मेरे
भारत को अशीलता की राह में ले जाने की साजिशे देखिये मेरे भाइयो नही तो
अपनी सनातन धर्म को खत्म करने पूर्ण तैयारी कब से चल रही आपका साथ चाहिए
नही तो अपना भाई और बहन की जिंदगी बिगड़ सकती है
आपसे निवेदन है की जो गलत है उसका विरोध होना चाहिए नही सत्य का अस्तित्व खत्म हो जायेगा अधर्म फ़ैल जायेगा समाज में...
जैसे जैसे अर्थव्यवस्था विकसती गई धन्नासेठ धनपति ( इल्ल्युमिनिटी ) मानजात को कंट्रोल करने लगे । उनका सपना पूरी दुनिया पर राज करने का था आज लगभग पूरा होने के करीब है । पूरा और ओफिसियल राज अपने हाथमें तभी ले सकते हैं जब पूरी दुनिया की जनता एक अबोध जानवर बन जाये और आबादी भी १०% ही रह जाये । आज के शैतान धनपति को हम किल्ल्युमिनिटीवाले यहुदी बता देते हैं । वो पूरा सच नही है । यहुदी तो है पर वो अल्खान्जी यहुदी है । उन को नास्तिक समजा जाता है लेकिन वो शैतान पूजक है । उन का मूल पूर्वि युरोप और पस्चिम रसिया है । वो मुर्ति पूजक पॅगन (सनातन हिन्दु धर्म का विकृत रूप ) थे । यहुदियों की “दुनिया का डोमिनेशन” वाली धर्मिक थियरी से प्रभावित हो कर और उन से कारोबारी रिश्ते बढाने के लिए यहुदी धर्म अपनाया था । इजराइल और दुनिया के धार्मिक यहुदी असली यहुदी है । इन असली यहुदियों ने नकली यहुदिओं से फायदा बहुत उठाया लेकिन जब ये शैतान सारे धर्मों के साथ साथ उन का भी धर्म और उन के भगवान को मिटाकर शैतानी धर्म को आगे ला रहे है तो अचानक उन की आंख खूली है । इजराईल की सरकार, अमरिकी और भारत साकार की तरह इल्लुमिनिटी की गुलाम ही है । वो अब सरकार के विरोध में खूल कर आ गये हैं । इस लिन्क पर आप देख सकते हो ।
http://www.nkusa.org/
सब से प्रथम तो इजराईल में स्कूल के बच्चों के पढाए जाने वाले सेक्स का विरोध किया है । देश द्रोही सेक्युलर जनता विरोध करनेवालों को ऑर्थोडोक्स या पूराने खयाल वाले कहते हैं ।
इजराईल की स्कूलें दो भाग में बंट गई है । सेक्युलर स्कूलें और प्राईवेट धार्मिक स्कूलें । मुस्लिम और धार्मिक जनता धार्मिक स्कूल में जाते हैं जहां सेक्स नही पढाया जाता है ।
इल्लुमिनिटी का “सेक्स एज्युकेशन” को पूरा समजना होगा क्यों की भारतमें भी आते आते रूक गया है और कभी भी आ सकता है ।
इल्ल्युमिनिटी का एक हथियार सेक्स एज्युकेशन ----------------
डो. हेनरी मेकोव लिखते हैं “इन्टरनेट पर पोर्न जीस तरह फ्री में मिलता है मानने में नही आता । शायद युएस की पोर्न इन्डस्ट्री सालाना १२ बिलियन डॉलर की है । मुझे शक है की ये इन्डस्ट्री इल्लुमिनिटी की तरफ से सबसिडी पाती है, वरना पोर्न फ्री नही हो सकता । ये सबसिडी मनिलोन्डरिन्ग से दी जाती है ।“
पोर्न इल्ल्युमिनिटी के लिए बहुत बडा रोल निभाता है, हम जान गये हैं की वो हमे गुलाम बनाना चाहते हैं, ऋण, माइन्ड कंट्रोल और फोल्ज फ्लॅग टेरीरिजम से । पर अभी तक सब लोग नही जानते की सेक्स और धर्म के मिश्रण से एक कार्यक्रम बनाया है जो आध्यात्मिक लेवल से हमें वश में कर ले ।
ये शैतानो का विज्ञान कहता है संभोग ब्रह्मांडीय सद्भाव पुनर्स्थापित करने का माहौल बनाता है । युवा सुन्दर स्त्रीयां हमारे सामुहिक मानसमें एक आह्वान है, सेक्स / रोमांटिक प्रेम की अति, हमारा विचलन, ये सब शैतानी कब्जे का सबूत है । पुरुषों, और महिला भी ऐसे सोच रहे हैं “होट ओर नोट”, “हिटिन्ग धीस अन्ड डुइन्ग धेट” चाहे कितना भी अनुचित हो । सेक्स धर्म से जुडा एक थकाऊ सांस्कृतिक जुनून है । समलैंगिकता को सामान्यीकृत कर दिया है और बढ़ावा दिया जा रहा है । अनजान पराई व्यक्ति से सेक्स एक पत्नीत्व और परिवार के विपरीत है । परायों से सेक्स अब आदर्श है, "आत्म अभिव्यक्ति" और स्वतंत्रता है ।
