गुरुवार, नवंबर 24, 2011

हमारी जनता के पास इतने साधन नहीं है की वह अपनी खुद की स्वतंत्र रिसर्च कर के सभी तथ्यों का खुद विश्लेषण कर सके, साधन और समयाभाव द

हमारी जनता के पास इतने साधन नहीं है की वह अपनी खुद की स्वतंत्र रिसर्च कर के सभी तथ्यों का खुद विश्लेषण कर सके, साधन और समयाभाव द

प्रिंट एवं विजुयल मीडिया का पक्षपात पूर्ण रवैया , जन साधारण के हितों में आवाज़ उठाने वाले गैर सरकारी व्यक्तियों पर कीचड़ उछालना, सेकुलरिज्म की आइ में हमेशा भारत के मूल्यों का तिरस्कार करना और कभी भी सही और सच्ची बात को जनता तक नहीं पहुँचाना. यदि पहुँचाना भी पड़े तो उसे परिवर्तित रूप में पेश करना की उससे जनता को कभी सच्चाई का पता ही ना चले, विगत कुछ दिनों में जनता के सामने कुछ अधिक तेजी के साथ उभर कर सामने आया है .

यह एक भयानक षड्यंत्र है, जो की धीरे धीरे जनता के सामने आ रहा है. इस देश के कुछ खास और अपने आप को सेकुलर कहलाने में गर्व महसूस करने वाले न्यूस चैनल्स के मालिकाना हक के बारे मैं इंडियन लीक्स(http://indialeaks.blogspot.com/) मैं विस्तृत तरीके से पर्दाफास किया है. इस मामले मैं विकिलीक्स से भी निवेदन किया गया है की वह भी कुछ और अज्ञात तथ्यों को जाहिर करें.

जनता को इन सब तथ्यों से कोई परेशानी नहीं होती है यदि ये सब अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन करते रहे तथा जनता को सिर्फ सरकारी एजेंट की तरह खबर ना सुना कर, उनके क़रीबी मुद्दों से जुड़े निष्पक्ष और सेवा भाव से ओत प्रोत नेताओं जैसे की "डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी" , और "स्वामी रामदेव जी" के जनता को दिए गए संदेशों को पहुँचाने में कोई व्यवधान ना करे या उसको तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत ना करें. परन्तु ये न्यूज़ चैनल्स तो उससे भी आगे निकल गए है ये तो अब निष्पक्ष न्यूज़ को ना दिखा कर, इनके कांग्रेसी आका क्या चाह रहे है, वह दिखाते है. अभी अभी मैंने एक नेवस चैनल की न्यूज़ को फेसबुक पर देखा तो एक बार फिर से स्तब्ध रह गया - बाबा रामदेव के समर्थन में उतारे संत समाज को भी इन्होने प्रदूषित करना आरम्भ कर दिया है - आसाराम के आवाहन पर कि सोनिया गाँधी को देश छोड़ कर चले जाना चाहिए पर इनकी न्यूज़ थी - “आशाराम के जहरीले बोल"

और खबर (http://khabar.ibnlive.in.com/news/55691/1) भी कुछ कम रोचक नहीं लिखी गयी थी -- “जिस वक्त आसाराम अपने प्रवचन में सोनिया के खिलाफ जहर उगल रहे थे. उनके पंडाल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी अपनी पत्नी के साथ मौजूद थे.”

हमारी जनता के पास इतने साधन नहीं है की वह अपनी खुद की स्वतंत्र रिसर्च कर के सभी तथ्यों का खुद विश्लेषण कर सके, साधन और समयाभाव दोनों ही इसके लिए जिम्मेदार है, हांलाकि तथ्यों से भिज्ञ रहने की संकल्पों की कमी को भी मैं इसके लिये कुछ हद तक जिम्मेदार मानता हूँ. लेकिन मूल कारण साधना भाव ही है. जनता तो जो प्रिंट मीडिया या टी.वी या एफ. एम् चेनल्स पर जो बाते सुनती है, बार बार सुनती है तो उसको सच मान ही लेती है या फिर उसके मन के एक शंका घर कर जाती है की कही ऐसा ही तो नहीं जो ये कह रहा है की क्योकि जनता के मन ये यह बात अच्छी तरह से भर दी गयी है की वो साधारण इंसान है, उन्हें सत्ता तंत्र मैं बारे मैं कुछ जानकारी नहीं है और ना ही उन्हें जो कुछ सरकारी नुमायंदे कह रहे है, उससे ज्यादा कुछ जाने की उम्मीद करना चाहिए.

