सोमवार, जुलाई 09, 2018

यँहा गोलियां गिनी नहीं जातीं,यँहा निशाने लगाए नहीं जाते:- उत्तरप्रदेस

Sudhanshu Tak यँहा गोलियां गिनी नहीं जातीं,यँहा निशाने लगाए नहीं जाते:- उत्तरप्रदेश के गाजीपुर का मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र कुख्यात अंसारी बंधुओं के नाम से काँपता था । मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी और सिब्गतुल्लाह अंसारी की दहशत के आगे जब किसी की ज़बान नहीं खुलती थी तो सामने खड़े होने का सवाल ही कहाँ पैदा होता था।लेकिन हिंदुओं की नुमाइंदगी का दम भरने वाले नेता कृष्णानंद राय न केवल सीना ठोककर खड़े हुए, बल्कि विधानसभा चुनाव भी जीत गए । इसके बाद अंसारी बंधु बौखला गए। कृष्णानंद राय के उभार के बाद पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर अब बृजेश सिंह/कृष्णनद राय की बादशाहत कायम हो गयी। बृजेश सिंह भी नामी बदमाश था और अंसारी बंधुओं का कट्टर दुश्मन। बृजेश के संरक्षण में ही कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। लेकिन मुख्तार अंसारी चालाक और घाघ बदमाश था । उसे मालूम था कि उसके द्वारा हमला करने पर सम्पूर्ण हिन्दू समाज उसके खिलाफ हो जाएगा । उसने एक चाल चली । अपने खास गुर्गे मुन्ना बजरंगी उर्फ प्रेम प्रकाश सिंह को उसने कृष्णानंद राय की हत्या के लिए तैयार कर लिया । 29 नवंबर, 2005 को मुन्ना बजरंगी अपने साथियों के साथ गाजीपुर के लखनऊ हाइवे पर खड़ा हो गया । विधायक कृष्णानंद राय के काफिले की दो गाड़ियों पर एके 47 से 400 गोलियां बरसाईं थीं। इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे । पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इसके बाद से वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था। इस लोमहर्षक हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी थी। अब हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा था और इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।पिछले 13 सालों से कृष्णानंद राय के साथी उस जघन्य हत्याकांड का बदला लेने की कोशिश में लगे थे । और आज 9 जुलाई 2018 को कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई । पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी। उसको रविवार को ही झांसी से बागपत लाया गया था। अभी अभी प्राप्त सूचना के अनुसार कुख्यात गैंगस्टर सुनील राठी ने बजरंग की हत्या करना स्वीकार कर लिया है । आश्चर्य की बात यह है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुन्ना बजरंगी के शरीर मे एक भी गोली नही मिली है। इसका मतलब यह की सारी की सारी गोलियां उसके शरीर के आर पार हो निकल गयी । सुनील राठी उत्तराखण्ड और पूर्वी उत्तर प्रदेश की जरायम पेशा दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे नया नाम है । उसकी दुर्दांत शख्सियत इस पोस्ट के साथ संलग्न फोटो में देख सकते हैं । इस हत्याकांड ने एक बार फिर बता दिया है कि यूपी के गैंगवार की विधा अलग ही है ।पूर्वांचल यूपी का वो एरिया है जहां पर मुसलमानों की संख्या बाकी जगहों की तुलना में ज्यादा ही है। पर गैंगवार का ये मुकाबला कभी भी सांप्रदायिक नहीं हुआ है। ये विशुद्ध माफिया स्टाइल है। जिसकी कोई जाति, कोई धर्म नहीं होता । यंहा गोलियां गिनी नहीं जातीं। यंहा निशाने लगाए नहीं जाते । बस फायरिंग होती है । जो जद में आ गया, छितरा के गिर गया । एकदम Mad Max: Fury Road । सब कुछ डिस्टोपियन है । यानी इसकी रेंज में आने वाली हर चीज खतरनाक है।चेहरे पर तनाव लाने वाली । यंहा के बदमाश गैंगस्टर हैं, उन्मादी दंगाई नहीं। नाप-तौल के बोलते हैं। बोलते वक्त मुस्कुराते हैं। उर्दू और हिंदी जबान बड़े सलीके से बोलते हैं मुंह पर कभी किसी को नहीं धमकाते। पर हनक इतनी कि आप सामने खड़े न रहे पाएं, घबरा के मैदान छोड़ दें। आप के मन का यही डर इनको ये गेम खेलने को मजबूर करता है। जो गैंगवार का यह खेल खेलते हैं उन्हें सबसे ज्यादा मजा पूर्वांचल में ही आता है । मुन्ना बजरंगी की यह हत्या क्या एक नए गैंगवार की शुरुआत है ? इसका संकेत आने वाला समय शीघ्र ही देगा । सादर/साभार सुधांशु

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