यौन आजादीः
"यौन मुक्ति" एक चाल थी शैतानों की । एक पत्नित्व, धर्म और परिवार का पौष्टिक और जीवन हैं । सेक्स शादी के साथ ही पवित्र है । इसका उद्देश्य पति और पत्नी के बंधन के लिए है और बच्चों के लिए एक पौष्टिक वातावरण प्रदान करने के लिए है ।"यौन मुक्ति" शैतानो का महत्वपूर्ण पहला कदम है, यह ऐसा विभाजक है जो सभी रिश्तों को कमजोर कर देता है ।
अश्लीलता से हमे सिखाया जाता है की आप सामने वालों को सेक्स अपील की टर्म से जज करो । इस से स्त्री पुरुष संबंधों के लिए बेहिसाब नुकसान हुआ है । कई पुरुष के लिए “टर्न ओन” नही पर “टर्न ओफ” है, कुछ भी नही, उन महिलाओं के लिए अवमानना ही है जो बेहूदगी से खुद को प्रदर्शित करती है, और यह अवमानना सभी महिलाओं की कहानी है ।
हजारों लंपट सुन्दर लडकियों को शादी और मातृत्व के लिए अयोग्य बना रहे हैं । प्रबुद्ध कम्युनिस्ट इल्ल्युमिनिटी का लक्ष्य है विवाह और परिवार को नष्ट करना और महिलाओं को एक सार्वजनिक यौन उपयोगिता, यानी शौकिया वेश्याएं बनाना ।
यह सारा अश्लील साहित्य गुप्त एजेंडा का हिस्सा है । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात समझने के लिए यह है: हम बहुत बड़े पैमाने पर मनोवैज्ञानिक हमले के शिकार है । सेक्स द्वारा हमे शैतान की तरफ ले जा रहे है । जीसे हम "आधुनिकता." समजते हैं, यौन संबंध के इस मोहित मोह वाली शैतानी खेल का एक बड़ा हिस्सा है । इस हमले को बेअसर करने के लिए, हमें हकिकत और कल्पना दोनों में से, अश्लील साहित्य और परायों से सेक्स त्याग करना पडेगा ।
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भारत में दो महान सेक्सगुरु हो गये जो इल्ल्युमिनिटी के प्यादे थे, जिन्हों ने सेक्स को बॅडरूम से सडक पर लाने की कोशीश की थी ।
https://www.facebook.com/ notes/siddharth-bharodiya/ शेइम-शेइम-कुछ-तो-शरम-करो-/ 225028667650002
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आज भारत में ही नही सारे विश्व में बच्चा तो क्या आदमी बुढे होने तक एक शैतान की गोदमें बैठ कर ही पढाई करता है । शैतान ही उसका गुरु है । इन गुरुओं में स्कुल-कोलेज, मिडिया, मनोरंजन, सहित्य और सोस्यल साईट्स भी शामिल है । ईन सबके द्वारा हजारों विषय पर पढाया जाता है, सिखाने के मकसद से नही, समाज जीवन के फायदे को देख कर नही बल्की एक सोस्यल एन्जिनियरिन्ग की तरह, जीस से समाज जीवन बदला जा सके । बदलने का मतलब समाज की उन्नत्ति नही पर अधोगति है ।
सेक्स के पाठ की जरूरत आदमी को क्यों पडी ? २०००० हजार साल की मानव सभ्यता में आज ही क्यों ? एक मुर्खामी भरा जवाब मिला “ एइड्ज इत्यादी यौन रोगों के प्रति बच्चों को जागरुक करना जरूरी है ” । ऐसी शिक्षा तो बच्चे के बाप को देनी चाहिए बच्चों को क्यों ? कीसी के पास जबाब नही ।
भारत में इस पढाई को लाने के पिछे भारत में बलात्कार को कारण बताया गया । क्या बुढे बलात्कार नही करते ? उसने पूरी जिन्दगी सिखा ही नही सेक्स क्या होता है ? बुढों को भी सिखाओगे नाईट स्कूलमें ?
ये शैतान जहां सफल हो गया ऐसे देश अमरिका के लोगों की कुछ बात रखता हुं ।
अमरिकामें सेक्स एज्युकेशन के बाद सामाजिक ढांचे में बडा अंतर आ गया है । बच्चे स्कूल की उमर में ही सेक्स में रत हो गये हैं, यहां तक की स्कूल बॅग मे निरोध के पेकेट रखने लगे हैं ।
शादी की उमर होते होते सेक्स को लेकर जो भी अनुभव हुए उस के कारण शादी का जो सबसे बडा आकर्षण सेक्स होता है वो खतम हो गया है । लोग शादी करना टालने लगे हैं । सामाजिक सुरक्षा के कारण शादी करते हैं लेकिन देरसे करते हैं । पति पत्नि के बीच की वफादारी पूरानी बात हो गई है । कुटुंब प्रथा तुट गई है । कब पत्नी छोड के भाग जाये या कब पति पत्नि को छोड दे कोइ गेरंटी नही । १९६० में अमरिकन एडल्ट ७२% शादीशुदा होते थे आज ५१% रह गये हैं । बाकी के ४९% बिना शादी के, तलाक शुदा और विधवा-विधुर । जन्म-दर का लेवल भी इतिहास में सब से नीचे । हरेक १००० के पिछे २३ का आंकडा था, आज १३.८ पर आ गया ।
अमेरिका में हर साल 15 से 19 साल की उम्र की सात लाख, 50 हजार लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं। सबसे ज्यादा हैरत की बात यह है कि 80 फीसदी लड़कियों का गर्भवती होने का कोई इरादा नहीं होता है।
15 से 25 साल की उम्र के एक करोड़, 90 लाख युवाओं को सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिसीज (एसटीडी) की शिकायत होती है।
हर घंटे 13 से 29 साल की उम्र के दो युवा एचआईवी पॉजिटिव होते हैं।
अमेरिका में ज्यादातर लोग शादी होने या सेक्स एजुकेशन कोर्स पूरा होने से पहले वर्जिनिटी न खोने देने की प्रतिज्ञा लेते हैं। बावजूद इसके आंकड़े बताते हैं कि प्रतिज्ञा लेने वाले अक्सर उसे तोड़ देते हैं। ऐसे लोग यौन संक्रमित रोग (एसटीडी) से ग्रस्त होते हैं और यौन संबंध बनाने के दौरान गर्भनिरोधक का सबसे कम इस्तेमाल करते हैं।
65 फीसदी मिडल और हाई स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं ने क्लास में लेक्चर के दौरान शारीरिक शोषण और अजीब तरीके से छूने की शिकायतें दर्ज कराई हैं।
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हमारे सह ब्लोगर bhagwanbabu के शब्द
अगर सरकार या सरकार का थिंक टैंक ये समझती है कि सेक्स एजुकेशन देकर यौन अपराधो पर लगाम लगा लेगी तो ये सिर्फ इस बात को प्रदर्शित करती है कि सरकार, जनता को सिर्फ बहकाने की कोशिश कर रही है। या फिर सरकार को ये समझ मे नही आ रहा है कि वो इस परिस्थिति से कैसे निबटे, तो ये नुस्खा आजमा कर देखना चाहती है। अगर जनता को कोई लाभ नही हुआ तो कम से कम नेता राजनीतिक लाभ तो उठा ही सकते है। और वैसे भी सरकार जनता की समस्याओं पर गम्भीर कब हुई है?
जस्टिस जे.एस. वर्मा की समिति स्कूली पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को शामिल करके बच्चों को सही-गलत जैसे व्यवहार और आपसी संबंधों के विषय में बताना चाहती है। केन्द्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री एम.एल. पल्लम राजू भी वर्मा समिति से सहमत होकर इसे लागू करने की सोच रही है….
मै इन समिति और मंत्रियों से ये पूछना चाहता हूँ कि क्या उन्हे बच्चो के मौजूदा पाठ्यक्रम के बारे मे अवगत नही है..? ये सही-गलत और आपसी सम्बन्ध के विषय मे पहले से ही “शारीरिक व नैतिक शिक्षा” के रूप मे शामिल है.. जिसे बच्चे रट-रट्कर परीक्षा पास कर लेते है। लेकिन क्या बच्चों द्वारा नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल शिक्षाओं का अनुसरण किया जाता है? फिर क्या जरूरी है कि सेक्स के बारे मे बताई गई सैद्धांतिक बातों से बच्चों मे इसकी व्यवहारिक बातो को जानने के उत्सुकता नही बढेगी?
जहाँ तक सवाल है यौन अपराधो का, तो सेक्स एजुकेशन का इससे कोई सम्बन्ध नही दिखता। और जिन अपराधो के लिए बच्चो को शिक्षाएँ दी जा रही है और यहाँ तक कि कठोर कानून भी है, क्या किसी को उन अपराधों में कमी दिखाई देती है ? दिन-ब-दिन अपराध और भ्रष्टाचार की घटनाएँ बढ़्ती ही जा रही है..। एक-दो घटना (जैसे दिल्ली गैंगरेप मामला) जो मीडिया की नजर मे आ जाती है उसे सारी दुनिया देखती है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ अब आम होने लगी है. जरा आप अपने आस-पास झाँक कर देखे तो पता चलेगा …. ।
पता नहीं सरकार हर क्षेत्र मे महिलाओ को आरक्षण देकर आगे क्यों लाना चाहती है ? और एक महिला, आई0 एस0, आई0 पी0 एस0 बनकर मंत्रियो के साथ रंगरलियाँ मनाना चाहती है(ऐसा भी खबर आया है) ? नेताएँ अपने घर की छोटी-बड़ी पार्टी मे भी अर्धनग्न व कम उम्र की लड़्कियों को नचाकर आनन्द लेते है क्या इससे यौन अपराध को हवा न मिलेगी? एक महिला,… पुलिस बनकर क्या दिखाना चाहती है? क्या पुलिस बनने के लिए पुरूष कम पड गये है… । एक बड़ी कम्पनियाँ अपना प्रोडक्ट बेचने के लिये अपने प्रोडक्ट के साथ अर्धनग्न स्त्रियों को खड़ा कर देती है… और ताज्जुब की बात ये है कि ये लड़्कियाँ और स्त्रियाँ नये जेनरेशन का हवाला देकर हंसते हुए अपने कपड़े उतार देती है। आज टेलीविजन पर दिखने वाले शत-प्रतिशत विज्ञापन महिलाओ द्वारा आकर्षक और कम कपड़े पहना कर कराये जाते है। विज्ञापन में प्रोडक्ट पर कम लड़्कियों के शरीर पर टेलीविजन के कैमरा का फोकस ज्यादा रहता है। कंपनियाँ अपने रिसेप्शन पर एक आकर्षक, मनलुभावन और कम उम्र की लड़्कियो को बिठाती है क्योंकि इससे उसकी कम्पनी मे ज्यादा से ज्यादा लोग आये और आते भी है, कम से कम उस लड़्की को देखने और उससे बैठकर बकवास करने का उचित तरीका तो लोगों को मिलता ही है और इसमे कम उम्र के लड़्के ही नहीं अधेड़ और बूढ़े लोग भी शामिल होते है । अगर किसी टेलीकॉम कम्पनी के कस्टमर केयर पे कोई लड़्की मिल जाये फिर देखिये क्या-क्या बातें और कितनी देर तक होती है। इन सब का परिणाम अब ये भी देखा गया है कि एक मध्यम वर्गीय आदमी अगर एक दुकान भी खोलता है तो दुकान अच्छा चले इसके लिये एक सुन्दर लड़्की को काउंटर पर बिठाता है । एक शादी में जब मै गया तो देखा कि लड़्कियो ने ऐसे कपड़े पहन रखे थे जिससे उसका आधा शरीर तो साफ-साफ दिखाई पड़्ता था, जबकि मौसम सर्दियों का था हमलोगों ने जैकेट पहन रखा था। क्या इससे अपराध न बढ़ेगा ?
