सोमवार, सितंबर 09, 2013

दलाल मीडिया ने ही भारत को बरबाद किया है

Ignited Mind
जरुर पढ़े .......
ये हैं हमारे आस-पास के हालात ! दिल पर हाथ रखकर कहिये कि क्या ये सच नहीं ?

सवाल ये है कि #मुस्लिम महज़ 15% हो कर भी 85% #हिन्दुओं को कैसे नचाते हैं ? क्यों 85% हिन्दुओं के लिये राजनेताओं को तुष्टिकरण नीति की जरूरत नहीं होती, लेकिन 15% मुस्लिम वोट के लिये वो उसका थूक चाटने को तैयार रहते हैं? बिल्कुल साधारण कारण है। राजनीति-सामाजिक मामलों में मुस्लिमों की एकता !

ऐसा नहीं है कि जाति के आधार पर सिर्फ़ #हिन्दु ही बना हुआ है, मुस्लिमों में भी अंधाधुँध जातिवाद है। बल्कि कयी मामलों में तो हिन्दुओं से भी कहीं ज्यादा। लेकिन जब बात राजनीति की आती है तो मुस्लिम अपने मौलवी की सुनता है। मौलवी ललकार लगाता है कि #बीजेपी को वोट नहीं देना है, #मुल्ला बोलता है, "जी हाँ!"

लेकिन हिन्दुओं में ठीक उल्टा है। वो बिखरा हुआ है। ना सिर्फ़ उसके यहाँ जाति-आधारित वोट पड़ते हैं, बल्कि इस घिनौने जातिवाद से भी ज्यादा घिनौना रूप है उसके दोगले "सेक्युलरिज्म" का। ध्यान दें, "सेक्युलरिज्म" और "दोगला सेक्युलरिज्म" दोनो बिल्कुल ही अलग चीजें हैं। ज्यादातर हिन्दु "सेक्युलरिज्म" के नहीं, बल्कि "दोगले सेक्युलरिज्म" का शिक़ार हैं और अपनी ही नस्ल को जयचँद बनकर खा रहे हैं।

समस्या का हल इसमें नहीं है कि बीजेपी या किसी विशेष राजनीतिक दल को इस चुनाव में जिता दिया जाय। आसार तो हैं कि इस बार ऐसा होगा, क्योंकि हिन्दु अब वास्तव में इस दोगलेपन से उब चुका है। लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने के बावजूद हिन्दु को मुसलमान के बराबर का वाज़िब हक़ मिलने की सम्भावना कम ही है।

फिर क्या इलाज़ है ? इलाज़ है समग्र हिन्दु-एकता। नेता वोट माँगने जायें तो सीध बोलें कि या तो मुस्लिम के विशेष-अधिकार समाप्त करो, या फिर हिन्दु को भी वो सारे अधिकार दो। इस चीज को अपने एजेण्डा में शामिल करो, तभी वोट मिलेगा। इतनी जल्दी तो ये बात सम्भव नहीं हो पायेगी, लेकिन अब वक़्त आ गया है कि हिन्दु को ये लड़ाई लड़नी पड़ेगी, नहीं तो जैसे दूसरे मुल्क़ों में हिन्दु इतिहास बनकर रह गया है, वैसे ही जल्दी ही भारत में भी वो इतिहास की चीज बन जायेगा। फ़ैसला आपका है, भविष्य बनना चाहते हो या इतिहास !

Raju Patel
मैंने हमेशा कहा है की मीडिया ने ही भारत को बरबाद किया है

क्योंकि जब तक हिन्दू मारे जाते हैं मीडिया खामोश रहती है
अभी पिछले साल असम में ६ जुलाई से १५ जुलाई तक हिन्दू मारे
जाते रहे मीडिया खामोश मगर ज्यों ही १६ जुलाई से हिन्दुओं ने

जवाब देना शुरू किया मीडिया दहाड़े मार-२ कर रोने लगी
और एक सांसद जी भी सोनिया के पास जाकर रोने लगे
और सोनिया की भी आँखें डबडबा गई और वहां २० जुलाई को वहां
सेना भेज दी गई

इसीतरह जब मुजफ्फर नगर में लड़की छेड़ने के बाद उस लड़की के भाइयों
को मार डाला गया था
उसी समय अगर पुलिश खुद कड़ी कार्यवाही कर देती और मीडिया भी मामले
को तूल दे देती (हां मीडिया ये नहीं बाताती की मामला हिन्दू मुस्लिम है मगर मीडिया को
ये कहकर मामले को जोर-शोर से उठाना चाहिए था की शोहदों के खिलाफ कार्यवाही होनी
चाहिए)

तो शायद दंगा इतना नहीं बढ़ पाता
मगर मीडिया का जब आदमी खुद दंगे का शिकार हो गया तब मीडिया को याद आया की
इस खबर को दिखाना है इसलिए मैं भारत की बर्बादी में सबसे ज्यादा मीडिया को दोषी
मानता हूँ

जय श्री राम

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