रविवार, जुलाई 29, 2018

इस देश को खतरा है इन 4 से 1)कम्युनिस्ट 2)फेमिनिस्ट 3)pseudo-secularism(पाखंडी-धर्मनिरपेक्षता) 4)भीम सैनिक(नकली बौद्ध)

दिनेश कुमार प्रजापति
खतरा—सावधान
इस देश को खतरा है इन 4 से
1)कम्युनिस्ट
2)फेमिनिस्ट
3)pseudo-secularism(पाखंडी-धर्मनिरपेक्षता)
4)भीम सैनिक(नकली बौद्ध)
1)कम्युनिस्ट–वामपंथ आज़ादी के पहले से
भारतीय सभ्यता और संस्कृति का शत्रु रहा है।
भारतीय इतिहास की किताबो में जो कुछ भी
गलत और देश विरोधी बाते लिखी है वो सब
वामपंथ की देन है। वर्तमान समाज मे वामपंथ को
लेफ्ट,कम्युनिस्ट इत्यादि नामो से जाना
जाता है। आर्य बाहर से आये,महिषासुर
पूजन,रावण पूजन,राम की आलोचना,गौ मांस
भक्षण इत्यादि वामपंथी विचारधारा की
उपज है।
इन वामपंथियो ने देश के इतिहास के साथ बहुत
घिनौना खिलवाड़ किया और देश के मूल
इतिहास को उखाड़ फेंकने की पूरी कोशिश की
,जो आज भी जारी है। भारत के स्कूलो में पढ़ा
जाने वाला इतिहास वामपंथी लिखा करते थे
और ये लोग फिरंगियो के बहुत करीबी होते थे।
फिरंगियो ने भारत में कब्ज़े की शुरुवात ही
बंगाल से की थी यानि ईस्ट इंडिया कंपनी से।
यही कारन था की बंगाली इनके बहुत करीब रहे।
वामपंथ में अधिकतर बंगाली समुदाय है किन्तु ये
वामपंथी बंगाली वास्तव में नास्तिक होते है
और भोग ही इनके लिए सबकुछ है। देश के इतिहास
से खिलवाड़ करके देश को बर्बाद करना और एक
सोची समझी राजनीती के तहत देश को बर्बाद
करना ही वामपंथ की मुख्य विशेषता रही है।
औरतो को आज़ादी के नाम पर उकसाना और
फिर उनका उपभोग करना वामपंथ के लक्षण रहे है।
नास्तिक वामपंथी नास्तिक होने का
दिखावा करते है किन्तु इनके निशाने पर सिर्फ
हिन्दू धर्म होता है ,ईसाई या मुस्लिम धर्म
नहीं। कुल मिलाकर अगर वामपंथ को एक नाम
दिया जाये तो वो है “काले अंग्रेज” या फिर
अंग्रेज़ो की नाजायज औलादे या यु कहे “”भारत
में मौजूद अंग्रेज़ो के प्रतिनिधि”
2)फेमिनिस्ट— परिवार व्यवस्था और
पिता,पुरुष इत्यादि के अधिकारो को उखाड़
फेंकने वाली मानसिकता या आंदोलन का ही
नाम है फेमिनिज्म या फेमिनिस्ट….बात बात में
पुरुषो से बराबरी का पाखंड करना किन्तु समय
आने पर खुद के लिए विशेषाधिकार मांगना,पुरुष
या पिता ने अधिकारो का हनन करना
इत्यादि को ही कहते है फेमिनिज्म। औरत को
देवी और सभी पुरुषो को राक्षस या पशु मान
लेने की ही विचारधारा का नाम है फेमिनिज्म
या नारीवाद। वामपंथी सदैव से ही फेमिनिज्म
के समर्थक रहे है। नग्नता,slut walk,kiss ऑफ़ लव
इत्यादि आंदोलन फेमिनिज्म की ही सौगात है
भारत में।। नारीवाद का ज़हर जो जो समाज में
घुलता जाएगा त्यों त्यों समाज में परिवार
नामक संस्था ख़त्म होती जाएगी। रिश्ते
नातो का समूल अंत हो जाएगा।। फेमिनिज्म
वास्तव में महिला सशक्तिकरण का आंदोलन
नहीं है बल्कि ये एक तरह का पुरुष -निशक्तिकरण
आंदोलन है। समानता के नाम पर बाल की खाल
निकालना ,पुरुषो के प्रति एक विशेष तरह का
पूर्वाग्रह पाल के रखना और महिलाओ के लिए
बिशेषधिकार की वकालत करना फेमिनिज्म
की खासियत है।। वर्तमान भारत में ये
नारीवाद एक दीमक की तरह कार्य कर रहा है ।
इसी नारीवाद का नतीजा है की भारत में
गंभीर अपराध करने वाली स्त्रियों को सजा
नहीं मिलती किन्तु नाबालिग लड़को के लिए
फांसी की मांग की जाती है।
तलाक,विवाह,घरेलू हिंसा संबंधी सभी कानून
अगर आज एक तरफ़ा है तो इसके लिए सिर्फ
फेमिनिज्म ज़िम्मेदार है।। वर्तमान समाज में
पारिवारिक पतन के लिए नारीवाद ही
ज़िम्मेदार है जहाँ एक स्त्री खुद के अधिकारो
को लेकर इतनी अहंकारी हो गयी है की उसमे इस
बात का विवेक ही नहीं है की उसके कर्तव्य
क्या है??? समाज और भारतीय पारिवारिक
सम्पदा को अगर बचाना है तो नारीवाद को
जड़ से उखाड़ फेंकने में ही भलाई है।
