गुरुवार, नवंबर 03, 2011

साहब ! यह गाँव पूरा कर्जे में डूबा हुवा है, यहाँ प्रत्येक परिवार पर करीब 6 लाख रुपये का कर्जा है ……क्यो ?

साहब ! यह गाँव पूरा कर्जे में डूबा हुवा है, यहाँ प्रत्येक परिवार पर करीब 6 लाख रुपये का कर्जा है ………………………………क्यो ?


01 सन 1840 में एक अंग्रेज अधिकारी टी. बी. मैकाले द्वारा तैयार किये गए प्रारूप के आधार पर भारत की आज की शिक्षा व्यवस्था का ढांचा खड़ा हुवा है| मैकाले ने भारत के नागरिकों को आत्मा से अंग्रेज और दीमाग से बाबु (क्लर्क) बनाने के लिए ये ढांचा खड़ा किया था|

02 आजादी के 64 वर्षों के बाद भी हम भारतवाशी जाने-अनजाने में हर रोज करोड़ों रुपयों की विदेशी वस्तुओं का भरपूर उपयोग कर रहे है और भारत का अरबों रूपया ये विदेशी कम्पनियाँ भारत से बाहर ले जा रही है|

03 अंग्रेजों ने कई कानून बनाकर भारत की ग्रामीण कृषि और अर्थव्यस्था को ख़त्म कर दिया था| सरकार ने पशुओं के लिए कत्लखाने बनवा रखें है| जिनमे हर साल करीब 10 करोड़ जानवरों को क़त्ल करके उनका मांस विदेशों में भेजा जा रहा है| जानवरों के अभाव में गोबर की खाद आजकल गाँव में मिलती ही नहीं है| और जब गोबर की खाद उपलब्ध नहीं है तो रासायनिक खाद को खेत में डालने के लिए किसानो की मजबूर होना पड़ रहा है | ये रासायनिक खाद और कीटनाशकों का जहर अब तो हमारे भोजन के माध्यम से हमारे खून में भी आ पंहुचा है |

इसके केवल दो उदाहरण आप देखेंगे तो स्थिति स्पस्ट हो जाएगी -

(A) पहली कहानी हरिकिशन्पुरा (पंजाब)

ये सुनकर राजीव भाई को बड़ा आश्चर्य हुवा| उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा इस बोर्ड पर ऐसा क्यों लिखा हुवा है? उस व्यक्ति ने कहा साहेब मुझे नहीं मालूम ऐसा क्यों लिखा गया है | पंजाब में संगरूर जिले में एक गाँव है - हरिकिशन्पुरा | एक बार स्वर्गीय राजीव दिक्सित जी का उधर से गुजरना हुवा| उस गाँव के बाहर चौराहे पर एक बहुत बड़ा बोर्ड लगा हुवा था| उस चौराहे पर राजीव भाई थोड़ी देर रुके| उस बोर्ड को देखा | उस पर पंजाबी भाषा में कुछ लिखा हुवा था | राजीव जी ने एक पंजाबी से पुछा भाई ये बोर्ड पर क्या लिखा हुवा है?| उस व्यक्ति ने कहा

राजीव भाई ने उस गाँव में जाकर पता लगाने का फैसला किया| वे गाँव में पहुंचे| वहां एक बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा :-

राजीव दिक्सित : गाँव के बाहर एक बड़े बोर्ड पर जो लिखा गया है क्या वो सही है?

बुजुर्ग व्यक्ति : हाँ साहेब 100 फीसदी सही है |

राजीव दिक्सित : ये क्यों लिखवाया गया ?

बुजुर्ग व्यक्ति : साहेब ये गाँव पूरा कर्जे में डूबा हुवा है | इस गाँव के प्रत्येक परिवार पर करीब 6 लाख रुपये का कर्जा है |

राजीव दिक्सित : ऐसा क्या किया गया कि प्रत्येक परिवार पर 6 लाख रुपये का कर्ज चढ़ गया|

बुजुर्ग व्यक्ति : साहेब इस गाँव में भारत की सबसे अच्छी कपास होती है| भारत में सबसे ज्यादा कपास का उत्पादन भी यहीं होता है | इस कपास की फसल में एक प्रकार का कीड़ा लगता है| इस कीड़े को मारने के लिए हम लोगों को कीटनाशक का इस्तेमाल करना पड़ता है | और वो भी एक दो बार नहीं, पूरी फसल के दौरान करीब 35 बार इस कीटनाशक का छिडकाव करना पड़ता है | और ये कीटनाशक 15 से 20 हजार रुपये प्रति लीटर बाज़ार में बिकता है और हमें खरीदना पड़ता है | और इसी के चलते इस गाँव पर इतना कर्ज बढ़ गया है | हम लोग बर्बाद हो गए है | रोजी रोटी चलाने के लिए हमें कपास उगानी ही पड़ती है और कीटनाशक का इस्तेमाल करना ही पड़ता है |

राजीव दिक्सित : अच्छा ये बताओ ये कीटनाशक आपके गाँव में पहली बार कब आया ?

बुजुर्ग व्यक्ति : इतना तो याद नहीं है , लेकिन हाँ करीब 40-45 साल जरूर हो गए होंगे |

राजीव दिक्सित : आज के 40-45 साल पहले जब ये कीटनाशक नहीं था तब आप लोग इस कीड़े को मारने के लिए क्या करते थे? ये कीड़ा तो उस समय भी रहा होगा ना ?

बुजुर्ग व्यक्ति : हाँ उस समय भी ये कीड़ा था तो सही | लेकिन कीटनाशक उस समय इस्तेमाल नहीं करते थे | जंगल की कुछ विशेष पौधों की पत्तियों और जड़ों से दवा तैयार करके कपास पर छिडकी जाती थी |

(B) दूसरी कहानी पड़रे (केरल)

केरल के कासरगोड जिले में एक गाँव है- पड़रे| इस पड़रे गाँव में गुजरे 20 सालों से एक भी नया बच्चा पैदा नहीं हुवा है| आइये इसके कारण के बारे में जाने |

पूरे भारत में सबसे ज्यादा काजू की पैदावार इसी पड़रे गाँव में होती है | यहाँ काजू की फसल बहुत बड़े पैमेने पर होती है और इसमें लगने वाले रोग की सुरक्षा के लिए एन्डोसल्फान नामक खतरनाक कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है| क्यों कि यहाँ बहुत बड़े क्षेत्रफल में काजू की फसल होती है| इसलिए एन्डोसल्फान का फसल पर छिडकाव करने के लिए हेलीकाप्टर किराये पर लेना पड़ता है| यानी हेलिकोप्टर से एन्डोसल्फान का छिडकाव करना कितना खतरनाक है|

इस गाँव के तमाम लोगों के खून की जाँच की गई तो वैज्ञानिक भोचक्के रह गए| उन्होंने माताओं के दूध की भी जाँच की तो पाया कि उनके खून और दूध में भी एन्डोसल्फान पाया गया |

गांवों के लोग रोजगार के लिए शहरों में आ रहे है और झुग्गी झोंपड़ियों में और गन्दगी भरी बस्तियों में रहने को मजबूर है|

अतः गावों की अर्थव्यस्था का पुनः निर्माण इस तरह से करना है कि रोजगार के अवसर गावों में ही विकसित हो और धन का प्रवाह गावों की और हो सके| इसके लिए जो कानून भारत सरकार और राज्य सरकारों ने बना रखे है कत्लखाने चलाने के लिए उन सभी कानूनों को उखाड़ फेंकना जरूरी हो गया है|

04 भारत के राजनेतिक और आर्थिक भ्रस्टाचार को समाप्त करना और विदेशी बैंकों में जमा भारत के काले धन को वापस लाना - भारत आज भ्रस्तम देशों की गिनती में आता है| आंकड़ों पर नजर डालें तो विकास के नाम पर भारत में केवल 15 प्रतिशत ही किसी गरीब तक पहुचंता है और 85 प्रतिशत धन भ्रस्टाचार में समाप्त हो जाता है| भारत के करीब 84 करोड़ लोग ऐसे है जो एक दिन में 20 रूपया खर्च करने की हेसियत नहीं रखते| भारत में भ्रस्टाचार करके लूटा हुवा धन करीब 400 लाख करोड़ रूपया है जो विदेशी बैंकों में जमा करके रखा हुवा है इन भ्रष्ट नेताओं और अधिकारीयों ने| इन भ्रस्टाचार को आज नहीं तो कल ख़त्म करना ही होगा| इस धन को पुनः भारत में लाकर विकास कार्य तेज करना होगा |

05 अंग्रेजों ने अपने बचाव के लिए भारत में हजारों कानून बनाए ताकि भारत के लोग कानूनों के चक्कर में पड़े रहें और अंग्रेज अपना स्वार्थ पूरा करते रहे| इन कानूनों की मदद से और अत्यधिक अत्याचार भारत के लोगों पर किये गए| हालाँकि अंग्रेज चले गए सन 1947 में, मगर ये कानूनों का अत्याचार सन 2011 तक बखूबी जारी है| अंग्रेजों ने भारत की गुलामी को स्थाई बनाने के लिए लगभग 34735 कानून बनाए थे| आजादी के 64 सालों के बाद भी ये सभी कानून वैसे के वैसे ही भारत में आज तक चल रहे है| आजादी के बाद इन सभी कानूनों को जला देना चाहिए था| लेकिन सत्ता के लालची लोगों ने एसा नहीं किया| इन लालची लोगों ने जल्द से जल्द कुर्सी हथियाने के लिए इन कानूनों को वैसा का वैसा हमारे संविधान में रख दिया| यहाँ तक कि उनका कोमा (,) फुलस्टॉप (.) तक नहीं बदला| इन्ही कानूनों के कारण आज भी भरतीयों को न्याय नहीं मिलता | मुकद्दमे चलते रहते है अदालतों में सालों साल | एक अनुमान के मुताबिक भारत में आज की तारीख में करीब 3 .5 करोड़ से ज्यादा मुकद्दमे देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे है| अगर न्याय का यही तरीका रहा तो इन कानूनों को निपटारा आने वाले 350 से 400 सालों में जरूर हो जायेगा|

