*राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु महत्वपूर्ण तथ्य*
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राजस्थानी भाषा इतनी समृद्ध और पुरानी भाषा है।इसके बारे में अगर बात करें तो किताबों की किताबें भर जाए मगर कुछ महत्वपूर्ण तथ्य यहां प्रस्तुत हैं।
1.राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है।जनगणना 2011 में करीब 5 करोड़ लोगों ने अपनी मातृभाषा राजस्थानी दर्ज करवाई है।जबकि 14 करोड़ से भी ज्यादा लोग राजस्थानी बोलते हैं। राजस्थान,मध्य भारत,गुजरात,पंजाब,हरियाणा,पाकिस्तान,नेपाल,कोल
काता तथा विदेशों में बड़े चाव से राजस्थानी बोली और समझी जाती है।इन क्षेत्रों में राजस्थानी संस्कृति,लोकनृत्य और लोकगीतों को बड़े चाव से अपनाया गया है।
2. संविधान की मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में राजस्थानी 17 भाषाओं से बड़ी है।सिंधी केवल दस लाख लोगों द्वारा बोली जाती है जबकि राजस्थानी बोलने वाले 14 करोड़ लोग हैं।संस्कृत,सिंधी,उर्दू आदि भाषाएं अपवाद स्वरूप केवल 2-4 गांव को छोड़कर किसी भी पूरे गांव में नहीं बोली जाती।जबकि राजस्थानी हर घर-घर में बोली और समझी जाती है।
3. राजस्थानी भाषा का अपना व्याकरण है।इसमें कई अलंकार व छंद ऐसे हैं जो किसी भी भाषा में नहीं मिलते।गीत छंद के 100 से ज्यादा भेद हैं।राजस्थानी में वर्णमाला बोलने का अपना अलग अंदाज है तथा यहां आधा,पौना,सवा,डेढ़,पौने दो,अढ़ाई आदि के पहाड़े लोगों के कंठस्थ हैं।
4. राजस्थानी भाषा में किसी भी बात को सरल तरीके और गुस्से में कहने के लिए अलग-अलग शब्दों का प्रयोग होता है।प्रेमपूर्वक कही गई बात का हर एक शब्द गुस्से से कही गई बात से बिल्कुल अलग होगा।राजस्थानी भाषा बहुत ही संस्कारी भाषा है जिसमें गाली वर्जित है तथा नकारात्मकता भी वर्जित है।बंद करने को मंगल करना,नमक को मीठा कहते हैं।
5. राजस्थानी में तकरीबन 60 से भी ज्यादा अलग-अलग तरह के शब्दकोश हैं।पदम् श्री सीताराम लालस कृत राजस्थानी शब्दकोश दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश है जिसके 7760 पृष्ठों में तकरीबन 3.50 लाख शब्द हैं।इस शब्दकोश की ऊंचाई डेढ़ फीट तथा वजन 10 किलो है।राजस्थानी की अपनी लिपि मुड़िया लिपि है लेकिन हिंदी को समृद्ध करने के लिए वर्तमान में यह देवनागरी में लिखी जाती है।
6. राजस्थानी के करीब 4 लाख हस्तलिखित ग्रंथ राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान और निजी संग्रहालयों में सुरक्षित पड़े हैं।राजस्थानी की कई पांडुलिपियां मुंबई,गुजरात,इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी लंदन,कैंब्रिज,जापान में भी पड़ी हैं।एशियाटिक सोसाइटी ने इस पर एक बहुत बड़ा कैटलॉग भी तैयार किया है।अमेरिकन कांग्रेस ऑफ लाइब्रेरी जने राजस्थानी को विश्व की 13 समृद्ध भाषाओं में से एक समर्थ भाषा माना है।
7. केंद्रीय साहित्य अकादमी ने 1972 से व राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने 1983 से इसे मान्यता दे रखी है।उच्च माध्यमिक,B.A.,M.A.,NET,PH. D., राजस्थानी में की जाती है।UGC ने भी इसे मान्यता दे रखी है।NCERT इसे पढ़ाई योग्य विषय मानती है।