तब प्रश्न यह उठता है की तो क्या हम सब इस सरकारी , वेस्टर्न , कैथोलिक और बैपटिस्ट चर्चों के द्वारा पोषित तथा भारतीयों मुलभुत विचारों पर आघात करते हुए और संस्कारों की कब्र बनाते हुए न्यूज़ चेनल्स का दुष्प्रचार सहते रहे या फिर सिर्फ सोसल मीडिया जैसे की फेसबुक और ब्लोग्स लिख कर अपने आप को शांत कर ले या फिर या इस दुष्प्रचार तथा इसी के जैसे सरकारी तथा चर्च के द्वारा प्रायोजित संस्कार हनन कार्यक्रमों के दूरगामी परिणामों जो की बहुत है - एक तो मुझे अभी यह ब्लॉग लिखते समय स्पष्ट तोर पर समझ में आ रहा है - हिंदी मैं यह ब्लॉग लिखने मैं तथा उचित शब्द को फिर से याद करने मैं, इंग्लिश मैं लिखने की जगह कितना अधिक समय मुझे लग रहा है जब की स्वयं ही एक हिंदी भाषी प्रदेश से हूँ, हिंदी मेरा पढाई का माध्यम रहा है. जब हिंदी मैं यह हाल है तो संस्कृत मैं क्या होगा. जो पाठक यह सोच रहे होगे की होम ऐसे किसी व्यक्ति से किन भारतियों संस्कारों की बातों को सुने और समझे,मैं उन सब से सिर्फ एक बात कह रहा हूँ की यह समय आत्म मंथन का है, हमको जो धीरे धीरे करके सब तरह से अपांग बना दिया जा रहा है, सांस्कृतिक वैशाखियों लगा दी गयी है, तो क्या हम संस्कृति की दौड़ मैं जीत जायेंगे या फिर वो जिन्होंने हमें वैशाखी पह्न्याई है.

हम को अब समझ मैं साफ़ साफ़ आने लगा है, भारत बर्ष के नागरिकों के ऊपर लगाईये गए वैशाखियों को बाबा जी के वर्षों की निरंतर निस्वार्थ भाव से की गयी सेवा और योग चिकित्सा ने हटा दिया है. अब हम अपनी संस्कृति को और अधिक अपवित्र नहीं होने देंगे. हमारा दृष्टि भ्रम भी अब योग से चला गया है, अब हमें हमारे धन को लेकर भागने वाले तस्करों ( डॉ. सुब्रमण्यमस्वामी के लेख पढ़ें - समझ जगाए कि मैं इन्हैं तस्करों कि उपाधि से क्यों सम्मानित कर रहा हूँ) ने हमारी सम्पति को स्विस बैंक्स के किन अज्ञात खातों में छिपा रखा है. हालाकि अज्ञात खाते कहना जबकि समस्त देश वाशियों को ज्ञात है कुछ ज्ञात खातों के बारे में, अभी उचित समझता हूँ कि क्योकि जब बड़े बड़े नाम उजागर होंगे, कितना पैसा देश मैं बापिस आएगा, कितने लोगो के राजनितिक करियर्स तवाह हो जायेंगे और कुछ तो अपने दुसरे देश कि नागरिकता और पासपोर्ट लिए होने के कारण देश से बच निकल भाग ने कोशिश में इस बार जनता के द्वारा दबोच लिए जायंगे, यह सिर्फ सोच कर कि अत्यंत हर्ष कि अनुभूति होती है.

हालाकि, इस हर्षानुभूति को भविष्य में अनुभूत करने के लिए, हमें पुनः अपने वर्त्तमान मैं लौटना होगा और उसको कार्यान्वित करने के लिए यह अत्यंत जरूरी है कि हमारे महान ज्ञानी पुरुषों बाबा जी रामदेव महाराज तथा देश हित मैं तत्पर तार्किक, तथ्यों के ऊपर आधारित जनहित मैं लड़ने वाले डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी जैसे लोगो कि वाणी, विचारों को देश के समस्त नागरिको मैं पहुचाया जाए.

इस लिए मेरा बाबा जी, स्वामी जी से तथा भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से निवेदन है

  • एक टी.वी न्यूज चैनल कि स्थापना करके जो कि इन देशद्रोहियों कि वातों को जन साधारण के सामने उजागर कर सके. उस टी.वी न्यूज चैनल पर महान सच्चे तथा देश हित मैं तत्पर व्यक्तियों का साक्षात्कार हो तथा ज्वलंत मुद्दों पर वाद विवाद देश के मुख्य धारा से जुड़े तथा देश कि कुछ जाने माने गणमान्य नागरिको के वीच मैं.

  • यह चैनल किसी स्टॉक एक्स्चेंज से नहीं जुडा हो अन्यथा इसे भी खरीदने कि लिए वेस्टर्न मीडिया तथा चर्च अपने हाथ पैर मारने लगेगी.

  • एक एफ. एम्. चैनल कि भी इसी तरह से स्थापना कि जाए

  • एक RTI (आर टी आई )सेल कि भी स्थापना की जाए जिसका सिर्फ सरकार के माध्यम से देश हित और निधि कि दलाली करने वालों कि काली करतूतों कि भी जानकारी जनता के सामने लाने का कार्य हो

हम देश भक्त तथा भारत के पुन गौरव शाली होने का सपना लिए हुए , इस कार्य मैं तन मन धन से तत्पर रहेंगे.

एक शुरुआत कि अपेक्षा है.

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