गुरुवार, नवंबर 03, 2011

फिर से तलवारें उठ जाने दो

फिर से तलवारें उठ जाने दो


फिर से तलवारें उठ जाने दो

इक बार फिर क्राँति हो जाने दो

महाराणा फिर स्वच्छंद घूमेगा

चेतक की टापों से आकाश गूँजेगा

शिवाजी भी देशद्रोहियों को ललकारेंगे

हम भी आतंकियो को घर मेँ घुसकर मारेंगे

गुरु गोविन्द को भी स्वाभिमान सिखाने दो

वीर सावरकर को अखंड भारत बनाने दो

एक बार फिर कुछ देशद्रोही कट जाने दो

एक बार फिर तलवारें उठ जाने दो

एक बार फिर राम के हाथों रावण मर जाने दो

एक बार फिर कृष्ण के हाथो कंस कट जाने दो

परशुराम जी भी जब शस्त्र धारण करेंगे

अभिमानी देशद्रोही तब डर कर भागेंगे

एक बार फिर भगवान को आ जाने दो

एक बार फिर राक्षसों को कट जाने दो

अहिँसा से हो जायेगा वीरता का अँत

अब तो देश को बचायेगा एक सँत

मत आओ इन देशद्रोहियों के भ्रमजालोँ मेँ

वरना रह जाएंगे भगत-सुभाष बंद तालों में

एक बार फिर देशभक्तो को हुँकार लगाने दो

एक बार फिर तलवारें उठ जाने दो

माँ भारती के सपूतों का खून अब भी गर्म है

देशरक्षा ही सनातनियो का परम धर्म है

माँ भारती का अपमान नही सहेगा हिँदूस्थान

गौ रक्षा ही हमारा ध्येय है, हमारा कर्म है

खून को पानी अब न बनाओ यारों

देश के लिये तलवारें उठाओ यारों

स्वदेशी अपनाकर अब स्वदेश बचाओ यारों

राजीव भाई के सपनों का भारत बनाओ यारों

- अंकित

By: कड़वे कवि


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