रविवार, मई 13, 2018

सूफीवाद ...एक छलावा ...

Jitendra Pratap Singh
सूफीवाद ...एक छलावा ...
आपने पंचतन्त्र की रंगा सियार वाली कहानी जरुर पढ़ी होगी ,.. जिसमे एक सियार एक रंगरेज के रंग भरे बर्तन में गिर जाता है जिससे उसका रंग बदल जाता है फिर वो जंगल जाकर सभी जानवरों से कहता है की उसे खुदा ने जंगल का राजा बनाकर भेजा है .. वो सियार नही बल्कि एक राजा है ...
ठीक यही सूफीवाद है ....कट्टरपंथी बहाबी मुस्लिमो को जब लगा की वो तलवार के दम पर बहुत ज्यादा लोगो को इस्लाम में कन्वर्ट नही कर सकते क्योकि भारत और साउथ एशिया के कई लोग मरने के लिए तैयार थे लेकिन इस्लाम कुबूल करने के लिए नही तो उन्होंने एक बड़ा मायावी जाल बुना ..जो सूफीवाद कहलाता है ...
असल में इसके पीछे मकसद था की दुसरे धर्म के लोगो में उदारवादी इस्लाम की छवि पेश किया जाये और उन्हें पीरो के दरगाहो पर लाकर फिर उनका ब्रेनवाश करके उन्हें मुस्लिम बनाया जा सके ...
इतिहास में बहुत पीछे जाने की जरूरत नही है .. आप मशहूर संगीतकार ए आर रहमान को देखिये .. इनके घर में बहुत प्राब्लम थी .. इनकी दो बहने किसी रहस्यमय बीमारी से मर गयी .. एक पड़ोसी इनके पिताजी को एक सूफी संत के पास ले गया .. उस धूर्त सूफी संत ने इलाज, टोटका, तन्त्र मन्त्र किया और पानी देकर उन्हें ऐसा बरगलाया की ए आर रहमान जो दिलीप कुमारन थे उनके पिताजी ने पुरे परिवार के साथ इस्लाम कुबूल कर लिया ...
ये मकडजाल आपको भारत के सभी दरगाहो पर दिखेगा ..
बारहवी सदी में अफगानिस्तान में एक शक्स पैदा हुआ था जिसका नाम था जलालुद्दीन मुहम्मद "रूमी" ..ये सऊदी अरब गया और इब्न कबीले के प्रमुख वहाबियो और सउद कबीले के प्रमुख से मिला .. और इस्लाम को कैसे फैलाया जाये इस पर चर्चा किया .. फिर उसने एक सुझाव दिया की कट्टरपंथी होकर हम गैर मुस्लिमो को अपने तरफ आकर्षित नही कर सकते .. उसके लिए हमे रूहानी, संगीत, नृत्य आदि का भी इस्तेमाल करना होगा .. वहाबी तो पहले इस्लाम में इसकी इजाजत नही दिया लेकिन सउद कबीले के प्रमुख ने वहाब को समझाकर इसकी इजाजत दे दी ...फिर बाद में रूमी तुर्की में रहने लगा और "घूमता दरवेश" के नाम से प्रसिद्ध हो गया ... आपने कई फिल्मो में देखा होगा की कुछ लोग सफेद कपड़ा पहने सर पर ऊँची टोपी लगाये गोल गोल घूमते है ..असल में ये उसी जलालुद्दीन मुहम्मद रूमी की धूर्तता थी .. नृत्य संगीत की आड़ में रूमी में युवाओ को इस्लाम के तरफ खूब आकर्षित किया ... बाद में अखंड भारत में खूब दरगाहे बनाई गयी ..और कौवाली, नृत्य, संगीत, झाड़ फूंक टोटका तन्त्र मन्त्र आदि की आड़ में भोले भाले गैर मुस्लिमो को मुस्लिम बनाया गया ....
इसलिए मित्रो , सावधान ... इतिहास गवाह है की जितने लोग तलवार के डर से मुस्लिम नही बने उससे कई गुना ज्यादा लोगो को इसी चाल में दरगाहो पर आकर्षित करके तन्त्र मन्त्र झाड़ फूंक ,नृत्य संगीत आदि के आड़ में मुस्लिम बना दिया गया .. इसलिए इन दरगाहो से दूर ही रहे और अपने मित्रो जानने वालो को इन दरगाहो की सच्चाई बताये

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