सोमवार, सितंबर 16, 2013

आने वाली पीढ़ी को बांझ बनाने के लिए आयरन की नीली गोली दी जा रही हैं?



आजकल कई राज्यों में (विशेष रूप से कांग्रेस तथा सपा शासित) जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि मे आयरन की नीली गोली दी जा रही हैं। ये गोलिया बेहद खतरनाक है।शायद आने वाली पीढ़ी को बांझ बनाने के लिए OXYTOCIN जैसा कोई कैमिकल तो नहीं मिलाया है। क्या बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कोई प्रयोग तो नहीं ? पता नहीं मनमोहन सिंह ने क्या मिला रखा है ?

http://khabar.ndtv.com/news/show/879-chidren-fall-ill-after-consuming-iron-pills-37852
http://www.ehealthme.com/drug_side_effects/Stadol-1887961
http://treato.com/Iron+Supplement,Oxytocin/?a=s 
http://www.p7news.com/state/11623-delhi-200-children-feels-sick-by-eating-iron-tablet.html

छात्राओं के लिए मर्ज बन गई नीली गोली

सामान्य अस्पताल प्रशासन को नहीं छात्राओं के स्वास्थ्य की फिक्र

चिकित्सक की बजाए ट्रेनिंग नर्सों के हाथ में थी छात्राओं के उपचार की कमान

नरेंद्र कुंडू
जींद। छात्राओं में खून की कमी दूर करने के लिए दी जा रही नीली गोलियां अब छात्राओं के लिए मर्ज बन चुकी हैं। मारे दर्द के छात्राओं का दम निकला जा रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी छात्राओं के इस दर्द को नजरअंदाज कर रहे हैं। जींद के सामान्य अस्पताल में तो आलम यह है कि यहां मौजूद चिकित्सक आयरन

 की गोलियां लेने के बाद बीमार होकर आने वाली छात्राओं के उपचार की तरफ ध्यान देना भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहे हैं। http://nkundu.blogspot.in/2013/08/blog-post_9.html अस्पताल प्रशासन के अधिकारी भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही के कारण नीली गोलियों का खौफ छात्राओं के जहन में लगातार बढ़ता जा रहा है। सामान्य अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड में तैनात चिकित्सकों की लापरवाही वीरवार को उस समय फिर उजागर हुई, जब आयरन की गोलियां लेने के बाद तबीयत बिगडऩे पर गांव धनखड़ी के राजकीय उच्च विद्यालय की 11 छात्राओं को उपचार के लिए यहां लाया गया। एमरजैंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक द्वारा इन छात्राओं का ठीक से उपचार करना तो दूर, चिकित्सक ने एक बार भी इन छात्राओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने की जहमत तक नहीं उठाई। एमरजैंसी वार्ड में मौजूद ट्रेङ्क्षनग नर्सों द्वारा इन छात्राओं का उपचार किया गया।
धनखड़ी गांव के राजकीय उच्च विद्यालय में बुधवार को छात्राओं को आयरन की गोलियां बांटी गई थी। स्वास्थ्य विभाग की टीम की मौजूदगी में सभी छात्राओं को आयरन की गोलियां खिलाई गई। गोलियां लेने के बाद बुधवार को तो छात्राएं ठीक-ठाक घर चली गई लेकिन जैसे ही वीरवार सुबह स्कूल में पहुंची तो कई छात्राओं को पेट दर्द, सिर दर्द की शिकायत हुई। स्कूल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी छात्राओं को उपचार के लिए सी.एच.सी. कंडेला में पहुंचाया लेकिन यहां मौजूद स्टाफ ने छात्राओं का उपचार करने की बजाए छात्राओं को जींद के सामान्य अस्पताल में रैफर कर दिया। इसके बाद स्कूल स्टाफ के सदस्य सभी छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में ले आए लेकिन यहां स्थिति वहां से भी बुरी थी। यहां मौजूद स्टाफ ने छात्राओं के साथ आए अध्यापकों से छात्राओं की पर्ची के पैसे की मांग की। इसके बाद अध्यापकों ने अपनी जेब से पैसे खर्च कर छात्राओं की पर्ची बनवाकर छात्राओं का उपचार शुरू करवाया।

ट्रेनिंग नर्सों ने किया छात्राओं का उपचार

सामान्य अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड में मरीजों के उपचार के लिए चिकित्सक तो मौजूद था लेकिन ड्यूटी पर मौजूद इस चिकित्सक ने एक बार भी दर्द से करहा रही छात्राओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने की जहमत नहीं उठाई। वार्ड में मौजूद चिकित्सक द्वारा छात्राओं का उपचार शुरू नहीं करने पर वार्ड में मौजूद ट्रेनिंग नर्सों ने ही छात्राओं का उपचार किया।

जबरदस्ती खिलाई गोलियां

राजकीय उच्च विद्यालय धनखड़ी की 9वीं कक्षा की छात्रा अंजू, माफी, मन्नू, छात्र अंकित, 8वीं कक्षा की छात्रा नीतू, रेनू, रीतू, 7वीं कक्षा की छात्रा अंजू, अन्नू, ज्योति, तथा छठी कक्षा की छात्रा मोनिका ने कहा कि आयरन की गोलियां देने आए स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने ही उन्होंने गोलियां लेने से मना कर दिया था लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जबरदस्ती उन्हें गोलियां खिलाई।

पैसे लेकर बनाई पर्ची

धनखड़ी गांव के राजकीय उच्च विद्यालय के पी.टी.आई. अध्यापक सतबीर ने बताया कि जब वह स्कूल की 11 छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में लेकर पहुंचा तो यहां मौजूद चिकित्सक ने उसे छात्राओं की पर्ची बनवाने को कहा। जब वह पर्ची बनवाने के लिए खिड़की पर पहुंचा तो वहां मौजूद कर्मचारी ने उससे पर्ची के पैसे मांगे। अध्यापक सतबीर ने बताया कि उसने खिड़की पर मौजूद कर्मचारी को पूरे मामले से अवगत करवाया लेकिन वह फिर भी पैसे लेकर पर्ची बनाने की जिद पर अड़ा रहा। इसके बाद उसने अपनी जेब से पैसे देकर पर्ची बनवाई। सतबीर ने बताया कि जब उसने मीडिया के सामने यह मामला रखा तो इसके बाद उसे पैसे वापिस दिलवाए गए।
सामान्य अस्पताल में पिछले 17 दिनों से उपचाराधीन नगूरां की छात्राएं।

सी.एच.सी. कंडेल पर नहीं दिया गया छात्राओं को प्राथमिक उपचार

छात्राओं के साथ आए अध्यापकों ने बताया कि जब वह छात्राओं को उपचार के लिए सी.एच.सी. कंडेला पर लेकर गए तो वहां मौजूद स्टाफ ने छात्राओं का प्राथमिक उपचार करना भी वाजिब नहीं समझा। वहां मौजूद स्टाफ ने बिना प्राथमिक उपचार के ही सभी छात्राओं को जींद के सामान्य अस्पताल में रैफर कर दिया। जबकि वहां छात्राओं के उपचार के लिए वह सभी दवाइयां मौजूद थी जो जींद के सामान्य अस्पताल में छात्राओं को दी
गई।
मीडिया के सामने अपनी बेटी को सरकारी स्कूल नहीं भेजने की जानकारी देते नगूरां की महिला।

स्टाफ नर्स ने बीमार छात्राओं पर झाड़ा रौब

सामान्य अस्पताल में उपचार के लिए आई छात्राएं उस समय बहुत डर गई जब वहां मौजूद स्टाफ नर्स ने उन पर अपना रौब झाडऩा शुरू किया। वहां मौजूद स्टाफ नर्स ने छात्राओं को डांटते हुए कहा कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ है, तुम जानबुझ कर यह ड्रामा कर रही हो। स्टाफ नर्स ने छात्राओं पर बरसते हुए कहा कि अगर अब कि बार किसी भी छात्रा ने पेट दर्द की शिकायत की तो वह उनकी नाक में नलकी डाल देगी। स्टाफ नर्स की इस धमकी के बाद तो छात्राओं की हालत और पतली हो गई। अब वह न तो अपने दर्द को छूपा सकती थी और न ही बयां कर सकती थी।

एक बैड पर हुए 11 छात्राओं का उपचार

आयरन की गोलियां लेने से धनखड़ी गांव के स्कूल की 11 छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद इन छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में लाया गया। यहां पर इन छात्राओं को लेटने के लिए तो क्या ठीक से बैठने के लिए भी जगह नहीं मिली। 11 छात्राओं का उपचार एक बैड पर ही किया गया। एक बैड पर 11 छात्राएं होने के कारण वह इस पर लेट तो क्या ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी।

बाहर से लानी पड़ रही हैं दवाइयां

लगभग 17 दिन पहले आयरन की गोलियां लेने के बाद बीमार हुई नगूरां स्कूल की 2 छात्राओं की तबीयत में अब तक भी कोई सुधार नहीं है। नगूरां स्कूल की 9वीं कक्षा की छात्रा मनीषा के पिता कपूर ङ्क्षसह तथा ताऊ हरकेश ने बताया कि लगभग 17 दिनों से वह अपनी बच्ची का उपचार करवा रहे हैंं लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं है। मनीषा के परिजनों ने आरोप लगाया कि यहां मौजूद चिकित्सकों द्वारा उपचार के लिए उनसे बाहर से दवाइयां मंगवाई जा रही हैं। कपूर सिंह ने कहा कि वह मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। उसकी आॢथक स्थित काफी कमजोर है। इसलिए वह बाहर से दवाइयां लाने में सक्षम नहीं है। वहीं नगूरां गांव की 9वीं कक्षा की छात्रा मोना की मां सावित्री ने कहा कि लगभग 17 दिन पहले उसकी बेटी ने भी आयरन की गोली ली थी और उसी दिन से वह भी बीमार चल रही है। पिछले 17 दिनों से अस्पताल में ही दाखिल है लेकिन इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी उसकी बेटी की हालत में कोई सुधार नहीं है। सावित्री ने कहा कि अब वह कभी भी अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में नहीं भेजेगी।