8. राजस्थानी का इतिहास 8वीं सदी से माना जाता है।बारहवीं सदी से लेकर आज तक लगातार गद्य और पद्य राजस्थानी भाषा में लिखा जा रहा है। गद्य 30 व पद्य 60 प्रकार से भी ज्यादा रूपों में लिखा जाता है।ऋग्वेद में भी राजस्थानी शब्दों और राजस्थानी संस्कृति का काफी उल्लेख मिलता है।कवि उद्योतन सूरी ने 8 वीं सदी में “कुवलयमाल” कथा संग्रह की रचना की थी।
9. राजस्थानी का लोक साहित्य बहुत ज्यादा समृद्ध माना गया है।लोकगीत,बात,लोकगाथा,कहावत,मु
हावरे,लोकनाट्य,पड़,पवाड़ा,रीति-नीति,पहेलियां आदि लोगों के कंठस्थ हैं। चैक विद्वान में स्मैकल के अनुसार एशिया में लोक साहित्य का सबसे बड़ा खजाना राजस्थानी भाषा में है। इसमें करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोककथाएं लोगों के मुंह जुबानी याद हैं।गुरु जंभेश्वर की वाणी,गुरु ग्रंथ साहिब में धन्ना भगत की वाणी,मीराबाई के भजन ये सभी राजस्थानी में लिखे गए हैं।जैन साहित्य,चारण साहित्य,संत साहित्य और हिंदी का मध्यकाल राजस्थानी में ही लिखा गया है।
10.राजस्थानी भाषा को नेपाल पाकिस्तान आदि देशों में मान्यता है।अमेरिका में राजस्थानी भाषा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती है। शिकागो,मास्को,क
ैम्ब्रिज जैसे नामी विश्वविद्यालयों समेत दुनिया के कई और विश्वविद्यालयों में राजस्थानी पढ़ाई जाती है।अमेरिका में राजस्थानी भाषा को समृद्ध और गौरवशाली मानकर राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया की कविताओं को करीब 1 घंटे तक रिकॉर्ड किया गया।
11. राजस्थानी में एक-एक शब्द की 500-500 पर्यायवाची शब्द मिलते हैं।उदाहरण के लिए पति व पत्नी के 500- 500,ऊंट के 150,बादल के 200,लाठी के 60,भैंस के 50 पर्यायवाची शब्द मिलते हैं।राजस्थानी बहुत ही समृद्ध भाषा है।उदाहरण के लिए हर महीने में होने वाली बरसात के नाम भी अलग-अलग हैं जैसे–सावन में लोर,भाद्रपद में झड़ी,अश्विनी में मोती,कार्तिक में कटक,मार्गशीर्ष में फांसरड़ो,पोष मेंं पावठ,माघ में मावठ,फाल्गुन में फटकार,चैत्र में चड़पड़ाट,बैसाख मेंं हळोतियो,ज्येष्ठ में झपटो,आषाढ़ में सरवांत नाम की बरसात होती है।
12. विदेशी भाषा वैज्ञानिकों ने प्रभावित होकर राजस्थानी के लिए बहुत कार्य भी किया।अनेक ग्रंथों का संपादन व सरंक्षण किया।अपना पूरा जीवन राजस्थानी को समर्पित कर दिया।जॉर्ज ग्रियर्सन ने “लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया” में,इटली के भाषा वैज्ञानिक डॉ एल पी टैस्सीतोरी ने “इंडियन एंटीक्यूवेरी में” और डॉ सुनीति कुमार चटर्जी ने “पुरानी राजस्थानी”में राजस्थानी को दुनिया में सबसे ज्यादा समृद्ध भाषा बताया है।
13. दुनिया में ऐसी कोई भाषा नहीं बनी जो एक ही तरह से बोली जाती हो।जिस भाषा में जितनी ज्यादा बोलीयां होगी वह उतनी ज्यादा समृद्ध होगी। हिंदी-43,पंजाबी-29,गुजराती-27,नेपाली-6,तमिल-2
2,तेलुगु-36,कन्नड़-32,मलयालम-14,मराठी-65,अंग्
रेजी-57,उड़िया-24,बंगाली-15,कोंकणी-16 जबकि राजस्थानी में बोलियां हैं। हर एक भाषा में अपनी सबसे ज्यादा बोलने जाने वाली बोली को मानक भाषा के रूप में दर्जा दिया है।ठीक उसी तरह राजस्थानी का मानक रूप मारवाड़ी होगा।
14. इसके अलावा किसी भी तरह की समस्या या अड़चन का निराकरण किया जा चुका है।रिजर्व बैंक व UPSC की अनापत्ति भी मिल चुकी है।सरकार द्वारा गठित कमेटी ने राजस्थानी को समृद्ध माना है।
15. 21 फरवरी 1925 में भाषा मान्यता आंदोलन का शंखनाद स्वतंत्रता सेनानी और पहले मुख्यमंत्री श्री जयनारायण व्यास ने तरुण राजस्थान नामक अखबार में किया। इसके बाद लगातार यह आंदोलन चलता रहा।अभी कुछ साल पहले हनुमानगढ़ जिले के 1917 गांवों में “म्हारी जुबान रो ताळो खोलो” अभियान के तहत माननीय राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,गृहमंत्री के नाम करीब 6 लाख पोस्टकार्ड लिखकर भेजे गए।
16.राजस्थानी पत्र-पत्रिकाएं,फिल्म सिनेमा,दूरदर्शन
,रेडियो पर राजस्थानी कार्यक्रमों की भरमार है।सोशल मीडिया जैसे फेसबुक,ट्विटर, व्हटसएप पर लोग राजस्थानी में लगातार लिख रहे हैं।गूगल कीबोर्ड में भी राजस्थानी भाषा शामिल है।मोबाइल कंपनियां रिंगटोन और दूसरी सेवाएं राजस्थानी में प्रस्तुत करती हैं।इसके अलावा राजस्थान के सभी नेता राजस्थानी में वोट मांगते हैं तथा अपना प्रचार राजस्थानी भाषा में करते हैं।
17.यहां के राजस्थानीयों ने हर जगह अपना परचम फहराया है।लता मंगेशकर को मंच देने वाले गुणी संगीतकार खेमचंद्र प्रकाश,गीतकार भरत व्यास,महाकवि कन्हैयालाल सेठिया,ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह,मांड गायिका अल्लाह जिलाई बाई,कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो, विश्वमोहन भट्ट सहित अनेक महान हस्तियों की मातृभाषा राजस्थानी ही है।राजस्थानी उद्योगपतियों व उद्यमियों ने गुजरात,कोलकाता और विदेश में अपनी मातृभाषा और कर्मठता से विशेष पहचान बनाई है।यहां के किसान व जवान दोनों ने देश के लिए अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है।
18. 21 फरवरी 2018 को जोधपुर उच्च न्यायालय में मातृभाषा को सम्मान देते हुए यहां के जजों ने जिरह राजस्थानी भाषा में करवाई है।जस्टिस व्यास राजस्थानी के पक्षधर हैं।
19.राजस्थानी का प्रसिद्ध लोकनृत्य घूमर को दुनिया के टॉप 10 में शामिल किया गया है।वहीं UNO ने प्रसिद्ध कालबेलिया लोकनृत्य को विश्व विरासत घोषित किया है।
20. हनुमानगढ़ की कवि चंद्रसिंह बिरकाली की कृति बादळी को महादेवी वर्मा व हरिवंशराय बच्चन ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि से भी ऊपर माना है।स्वयं रवींद्रनाथ टैगोर ने बहुत कम शब्दों में गहरी बात कह देने वाले राजस्थानी दोहे को अनूठा बताया था।उन्होंने कहा था कि राजस्थान ने अपने रक्त से जो साहित्य निर्माण किया है उसकी जोड़ का साहित्य और कहीं नहीं पाया जाता और उसका कारण है राजस्थानी कवियों ने कठिन सत्य के बीच में रह रहकर युद्ध के नगाड़ों के मध्य कविताएं बनाई थीं।मैं गीतांजलि लिख सकता हूं पर डिंगल के दोहे जैसी काव्य रचना नहीं कर सकता।
21.25 अगस्त 2003 में राजस्थान विधानसभा में राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास करके केंद्र सरकार को भेजा गया है।
22. पिछले 70 सालों में करीब 150 बड़े प्रयोग किए गए हैं उनमें से यह बात निकल कर आई है कि प्रत्येक व्यक्ति को यदि मातृभाषा में शिक्षा दी जाए तो वह बहुत आसानी से सीख सकता है।आरटीई 2009 में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि प्रत्येक बालक को उसकी प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाए।ऐसा ही मत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का था।
23. विश्व में बहुत सारे ऐसे देश हैं जो अंग्रेजी को बिल्कुल भी महत्व नहीं देते जैसे- चीन मैं प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सारी की सारी पढ़ाई मातृभाषा चीनी यानी मंदारिन भाषा में की जाती है।यहां तक कि अमेरिकी छात्र भी अब चीनी भाषा सीख रहे हैं।हाल ही में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सभी राज्यों से अपील की है कि वे बालक को उसकी मातृभाषा में शिक्षा दें क्योंकि भाषा से संस्कृति मूल्य नैतिकता और परंपरागत ज्ञान को मूर्त रूप प्रदान किया जाता है।
24.राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं होने से यहां की कला,संस्कृति,विरासत,संस्कार जड़ से नष्ट हो रहे हैं तथा बेरोजगारों हो पूरे भारत के अभ्यर्थियों से कंपटीशन लड़ना पड़ता है।आईएएस परीक्षा में यहां के युवा पिछड़ जाते हैं।इसके अलावा प्रशासन और आम जनता के बीच भाषा का भेदभाव होने के कारण दोनों के बीच सही ढंग से अपनत्व तथा संपर्क नहीं बन पाता है।
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सारांश :-
महोदय नम्र निवेदन है कि 14 करोड़ लोगों की मातृभाषा राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करके करोड़ों राजस्थानियों की जुबान पर लगे हुए ताले को तुरंत प्रभाव से खोला जाए।प्रत्येक राजस्थानी व आने वाली पीढ़ियोंके लिए यह स्वर्णिम दिन आजादी से भी बढ़कर होगा।आओ हम सब मिलकर इसी यज्ञ में सामूहिक आहुति दें।
जय राजस्थान
जय राजस्थानी
जय हिंद।
कहीं कोई शिकायत,शंका या सुझाव हो तो संपर्क करें—
हरीश हैरी हनुमानगढ़
9660032133
harishharry365@gmail.com
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राजस्थानी भाषा इतनी समृद्ध और पुरानी भाषा है।इसके बारे में अगर बात करें तो किताबों की किताबें भर जाए मगर कुछ महत्वपूर्ण तथ्य यहां प्रस्तुत हैं।
1.राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है।जनगणना 2011 में करीब 5 करोड़ लोगों ने अपनी मातृभाषा राजस्थानी दर्ज करवाई है।जबकि 14 करोड़ से भी ज्यादा लोग राजस्थानी बोलते हैं। राजस्थान,मध्य भारत,गुजरात,पंजाब,हरियाणा,पाकिस्तान,नेपाल,कोल
काता तथा विदेशों में बड़े चाव से राजस्थानी बोली और समझी जाती है।इन क्षेत्रों में राजस्थानी संस्कृति,लोकनृत्य और लोकगीतों को बड़े चाव से अपनाया गया है।
2. संविधान की मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में राजस्थानी 17 भाषाओं से बड़ी है।सिंधी केवल दस लाख लोगों द्वारा बोली जाती है जबकि राजस्थानी बोलने वाले 14 करोड़ लोग हैं।संस्कृत,सिंधी,उर्दू आदि भाषाएं अपवाद स्वरूप केवल 2-4 गांव को छोड़कर किसी भी पूरे गांव में नहीं बोली जाती।जबकि राजस्थानी हर घर-घर में बोली और समझी जाती है।
3. राजस्थानी भाषा का अपना व्याकरण है।इसमें कई अलंकार व छंद ऐसे हैं जो किसी भी भाषा में नहीं मिलते।गीत छंद के 100 से ज्यादा भेद हैं।राजस्थानी में वर्णमाला बोलने का अपना अलग अंदाज है तथा यहां आधा,पौना,सवा,डेढ़,पौने दो,अढ़ाई आदि के पहाड़े लोगों के कंठस्थ हैं।
4. राजस्थानी भाषा में किसी भी बात को सरल तरीके और गुस्से में कहने के लिए अलग-अलग शब्दों का प्रयोग होता है।प्रेमपूर्वक कही गई बात का हर एक शब्द गुस्से से कही गई बात से बिल्कुल अलग होगा।राजस्थानी भाषा बहुत ही संस्कारी भाषा है जिसमें गाली वर्जित है तथा नकारात्मकता भी वर्जित है।बंद करने को मंगल करना,नमक को मीठा कहते हैं।
5. राजस्थानी में तकरीबन 60 से भी ज्यादा अलग-अलग तरह के शब्दकोश हैं।पदम् श्री सीताराम लालस कृत राजस्थानी शब्दकोश दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश है जिसके 7760 पृष्ठों में तकरीबन 3.50 लाख शब्द हैं।इस शब्दकोश की ऊंचाई डेढ़ फीट तथा वजन 10 किलो है।राजस्थानी की अपनी लिपि मुड़िया लिपि है लेकिन हिंदी को समृद्ध करने के लिए वर्तमान में यह देवनागरी में लिखी जाती है।
6. राजस्थानी के करीब 4 लाख हस्तलिखित ग्रंथ राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान और निजी संग्रहालयों में सुरक्षित पड़े हैं।राजस्थानी की कई पांडुलिपियां मुंबई,गुजरात,इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी लंदन,कैंब्रिज,जापान में भी पड़ी हैं।एशियाटिक सोसाइटी ने इस पर एक बहुत बड़ा कैटलॉग भी तैयार किया है।अमेरिकन कांग्रेस ऑफ लाइब्रेरी जने राजस्थानी को विश्व की 13 समृद्ध भाषाओं में से एक समर्थ भाषा माना है।
7. केंद्रीय साहित्य अकादमी ने 1972 से व राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने 1983 से इसे मान्यता दे रखी है।उच्च माध्यमिक,B.A.,M.A.,NET,PH. D., राजस्थानी में की जाती है।UGC ने भी इसे मान्यता दे रखी है।NCERT इसे पढ़ाई योग्य विषय मानती है।
8. राजस्थानी का इतिहास 8वीं सदी से माना जाता है।बारहवीं सदी से लेकर आज तक लगातार गद्य और पद्य राजस्थानी भाषा में लिखा जा रहा है। गद्य 30 व पद्य 60 प्रकार से भी ज्यादा रूपों में लिखा जाता है।ऋग्वेद में भी राजस्थानी शब्दों और राजस्थानी संस्कृति का काफी उल्लेख मिलता है।कवि उद्योतन सूरी ने 8 वीं सदी में “कुवलयमाल” कथा संग्रह की रचना की थी।
9. राजस्थानी का लोक साहित्य बहुत ज्यादा समृद्ध माना गया है।लोकगीत,बात,लोकगाथा,कहावत,मु
हावरे,लोकनाट्य,पड़,पवाड़ा,रीति-नीति,पहेलियां आदि लोगों के कंठस्थ हैं। चैक विद्वान में स्मैकल के अनुसार एशिया में लोक साहित्य का सबसे बड़ा खजाना राजस्थानी भाषा में है। इसमें करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोककथाएं लोगों के मुंह जुबानी याद हैं।गुरु जंभेश्वर की वाणी,गुरु ग्रंथ साहिब में धन्ना भगत की वाणी,मीराबाई के भजन ये सभी राजस्थानी में लिखे गए हैं।जैन साहित्य,चारण साहित्य,संत साहित्य और हिंदी का मध्यकाल राजस्थानी में ही लिखा गया है।
10.राजस्थानी भाषा को नेपाल पाकिस्तान आदि देशों में मान्यता है।अमेरिका में राजस्थानी भाषा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती है। शिकागो,मास्को,क
ैम्ब्रिज जैसे नामी विश्वविद्यालयों समेत दुनिया के कई और विश्वविद्यालयों में राजस्थानी पढ़ाई जाती है।अमेरिका में राजस्थानी भाषा को समृद्ध और गौरवशाली मानकर राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया की कविताओं को करीब 1 घंटे तक रिकॉर्ड किया गया।
11. राजस्थानी में एक-एक शब्द की 500-500 पर्यायवाची शब्द मिलते हैं।उदाहरण के लिए पति व पत्नी के 500- 500,ऊंट के 150,बादल के 200,लाठी के 60,भैंस के 50 पर्यायवाची शब्द मिलते हैं।राजस्थानी बहुत ही समृद्ध भाषा है।उदाहरण के लिए हर महीने में होने वाली बरसात के नाम भी अलग-अलग हैं जैसे–सावन में लोर,भाद्रपद में झड़ी,अश्विनी में मोती,कार्तिक में कटक,मार्गशीर्ष में फांसरड़ो,पोष मेंं पावठ,माघ में मावठ,फाल्गुन में फटकार,चैत्र में चड़पड़ाट,बैसाख मेंं हळोतियो,ज्येष्ठ में झपटो,आषाढ़ में सरवांत नाम की बरसात होती है।
12. विदेशी भाषा वैज्ञानिकों ने प्रभावित होकर राजस्थानी के लिए बहुत कार्य भी किया।अनेक ग्रंथों का संपादन व सरंक्षण किया।अपना पूरा जीवन राजस्थानी को समर्पित कर दिया।जॉर्ज ग्रियर्सन ने “लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया” में,इटली के भाषा वैज्ञानिक डॉ एल पी टैस्सीतोरी ने “इंडियन एंटीक्यूवेरी में” और डॉ सुनीति कुमार चटर्जी ने “पुरानी राजस्थानी”में राजस्थानी को दुनिया में सबसे ज्यादा समृद्ध भाषा बताया है।
13. दुनिया में ऐसी कोई भाषा नहीं बनी जो एक ही तरह से बोली जाती हो।जिस भाषा में जितनी ज्यादा बोलीयां होगी वह उतनी ज्यादा समृद्ध होगी। हिंदी-43,पंजाबी-29,गुजराती-27,नेपाली-6,तमिल-2
2,तेलुगु-36,कन्नड़-32,मलयालम-14,मराठी-65,अंग्
रेजी-57,उड़िया-24,बंगाली-15,कोंकणी-16 जबकि राजस्थानी में बोलियां हैं। हर एक भाषा में अपनी सबसे ज्यादा बोलने जाने वाली बोली को मानक भाषा के रूप में दर्जा दिया है।ठीक उसी तरह राजस्थानी का मानक रूप मारवाड़ी होगा।
14. इसके अलावा किसी भी तरह की समस्या या अड़चन का निराकरण किया जा चुका है।रिजर्व बैंक व UPSC की अनापत्ति भी मिल चुकी है।सरकार द्वारा गठित कमेटी ने राजस्थानी को समृद्ध माना है।
15. 21 फरवरी 1925 में भाषा मान्यता आंदोलन का शंखनाद स्वतंत्रता सेनानी और पहले मुख्यमंत्री श्री जयनारायण व्यास ने तरुण राजस्थान नामक अखबार में किया। इसके बाद लगातार यह आंदोलन चलता रहा।अभी कुछ साल पहले हनुमानगढ़ जिले के 1917 गांवों में “म्हारी जुबान रो ताळो खोलो” अभियान के तहत माननीय राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,गृहमंत्री के नाम करीब 6 लाख पोस्टकार्ड लिखकर भेजे गए।
16.राजस्थानी पत्र-पत्रिकाएं,फिल्म सिनेमा,दूरदर्शन
,रेडियो पर राजस्थानी कार्यक्रमों की भरमार है।सोशल मीडिया जैसे फेसबुक,ट्विटर, व्हटसएप पर लोग राजस्थानी में लगातार लिख रहे हैं।गूगल कीबोर्ड में भी राजस्थानी भाषा शामिल है।मोबाइल कंपनियां रिंगटोन और दूसरी सेवाएं राजस्थानी में प्रस्तुत करती हैं।इसके अलावा राजस्थान के सभी नेता राजस्थानी में वोट मांगते हैं तथा अपना प्रचार राजस्थानी भाषा में करते हैं।
17.यहां के राजस्थानीयों ने हर जगह अपना परचम फहराया है।लता मंगेशकर को मंच देने वाले गुणी संगीतकार खेमचंद्र प्रकाश,गीतकार भरत व्यास,महाकवि कन्हैयालाल सेठिया,ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह,मांड गायिका अल्लाह जिलाई बाई,कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो, विश्वमोहन भट्ट सहित अनेक महान हस्तियों की मातृभाषा राजस्थानी ही है।राजस्थानी उद्योगपतियों व उद्यमियों ने गुजरात,कोलकाता और विदेश में अपनी मातृभाषा और कर्मठता से विशेष पहचान बनाई है।यहां के किसान व जवान दोनों ने देश के लिए अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है।
