आजकल हमारे कुछ माननीय धर्माचार्य...... एवं, अत्यधिक पढ़े लिखे ... सेकुलर
प्रवृति के लोग.... सर्वधर्म समभाव की बात करते हैं... और, बताते हैं कि
.....सभी धर्मों का उद्देश्य मनुष्यों को सत्य के रास्ते पर लाना ही है...!
उनका कहना है कि.....उनके मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं..... लेकिन उनका लक्ष्य एक ही है..... क्योंकि, दुनिया के सारे धर्म एक ही सत्य को बताते हैं.... और , सभी धर्म मनुष्य को एक ही लक्ष्य कि ओर ले जाते है.
साथ ही उनका ये भी कहना है कि.....सभी धर्म सिखाते हैं कि .......सभी मनुष्य आपस में प्रेम करें और किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहें.....!
लेकिन क्या वास्तव में सत्य यही है ....?????
जी नहीं........ हकीकतन..... सच्चाई इसके बिल्कुल ही विपरीत है...!
हम हिन्दू तो हमेशा से ही..... सर्व धर्म समभाव और वसुधैव कुटुम्बकम ... जैसे आदर्शों को मानते आये हैं .... और, हमारे धर्म ग्रन्थ किसी भी जीव हत्या को स्पष्ट मना करते हैं.....
यहाँ तक कि... हमारे वेद में इसके बारे में स्पष्ट आदेश है कि....
--इममूर्णायुं वरुणस्य नाभिं त्वचं पशूनां द्विपदां चतुष्पदाम्।
त्वष्टुं प्रजानां प्रथम जनित्रमग्ने मा हिंसीः परमे व्योमन् ॥
(यजुर्वेद अ० 12, मन्त्र 40)
अर्थात..... इन ऊन रूपी बालों वाले भेड़, बकरी, ऊंट आदि चौपाये, पक्षी समेत किसी भी दो पग वालों को मत मार ।
परन्तु..... इसके ठीक विपरीत ....
मुसलमानों के धर्म इस्लाम के अनुसार इस्लाम ही सच्चा दीन (धर्म) है........ जिसमे ईमान (विश्वास) लाने वाले ही मुसलमान ही जन्नत (स्वर्ग) में प्रवेश पायेंगे.... और, देवी-देवता आदि की पूजा करने वाले काफ़िर अपने देवी-देवताओं सहित नरक में झोंक दिये जायेंगे.
इस्लाम में कुरान सिखाता है कि......
"यदि वह इस्लाम स्वीकार नहीं करें तो उन से इतना लड़ो कि सिर्फ पूरे का पूरा अल्लाह का धर्म इस्लाम ही बाकी रह जाये ".......सूरा -अल अनफाल 8:39
उसी प्रकार.... ईसाई धर्म का कहना है कि केवल ईसाई धर्म ही सच्चा धर्म है........ और, केवल ईसा मसीह को मानने वाले ही स्वर्ग में जायेंगे....... देवी-देवता रुपी शैतानों को पूजने वाले नही.....!
इस्लाम का तो साफ़ मानना है कि..... काफ़िर लोग फ़साद (झगड़े) की जड़ हैं...... क्योकि, इस्लाम स्वीकार करने से इंकार करने वाले इन इंकारियों को सजा देने के लिये ....मुसलमानों को उनसे युद्ध करना पड़ता है.
इस्लाम में मुसलमानों के साथ शान्ति और काफ़िरों के साथ युद्ध करने का अल्लाह का स्पष्ट आदेश है ......और, इन्हीं अल्लाह के आदेशों को मानते हुए ... आज पूरी दुनिया में मुस्लिम आतंकवाद फैलाए हुए हैं....
और, हमारे हिंदुस्तान की पावन धरती पर भी........ लगभग हर रोज ही..... दंगा करते करते हैं..... तथा , यहाँ -वहां आतंक फैलाते रहते हैं....!
क्या इतने स्पष्ट प्रमाणों के बाद भी .... किसी का यह बोलना है कि..... सभी धर्मों का उद्देश्य एक है.......?????
जब.... काफ़िरों का सफ़ाया करना ही इस्लाम का मुख्य उद्देश्य हो...........तो मुस्लिम .... हम हिन्दुओं के प्रति कैसे नरम रह सकता है.........और वो.... कैसे उनके प्रति अहिंसक हो सकता है.....?????
इसका सबूत अभी हम सब ... मुजफ्फरनगर में देख ही रहे हैं...!
कोई बुद्धिमान या सेकुलर किस्म का प्राणी .... मुझे समझाएगा कि...... जब एक धर्म दूसरे धर्म के ईश्वर को शैतान की संज्ञा देता है ........तो , कैसे मान लिया जाए कि ....सभी धर्मों का उद्देश्य एक ही है...........?????
इसीलिए.... हम हिन्दुओं को शांति और सहिष्णुता का उपदेश देने वाले मनहूस सेकुलरो.... जाकर अपनी ये सेकुलरता की पीपड़ी .......उन मुल्लों और जेहादियों के सामने बजाओ..... जो आये दिन देश में बम ब्लास्ट और दंगा कर .... हमारे हिंदुस्तान में अपनी इस्लामी गन्दगी फैला रहे हैं....!
जय महाकाल...!!!
उनका कहना है कि.....उनके मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं..... लेकिन उनका लक्ष्य एक ही है..... क्योंकि, दुनिया के सारे धर्म एक ही सत्य को बताते हैं.... और , सभी धर्म मनुष्य को एक ही लक्ष्य कि ओर ले जाते है.
साथ ही उनका ये भी कहना है कि.....सभी धर्म सिखाते हैं कि .......सभी मनुष्य आपस में प्रेम करें और किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहें.....!
लेकिन क्या वास्तव में सत्य यही है ....?????
जी नहीं........ हकीकतन..... सच्चाई इसके बिल्कुल ही विपरीत है...!
हम हिन्दू तो हमेशा से ही..... सर्व धर्म समभाव और वसुधैव कुटुम्बकम ... जैसे आदर्शों को मानते आये हैं .... और, हमारे धर्म ग्रन्थ किसी भी जीव हत्या को स्पष्ट मना करते हैं.....
यहाँ तक कि... हमारे वेद में इसके बारे में स्पष्ट आदेश है कि....
--इममूर्णायुं वरुणस्य नाभिं त्वचं पशूनां द्विपदां चतुष्पदाम्।
त्वष्टुं प्रजानां प्रथम जनित्रमग्ने मा हिंसीः परमे व्योमन् ॥
(यजुर्वेद अ० 12, मन्त्र 40)
अर्थात..... इन ऊन रूपी बालों वाले भेड़, बकरी, ऊंट आदि चौपाये, पक्षी समेत किसी भी दो पग वालों को मत मार ।
परन्तु..... इसके ठीक विपरीत ....
मुसलमानों के धर्म इस्लाम के अनुसार इस्लाम ही सच्चा दीन (धर्म) है........ जिसमे ईमान (विश्वास) लाने वाले ही मुसलमान ही जन्नत (स्वर्ग) में प्रवेश पायेंगे.... और, देवी-देवता आदि की पूजा करने वाले काफ़िर अपने देवी-देवताओं सहित नरक में झोंक दिये जायेंगे.
इस्लाम में कुरान सिखाता है कि......
"यदि वह इस्लाम स्वीकार नहीं करें तो उन से इतना लड़ो कि सिर्फ पूरे का पूरा अल्लाह का धर्म इस्लाम ही बाकी रह जाये ".......सूरा -अल अनफाल 8:39
उसी प्रकार.... ईसाई धर्म का कहना है कि केवल ईसाई धर्म ही सच्चा धर्म है........ और, केवल ईसा मसीह को मानने वाले ही स्वर्ग में जायेंगे....... देवी-देवता रुपी शैतानों को पूजने वाले नही.....!
इस्लाम का तो साफ़ मानना है कि..... काफ़िर लोग फ़साद (झगड़े) की जड़ हैं...... क्योकि, इस्लाम स्वीकार करने से इंकार करने वाले इन इंकारियों को सजा देने के लिये ....मुसलमानों को उनसे युद्ध करना पड़ता है.
इस्लाम में मुसलमानों के साथ शान्ति और काफ़िरों के साथ युद्ध करने का अल्लाह का स्पष्ट आदेश है ......और, इन्हीं अल्लाह के आदेशों को मानते हुए ... आज पूरी दुनिया में मुस्लिम आतंकवाद फैलाए हुए हैं....
और, हमारे हिंदुस्तान की पावन धरती पर भी........ लगभग हर रोज ही..... दंगा करते करते हैं..... तथा , यहाँ -वहां आतंक फैलाते रहते हैं....!
क्या इतने स्पष्ट प्रमाणों के बाद भी .... किसी का यह बोलना है कि..... सभी धर्मों का उद्देश्य एक है.......?????
जब.... काफ़िरों का सफ़ाया करना ही इस्लाम का मुख्य उद्देश्य हो...........तो मुस्लिम .... हम हिन्दुओं के प्रति कैसे नरम रह सकता है.........और वो.... कैसे उनके प्रति अहिंसक हो सकता है.....?????
इसका सबूत अभी हम सब ... मुजफ्फरनगर में देख ही रहे हैं...!
कोई बुद्धिमान या सेकुलर किस्म का प्राणी .... मुझे समझाएगा कि...... जब एक धर्म दूसरे धर्म के ईश्वर को शैतान की संज्ञा देता है ........तो , कैसे मान लिया जाए कि ....सभी धर्मों का उद्देश्य एक ही है...........?????
इसीलिए.... हम हिन्दुओं को शांति और सहिष्णुता का उपदेश देने वाले मनहूस सेकुलरो.... जाकर अपनी ये सेकुलरता की पीपड़ी .......उन मुल्लों और जेहादियों के सामने बजाओ..... जो आये दिन देश में बम ब्लास्ट और दंगा कर .... हमारे हिंदुस्तान में अपनी इस्लामी गन्दगी फैला रहे हैं....!
जय महाकाल...!!!
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