कुछ कानूनों की मिसाल इस तरह से है -

(A) क्या आपको पता है कि यदि आपने एक पेड़ उगाकर उसे बड़ा किया है लेकिन आप उस पेड़ को काट नहीं सकते| अगर काटते है तो आपको जेल हो सकती है| लेकिन उसी पेड़ को सरकार या सरकार का कोई नुमाइंदा / ठेकेदार यदि पेड़ काटता है तो उसे कोई सजा का प्रावधान नहीं है|

(B) क्या आपको पता है कि भारत में किसान गन्ना उगा सकता है लेकिन उसका गुड बनाकर बेंच नहीं सकता| यदि वह एसा करता है तो यह कानूनन जुर्म है और सजा तय है| मतलब सरकार उस गन्ने की फसल को ओने पाने दाम में खरीदेगी और उसकी शक्कर बनाकर बेचेगी|

(C) यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का शीलहरण करता है तो कोर्ट में उसी महिला को साबित करना होता है कि उसका शीलहरण हुवा है| उस सम्बंधित व्यक्ति के खिलाफ इस बारे में कोई सवाल नहीं किया जायेगा| यानी जो पीड़ित है उसे ही साबित करना है| जिसने गुनाह किया है उसे कुछ भी सवाल पूछने की जरुरत नहीं समझी जाती|

(D) क्या आपको पता है कि सन 1947 में भारत आज़ाद हुवा और आज़ादी के एक साल बाद ही आजाद भारत का पहला भ्रस्टाचार सन 1948 में वी- के- मेनन ने किया था| ये भ्रस्टाचार की रकम उस समय 80 लाख रूपया थी| सन 1947 से लेकर सन 2005 तक करीब 37 बड़े भ्रस्टाचार के कारनामे अंजाम दिए जा चुके है| और सबसे रोचक बात ये है की इन 37 भ्रस्ताचारों के मामलों में से किसी एक में भी किसी भी व्यक्ति को आज तक ना तो सजा हुई और ना ही गबन किया हुवा एक भी रूपया वापस सरकार के पास आया(यूरिया घोटाले को छोड़कर) | ये सब हुवा इन कानूनों की आड़ में|

(E) क्या आपको पता है कि हमारे यहाँ एक कानून है जानवरों के बूचडखाने (कत्लखाने) खोलने का| इसके लिए सरकार ऋण उपलब्ध करवाती है| यानी कत्लखाना खोलना चाहे तो सरकार उसे सब्सिडी यानी छूट देती है लेकिन अगर आप गौशाला खोलना चाहते है तो लोन तो दूर की बात है आपको कानूनी पेचीदगियों से गुजरना पड़ेगा|

06 भारत में राजनीति का आधार लोकतंत्र है| लोकतंत्र की बुनियाद मतदान है| मगर दुर्भाग्य से भारत में ओसतन 50 प्रतिशत से भी कम मतदान होता है| आधे से ज्यादा तो वोट ही नहीं डालते| भारत में मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत राजनेतिक दलों की संख्या 48 से अधिक है| अतः भारत में बहुत कम वोट के अंतर पर ही लोकतंत्र एवं विधानसभा के सदस्य चुन लिए जाते है| हमारे लोकतंत्र में अब तो स्पस्ट रूप से धन एवं गुंडा शक्ति का बोलबाला है| चरित्रहीन, भ्रस्टाचारी एवं गुंडे किस्म के लोग ही चुनकर लोकसभा, विधानसभा एवं स्थानीय निकायों में पहुच रहे है|

हम आज़ाद कहाँ हुवे है? हम तो आज भी गुलाम है|

07 भारत की पूरी प्रशाशनिक (कार्यपालिका एवं न्यायपालिका) कार्यप्रणाली अंग्रेजी कानूनों और पद्धति पर ही संचालित है| अंग्रेजों ने प्रशासनिक व्यवस्था भारत के लोगों पर गुलामी और अत्याचार करने के लिए बनाई थी | आज भी भारतवाशी इसी प्रशासन के बोझ तले दबे हुवे है| कहने का मतलब है कि हम यूँ भी कह सकते है भारत की प्रत्येक सरकार ने पिछले 64 सालों में एक नियोजित ढंग से षड़यंत्र करके भारत में खेती को समाप्त किया है और आज भी वही किया जा रहा है|

अब समय आ गया है इन अंग्रेजी प्रशासन और कानूनों को ख़त्म करके भारतीय समाज व परिस्थितियों के अनुसार नए कानूनों का निर्माण करके उन्हें संविधान में लागू करने का और उन्हें पूरी ईमानदारी व निष्ठा से पूरे भारत में समान रूप से लागू करने का |

by Desi Mitti

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