3)pseudo-सेकुलरिज्म— धर्म निरपेक्षता का
पाखंड। ये एक ऐसा पाखंड है जो भारत में पिछले
68 सालो से चल रहा है और लोगो पर थोपने की
कोशिश की जाती रही। । एक तरफ ये कहा
जाता है की हम सब धर्म निरपेक्ष है किन्तु दूसरी
तरफ देश में इस देश के ही मूल धर्म(हिन्दू) का
विरोध दबी जुबान होता रहता है। कभी कोई
15 मिनट में हिन्दुओ को काटने की बात करता है
तो कभी कोई गौ मांस खाने को खुद का
जन्मसिद्ध अधिकार बताता है। धर्मनिरपेक्षता
का वास्तविक स्वरुप तो भारत में ये है की हिन्दू
धर्म को दिन रात गाली दो,योग आयुर्वेद
संस्कृत इत्यादि की जब भी बात हो उसे भगवा
चोला पहनाकर उनका विरोध शुरु कर दो।।
भारत के कई शहरों के नाम बदल दिए गए किन्तु
औरंगज़ेब नाम की सड़क का नाम बदलने पर कुछ
शांतिदूतो के कलेजे में सांप लोटने लगते है, जरा
विचार कीजिये की ये किस तरह की धर्म
निरपेक्षता है? भारत के हज़ारो मंदिर तोड़ दिए
गए या उन्हें खुद के नाम पेटेंट करा लिया गया
किन्तु एक मस्ज़िद टूटने पर भारत में सबको
धर्मनिरपेक्षता याद आने लगती है। बड़ी बड़ी
दाढ़ी रखने वाले और खुद को धर्म गुरु कहने वाले
लोग विदेशी आक्रमणकारियो को अपना
आदर्श मानते है??
ये किस तरह की धर्मनिरपेक्षता है?? ये
धर्मनिरपेक्षता कही हमारे खिलाफ कोई षड्यंत्र
तो नहीं???
बस इसे ही कहते है pseudo secularism …जहाँ
सेकुलरिज्म की वकालत तो सभी करते है किन्तु
दबी जुबान कट्टरता फैलाते रहते है और अगर कोई
इन्ही दबी जुबान वालो का विरोध करे तो उसे
गाली दी जाती है। ये देश वर्तमान हिन्दू
मुस्लिम इत्यादि सभी का है लेकिन इस देश के
मूल-नागरिको और मूल-धर्म पर अगर बार बार
आक्रमण होंगे तब शायद हमें एक ठोस कदम उठाने
पर विचार करना ही पड़ेगा।
4)भीम सैनिक–मानसिक मिर्गी से ग्रसित ये
समुदाय मूर्खता का पर्याय है। खुद को अम्बेडकर
समर्थक कहने वाले ये लोग नकली बौद्ध है।
क्योंकि असली बौद्ध तो शांतिदूत होते है
,बौद्धों का कार्य शांति फैलाना है
अराजकता फैलाना नहीं। भीम सैनिक वर्तमान
आधुनिक जातिवाद के सर्वे-सर्वा है । समाज में
जातिगत नफरत के लिए ये समुदाय विख्यात है।
वामपंथियो के मनगढंत इतिहास का दीवाना है
ये समुदाय। खुद को बौद्ध बताने वाले भीम
सैनिक ये नहीं जानते की बौद्ध धर्म में सिर्फ दो
ही संप्रदाय है जिन्हें हीनयान और महायान
कहते है और इन दोनों सम्प्रदायो में सनातन
हिन्दू देवी देवताओ जैसे दुर्गा,काली,तार
ा,भैरव,गणेश इत्यादि की पूजा होती है। फिर
ये भीम सैनिक खुद कौन से बौद्ध है??? क्या ये
नहीं जानते की हिमाचल के बौद्ध लामा
ब्राह्मणों से ही ज्योतिष सीखते है और माँ
दुर्गा एवं हिडिम्बा की पूजा भी करते है । कई
सवर्ण इन भीम सैनिको के लिए दिन रात काम
करते है ताकि इन भीम सैनिको का उत्थान हो
सके,ये लोग आगे बढ़ सके। किन्तु ये भीम सैनिक
नफरत की राजनीती करने से बाज नहीं आते।।
आरक्षण का समर्थन करना और उसी के नाम पर
जातिगत राजनीती खेलना इन लोगो का पेशा
है।। ये लोग खुद ही सुधरना नहीं चाहते और
जातिवाद को कायम रखना चाहते है और अंत में
दोषारोपन सवर्णों पर करते है। जबकि इनके
उत्थान के लिए जो कुछ भी किया वो सिर्फ
सवर्णों ने किया। चूहा खाने वाली मुसहर
जाति के लिए कई सवर्ण कई योजनाये चला रहे है
ताकि ये महादलित आगे बढ़ सके जबकि अमीर
भीम सैनिक सिर्फ जातिवाद का ज़हर घोलने
और ज़िन्दगी को एन्जॉय करने में व्यस्त है। इनके
भीम बाबा को भी राजा गायकवाड़ ने मदद
की थी वर्ना अम्बेडक कुछ न कर पाते।।
ये चारो सम्प्रदाय भारत पर दिमक की तरह है
जो धीरे धीरे देश को बर्बाद करने में लगे है। इनसे
सावधान रहने की जरूरत है वर्ना ये खुद तो नंगे है
ही , देश को भी भूँखा नंगा बनाकर छोड़ेंगे।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें