रविवार, जुलाई 15, 2018

18_साल_बाद_चर्च_का_गंदा_खेल_फिर_से_शुरू

# 18_साल_बाद_चर्च_का_गंदा_खेल_फिर_से_शुरू
॰ देश में जब-जब राष्ट्रवादीयों की सरकार गठित होती है तब-तब चर्च का गंदा खेल शुरू हो जाता है।यह चर्च का पुराना प्रयोग है जिसे समझने के लिए लगभग दो दशक पुरानी वाजपेयी सरकार के दौरान इनके गंदा खेल को पहले समझना होगा।चर्च को देश में राष्ट्रवादी सरकारों से दिक्कत इसलिए होने लगती है कि धर्मान्तरण का खेल पुरी आजादी के साथ खेल नहीं पातें। इसलिए जब-जब देश में देशभक्तों की सरकार गठित होती है तो तब-तब इसका खेल शुरू हो जाता है।वाजपेयी सरकार को बदनाम करने के लिए भी इसने अनेक गंदा खेल खेला था।
॰ बात 21 मई 2000 की है आन्ध्र के मछलीपाटनम शहर में ईसाईयो के एक धार्मिक सभा स्थल के पास एक देशी बम फटा था।हलाँकी इस बम विस्फोट में ना कोई घायल हुआ और न ही किसी सम्पति का नुकसान हुआ था ।एक सप्ताह बाद चर्च अधिकारीयो की सुचना मिलने पर पूलिस को मेडक और विकाराबाद की चर्चो में दो बम और मिले थे।ठिक 10-15 दिनो के बाद 8 जून को ओन्गोले की ज्वेट चर्च में और पोल्लगुण्डन की मदर वानिनी चर्च में सुबह के समय बम विस्फोट हुआ था ठिक उसी समय गोवा में वास्कोडिकामा की सैंट एन्न चर्च में दो बम विस्फोट हुआ था।सभी विस्फोट कम तीव्रता के थे|आपको यह जानकर हैरानी होगी की सभी चर्चो में विस्फोट तभी हुए जब कोई आदमी चर्च में उपस्थित नही था। समझने के लिए इशारा काफी है।
॰ तब देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थें और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू थें। चर्च ने वाजपेयी सरकार को बदनाम कर गिराने के उपदेश्य से इन हमलों के लेकर देश से लेकर विदेश तक खुब प्रचार किया था।
॰ तब चर्च के कुत्सित साजिश को दो उदाहरण से समझीए। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू जब चर्च को निरिक्षण करने गये थें तब वहां मौजूद ईसाई पादरियों ने उनसे यह नहीं कहा था कि-चर्च पर हुए हमलों को उच्चस्तरीय जांच किया जाए।बल्कि ईसाई संगठनों और पादरियों द्वारा एक सुर में यह मांग -"तेलगुदेशम पार्टी केंद्र की वाजपेयी सरकार से अविलंब समर्थन वापसी का घोषणा करें।यदि तेलगुदेशम पार्टी वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस नहीं लेगी तो हम अगले विधानसभा चुनाव में उनके विरूद्ध लोगों से वोट करने की अपील करेंगे।"
॰ चंद्रबाबू नायडू सुनकर हतप्रभ रह गयें किसी तरह कन्नी काटकर वहां से आएं और हैदराबाद आते ही जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी।... जब जांच शुरू हो गई तो मछलीपट्टनम के चर्च पर हमलें के आईएसआई साजिश के पुख्ता अनेक सबुत मिला।जिसे जांच एजेंसीयों ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसे सार्वजनिक किया।
॰ तब 10 जून 2000 को ईसाई संगठनों ने दक्षीण भारत के ईसाई प्रतिनिधि मंडलों के हैदराबाद में एक मिटींग बुलाई गई।तब प्रेस कांफ्रेंस कर ईसाई प्रतिनिधि मंडल द्वारा यह कहा गया कि-" चर्च पर हमलें में आईएसआई का थोडा सा भी हाथ नहीं है बल्कि इसके जिम्मेवार वाजपेयी सरकार और हिन्दू संगठन हैं।"
