मंगलवार, सितंबर 29, 2020

आखिर इन वामपंथियों को हम हिन्दुओं से दुश्मनी क्या है ???

 एक बार मैं अपने मित्रों को अपने देश में चलाए जा रहे वामपंथी नैरेटिव के बारे में समझा रहा था तो मेरे एक मित्र ने मुझसे अचानक ही एक प्रश्न पूछ बैठा कि....

भाई, आखिर इन वामपंथियों को हम हिन्दुओं से दुश्मनी क्या है ???

और... लोग वामपंथी बन कैसे जाते हैं ???

और, ये सिर्फ मेरे एक मित्र की ही बात नहीं है बल्कि.... आपने भी अक्सर ये देखा होगा कि वामपंथी हम हिनुओं , हमारी त्योहार, परंपरा एवं आस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं लेकिन मलेच्छों के त्योहार और आस्था का भरपूर समर्थन करते हैं...!

लेकिन , क्या आपने कभी ये सोचा है कि... आखिर, इन वामपंथियों को हम हिन्दुओं से दुश्मनी क्या है कि वे हिन्दुओं से नफरत और मलेच्छों से इतना प्यार क्यों करते हैं ???

हालांकि.... इसका जबाब बहुत ही सरल है... लेकिन, वो सरल जबाब भी आपको आश्चर्यचकित कर देगा.

अभी 2-3 पहले ही एक पोस्ट काफी वायरल हो रही थी कि... 
"पादा कौन" ने एक इंटरव्यू में कहा था कि.... वो पपुआ को देश का प्रधानमंत्री देखना चाहती है .

क्या आप जानते हैं कि उसे ऐसी इच्छा क्यों है ???

इसका कारण है कि.... जिस तरह एक शराबी ... एक शराबी को ही अपना नेता बनाना चाहता है...
उसी तरह , एक चरसी-गंजेड़ी की पसंद भी... दूसरा चरसी-गंजेड़ी ही होता है.

इसीलिए, गंजेड़ी "पादा कौन" ने भी... एक चरसी और गंजेड़ी पपुआ को ही अपना प्रधानमंत्री देखने की इच्छा व्यक्त किया था.

बस यही बात... वामपंथ में भी लागू होती है.

हमारे हिन्दू सनातन धर्म में नैतिकता और मर्यादा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है...
हमारे हिन्दू सनातन धर्म में... कोई भी इंसान... अपनी माँ, बहन, चाची , मौसी , मामी आदि के साथ संबंध बनाने की सोच भी नहीं सकता.

इसके अलावा... हमारे सनातन धर्म में रोज नहाने, पूजा करने करने के साथ-साथ.... चोरी-बेईमानी आदि से दूर रहने एवं नशा वगैरह को बुरे व्यसन की संज्ञा दी गई है.

बेशक कुछ हिन्दू इसमें लिप्त हैं... लेकिन, फिर भी हमारे हिन्दू समाज में उन्हें बुरी नजर से ही देखा जाता है और उसे सामाजिक स्वीकार्यता प्राप्त नहीं है.

जबकि... मलेच्छ मजहब में सब कुछ स्वीकार्य है.

उदाहरण के लिए मान लो कि... अगर किसी को 4-5 स्त्रियों से संबंध रखने हैं... 
या फिर, अपनी माँ-बहन, बेटी या भांजी जैसे पवित्र रिश्ते को ही कलंकित करना है तो...
वैसे, नराधम के लिए हमारे हिन्दू सनातन धर्म में कोई स्थान नहीं है.

लेकिन, अगर वही नीच और नराधम इंसान मलेच्छ मजहब में जाता है तो वहाँ इसे हाथों हाथ लिया जाता है क्योंकि मलेच्छों में ये सब पाप कर्म सहर्ष स्वीकार्य हैं.

यहाँ तक कि... हमारे यहाँ जब कोई बच्चा लगातार दो-तीन लगातार नहीं नहाता है तो माँ भी उसे डाँटते हुए कहती है कि...
मलेच्छ हो क्या रे ???
3 दिन से क्यों नहीं नहाया है ???

खैर...

अब आप वामपंथी को देखें..

वामपंथी ... हफ्तों -महीनों तक नहीं नहाते.
खुले यौनाचार के समर्थक होते हैं.
नशे में धुत्त रहते हैं.
उनके लिए... उनकी माँ-बहनें, भतीजी, भांजी आदि पवित्र रिश्ता ना होकर महज एक लड़की होती है... क्योंकि, वे रिश्तेदारी में नहीं बल्कि.... स्त्री और पुरुष में विश्वास करते हैं.

वामपंथियों की यही घिनौनी सोच उन्हें हमारे हिन्दू सनातन धर्म से दूर और मजहब के करीब ले जाती है क्योंकि कमोबेश ऐसी ही सोच मलेच्छों की भी है.

इसीलिए... वामपंथी, हिन्दू सनातन धर्म का विरोध करते हैं क्योंकि इसकी पवित्रता, नैतिकता और मर्यादा उन्हें बंधन लगते हैं.

वे, जानवरों की तरह स्वच्छंद रूप से जीना चाहते हैं... जहाँ नैतिकता, सुचिता अथवा मर्यादा का कोई बंधन नहीं हो और स्त्री को सिर्फ बच्चा पैदा करने एवं शारीरिक सुख का जरिया मात्र समझा जाए.

और, ये सुविधा उन्हें मजहब देती है.

इसीलिए, वामपंथी... मजहब का पुरजोर समर्थन करते हैं ताकि जब मजहब को स्वीकार्यता मिल जाएगी तो फिर उनकी अनैकिता को भी सामाजिक स्वीकार्यता मिल जाएगी.

ये ठीक वैसा ही है जैसे कि.... "पादा कौन" ... पपुआ को प्रधानमंत्री देखना चाहती थी... 
क्योंकि, उसे ये लगता था कि जब उतने बड़े चरसी और गंजेड़ी को सामाजिक स्वीकार्यता मिल जाएगी तो फिर देर सबेर उसे भी स्वीकार्यता मिल ही जाएगी.

खैर.... मजहबी स्वीकार्यता की हालत ये है कि...
अभी "तरन्नुम खान" ने अपने बाप "अयूब खान" से ब्याह रचा लिया.

कहने का मतलब है कि.... जिस BC को हम गाली मानते हैं..
वो , BC उनके लिए एक सच्चाई है और कुराण्ड सम्मत भी है.

अब आप समझ ही गए होंगे कि आखिर वामपंथी ... अयूब खान का समर्थन क्यों करते हैं ???
और, इस समर्थन की आड़ में वे किस चीज को स्वीकार्यता दिलाने के लिए प्रयासरत हैं.

सीधे शब्दों में हम कह सकते हैं कि... वामपंथ... अय्याशी, अराजकता, नैतिकता विहीन जीवन जीना चाहता है...
और, उनके ऐसे कामों के लिए मजहब उसे अपनी आइडियोलॉजी के करीब लगता है... इसीलिए, वे मजहब का समर्थन करते हैं...
क्योंकि, इसके अलावा मजहब... उन वामपंथियों को अयूब खान सरीखे BC, MC आदि भी बनने की छूट देते हैं.

जबकि... हिन्दू सनातन धर्म ... नैतिकता , सुचिता, पाप-पुण्य आदि की बात करता है जो वामपंथियों के नैतिकता और मर्यादा विहीन जीवन में एक बंधन लगता है..
इसीलिए, वामपंथी ... हिन्दू सनातन धर्म का विरोध करते हैं.

जय महाकाल...!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें