गुरुवार, सितंबर 12, 2013

मोबाईल टावर:- सुविधा या जीवन के लिए एक बड़ा खतरा ?


मोबाईल टावर:- सुविधा या जीवन के लिए एक बड़ा खतरा ?
मोबाईल टावरों के विकिरण से गौरैया चिड़ियाओं की प्रजाति समाप्ति की और है, अब घर की छत पर भी गौरैया दिखाई नहीं देतीं, इसके विकिरण की वजह से गौरैया के अन्डे समय से पहले ही फूट जाते हैं, और उससे उनकी प्रजाति को गम्भीर संकट पैदा हो गया है, ....मानव जीवन पर भी इसके दुष्प्रभाव दिखाई देने लगे हैं, पूरी दुनिया में मोबाइल फोन के इस्तेमाल में बहुत भारी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में मानव स्वास्थ्य पर मोबाइल फोन विकिरण का प्रभाव चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। मोबाइल फोन सूक्ष्म तरंग परास में विद्युत चुम्बकीय विकिरण इस्तेमाल करते हैं। समय के दौरान, सेल फोन कॉल प्रतिदिन की संख्या, प्रत्येक कॉल की समयावधि और सेल फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। सेल फोन की तकनीक में भारी बदलाव आया है।सबसे पहले, रेडियो आवृत्ति, तरंगों में ऊर्जा की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है, खासतौर पर जब विकिरणों की उन किस्मों से तुलना की जाए जो कैंसर का खतरा बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं, जैसे कि गामा किरणें, एक्सरे और पराबैंगनी किरणों की रोशनी। सेल फोन टावरों से निकलने वाली तरंगों की ऊर्जा। अणुओं में रासायनिक बंधनों को खंडित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, जिस तरह विकिरण के इन अपेक्षाकृत शक्तिशाली रूपों की वजह से कैंसर हो सकता है।
दूसरा मसला तरंग का है, तरंगों का लंबा तरंग होता है जिसे केवल आकार में केवल एक इंच या दो इंच तक सांद्रित किया जा सकता है। इससे यह असंभाव्य हो जाता है कि UV तरंगों की ऊर्जा को शरीर में अलग-अलग कोशिकाओं को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त रूप से सांद्रित किया जा सकता है।
तीसरे, भले अगर UV तरंगे उच्चतर मात्राओं में शरीर में कोशिकाओं को किसी तरह से प्रभावित कर पाएं, जमीनी स्तर पर मौजूद UV तरंगों की मात्रा बहुत कम है। विलोम वर्ग नियम कहलाने वाले आधारभूत वैज्ञानिक सिद्धांत के कारण संस्तुत सीमाओं से बहुत कम। सेल फोन टावरों के पास UV तरंगों से ऊर्जा की मात्राएं शहरी क्षेत्रों में अन्य स्रोतों जैसे रेडियो एवं टेलीविजन प्रसारण स्टेशनों से UV विकिरण की पृष्ठभूमि मात्राओं से काफी अलग नहीं हैं।
इन्हीं कारणों की वजह से, अधिकांश वैज्ञानिक तर्क देते हैं कि सेल फोन एंटीनाओं या टावरों द्वारा कैंसर पैदा किया जाना असंभाव्य है। 3 विशेषज्ञ एजेंसियां जो आमतौर पर कैंसर पैदा करने वाली अरक्षितताओं (कैंसर जन्य कारक) का वर्गीकरण करती हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर नेशनल टोक्सोलॉजी प्रोग्राम और एन्वायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ने सेल फोन टावरों का उनके कैंसरजन्य संभाव्यता के संबंध में वर्गीकरण नहीं किया है। IARC मोनोग्राफ प्रोगामों के माध्यम से ऐसे पर्यावरणीय कारणों की पहचान करना चाहती है जो मानवों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
सरकार राजस्व वसूली के चक्कर में लोगों के जीवन से खेल रही है, अभी ना जागृत हुए तो समय हाथ से ना निकल जाए
नीरज कौशिक

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