॰ प्रेस कांफ्रेंस के बाद ईसाई प्रतिनिधि मंडल चंद्रबाबू नायडू से मिलने जा पहुंचा और एक बार फिर से उनसे इन लोगों ने कहा कि आप तुरंत ही वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस लिजीए।
॰ चंद्रबाबू नायडू से वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस लेने की अपील करने वाले लोगों का नाम --मांग करने वाले प्रतिनिधी में थे- ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउन्सील के चेयरमैन मि जौसेफ डिसुजा ,ऑल इंडिया क्रिश्चियन कैथोलिक युनियन के नेशनल सैक्रेटरी मि जौन दयाल ,फैलोशिप ऑफ तेलगु बैप्टिस्ट चर्चेज के प्रेसीडेंट मि.जी. सैमुअल ,कर्नाटक क्रिश्चीयन ऐसोसियन के प्रेसीडेंट मि. डैविड सीमांडस तथा क्रिश्चीयन काउन्सील ऑफ केरल के वाइस प्रेसीडेंट मि के.पी योहान।
॰ दूसरे दिन 11 जून 2000 को फिर से ईसाईयो का तीस सदस्यीय प्रतिनीधि मंडल जिसमें फादर हैंड्री डिसुजा ,फादर बी जुलियन ,हैदराबाद कैथोलिक चान्सलर तथा
वाइस चान्सलर , बैपिस्ट चर्च के मि. ए विजयकुमार ,ऑल इंडिया कैथोलिक के मि. सी फ्रान्सिस , वाई थामस ,फादर जी गनानन्दम, औगोले , विकाराबाद और टाडे पल्ली गुण्डम के पुजारीगण CM चंद्राबाबु से मिलें और फिर से वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस लो की अपनी मांग दुहरा दी।तब इनसे अजिज आकर चंद्रबाबू नायडू ने दो हम वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस नहीं लेने वाले। हां यदि आपको जांच कमिटी की रिपोर्ट सही नहीं लग रहा है तो मैं फिर से कमेटी गठित कर दुंगा।
॰ चंद्रबाबू नायडू से निराश होन हाईस्कुल के मैदान में एक रैली बुलाई गयी जिसमें भाजपा छोड़कर सभी विपक्षी नेताओं को बुलाया गया।वाजपेयी सरकार को बदनाम करने की दिल्ली से हैदराबाद तक अनेकों धरना-प्रदर्शन किया गया।सभी धरना-प्रदर्शन में इनकी एक मांग होती थी की सहयोगी दल वाजपेई सरकार समर्थन वापस ले।
॰ छः महीने बाद जांच की रिपोर्ट आई जिसमें पुख्ता सबूत के साथ मछलीपट्टनम के चर्च में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ पाया गया तो अन्य चर्चो में नक्सलवादी (माक्र्सिट ) वार ग्रुप के सदस्य की संलिप्ता की पुख्ता सबुत मिली ।पकड़े गये अनेक सदस्यो में ईसाई और चर्च से भी संबधीत थे ।रहस्य से पर्दा उठ चुका था और ईसाई संगठन बुरी तरह से एक्सपोज हो चुका था।
॰ अब 18 साल बाद एक बार फिर से देश में जब राष्ट्रवादीयों की सरकार गठित है तो मोदी को बदनाम करने के लिए दिल्ली में चर्च हमला का वही पुराना खेल शुरू हुआ था अब जब चुनाव मुहाने पर है तो ईसाई संगठनों का वही गंदा खेल फिर से शुरू हो गया जो वाजपेयी सरकार के समय खेला गया था।तब भी शुरुआत गोवा से हुई थी अब भी गोवा से ही पहले शुरू हुआ है फिर दिल्ली उसके बाद गुजरात और अब शायद फिर से दक्षीण भारत की ओर भी यह आवाज आएगी।
साभार:
Sanjeet Singh

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