शुक्रवार, सितंबर 04, 2020

इतना भेदभाव क्यों

 





बचपन से ही चंद्रगुप्त चाणक्य के साथ रहे थे और हिंदू धर्म का उनपर काफी असर था । चाणक्य के अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति में विष्णु की आराधना करने की बात कही गई है

चंद्रगुप्त के काल के सिक्को पर हमें राम,लक्ष्मण और सीता के चित्र मिलते है । इनमे आपको 3 मानवों की आकृति दिखेगी जो राम,लक्ष्मन और सीता के है। इन सिक्कों का नाम ASI नें GH 591 रखा है ने रखा है ।

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अब मेरा एक सवाल हम सबको इतिहास की किताबों में अशोक काल के सिक्के दिखाए जाते है जिसपे बुद्ध बने है लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य के समय के सिक्के क्यों दिए दिखाये जाते जिसपे राम , लक्ष्मण और सीता की आकृति बनी हुई है....इतना भेदभाव क्यों
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चंद्रगुप्त ने अपने सामंत पुष्यगुप्त से एक झील बनवाई उसका नाम सुदर्शन झील रखा और ये झील आज भी गुजरात के गिरनार में है...ये हमें क्यों नहीं बताया जाता इतिहास की किताबों में...
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अपने सगे 99 भाईयों के हत्यारे अशोक को महान का दर्जा दिया गया लेकिन कई जनपदों में बटे हुए भारत को अखण्ड करने वाले चन्द्रगुप्त को महान की उपाधि देने की बात तो छोड़ दीजिए वामपंथी इतिहासकारों ने चन्द्रगुप्त को सम्राट भी नहीं कहा इतिहास की किताबों में ।
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यह बात भी बिल्कुल सही है कि अगर आचार्य चाणक्य की जगह कोई अन्य बौद्ध भिक्षु चंद्रगुप्त का गुरु होता तो वह उनको अहिंसा का मार्ग बताता और मौर्य वंश की कभी स्थापना ही नहीं हो पाती।
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चन्द्रगुप्त की मृत्यु - जैन कथाओ के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने 16 सपने देखे थे और उन सपनो का अर्थ जानने चंद्रगुप्त चाणक्य के सुझाव पर जैन गुरु भद्रबाहु के पास गए और भद्रबाहु ने चंद्रगुप्त को मोक्ष प्राप्ति के लिए सल्लेखना व्रत( संथारा ) करने के लिए प्रेरित किया जिस व्रत को पूरा करने के लिए चन्द्रगुप्त ने अन्न - जल त्याग दिया और इस प्रकार चन्द्रगुप्त की मृत्यु हुई और उन्हें मोक्ष प्राप्ति हुई ।

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