18. 21 फरवरी 2018 को जोधपुर उच्च न्यायालय में मातृभाषा को सम्मान देते हुए यहां के जजों ने जिरह राजस्थानी भाषा में करवाई है।जस्टिस व्यास राजस्थानी के पक्षधर हैं।
19.राजस्थानी का प्रसिद्ध लोकनृत्य घूमर को दुनिया के टॉप 10 में शामिल किया गया है।वहीं UNO ने प्रसिद्ध कालबेलिया लोकनृत्य को विश्व विरासत घोषित किया है।
20. हनुमानगढ़ की कवि चंद्रसिंह बिरकाली की कृति बादळी को महादेवी वर्मा व हरिवंशराय बच्चन ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि से भी ऊपर माना है।स्वयं रवींद्रनाथ टैगोर ने बहुत कम शब्दों में गहरी बात कह देने वाले राजस्थानी दोहे को अनूठा बताया था।उन्होंने कहा था कि राजस्थान ने अपने रक्त से जो साहित्य निर्माण किया है उसकी जोड़ का साहित्य और कहीं नहीं पाया जाता और उसका कारण है राजस्थानी कवियों ने कठिन सत्य के बीच में रह रहकर युद्ध के नगाड़ों के मध्य कविताएं बनाई थीं।मैं गीतांजलि लिख सकता हूं पर डिंगल के दोहे जैसी काव्य रचना नहीं कर सकता।
21.25 अगस्त 2003 में राजस्थान विधानसभा में राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास करके केंद्र सरकार को भेजा गया है।
22. पिछले 70 सालों में करीब 150 बड़े प्रयोग किए गए हैं उनमें से यह बात निकल कर आई है कि प्रत्येक व्यक्ति को यदि मातृभाषा में शिक्षा दी जाए तो वह बहुत आसानी से सीख सकता है।आरटीई 2009 में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि प्रत्येक बालक को उसकी प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाए।ऐसा ही मत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का था।
23. विश्व में बहुत सारे ऐसे देश हैं जो अंग्रेजी को बिल्कुल भी महत्व नहीं देते जैसे- चीन मैं प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सारी की सारी पढ़ाई मातृभाषा चीनी यानी मंदारिन भाषा में की जाती है।यहां तक कि अमेरिकी छात्र भी अब चीनी भाषा सीख रहे हैं।हाल ही में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सभी राज्यों से अपील की है कि वे बालक को उसकी मातृभाषा में शिक्षा दें क्योंकि भाषा से संस्कृति मूल्य नैतिकता और परंपरागत ज्ञान को मूर्त रूप प्रदान किया जाता है।
24.राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं होने से यहां की कला,संस्कृति,विरासत,संस्कार जड़ से नष्ट हो रहे हैं तथा बेरोजगारों हो पूरे भारत के अभ्यर्थियों से कंपटीशन लड़ना पड़ता है।आईएएस परीक्षा में यहां के युवा पिछड़ जाते हैं।इसके अलावा प्रशासन और आम जनता के बीच भाषा का भेदभाव होने के कारण दोनों के बीच सही ढंग से अपनत्व तथा संपर्क नहीं बन पाता है।
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सारांश :-
महोदय नम्र निवेदन है कि 14 करोड़ लोगों की मातृभाषा राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करके करोड़ों राजस्थानियों की जुबान पर लगे हुए ताले को तुरंत प्रभाव से खोला जाए।प्रत्येक राजस्थानी व आने वाली पीढ़ियोंके लिए यह स्वर्णिम दिन आजादी से भी बढ़कर होगा।आओ हम सब मिलकर इसी यज्ञ में सामूहिक आहुति दें।
जय राजस्थान
जय राजस्थानी
जय हिंद।
कहीं कोई शिकायत,शंका या सुझाव हो तो संपर्क करें—
हरीश हैरी हनुमानगढ़
9660032133
harishharry365@gmail.com