गुरुवार, जुलाई 19, 2018

जो जितना अधिक पाप करेगा उसको उतनी बड़ी पदवी मिलती है, पाप ही मिशन हैं।

Murari Sharan Shukla
फादर का अर्थ है कुँवारी मरियम से लावारिस बच्चा (जीसस) पैदा करने वाला लंपट, धूर्त और शातिर अपराधी: पाप की संतान का मूल रहस्य यही है :पाप का धंधा ही है मिशन।
चर्च और मिशनरीज वाले फादर उसको ही कहते हैं जो कुँवारी लड़कियों से लावारिस बच्चा पैदा करके ईसाईयत को आगे बढ़ा सके। ईसाईयत अनाथ और लावारिस अवैध बच्चों से ही आगे बढ़ता है। जैसे जोसेफ ने वर्जिन (कुँवारी) मरियम को अपने जाल में फँसाया, उसको प्रैग्नेंट किया, एक लावारिस बच्चा पैदा हुआ जिसने नया मत शुरू किया, उसने ओल्ड टेस्टामेंट की ऐसी तैसी कर दी और न्यू टेस्टामेंट तैयार करके क्रुसेड शुरू कर दिया। इस उपलब्धि के लिए वह बालक नया मैसेंजर (पैगम्बर) हो गया। उसकी माँ आदर्श बन गयी। यह पैरामीटर तय हो गया कि कुँवारी लड़कियों का बच्चा ही ईसाईयत की असली पहचान हो गई। और कुँवारी लड़की से बच्चा पैदा करने वाला जोसेफ फादर हो गया। आज कुँवारी लड़कियों से बच्चा पैदा करने वाला हरेक क्रॉसधारी व्यक्ति इसी परम्परा के अनुसार फादर कहलाता है।
ईसाईयत कुँवारी लड़कियों से बच्चा पैदा करने में इसीलिये पूरी दुनियाँ में लगा हुआ है। अनाथ और लावारिस बच्चों के शेल्टर होम इसीलिये ईसाईयत संचालित करता है। कुँवारी प्रेग्नेंट लड़कियों को इसलिए मिशनरीज वाले आसानी से रहने, पलने और बच्चा पैदा करने का स्थान देते हैं। और जैसे ही मौका लग जाता है लावारिस बच्चो को बेंच कर कुछ पैसा बना लेते हैं जिससे चर्च का खर्च चल जाए। उनका स्पष्ट मत है जितनी लावारिस बच्चों की सँख्या बढ़ेगी उतनी सोसल विक्टिमाइजेशन थिओरी को बल मिलेगा और ईसाईयत तेज गति से बढ़ेगा। इसीलिये बच्चों का चाहे जो करो लेकिन इन लावारिस बच्चों की सँख्या दिनरात बढ़ना चाहिए। इस लक्ष्य पर ही चर्च अपना पूरा पैसा खर्च करता है।
जो लड़कियाँ कुँवारी अवस्था में बच्चे पैदा कर लेती हैं वो चर्च के लिए जीवन भर एक ब्लैकमेल मैटीरियल बन जाती हैं। उनके सहारे नई लड़कियाँ फंसा लो तो लावारिस बच्चा पैदा करने का स्कोप बढ़ जाता है, यह गोरखधंधा बढ़ता चला जाता है। फिर इन लड़कियों के इन कुकर्मों पर पर्दा डला रहे इस गरज में वो मिशनरीज की शर्तों को मानने को विवश हो जाती हैं। उनमें से अनेक तो कन्वर्ट होकर ईसाई बन जाती हैं। उनमें से अनेक ईसाई न बनकर भी मिशनरीज का काम करती रहती हैं परोक्ष रूप से। वो हिन्दू समाज में उनके लिए एम्बेसडर बन जाती हैं। लड़कियों की उस मजबूरी का पूरा लाभ लेता है ईसाईयत, चर्च, मिशनरीज। मजबूर की सहायता नहीं उसका शोषण चर्च की मूल कार्यपद्धति है।
वर्जिन मरियम के कंसेंट में पवित्रता नहीं है। वर्जिन (लड़की) से संतान पैदा करने से व्यक्ति पाप की संतान हो जाता है यह बात बाईबिल स्पष्ट रूप से स्वीकार करता है। इसीलिये सारे क्रिश्चियन अपने आप को पाप की संतान कहते हैं। और इस पाप से बचने का मार्ग क्या है? तो जीसस को फॉलो करो। फ़ादरहुड को फॉलो करो। वर्जिन मदरहुड को फॉलो करो। अर्थात फिर से पाप करो। और पाप करो। और पाप करो। पाप में आकंठ धँसते चले जाओ। पापो का भंडार खड़ा करो। और फिर कन्फेस करके सबको बताओ कि मैंने इतना पाप किया। अर्थात पापों का प्रचार करो। इसी पाप से पापा शब्द बना है। इसी पाप शब्द से पॉप शब्द बना है।
जो जितना अधिक पाप करेगा उसको उतनी बड़ी पदवी मिलती है। मदर टेरेसा के पाप बहुत बड़े हो गए तो उसको सेंट की उपाधी मिल गई। इंगनेसियस लोयला ने भारत में 40 हजार हिंदुओं को ईसाई बनने से मना करने पर अठारहवीं सदी में जिंदा जला दिया तो उसको सेंट की उपाधी मिल गई। सेंट जेवियर ने इंगनेसियस का उसके कुकर्मों में साथ दिया तो उसको भी सेंट की उपाधि मिल गई। मरियम नाम की कुँवारी लड़की से जीसस पैदा करने वाला जोसेफ भी सेंट बन गया। और फादरहुड का हॉली ट्रेडिशन आरम्भ हुआ।
पाप की संतानों ने दुनियाँ को पापमय बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखा। उन्होंने कुँवारी लड़कियों को प्रैग्नेंट करने का खेल पूरी दुनियाँ भर में चलाया। चर्च ने शुरू से ही लड़कियों को अपने प्रभाव से इस मार्ग पर डालने का धंधा आरम्भ किया। और इसीलिए दुनियाँ में वेश्यावृति के इतिहास की पड़ताल करेंगे तो संगठित रूप में वेश्यावृति का धंधा चर्च ही चलाता रहा है। और आज भी पोर्न साइट्स का धंधा शत प्रतिशत चर्च के हाथ में ही है। चर्च अपने प्रभाव का उपयोग करके अनेकानेक देशों में यह धंधा खुलकर चलाता है। वर्जिन मरियम और लावारिस जीसस पैदा करने में यह धंधा सहायक है इसीलिए यह चर्च का एक प्रमुख प्रोजेक्ट है। और चर्च अपने सेक्स स्कैंडल में फंसे फादर्स को बचाने के लिए बेल आउट पैकेज भी रिलीज करता है। जिससे उनको बचाया जा सके।
जहाँ बुरी तरह फंस जाते हैं चर्च के फादर्स अपने कुकर्मों के कारण और बचने का कोई मार्ग शेष नहीं बचता वहाँ वहाँ मुआवजा भी चुकाता है चर्च। चर्च का मूल खर्च यही है।कई स्थानों पर चर्च अपनी संपत्ति बेचकर भी मुआवजा चुकाता है। चैरिटी के माध्यम से एकत्र पैसे भी मुआवजा चुकाता है चर्च। चर्च के फादरहुड का रहस्य समझिये फिर आगे की कहानी बताता रहूँगा क्रमशः।
~मुरारी शरण शुक्ल।

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