रविवार, मई 13, 2018

जवाहरलाल नेहरु अभिनेत्री नरगिस के मामा थे कैसे ?

Akhilesh Sharma
दरअसल नेहरू खानदान जन्मजात अय्यास था ! इनकी अय्यासी के किस्से उस जमाने में बहुत मशहूर थे ! जवाहरलाल नेहरु अभिनेत्री नरगिस के मामा थे कैसे ? जानने के लिए पढ़िए पूरी पोस्ट।
नरगिस की नानी दिलीपा मंगल पाण्डेय के ननिहाल के राजेन्द्र पाण्डेय की बेटी थीं... उनकी शादी 1880 में बलिया में हुई थी लेकिन शादी के एक हफ़्ते के अंदर ही उनके पति गुज़र गए थे.दिलीपा की उम्र उस वक़्त सिर्फ़ 13 साल थी.! उस ज़माने में विधवाओं की ज़िंदगी बेहद तक़लीफ़ों भरी होती थी ! ज़िंदगी से निराश होकर दिलीपा एक रोज़ आत्महत्या के इरादे से गंगा की तरफ़ चल पड़ीं लेकिन रात में रास्ता भटककर मियांजान नाम के एक सारंगीवादक के झोंपड़े में पहुंच गयीं जो तवायफ़ों के कोठों पर सारंगी बजाता था.!
मियांजान के परिवार में उसकी बीवी और एक बेटी मलिका थी ! वो मलिका को भी तवायफ़ बनाना चाहता था.दिलीपा को मियांजान ने अपने घर में शरण दी. और फिर मलिका के साथ साथ दिलीपा भी धीरेधीरे तवायफ़ों वाले तमाम तौर-तरीक़े सीख गयीं और एक रोज़ चिलबिला की मशहूर तवायफ़ रोशनजान के कोठे पर बैठ गयीं ! रोशनजान के कोठे पर उस ज़माने के नामी वक़ील मोतीलाल नेहरू का आना जाना रहता था जिनकी पत्नी पहले बच्चे के जन्म के समय गुज़र गयी थी. दिलीपा के सम्बन्ध मोतीलाल नेहरू से बन गए...इस बात का पता चलते ही मोतीलाल के घरवालों ने उनकी दूसरी शादी लाहौर की स्वरूप रानी से करा दी जिनकी उम्र उस वक़्त 15 साल थी...इसके बावजूद मोतीलाल ने दिलीपा के साथ सम्बन्ध बनाए रखे...इधर दिलीपा का एक बेटा हुआ जिसका नाम मंज़ूर अली रखा गया...उधर कुछ ही दिनों बाद 14 नवम्बर 1889 को स्वरूपरानी ने जवाहरलाल नेहरू को जन्म दिया ! साल 1900 में स्वरूप रानी ने विजयलक्ष्मी पंडित को जन्म दिया और 1901 में दिलीपा के जद्दनबाई पैदा हुईं...अभिनेत्री नरगिस इन्हीं जद्दनबाई की बेटी थीं. ! मंज़ूर अली आगे चलकर मंज़ूर अली सोख़्त के नाम से बहुत बड़े मज़दूर नेता बने ! और साल 1924 में उन्होंने यह कहकर देशभर में सनसनी फैला दी कि मैं मोतीलाल नेहरू का बेटा और जवाहरलाल नेहरू का बड़ा भाई हूं !
उधर एक रोज़ लखनऊ नवाब के बुलावे पर जद्दनबाई मुजरा करने लखनऊ गयीं तो दिलीपा भी उनके साथ थी जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के किसी काम से उन दिनों लखनऊ में थे उन्हें पता चला तो वो उन दोनों से मिलने चले आए दिलीपा जवाहरलाल नेहरू से लिपट गयीं और रो-रोकर मोतीलाल नेहरू का हालचाल पूछने लगीं मुजरा ख़त्म हुआ तो जद्दनबाई ने जवाहरलाल नेहरू को राखी बांधी ! साल 1931 में मोतीलाल नेहरू ग़ुज़रे तो दिलीपा ने अपनी चूड़ियां तोड़ डालीं और उसके बाद से वो विधवा की तरह रहने लगीं !
(गुजराती के वरिष्ठ लेखक रजनीकुमार पंड्या जी की क़िताब ‘आप की परछाईयां’ से साभार।)

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