सेक्स एक नेचुरल क्रिया है जिसके साथ जितना भी आप छेड़्छाड़ करने की कोशिश करेंगे उतना ही ये घातक सिद्ध होगा। और इसके प्रति आप किसी की मानसिकता एजुकेशन से नही बदल सकते……… आपने चारो तरफ अर्धनग्न लड़्कियो का मेला लगा रखा है और उसमे भी आपके नेता और बड़े लोग गन्दी हरकत करने से बाज नही आते, ऐसे मे आप बच्चो को सेक्स ऐजुकेशन देकर उससे क्या अपेक्षा रखते है ?
अमरिका और युरोपमें जो पोर्न का बहुत बडा बाजार खूला है उस के पिछे सेक्स एज्युकेशन तो नही ? पोर्न के पिछे पिछे मानव भक्षण की भी फेशन चलाई है । स्कूल कोलेज की लडकियों और हजारों पोर्न स्टार के अनचाहे गर्भ को अबोर्ट कर के निकाल दिया जाता है और एक प्रोडक्ट समज कर बेचा जाता है, उस का बाजार खूल गया है । पेप्सी और कोकाकोला जैसी मल्टिनेशनल अपनी बोटल में पानी के साथ जो मसाला डालते हैं वो गुप्त है, उस का कारण है भुण से निकाले गये पदार्थ को वो उस में मिलाते हैं । उस में कोइ पोषण तो नही पर आदमी को आदी बनाने के काम करता है । हररोज पिनेवालों को आदत पड जाती है । इस तरह ही डीब्बापॅक खाना बेचनेवाली कंपनियां भी भुण का उपयोग करती है । अभी तक बात छूपी थी, अब जाहिर हो गया है । क्या फरक पडा ? क्या पाप लगा ? क्या आप का नूकसान गया ? इसे कहते हैं शैतानों की जीत ।
चीन में तो बच्चों का भ्रुण सीधा किराने की दुकान में मिलता है, होटलों की डिशमें मिलता है और शैतान आदमी बडे चाव से खाते हैं । बस सर पर सिंग नही है वरना राक्षस ही है ।
ऐसी फूड सिक्युरिटी को भारतमें भी लानी है, आबादी बहुत बडी है तो भुण का प्रोडशन भी बहुत बडे पैमाने पर होगा । देश को जल्दी सेक्समय करना है लेकिन जनता का धर्म बिचमे आ जाता है ।
दिल्ली का गेंन्ग रेप को मिडियामें बहुत उछाला गया था वो जानबूजकर उछाला गया था । जनता में गुस्सा फैलाना था, जीस से जनता ही नये कडे कानून की मांग कर दे । और मुर्ख जनता ने मांग भी कर दी । उस के पिछे सरकार की मुराद थी स्कूल में सेक्स एज्युकेशन को लाना और उस के लिए सेक्स करने की कानूनी उमर को घटाकर १४ साल करनी थी । वो इस लिये यदी सेक्स सिखाते सिखाते मास्टर और दुसरे विद्यार्थी १४ साल की लडकियों से सेक्स करने लगे तो किसी को जेलमें जाना ना पडे । बिकाउ नायमुर्ति ने बताया बचपन से ही आदमी को सेक्स की शिक्षा देनी चाहिए जीस से बलात्कार की घटना ना हो । उस आधार पर, डायरेक्ट सेक्स एज्युकेशन की बात करने की हिम्मत नही हुई पर जनता को बुध्धिहीन समजते हुए, सरकारने लडकी की सेक्स करने की उमर घटानी चाही जब की शादी करने की उमर घटाने के लिए तैयार नही थी । याने कम उमरमें सेक्स तो किया जा सकता है पर शादी नही । दूसरे शब्दों में १८ साल के अंदर ओफिसियल सेक्स नही अनओफिसियल करो । कम से कम भ्रुण मिलने तो शुरु हो जाते, भारत में तो कोइ खायेगा नही एक्पोर्ट से डोलर तो मिल सकते थे । लेकिन बीचमे विरोधी और धर्म आ गये । कोई बात नही, इसलिए पहले विरोधियों को पछाडने की ट्रीक बना ली । बलात्कार के कानून पोस्को में एक कलम (section 9 of POCSO Act) डाल दी । १८ से निचे की कोइ लडकी अगर कह दे की इस आदमी ने मेरा रेप या अन्य शारिरिक शोषण किया है तो कानून की अंधी देविको मानना ही पडेगा की लडकी सच बोलती है । भले वो जुठी हो या बालवेश्या भी क्यों ना हो, आदमी बच नही सकता । आज एक विरोधी और धर्म के प्रचारक आशाराम को टार्गेट बनाया है । मिडिया सहीत इल्लुमिनिटी के सारे साधनों को काम पर लगाए गये हैं उसे खतम करने के लिए ।
आपसे निवेदन है की जो गलत है उसका विरोध होना चाहिए नही सत्य का अस्तित्व खत्म हो जायेगा अधर्म फ़ैल जायेगा समाज में...
जैसे जैसे अर्थव्यवस्था विकसती गई धन्नासेठ धनपति ( इल्ल्युमिनिटी ) मानजात को कंट्रोल करने लगे । उनका सपना पूरी दुनिया पर राज करने का था आज लगभग पूरा होने के करीब है । पूरा और ओफिसियल राज अपने हाथमें तभी ले सकते हैं जब पूरी दुनिया की जनता एक अबोध जानवर बन जाये और आबादी भी १०% ही रह जाये । आज के शैतान धनपति को हम किल्ल्युमिनिटीवाले यहुदी बता देते हैं । वो पूरा सच नही है । यहुदी तो है पर वो अल्खान्जी यहुदी है । उन को नास्तिक समजा जाता है लेकिन वो शैतान पूजक है । उन का मूल पूर्वि युरोप और पस्चिम रसिया है । वो मुर्ति पूजक पॅगन (सनातन हिन्दु धर्म का विकृत रूप ) थे । यहुदियों की “दुनिया का डोमिनेशन” वाली धर्मिक थियरी से प्रभावित हो कर और उन से कारोबारी रिश्ते बढाने के लिए यहुदी धर्म अपनाया था । इजराइल और दुनिया के धार्मिक यहुदी असली यहुदी है । इन असली यहुदियों ने नकली यहुदिओं से फायदा बहुत उठाया लेकिन जब ये शैतान सारे धर्मों के साथ साथ उन का भी धर्म और उन के भगवान को मिटाकर शैतानी धर्म को आगे ला रहे है तो अचानक उन की आंख खूली है । इजराईल की सरकार, अमरिकी और भारत साकार की तरह इल्लुमिनिटी की गुलाम ही है । वो अब सरकार के विरोध में खूल कर आ गये हैं । इस लिन्क पर आप देख सकते हो ।
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सब से प्रथम तो इजराईल में स्कूल के बच्चों के पढाए जाने वाले सेक्स का विरोध किया है । देश द्रोही सेक्युलर जनता विरोध करनेवालों को ऑर्थोडोक्स या पूराने खयाल वाले कहते हैं ।
इजराईल की स्कूलें दो भाग में बंट गई है । सेक्युलर स्कूलें और प्राईवेट धार्मिक स्कूलें । मुस्लिम और धार्मिक जनता धार्मिक स्कूल में जाते हैं जहां सेक्स नही पढाया जाता है ।
इल्लुमिनिटी का “सेक्स एज्युकेशन” को पूरा समजना होगा क्यों की भारतमें भी आते आते रूक गया है और कभी भी आ सकता है ।
इल्ल्युमिनिटी का एक हथियार सेक्स एज्युकेशन ----------------
डो. हेनरी मेकोव लिखते हैं “इन्टरनेट पर पोर्न जीस तरह फ्री में मिलता है मानने में नही आता । शायद युएस की पोर्न इन्डस्ट्री सालाना १२ बिलियन डॉलर की है । मुझे शक है की ये इन्डस्ट्री इल्लुमिनिटी की तरफ से सबसिडी पाती है, वरना पोर्न फ्री नही हो सकता । ये सबसिडी मनिलोन्डरिन्ग से दी जाती है ।“
पोर्न इल्ल्युमिनिटी के लिए बहुत बडा रोल निभाता है, हम जान गये हैं की वो हमे गुलाम बनाना चाहते हैं, ऋण, माइन्ड कंट्रोल और फोल्ज फ्लॅग टेरीरिजम से । पर अभी तक सब लोग नही जानते की सेक्स और धर्म के मिश्रण से एक कार्यक्रम बनाया है जो आध्यात्मिक लेवल से हमें वश में कर ले ।
ये शैतानो का विज्ञान कहता है संभोग ब्रह्मांडीय सद्भाव पुनर्स्थापित करने का माहौल बनाता है । युवा सुन्दर स्त्रीयां हमारे सामुहिक मानसमें एक आह्वान है, सेक्स / रोमांटिक प्रेम की अति, हमारा विचलन, ये सब शैतानी कब्जे का सबूत है । पुरुषों, और महिला भी ऐसे सोच रहे हैं “होट ओर नोट”, “हिटिन्ग धीस अन्ड डुइन्ग धेट” चाहे कितना भी अनुचित हो । सेक्स धर्म से जुडा एक थकाऊ सांस्कृतिक जुनून है । समलैंगिकता को सामान्यीकृत कर दिया है और बढ़ावा दिया जा रहा है । अनजान पराई व्यक्ति से सेक्स एक पत्नीत्व और परिवार के विपरीत है । परायों से सेक्स अब आदर्श है, "आत्म अभिव्यक्ति" और स्वतंत्रता है ।
यौन आजादीः
"यौन मुक्ति" एक चाल थी शैतानों की । एक पत्नित्व, धर्म और परिवार का पौष्टिक और जीवन हैं । सेक्स शादी के साथ ही पवित्र है । इसका उद्देश्य पति और पत्नी के बंधन के लिए है और बच्चों के लिए एक पौष्टिक वातावरण प्रदान करने के लिए है ।"यौन मुक्ति" शैतानो का महत्वपूर्ण पहला कदम है, यह ऐसा विभाजक है जो सभी रिश्तों को कमजोर कर देता है ।
अश्लीलता से हमे सिखाया जाता है की आप सामने वालों को सेक्स अपील की टर्म से जज करो । इस से स्त्री पुरुष संबंधों के लिए बेहिसाब नुकसान हुआ है । कई पुरुष के लिए “टर्न ओन” नही पर “टर्न ओफ” है, कुछ भी नही, उन महिलाओं के लिए अवमानना ही है जो बेहूदगी से खुद को प्रदर्शित करती है, और यह अवमानना सभी महिलाओं की कहानी है ।
हजारों लंपट सुन्दर लडकियों को शादी और मातृत्व के लिए अयोग्य बना रहे हैं । प्रबुद्ध कम्युनिस्ट इल्ल्युमिनिटी का लक्ष्य है विवाह और परिवार को नष्ट करना और महिलाओं को एक सार्वजनिक यौन उपयोगिता, यानी शौकिया वेश्याएं बनाना ।
यह सारा अश्लील साहित्य गुप्त एजेंडा का हिस्सा है । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात समझने के लिए यह है: हम बहुत बड़े पैमाने पर मनोवैज्ञानिक हमले के शिकार है । सेक्स द्वारा हमे शैतान की तरफ ले जा रहे है । जीसे हम "आधुनिकता." समजते हैं, यौन संबंध के इस मोहित मोह वाली शैतानी खेल का एक बड़ा हिस्सा है । इस हमले को बेअसर करने के लिए, हमें हकिकत और कल्पना दोनों में से, अश्लील साहित्य और परायों से सेक्स त्याग करना पडेगा ।
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भारत में दो महान सेक्सगुरु हो गये जो इल्ल्युमिनिटी के प्यादे थे, जिन्हों ने सेक्स को बॅडरूम से सडक पर लाने की कोशीश की थी ।
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आज भारत में ही नही सारे विश्व में बच्चा तो क्या आदमी बुढे होने तक एक शैतान की गोदमें बैठ कर ही पढाई करता है । शैतान ही उसका गुरु है । इन गुरुओं में स्कुल-कोलेज, मिडिया, मनोरंजन, सहित्य और सोस्यल साईट्स भी शामिल है । ईन सबके द्वारा हजारों विषय पर पढाया जाता है, सिखाने के मकसद से नही, समाज जीवन के फायदे को देख कर नही बल्की एक सोस्यल एन्जिनियरिन्ग की तरह, जीस से समाज जीवन बदला जा सके । बदलने का मतलब समाज की उन्नत्ति नही पर अधोगति है ।
सेक्स के पाठ की जरूरत आदमी को क्यों पडी ? २०००० हजार साल की मानव सभ्यता में आज ही क्यों ? एक मुर्खामी भरा जवाब मिला “ एइड्ज इत्यादी यौन रोगों के प्रति बच्चों को जागरुक करना जरूरी है ” । ऐसी शिक्षा तो बच्चे के बाप को देनी चाहिए बच्चों को क्यों ? कीसी के पास जबाब नही ।
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शादी की उमर होते होते सेक्स को लेकर जो भी अनुभव हुए उस के कारण शादी का जो सबसे बडा आकर्षण सेक्स होता है वो खतम हो गया है । लोग शादी करना टालने लगे हैं । सामाजिक सुरक्षा के कारण शादी करते हैं लेकिन देरसे करते हैं । पति पत्नि के बीच की वफादारी पूरानी बात हो गई है । कुटुंब प्रथा तुट गई है । कब पत्नी छोड के भाग जाये या कब पति पत्नि को छोड दे कोइ गेरंटी नही । १९६० में अमरिकन एडल्ट ७२% शादीशुदा होते थे आज ५१% रह गये हैं । बाकी के ४९% बिना शादी के, तलाक शुदा और विधवा-विधुर । जन्म-दर का लेवल भी इतिहास में सब से नीचे । हरेक १००० के पिछे २३ का आंकडा था, आज १३.८ पर आ गया ।
अमेरिका में हर साल 15 से 19 साल की उम्र की सात लाख, 50 हजार लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं। सबसे ज्यादा हैरत की बात यह है कि 80 फीसदी लड़कियों का गर्भवती होने का कोई इरादा नहीं होता है।
15 से 25 साल की उम्र के एक करोड़, 90 लाख युवाओं को सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिसीज (एसटीडी) की शिकायत होती है।
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अमेरिका में ज्यादातर लोग शादी होने या सेक्स एजुकेशन कोर्स पूरा होने से पहले वर्जिनिटी न खोने देने की प्रतिज्ञा लेते हैं। बावजूद इसके आंकड़े बताते हैं कि प्रतिज्ञा लेने वाले अक्सर उसे तोड़ देते हैं। ऐसे लोग यौन संक्रमित रोग (एसटीडी) से ग्रस्त होते हैं और यौन संबंध बनाने के दौरान गर्भनिरोधक का सबसे कम इस्तेमाल करते हैं।
65 फीसदी मिडल और हाई स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं ने क्लास में लेक्चर के दौरान शारीरिक शोषण और अजीब तरीके से छूने की शिकायतें दर्ज कराई हैं।
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हमारे सह ब्लोगर bhagwanbabu के शब्द
अगर सरकार या सरकार का थिंक टैंक ये समझती है कि सेक्स एजुकेशन देकर यौन अपराधो पर लगाम लगा लेगी तो ये सिर्फ इस बात को प्रदर्शित करती है कि सरकार, जनता को सिर्फ बहकाने की कोशिश कर रही है। या फिर सरकार को ये समझ मे नही आ रहा है कि वो इस परिस्थिति से कैसे निबटे, तो ये नुस्खा आजमा कर देखना चाहती है। अगर जनता को कोई लाभ नही हुआ तो कम से कम नेता राजनीतिक लाभ तो उठा ही सकते है। और वैसे भी सरकार जनता की समस्याओं पर गम्भीर कब हुई है?
जस्टिस जे.एस. वर्मा की समिति स्कूली पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को शामिल करके बच्चों को सही-गलत जैसे व्यवहार और आपसी संबंधों के विषय में बताना चाहती है। केन्द्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री एम.एल. पल्लम राजू भी वर्मा समिति से सहमत होकर इसे लागू करने की सोच रही है….
मै इन समिति और मंत्रियों से ये पूछना चाहता हूँ कि क्या उन्हे बच्चो के मौजूदा पाठ्यक्रम के बारे मे अवगत नही है..? ये सही-गलत और आपसी सम्बन्ध के विषय मे पहले से ही “शारीरिक व नैतिक शिक्षा” के रूप मे शामिल है.. जिसे बच्चे रट-रट्कर परीक्षा पास कर लेते है। लेकिन क्या बच्चों द्वारा नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल शिक्षाओं का अनुसरण किया जाता है? फिर क्या जरूरी है कि सेक्स के बारे मे बताई गई सैद्धांतिक बातों से बच्चों मे इसकी व्यवहारिक बातो को जानने के उत्सुकता नही बढेगी?
जहाँ तक सवाल है यौन अपराधो का, तो सेक्स एजुकेशन का इससे कोई सम्बन्ध नही दिखता। और जिन अपराधो के लिए बच्चो को शिक्षाएँ दी जा रही है और यहाँ तक कि कठोर कानून भी है, क्या किसी को उन अपराधों में कमी दिखाई देती है ? दिन-ब-दिन अपराध और भ्रष्टाचार की घटनाएँ बढ़्ती ही जा रही है..। एक-दो घटना (जैसे दिल्ली गैंगरेप मामला) जो मीडिया की नजर मे आ जाती है उसे सारी दुनिया देखती है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ अब आम होने लगी है. जरा आप अपने आस-पास झाँक कर देखे तो पता चलेगा …. ।
पता नहीं सरकार हर क्षेत्र मे महिलाओ को आरक्षण देकर आगे क्यों लाना चाहती है ? और एक महिला, आई0 एस0, आई0 पी0 एस0 बनकर मंत्रियो के साथ रंगरलियाँ मनाना चाहती है(ऐसा भी खबर आया है) ? नेताएँ अपने घर की छोटी-बड़ी पार्टी मे भी अर्धनग्न व कम उम्र की लड़्कियों को नचाकर आनन्द लेते है क्या इससे यौन अपराध को हवा न मिलेगी? एक महिला,… पुलिस बनकर क्या दिखाना चाहती है? क्या पुलिस बनने के लिए पुरूष कम पड गये है… । एक बड़ी कम्पनियाँ अपना प्रोडक्ट बेचने के लिये अपने प्रोडक्ट के साथ अर्धनग्न स्त्रियों को खड़ा कर देती है… और ताज्जुब की बात ये है कि ये लड़्कियाँ और स्त्रियाँ नये जेनरेशन का हवाला देकर हंसते हुए अपने कपड़े उतार देती है। आज टेलीविजन पर दिखने वाले शत-प्रतिशत विज्ञापन महिलाओ द्वारा आकर्षक और कम कपड़े पहना कर कराये जाते है। विज्ञापन में प्रोडक्ट पर कम लड़्कियों के शरीर पर टेलीविजन के कैमरा का फोकस ज्यादा रहता है। कंपनियाँ अपने रिसेप्शन पर एक आकर्षक, मनलुभावन और कम उम्र की लड़्कियो को बिठाती है क्योंकि इससे उसकी कम्पनी मे ज्यादा से ज्यादा लोग आये और आते भी है, कम से कम उस लड़्की को देखने और उससे बैठकर बकवास करने का उचित तरीका तो लोगों को मिलता ही है और इसमे कम उम्र के लड़्के ही नहीं अधेड़ और बूढ़े लोग भी शामिल होते है । अगर किसी टेलीकॉम कम्पनी के कस्टमर केयर पे कोई लड़्की मिल जाये फिर देखिये क्या-क्या बातें और कितनी देर तक होती है। इन सब का परिणाम अब ये भी देखा गया है कि एक मध्यम वर्गीय आदमी अगर एक दुकान भी खोलता है तो दुकान अच्छा चले इसके लिये एक सुन्दर लड़्की को काउंटर पर बिठाता है । एक शादी में जब मै गया तो देखा कि लड़्कियो ने ऐसे कपड़े पहन रखे थे जिससे उसका आधा शरीर तो साफ-साफ दिखाई पड़्ता था, जबकि मौसम सर्दियों का था हमलोगों ने जैकेट पहन रखा था। क्या इससे अपराध न बढ़ेगा ?
सेक्स एक नेचुरल क्रिया है जिसके साथ जितना भी आप छेड़्छाड़ करने की कोशिश करेंगे उतना ही ये घातक सिद्ध होगा। और इसके प्रति आप किसी की मानसिकता एजुकेशन से नही बदल सकते……… आपने चारो तरफ अर्धनग्न लड़्कियो का मेला लगा रखा है और उसमे भी आपके नेता और बड़े लोग गन्दी हरकत करने से बाज नही आते, ऐसे मे आप बच्चो को सेक्स ऐजुकेशन देकर उससे क्या अपेक्षा रखते है ?
अमरिका और युरोपमें जो पोर्न का बहुत बडा बाजार खूला है उस के पिछे सेक्स एज्युकेशन तो नही ? पोर्न के पिछे पिछे मानव भक्षण की भी फेशन चलाई है । स्कूल कोलेज की लडकियों और हजारों पोर्न स्टार के अनचाहे गर्भ को अबोर्ट कर के निकाल दिया जाता है और एक प्रोडक्ट समज कर बेचा जाता है, उस का बाजार खूल गया है । पेप्सी और कोकाकोला जैसी मल्टिनेशनल अपनी बोटल में पानी के साथ जो मसाला डालते हैं वो गुप्त है, उस का कारण है भुण से निकाले गये पदार्थ को वो उस में मिलाते हैं । उस में कोइ पोषण तो नही पर आदमी को आदी बनाने के काम करता है । हररोज पिनेवालों को आदत पड जाती है । इस तरह ही डीब्बापॅक खाना बेचनेवाली कंपनियां भी भुण का उपयोग करती है । अभी तक बात छूपी थी, अब जाहिर हो गया है । क्या फरक पडा ? क्या पाप लगा ? क्या आप का नूकसान गया ? इसे कहते हैं शैतानों की जीत ।
चीन में तो बच्चों का भ्रुण सीधा किराने की दुकान में मिलता है, होटलों की डिशमें मिलता है और शैतान आदमी बडे चाव से खाते हैं । बस सर पर सिंग नही है वरना राक्षस ही है ।
ऐसी फूड सिक्युरिटी को भारतमें भी लानी है, आबादी बहुत बडी है तो भुण का प्रोडशन भी बहुत बडे पैमाने पर होगा । देश को जल्दी सेक्समय करना है लेकिन जनता का धर्म बिचमे आ जाता है ।
दिल्ली का गेंन्ग रेप को मिडियामें बहुत उछाला गया था वो जानबूजकर उछाला गया था । जनता में गुस्सा फैलाना था, जीस से जनता ही नये कडे कानून की मांग कर दे । और मुर्ख जनता ने मांग भी कर दी । उस के पिछे सरकार की मुराद थी स्कूल में सेक्स एज्युकेशन को लाना और उस के लिए सेक्स करने की कानूनी उमर को घटाकर १४ साल करनी थी । वो इस लिये यदी सेक्स सिखाते सिखाते मास्टर और दुसरे विद्यार्थी १४ साल की लडकियों से सेक्स करने लगे तो किसी को जेलमें जाना ना पडे । बिकाउ नायमुर्ति ने बताया बचपन से ही आदमी को सेक्स की शिक्षा देनी चाहिए जीस से बलात्कार की घटना ना हो । उस आधार पर, डायरेक्ट सेक्स एज्युकेशन की बात करने की हिम्मत नही हुई पर जनता को बुध्धिहीन समजते हुए, सरकारने लडकी की सेक्स करने की उमर घटानी चाही जब की शादी करने की उमर घटाने के लिए तैयार नही थी । याने कम उमरमें सेक्स तो किया जा सकता है पर शादी नही । दूसरे शब्दों में १८ साल के अंदर ओफिसियल सेक्स नही अनओफिसियल करो । कम से कम भ्रुण मिलने तो शुरु हो जाते, भारत में तो कोइ खायेगा नही एक्पोर्ट से डोलर तो मिल सकते थे । लेकिन बीचमे विरोधी और धर्म आ गये । कोई बात नही, इसलिए पहले विरोधियों को पछाडने की ट्रीक बना ली । बलात्कार के कानून पोस्को में एक कलम (section 9 of POCSO Act) डाल दी । १८ से निचे की कोइ लडकी अगर कह दे की इस आदमी ने मेरा रेप या अन्य शारिरिक शोषण किया है तो कानून की अंधी देविको मानना ही पडेगा की लडकी सच बोलती है । भले वो जुठी हो या बालवेश्या भी क्यों ना हो, आदमी बच नही सकता । आज एक विरोधी और धर्म के प्रचारक आशाराम को टार्गेट बनाया है । मिडिया सहीत इल्लुमिनिटी के सारे साधनों को काम पर लगाए गये हैं उसे खतम करने के लिए ।
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