मानसिक रुप से कमजोर हैं छात्राएं

छात्राओं को ज्यादा दिक्कत नहीं है। उन्होंने खुद एमरजैंसी में जाकर छात्राओं से बातचीत की है और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है। गोलियों के कारण थोड़ा बहुत साइडिफेक्ट हो जाता है। यह इतनी ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है लेकिन कुछ छात्राएं मानसिक रुप से कमजोर होने के कारण ज्यादा डर जाती हैं। नगूरां की जो लड़की पिछले कई दिनों से अस्पताल में दाखिल है, वह भी मानसिक रुप से कमजोर है। इसलिए वह ज्यादा डरी हुई है। उसे उपचार से ज्यादा एकांत की जरुरत है। यहां वह लोगों की ज्यादा भीड़ को देखकर भी भयभीत हो जाती है। सी.एच.सी. कंडेला में तैनात स्टाफ ने इस मामले में लापरवाही की है। इसलिए उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
डा. दयानंद, सिविल सर्जन
सामान्य अस्पताल जींद
हरियाणा सरकार ने मंगलवार को स्वीकार किया कि एक राज्यस्तरीय अभियान के तहत आयरन की गोलियां खाने के लिए दिए जाने के बाद 879 बच्चे बीमार पड़ गए। बच्चों में गोलियों के दुष्प्रभाव के रूप में पेट में दर्द और मिचली आने की शिकायतें पाई गईं। आयरन की गोलियां खाने से 50 बीमार, 8 गंभीर
रेवाड़ी :जिले के गांव मामडिय़ा अहीर के स्कूल में आज आयरन की गोलियां खाने से 50 बच्चे बीमार हो गए। जिसमें 8 बच्चों की गंभीर हालत को देखते हुए रेवाड़ी के ट्रोमा सेन्टर में भर्ती कराया गया। बाकी बच्चों को ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया है। स्कूल के कार्यकारी मुख्याध्यापक सुनील कुमार ने बताया कि आज प्रात: सरकार के आदेश पर बच्चों को आयरन की गोलियां खिलाई गईं। गोलियां खाने के थोड़ी देर बाद ही बच्चों में उल्टी-दस्त व पेट दर्द की शिकायत शुरू हो गई। 8 बच्चों को ज्यादा तकलीफ हुई तो उनको रेवाड़ी के ट्रोमा सेन्टर में भर्ती कराया गया। बाकी बच्चों को खोल व सीहा के स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया।
गुस्साए अभिभावकों ने की स्कूल अध्यापक से हाथापाई
हांसी :राजकीय उच्च विद्यालय सुलतानपुर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई आयरन की गोलियोंं से बीमार पड़े छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने स्कूल में आकर हंगामा कर दिया।
अभिभावकों का कहना था कि स्कूल अध्यापक प्रशासन के रोकने के बावजूद बच्चों को आयरन की गोलियां दे रहा है। उधर स्कू ल के अध्यापक ने एक छात्र के पिता पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने स्कूल में आकर बेवजह अध्यापकों को धमकाना शुरू कर दिया और उनसे गाली गलौच शुरू कर दी। जब उसने उसे ऐसा करने से रोका तो उसने उससे हाथापाई करनी शुरू कर दी, दूसरे अध्यापकों ने बीच-बचाव कर उसे बचाया।
धांसू स्कूल के 26 छात्र बीमार
हिसार :स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को आयरन की गोलियां देने के सघन अभियान के तीसरे दिन भी विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों की हालत खराब हो गई। इस कड़ी में आज धांसू गांव स्थित सरकारी हाई स्कूल के 26 से अधिक विद्यार्थियों की गोली लेने के बाद तबीयत खराब हो गई। पता चलते ही स्कूल प्रशासन तुरंत विद्यार्थियों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में दाखिल कराया गया। वहीं नारनौंद में बीते दिन गोली लेने से बीमार अधिकांश विद्यार्थियों की हालत में अभी सुधार नहीं हुआ है। इसी तरह हांसी के सुल्तानपुरा गांव और बरवाला के बयानाखेड़ा गांव के सरकारी स्कूल में गोली लेने वाले 50 से अधिक विद्यार्थियों के पेट में दर्द की परेशानी दूर नहीं हुई है।
सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
भूना : भूना ब्लॉक के गांव चौबारा में आयरन की गोली खाने से एक दर्जन से अधिक बच्चों की हालात खराब होने पर अभिभावकों ने स्वास्थ्य विभाग व सरकार के खिलाफ जमकर रोष प्रदर्शन किया। अभिभावकों का कहना है कि सरकार आयरन की गोलियां छात्राओं को देने की बजाए उन्हें मिड-डे-मिल में ताजा अनार खिलाए ताकि विद्यार्थियों में खून की कमी न रहे। गांव के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगाया है कि घटिया स्तर की आयरन की गोलियां बच्चों को दी जा रही हैं। जिसके कारण बच्चों का स्वास्थ्य सुधरने की बजाए बिगड़ रहा है।
जींद के घोघडिय़ा गांव में 66 बच्चे अस्पताल में
जींद : आयरन की गोली खाने के बाद जिले के घोघडिय़ा गांव के राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल में आज प्रात: हो रही प्रार्थना सभा में एकाएक छात्र-छात्राओं को चक्कर आने लगे। विद्यार्थी पेट को हाथ से पकड़ कर जमीन पर बैठने लगे। जिसके चलते यहां उपस्थित स्कूल स्टाफड्ड में हड़कंप मच गया। घोघडिय़ा स्कूल में 326 छात्र-छात्राओं को आयरन की गोलियां दी गई थी। अध्यापक अपने-अपने निजी वाहनों में पेट दर्द, उल्टी आने की शिकायत करने वाले विद्यार्थियों को लेकर तुरंत गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य में पहुंचने लगे। स्वास्थ्य केंद्र में 66 छात्र-छात्राओं को पेट दर्द, उल्टी की शिकायत होने पर उपचार के लिए लाया गया।
यहां एकाएक इलाज के लिए विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने पर बेड़ों की संख्या कम पडऩे पर चारपाई पर लेटा कर इलाज किया गया। घटना की जानकारी मिलने के बाद पीडि़त विद्यार्थियों के अभिभावकों का जमघट अस्पताल में लग गया। दोपहर दो बजे तक गंभीर रूप बीमार एक दर्जन विद्यार्थियों को छोड़ सभी को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
कथूरा प्रबंधन कमेटियों के अध्यक्षों ने दिए इस्तीफे ,ग्रामीणों ने मांगी माफी
गोहाना : गांव कथूरा के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयरन की गोलियां खाने के बाद छात्राओं की तबीयत बिगडऩे से उपजे विवाद को लेकर गुरुवार को विद्यालय परिसर में बैठक हुई। बैठक में विद्यालय के शिक्षकों के साथ दुव्र्यवहार करने वाले लोगों ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली। कन्या विद्यालय और गांव के दूसरे राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विद्यालय प्रबंधन समितियों के अध्यक्षों ने अपने पदों से इस्तीफे दे दिए।
झोरडऩाली के दो छात्र बीमार
सिरसा :आयरन की गोली खाने के दूसरे दिन गांव झोरडऩाली के दो स्कूली छात्रों को पेट दर्द की शिकायत के बाद सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। स्कूल के अन्य बच्चों की भांति कक्षा नौ के छात्र सुनील पुत्र कृष्ण तथा आठवीं के छात्र योगेश पुत्र पृथ्वीराज ने दो दिन पहले आयरन की नीली गोली खाई थी।
फरीदाबाद में 20 बच्चे अस्पताल में
http://blog.bharatthakurgroup.com/2013/07/blog-post_8788.html

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें