मंगलवार, नवंबर 22, 2011

2G महाघोटाला : चिदंबरम को बचाने में लगी CBI

2G महाघोटाला : चिदंबरम को बचाने में लगी CBI

जैसे-जैसे इस महाघोटाले मे चिदंबरम के चारो ओर फंदा कसता जा रहा है सीबीआई अपने आका को बचाने की पूरी कोशिश मे जुट गयी है | कितनी अजीब बात है कि जो व्यक्ति किसी घोटाले मे शामिल हों और कोई जाँच एजेन्सी जो खुद उसी के अंडर आती हों ,,उसका मुखिया अपनी जाँच की प्रगति उसी को रिपोर्ट करे तो क्या हम निष्पक्ष जाँच की उम्मीद रख सकते है ??

सीबीआई मे डीएसपी से उपर रैंक के सभी अधिकारी आईपीएस होते है और किसी भी आईपीएस का सीआर और प्रोमोशन आदि गृहमंत्रालय के अधीन होता है .. तो हम कैसे आस लगाये कि सीबीआई चिदंबरम की भूमिका की एक निष्पक्ष जाँच करेगी ?

अब तक इस महाघोटाले मे चिदंबरम की भूमिका के पांच बड़े सुबूत सामने आ चुके है ..

१- ए राजा ने कोर्ट मे एफिडेविट देकर कहा कि मैंने तो सिर्फ स्पेक्ट्रम बटवारे का एक प्रोपोजल वित्त मंत्रालय को भेजा था ..अगर ये गलत था तो फिर वित्त मंत्रालय ने इसे स्वीकार क्यों किया ? स्पेक्ट्रम बटवारे का अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री के हाथ मे था तो फिर मै अकेला ही जेल मे क्यों ? गौरतलब है कि उस समय वित्त मंत्री चिदंबरम थे .

२- आर टी आई से अब तक तीन ऐसे पत्र सामने आ चुके है जिसमे चिदंबरम ने राजा और प्रधानमंत्री को लिखा है जो इस घोटाले मे उनकी सीधी भूमिका बताता है ..

३- वर्तमान वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री को दो बार लिखा है कि यदि चितंबरम चाहते तो ये महाघोटाला नहीं हों पाता ..

४- दुबई की कम्पनी एतिसलात के लिए सिफारिशी पत्र पहले राबर्ट वढेरा ने चितंबरम को लिखा फिर चितंबरम ने ए राजा को लिखा ..आखिर क्यों ?

५- स्पेट्रम नीलामी मे चार बड़ी शर्ते थी ..पहला -कम्पनी को टेलीकम्युनिकेशन मे कम से कम आठ सालो से होना चाहिए ..दूसरा ….कम्पनी अपने लाइसेंस दूसरे को नहीं बेच सकती .तीसरा …यदि कम्पनी ही बिकती है तो फिर उसे अपना लाइसेंस सरकार को वापस करना होगा ..चौथा .लाइसेंस मिलने के एक साल के अंदर सेवा शुरू करनी होगी ..

फिर चिदंबरम ने प्रधानमंत्री को दो बार ये पत्र लिखा कि स्वान और एतिसलात को इस नियमों मे छुट दी जाये ..आखिर चितंबरम का इन दो ब्लैक लिस्टेड कम्पनियो से क्या रिश्ता था ?

६- स्पेक्ट्रम हासिल करने के सिर्फ एक हप्ते के भीतर ही तीन कम्पनियो को दो हज़ार गुना ज्यदा ऊँचे कीमत पर अपने स्पेट्रम बेचने के लिए अपनी एन ओ सी वित्त मंत्रालय ने क्यों दी ?

७- क्या डीएलएफ ग्रुप को बेहद सस्ते मे स्पेक्ट्रम सिर्फ इसीलिए दिए गए क्योकि राबर्ट वढेरा उसके २३% के मलिक है ?

८- जब स्वान और एतिसलात को अपने लाइसेंस बेचने मे अडचन थी तब उन्होंने एक बड़ा नायब प्लान बनाया ..उन्होंने अपनी पूरी कंपनी के शेयर ही दूसरे को बेच दिए .कम्पनी बिकने के साथ ही लाइसेंस स्वत: ही नए मलिक का हों गया ..उस वक्त कम्पनी मामलो के सचिव ने वित्त मंत्रालय को इस बाबत लिखा था ..लेकिन चिताम्बरम ने शेयर बिकने को हरी झंडी क्यों दी ?

मित्रों इन सब बड़े मुद्दों से जाँच को भटकाने के लिए सोनिया गाँधी के ईशारे पर सीबीआई प्रमोद महाजन का नाम घसीट रही है ..

अगर प्रमोद महाजन के कार्यकाल मे भ्रष्टाचार हुआ था तो फिर उस वक्त कांग्रेस ने आवाज क्यों नहीं उठाया ? क्या कांग्रेस जब सत्ता मे होती है तो भ्रस्टाचार करती ही है लेकिन क्या जब कांग्रेस विपछ मे होती है तब भी भ्रष्ट होती है ? आखिर तब कांग्रेस को गडबडी की भनक क्यों नहीं लगी ? क्या कांग्रेस का मुंह प्रमोद महाजन ने नोटों की गड्डियों से बंद कर दिया था ?

दस साल तक प्रमोद महाजन के कार्यकाल मे गडबडी का मुद्दा कांग्रेस ने कभी संसद मे क्यों नहीं उठाया ? सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि महाजन ने कोई गडबडी की थी तब मनमोहन सरकार ने अपने पहले कार्यकाल [यूपीए १] मे उसकी जाँच क्यों नहीं की ? क्या अब जानबूझकर एक ऐसे इंसान को इस महाघोटाले मे “फिट ” किया जा रहा है जो अब इस दुनिया मे ही नहीं है .. जो अपनी सफाई भी नहीं दे सकता ..मतलब साफ है कि कांग्रेस महाजन के उपर अब कोई भी आरोप लगाकर उसे साबित भी कर सकती है क्योकि अब महाजन तो इस दुनिया मे नहीं है और अपनी सफाई नहीं दे सकते ..

कितनी अजीब बात है कि बोफ़ोर्स घोटाले मे चार्जशीट मे से एक अभियुक्त के तौर पर राजीव गाँधी का नाम हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट मे अभिषेक मनु सिघवी ने दलील दी थी कि किसी ऐसे आदमी का नाम चार्जशीट मे कैसे हों सकता है जो अपनी सफाई देने के लिए हाजिर ही नहीं हों सकता ? और उन्होंने इसे “नेचुरल जस्टिस ” के खिलाफ बताया था .

फिर प्रमोद महाजन के लिए “नेचुरल जस्टिस ” क्यों नहीं ? आखिर कांग्रेस हर समय अपने आप को दोगली क्यों साबित करती रहती है ?

दरअसल कांग्रेस को एक ड्रेकुला की तरह हम इंसानों का खून चूसने की आदत है ..ये जब सत्ता मे होती है तब तो खून चुसती ही है लेकिन जब ये विपक्ष मे होती है तब भी खून चुसती है ..अगर कांग्रेस एक इमानदार और स्वथ विपक्ष की भूमिका मे होती तो आज १० साल मे बाद प्रमोद महाजन का मुद्दा नहीं उठती बल्कि उसी समय उठाकर वाजपाई सरकार को घेर लेती .. — Jitendra Pratap Singh http://janokti.com/government-failure-अंधेर-नगरी/2g-महाघोटाला-चिदंबरम-को-बचा/

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