1959 की क्यूबा की कम्युनिस्ट क्रांति से पूर्व क्यूबा अमेरिका को बीफ निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश था।
हालत ये हो गई थी कि क्यूबा में दुधारू पशुओं खास कर गायों की भारी कमी हो गई थी।
कामरेड फिडेल कास्त्रो ने सत्ता सम्हालते ही गोवध पर रोक लगा दी और दोषी पाए जाने पर 10 वर्ष की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान किया जो अभी भी लागू है।
क्यूबा ने गायों की कमी दूर करने के लिए भारत और कनाडा से गायें मंगवाई और भारी पैमाने पर डेरी फार्मिंग शुरू की।
सप्ताह में कभी तीन से चार दिन मांस खाने वाले क्यूबाई लोग शाकाहारी बन गये।
आज पशुपालन और कृषि क्यूबा की आय का मुख्य आधार है।
भारत में बेहिसाब गोवंश और दुधारू पशुओं के वध का सिलसिला जो चल पड़ा है वो एक दिन क्यूबा में जो स्थिथि 1959 से पूर्व थी वेसी हो जाएगी।
हो क्या जाएगी हो गई है।
आज पशुओं की कमी के कारण रासायनिक खाद का प्रयोग होने लगा है जो बिमारियों की जड़ बन चुकी है। सिंथेटिक दूध बिक रहा है। सोयाबीन का दूध और दही बिक रहा है।
गाँवों में कभी एक किसान के घर में पशुओं का रेवड होता था वहां अब गिनती के पशु रह गये हैं।
ट्रेक्टर ने बेलों को खत्म कर दिया और आयातित पाउडर के पोलिपेक और डिब्बा बंद दूध ने गाय भेंस और बकरी को।
अगर समय रहते नहीं चेते तो बहुत बुरे दिन आने वाले हैं।
बच्चे दूध क्या होता है भूल जायेंगे।
पशु बचाओ देश बचाओ।
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