हें हिजड़ा बना दिया जाता था। इनके मुख्य सेनापति अब्दुल्लाह खान उज़्बेग, की अगर मानी जाये तो उसने 500000 पुरुष और गुलाम बना कर मुसलमान बनाया था और उसके हिसाब से क़यामत के दिन तक वह लोग एक करोड़ हो जायेंगे।
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13 ) जहांगीर 1605 --1627 --- इन साहब के हिसाब से इनके और इनके बाप के शासन काल में 5 से 600000 मूर्तिपूजकों का कत्ल किया गया था औरसिर्फ 1619-20 में ही इसने 200000 हिन्दू गुलामों को ईरान में बेचा
था।
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14) शाहजहाँ 1628 --1658 ----इसके राज में इस्लाम बस ही कानून था, या तो मुसलमान बन जाओ या मौत के घाट उत्तर जाओ। आगरा में एक दिन इसने 4000 हिन्दुओं को मौत के घाट उतरा था। जवान लड़कियां इसके हरम भेज दी जाती थीं। इसके हरम में सिर्फ 8000 औरतें थी।
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15) औरंगज़ेब--1658-1707 -- इसके बारे में तो बस इतना ही कहा जा सकता है की ,जब तक सवा मन जनेऊ नहीं तुलवा लेता था पानी नहीं पीता था। बाकि काशी मथुरा और अयोध्या इसी की देन हैं। मथुरा के मंदिर
200 सालों में बने थे इसने अपने 50 साल के शासन में मिट्टी में मिला दिए। गोलकुंडा में 1659 सिर्फ 22000 लड़कों को हिजड़ा बनाया था।
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16)फर्रुख्सियार -- 1713 -1719 ,यही शख्स है जो नेहरू परिवार को कश्मीर से दिल्ली ले कर आया था, और गुरदासपुर में हजारों सिखों को मार और गुलाम बनाया था।
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17) नादिर शाह --1738 भारत आया सिर्फ 200000 लोगों को मौत के घाट उत्तर कर हज़ारों सुन्दर लड़कियों को और बेशुमार दौलत ले कर चला गया।
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18) अहमद शाह अब्दाली --- 1757-1760 -1761 ----पानीपत की लड़ाई में मराठों युद्ध के दौरान हज़ारों लोग मरे ,और एक बार में यह 22000 लोगों को गुलाम बना कर ले गया था।
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19) टीपू सुल्तान ---1750 - 1799 ---- त्रावणकोर के युद्ध में इसने 10,000 हिन्दू और ईसाईयों को मारा था एक मुस्लिम किताब के हिसाब से कुर्ग में रहने वाले 70,000 हिन्दुओं को इसने मुसलमान बनाया था। ऐसा नहीं कि हिंदुओं ने डटकर मुकाबला नहीं किया था, बहुत किया था, उसके बाद ही इस संख्या का निर्धारण इतिहासकारों ने किया जो कि उपरोक्त दी गई पुस्तकों एवं लिंक में दिया गया है ।
गुलाम हिन्दू चाहे मुसलमान बने या नहीं ,उन्हें नीचा दिखाने के लिए इनसे अस्तबलों का , हाथियों को रखने का, सिपाहियों के सेवक होने का और इज़्ज़त करने के लिए साफ सफाई करने के काम दिए जाते थे। जो गुलाम नहीं भी बने उच्च वर्ण के लोग वैसे ही सब कुछ लूटा कर, अपना धर्म न छोड़ने के फेर में जजिया और तमाम तरीके के कर चुकाते चुकाते समाज में वैसे ही नीचे की पायदान शूद्रता पर पहुँच गए। जो आतताइयों से जान बचा कर जंगलों में भाग गए जिन्दा रहने के उन्होंने मांसाहार खाना शुरू कर दिया और जैसी की प्रथा थी ,और अछूत घोषित हो गए।
Now come to the valid reason for Rigidity in Indian Caste System--------
वर्ष 497 AD से 1197 AD तक भारत में एक से बढ़ कर एक विश्व विद्यालय हुआ करते थे, जैसे तक्षिला, नालंदा, जगदाला, ओदन्तपुर। नालंदा विश्वविद्यालय में ही 10000 छात्र ,2000 शिक्षक तथा नौ मंज़िल का पुस्तकालय हुआ करता था, जहाँ विश्व के विभिन्न भागों से पड़ने के लिए विद्यार्थी आते थे। ये सारे के सारे मुग़ल आक्रमण कारियों ने ध्वस्त करके जला दिए। न सिर्फ इन विद्या और ज्ञान के मंदिरों को जलाया गया बल्कि पूजा पाठ पर सार्वजानिक और निजी रूप से भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया। इतना तो सबने पढ़ा है, लेकिन उसके बाद यह नहीं सोचा कि अपने धर्म को ज़िंदा रखने के लिए ज्ञान, धर्मशास्त्रों और संस्कारों को मुंह जुबानी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया गया ।
सबसे पहला खतरा जो धर्म पर मंडराया था ,वो था मलेच्छों का हिन्दू धर्म में अतिक्रमण / प्रवेश रोकना। और जिसका जैसा वर्ण था वो उसी को बचाने लग गया। लड़कियां मुगलों के हरम में न जाएँ ,इसलिए लड़की का जन्म अभिशाप लगा ,छोटी उम्र में उनकी शादी इसलिए कर दी जाती थी की अब इसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसका पति संभाले, मुसलमानों की गन्दी निगाह से बचने के लिए पर्दा प्रथा शुरू हो गयी। विवाहित महिलाएं पति के युद्ध में जाते ही दुशमनों के हाथों अपमानित होने से बचने के लिए जौहर करने लगीं ,विधवा स्त्रियों को मालूम था की पति के मरने के बाद उनकी इज़्ज़त बचाने कोई नहीं आएगा इसलिए सती होने लगीं, जिन हिन्दुओं को घर से बेघर कर दिया गया उन्हें भी पेट पालने के लिए ठगी लूटमार का पेशा अख्तिया करना पड़ा। कौन सी विकृति है जो मुसलमानों के अतिक्रमण से पहले इस देश में थी और उनके आने के बाद किसी देश में नहीं है।
हिन्दू धर्म में शूद्र कृत्यों वाले बहरूपिये आवरण ओढ़ कर इसे कुरूप न कर दें इसीलिए वर्णव्यवस्था कट्टर हुई , इसलिए कोई अतिशियोक्ति नहीं कि इस पूरी प्रक्रिया में धर्म रूढ़िवादी हो गया या वर्तमान परिभाषा के हिसाब से उसमे विकृतियाँ आ गयी। मजबूरी थी वर्णों का कछुए की तरह खोल में सिकुड़ना। यहीं से वर्ण व्यवस्था का लचीलापन जो की धर्मसम्मत था ख़त्म हो गया। इसके लिए आज अपने को शूद्र कहने वाले ब्राह्मणो या क्षत्रियों को दोष देकर अपने नए मित्रों को ज़िम्मेदार कभी नहीं हराते हैं .
वैसे जब आप लोग डा. सविता माई(आंबेडकर जी की ब्राह्मण पत्नी) के संस्कारों को ज़बरदस्ती छुपा सकते हैं,जब आप लोग अपने पूर्वजो के बलिदान को याद नहीं रख सकते हैं जिनकी वजह से आप आज भी हिन्दू हैं तो आप आज उन्मुक्त कण्ठ से ब्राह्मणो और क्षत्रिओं को गाली भी दे सकते हैं,जिनके पूर्वजों ने न जाने इस धर्म को ज़िंदा रखने के लिए क्या क्या कष्ट सहे वर्ना आज आप भी अफगानिस्तान , सीरिया और इराक जैसे दिन भोग रहे होते। और आज जिस वर्णव्यवस्था में हम विभाजित हैं उसका श्रेय 1881 एवं 1902 की अंग्रेजों द्वारा कराई गयी जनगणना है जिसमें उन्होंने demographic segmentation को सरल बनाने के लिए हिंदु समाज को इन चार वर्णों में चिपका दिया। वैसे भील, गोंड, सन्थाल और सभी आदिवासियों के पिछड़ेपन के लिए क्या वर्णव्यवस्था जिम्मेदार है?????
कौन ज़िम्मेदार है इस पूरे प्रकरण के लिए अनजाने या भूलवश धर्म में विकृतियाँ लाने वाले पंडित या उन्हें मजबूर करने वाले मुसलमान आक्रांता ?? या आपसे सच्चाई छुपाने वाले इतिहास के लेखक ??
कोई भी ज़िम्मेदार हो पर हिन्दू भाइयो अब तो आपस में लड़ना छोड़ कर भविष्य की तरफ एक सकारात्मक कदम उठाओ। . अगर आज हिन्दू एक होते तो आज कश्मीर घाटी में गिनती के 2984 हिन्दू न बचते और 4.50 लाख कश्मीरी हिंदू 25 साल से अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह न रह रहे होते और 16 दिसंबर के निर्भया काण्ड ,मेरठ काण्ड ,हापुड़ काण्ड …………गिनती बेशुमार है, इस देश में न होते। वैसे सबसे मजे की बात यह है कि जिनके पूर्वजों ने ये सब अत्याचार किए, 800 साल तक राज किया, वो तो पाक साफ हो कर अल्पसंख्यकों के नाम पर आरक्षण भी पा गये और कटघरे में खड़े हैं, कौन?. जवाब आपके पास है
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