बुधवार, अगस्त 09, 2017

राजेश आर एस एस कार्यकर्ता की हत्या और केरल का वामपंथ

राजेश का नित्य का काम था कि वो शाम को दूकान से एक पैकेट दूध और बिस्कुट लेकर अपने घर जाते थे। दोनों बेटों को दूध और बिस्कुट देते थे और फिर हिन्दू धर्म ग्रन्थों से कुछ न कुछ ज्ञान की बात सुनाते थे। बड़ा बेटा कभी कभी शाखा गया था लेकिन अभी दोनों उम्र में छोटे थे तो उनके पूछने पर कि वो शाखा कब जाएंगे .. हँस के राजेश कहते थे थोड़ा और बड़े हो जाओ ... राजेश ने घर पर काम कराने के लिए पत्नी के गले का हार बेंच दिया था और उन पैसों को अपने मारे जा चुके साथियों के परिवार के सहायता राशि में दे दिया था। वो दुगुनी मेहनत करते थे, पैसे कमा के पत्नी का हार वापस देना था और समय समय पर पैसे सहायता कोष में भी देते रहना था ... वो राजमिस्त्री का काम करते थे
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उस दिन शाम को भी राजेश ने उस दूकान से दूध बिस्कुट लिया और घर की ओर चल पड़े ... कुछ समय बाद दुकानदार को खबर आया कि राजेश को मार दिया गया है .. वहां देखा तो राजेश की दोनों कलाइयाँ कटी हुई थी और उन कलाइयों में दूध - बिस्कुट का पैकेट मौजूद था .. दुकानदार बेहोश हो गया था .. राजेश के शरीर पर 89 बार धारदार हथियारों से वार करके काटा हुवा था ... राजेश 29 जुलाई 2017 को अनन्य यात्रा को चले जा चुके थे ...अपने अन्य साथियों निर्मल, रवीन्द्रनाथ, विनेश, बीजू, सुजीत, रामचंद्रन, बिनिश, राजू, अजुथन, संतोष और रमित के पास जिनको पिछले 17 महीनों में केरल में CPM के गुण्डों ने मार डाला है ... फर्क ये कि राजेश पर 89 वार किये और वहाँ लिखा हुआ मिला कि ये नया रिकॉर्ड है, पिछले 51 कट का रिकॉर्ड तोड़ दिया गया है...
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राजेश के अन्य साथियों की तरह राजेश की निर्मम हत्या पर कोई चर्चा नहीं, कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं, न लोकतंत्र खतरे में, न अभिव्यक्ति खतरे में, न ही इस लिंचिंग पर कोई बात...जबकि CPM के गुण्डे केरल भर खुले में घूम के हत्या करने के नारे लगा रहेे हैं ...
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क्यों बात नहीं की जा रही क्योंकि वो RSS से जुड़ा इन्सान था, क्योंकि वो हिन्दू था, .. क्योंकि उसके हिंदुत्व ने अपने विरोधी को मार डालना नहीं सिखाया था जिस कारण उसके हत्यारे उसके द्वारा पहले ही मारे नहीं जा सके थे ... क्योंकि हत्या करने वाले कथित तौर पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और सहिष्णुता के रखवाले गैंग वाले लोग थे और मीडिया में इन्ही वामपंथियो का जमावड़ा है ...
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CPM तथा अन्य वामपन्थी गैंग के गुंडे हत्याएं करते हैं..सोशल मीडिया पर बैठे वैचारिक वामपंथी आतंकवादी इनको बौद्धिक संरक्षण देते हैं और मीडिया नामक वामपंथी कुत्ता इनके आगे पीछे दुम हिलाता घूमता है...दुसरे का बछड़ा चुराकर मारकर खाने वाले अख़लाक़ पर ये वामपंथी वैचारिक अत्तंकवादी विश्व भर में चिल्लाए ... लेकिन मेहनत की कमाई से अपने बच्चों को दूध बिस्कुट खरीदकर खिलाने वाले राजेश और अन्य की निर्मम हत्या पर ख़ामोशी ... इतना बड़ा दोगलापन ...
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केरल में वामपंथी खुले आम नारे लगाते हैं कि उनको मारने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं चाहिए वो मारने में एक्सपर्ट हैं ....बात यही है सच कि वामपन्थी ऐतिहासिक हत्यारे हैं, ये वैश्विक हत्यारे हैं .. भारत में इनके नाम साईंबाड़ी, नन्नूर, मरीचझांपी, बीजोन सेतु काण्ड आदि लिखा है तो इन्होने विश्व भर में करोड़ों मारे हैं..पूरे विश्व में इन लोगों ने इसके रिकॉर्ड बनाए हैं...कम्बोडिया के वामपंथी पोल पोट ने अपने देश की 21% जनसँख्या मार डाली थी और नरमुण्डो का म्यूजियम बनवाया था..ईदी अमीन नमक रक्तपिपासू भी इन्ही के जमात का था ....
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रूस के Stalin के अनुसार "The death of one man is a tragedy but The death of millions is a statistic." जिनकी ऐसी सोच रही हो उन्होंने कितने मानव हत्या को अंजाम दिया होगा उसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। वामपंथियों के सारे नेता mass murderer रहे हैं ... Mao, Fidel Castro and Kim Il-sung .. इनके द्वारा मारे गए लोगों का आंकड़ा दर्दनाक है ::: USSR (Russia)- 20 miilion, Vietnam- 1 million, China- 65 million, Afghanistan- 1.5 million, Eastern Europe- 1 million, Cambodia- 2 million, Africa- 1.5 million, North Korea- 2 million
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नास्तिकवाद इन वामपन्थियों दिल में है, वे भगवान के अस्तित्व से इनकार करते हैं। चूंकि वे सृष्टिकर्ता या ईश्वर की अवधारणा में विश्वास नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें परमेश्वर की आज्ञाओं में भी कोई दिलचस्पी नहीं है - इसलिए इनका कोई नैतिक पक्ष नहीं है। कम्युनिज्म के इस भौतिकवादी दर्शन ने भारत के चरवाका या लोकायत दर्शन के साथ बहुत सारी समानताएं साझा की हैं। उनके लिए अगर कुछ वामपंथ को बाधित करता है तो वो पाप है, अगर कुछ वामपन्थ को बढ़ाने का कारण बनता है तो वो ही पुण्य है। इसका मतलब यह नहीं है कि वामपंथियों के पास कोई धर्म नहीं है, उनके पास भी धर्म है, उनका धर्म उस व्यक्ति की पूजा करना सिखाता है जो उनका नेता या शासक हो और जो नरसन्हार करने का मज़ा लेता हों..उसकी बातें ही धर्म है...तो संक्षेप में वामपंथियों के अनुसार...न कोई भगवान...न ही कोई पाप..तो कोई वामपंथी हत्या अनैतिक नहीं ...
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हे वामपंथीयों तुम जितना मर्ज़ी जुर्म कर लो, खूब अनैतिक काम कर लो, कितने भी मासूम और निहत्थों के मौत का मज़ा ले लो....लेकिन याद रखना भारत की धर्म की अंतिम लड़ाई आदि शंकराचार्य की धरती केरल से ही होगी...और मेरी बात को याद रखना उस समय विजयी भारतवर्ष होगा..विजयी सनातन होगा...तब धर्म का राज स्थापित होगा और अधर्म का समूल विनाश होगा...मलेच्छों का नाश होगा...

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