इस्लाम का सबसे कट्टरपंथी सबसे खतरनाक "सुन्नी बहाबी" क्या है ?
अरब में वहाबी विचारधारा के प्रवर्तक मुहम्मद इब्न अब्दुल वहाब का जन्म 1703 में उयायना, नज्द के बनू तमीम कबीले में हुआ था , इस्लामी शिक्षा की चार व्याख्याओं में से एक हम्बली व्याख्या का उसने बसरा, मक्का और मदीना में अध्ययन किया इब्न अब्दुल वहाब की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएं काफी थीं सो 1730 में उयायना लौटने के साथ ही उसने स्थानीय नेता “मुहम्मद इब्न सऊद” (सऊदी अरब का संस्थापक शेख बादशाह) से एक समझौता किया, जिसमें दोनों परिवारों ने मिल कर सऊदी साम्राज्य खड़ा करने की सहमति बनाई ,तय हुआ कि सत्ता कायम होने पर सऊद परिवार को राजकाज मिलेगा; हज और धार्मिक मामलों पर इब्न अब्दुल वहाब के परिवार यानी अलशेख का कब्जा रहेगा (यही समझौता आज तक कायम है) सऊदी अरब का बादशाह अल सऊद-परिवार से होता है और हज और मक्का-मदीने की मस्जिदों की रहनुमाई वहाबी-सलफी विचारधारा वाले अल शेख परिवार के वहाबी इमामों के हाथ होती है, इब्न अब्दुल वहाब की विचारधारा को कई नामों से जाना जाता है, उसके नाम के मुताबिक उसकी कट्टर विचारधारा को वहाबियत यानी वहाबी विचारधारा कहा जाता है और खुद इब्न अब्दुल वहाब ने अपनी विचारधारा को सलफिया यानी ‘बुजुर्गों के आधार पर’ कहा था। आज दुनिया में वहाबी और सलफी नाम से अलग-अलग पहचानी जाने वाली विचारधारा दरअसल एक ही चीज है।
पूर्वी तट से लेकर दक्षिण के खतरनाक तापमान वाले रबी उल खाली के रेगिस्तान और उत्तर के नज्द (वर्तमान राजधानी रियाद का इलाका) और पश्चिमी तट के हिजाज (मक्का और मदीना सहित प्रांत) को वहाबी विचारधारा के एक झंडे के नीचे लाने में सऊद परिवार ने दो सौ साल संघर्ष किया और जहां-जहां वे इलाका जीतते, सलफी उर्फ वहाबी विचारधारा के मदरसे खोलते गए बद्दुओं यानी ग्रामीण कबीलों में बंटे अरबों को एक नकारात्मकतावादी विचारधारा के तहत लाकर 1922 और फिर 1925 के संघर्ष में अल सऊद ने वर्तमान सऊदी अरब के लगभग सारे इलाके जीत लिए, अब्दुल अजीज इब्न सऊद को इस संघर्ष में ब्रिटेन ने जोरदार सहयोग किया ब्रिटेन जानता था कि उस्मानिया खिलाफत को मार भगाने के लिए अब्दुल अजीज इब्न सऊद ही उसकी मदद कर सकता है क्योंकि आगामी राजनीति और आर्थिक नीति के सबसे बडे बम “कच्चे तेल / काले सोने” की खोज हो चुकी थी और दुनिया गाड़ी, टैंक, कार पर चलनी शुरू हो चुकी थी ।
इस बहाबी विचारधारा में इस्लाम को चरणबध्द तरीके से फैलाया जाता है .. सबसे पहले शिक्षा की आड़ में मदरसे खोले जाते है .. फिर इनमे नियुक्त मौलानाओ और आलिमो को सऊदी अरब बुलाया जाता है .. फिर इनका ब्रेनवश करके मुस्लिम बच्चो में कट्टरपंथी बाते और दुसरे धर्मो के लिए नफरत फ़ैलाने की बात सिखाई जाती है .. फिर सऊदी अरब से खूब पैसे भेजे जाते है .. उसके बाद उस इलाके में खूब मस्जिदे बनवाई जाती है .. और कई मुस्लिम परिवारों को बसाया जाता है ..जिससे दुसरे धर्मो के लोग उस इलाके से या तो चले जाये या धर्मपरिवर्तन कर ले ...
सोचिये .. सऊदी अरब का क्षेत्रफल काफी विशाल है और वहाँ हज यात्रियों के लिए करोड़ो ट्रेंट बने हुए है जो हज के बाद खाली ही रहते है .. फिर भी सऊदी अरब किसी भी मुस्लिम को अपने देश में शरण नही देता है ... असल में ये बहाबियो की एक पुरानी रणनीति है | सीरिया, अफगानिस्तान सहित गृहयुद्ध से ग्रसित कई इस्लामिक देशो से हजारो मुस्लिम आस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका आदि देशो में शरणार्थी बनकर जाते है .. फिर सऊदी अरब उनके लिए मदरसे और मस्जिदे बनवाता है .. फिर धीरे धीरे उस भूभाग का इस्लामीकरण किया जाता है |
रविवार, मई 13, 2018
इस्लाम का सबसे कट्टरपंथी सबसे खतरनाक "सुन्नी बहाबी" क्या है ?
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