गुरुवार, अगस्त 24, 2017

आरती कब की बुझ चुकी थी

दिनेश कुमार प्रजापति
ब्लैक कलर की फर्चूनर सहसा आरती के बराबर में आकर तेजी से रुकी !!! चलाने वाला वही था असलम उर्फ़ नीरज !!!
आओ आरती , ट्यूशन जा रही हो ना ??? मैं भी काम के सिलसिले में उधर ही जा रहा हूँ , बैठ जाओ !!!
अरे ??? (हैरत से ) तुम फिर मेरे पीछे आ गये ???
पीछे नही आ रहा हूँ , बस जरा बिजनेस के सिलसिले में जा रहा था , हाँ यह बात जरुर हैं कि इस समय इसलिए निकला क्योकि जानता था कि तुम भी इस समय ट्यूशन जाती हो !!! अब ज्यादा सवाल मत करो , मुझे देर हो रही हैं !!! बैठ भी जाओ प्लीज !!!
हम्म (बैठते हुए) सुबह तो बाइक खड़ी थी तुम्हारी और अब ये गाडी किसकी हैं ??? चुराकर तो नही लाये हो ना ??? ( खिलखिलाकर )
नही नही ....खाते पीते घर का हूँ , चोरी क्यों करूंगा ??? घर में और भी दो गाडिया हैं पर क्या हैं ये अभी ली हैं इसलिए ले आया फिर आखिर इसकी 1000 किमी के बाद सर्विस भी होनी हैं , ना चलाओ तो बेकार में ही तेल पानी बदला जाता हैं !!! (तभी फोन की घंटी बजती हैं )
हाँ कहिये प्रेमचन्द जी ???
क्या ??? मगर मैं तो आ गया था ???
चलिए कोई बात नही , मैं एक घंटे के बाद आपसे मिलकर पेमेंट ले लूँगा !!! मगर एक घंटे के बाद पेमेंट पूरी चाहिए , इतना याद रखियेगा !!! इस बार कोई बहाना नही !!! जी ...ओके !!!
ये लोग भी ना ??? लेने की आदत अहिं और देते हुए बहुत जोर पड़ता हैं !!! उन्ह्ह्ह (झल्लाकर फोन को डेशबोर्ड पर पटकते हुए )
क्या हुआ नीरज ??? मूड क्यों खराब हो गया ??? अभी तो बड़े खुश थे ???
क्या बताऊ आरती ??? एक पार्टी से बीस लाख की पेमेंट लेनी थी , साले ने एक घंटे के बाद बुलाया हैं !!! बिना मतलब ही टाइम खोटी कर गया !!! तुम एक काम करोगी मेरा ??? प्लीज ??? देखो मना मत करना ??? _/\_
क्या ??? बोलो ???
देखो मेरे पास एक घंटे का समय हैं , यहाँ मैं किसी को जानता भी नही , क्यों ना माल में चलकर वहाँ मैकडोनाल्ड में एक एक कोफ़ी पिए ??? इतने में एक घंटा यू बीत जाएगा !!!
पागल हो ??? मरवाओगे ??? किसी ने अगर देख लिया तो मेरी शामत आ जायेगी और वैसे भी मेरा ट्यूशन हैं अगर सर ने घर बता दिया तो बखेड़ा खड़ा हो जाएगा !!!
अरे बाबा , कुछ नही होगा ...तुम चलो तो !!!
(और वहशियाना षड्यंत्री जिद मासूमियत पर हावी हो गयी और एक दिन माह ए रमजान के पहले दिन दोनों एक साथ बैठे थे )
आरती , कितना मुश्किल होता होगा ना ??? पूरा एक दिन बिना अन्न के , बिना पानी के , रोजा रखना ???
हम्म्म्म , पता नही , मैंने कभी रखा नही , सिर्फ सोमवार के व्रत रखे वो भी तुम्हारे लिए। .
आरती क्यों ना हम दोनों इस बार रोजे रखे ??? तुम मेरे लिए और मैं तुम्हारे लिए ???
हैंएएएएएए ??? तुम कही पागल तो नही हो गये हो ??? घरवाले क्या कहेंगे ??? जान से मार देंगे मुझे !!! समझे ??? ( आरती ने घबराते हुए कहा )
और जैसे मेरे घरवाले तो मुहे तोहफे से लाद देंगे ??? हैं ना ??? अरे पागल , यही तो हमारे सच्चे प्यार का इम्तिहान होगा !!! कल से हम दोनों के प्यार की सलामती के लिए रोजे शुरू !!! ठीक हैं ना आरती ??? और सुनो अजीब इत्तेफाक हैं क्योकि ईद के दिन ही मेरा जन्मदिन भी हैं , उस दिन रात को डिनर हम दोनों एक साथ लेंगे !!!
और इस तरह आरती किस तरह षड्यंत्र में फंसती चली गयी उसे खुद नही मालूम चला और आखिर ईद आ गयी !!!
ये तुम कहाँ ले आये मुझे नीरज ??? ये किसका घर हैं ??? ( डरते डरते आरती ने पुछा )
असलम - ये मेरे दोस्त अमर का घर हैं , आज हम उसके घर ही अपना जन्मदिन मनाएंगे !!!
आरती - मगर तुमने तो कहा था कि डिनर करेंगे ??? फिर यहाँ क्यों ???
अरे बाबा , ये साले दोस्त बड़े कमीने होते हैं , कहने लगे हमे नही देगा ट्रीट ??? तो मैंने सोचा कि केक अमर के घर काट लेते हैं , फिर थोडा डांस और डिनर होटल में चलकर करेंगे !!! आओ तुम्हे अपने दोस्तों से मिलवाता हूँ !!!
ये हैं अमर , ये अभिषेक और ये रोहित - असलम
हाय आरती जी , हेल्लो आरती , नमस्ते , चलो भाई नीरज फटाफट केक काटो
और केक का पहला टुकड़ा खाने के बाद जब आरती की आँख खुली तब तक उसके कपड़े पंखे के ऊपर मंद गति से टंगे घूम रहे थे , बदन का हर हिस्सा बहुत दर्द कर रहा था , चेहरे और सीने पर दांतों के निशान थे जिनसे रह रह कर टीस उठ रही थी !!!
बैडशीट को अपने ऊपर खींचती हुयी आरती रोते हुए बोली - कहाँ हैं वो कमीन नीरज ???
चारो वहशियाना हंसी हंसते हुए बोले - नीरज ??? बेवकूफ लडकी वो नीरज नही , असलम हैं जो कबाड़ी का काम करता हैं और तुझे कबाड़ बनाकर हमे 50,000/- में बेच गया हैं !!!
हा हा हा हा .. नीरज हा हा हा हा हा हा नीरज ...साला असलम माल इस बार बहुत सही लाया हैं !!! फुल टाईट माल हैं सोहेल ( हा हा हा हा हा हा हा अट्टाहस )
हां भाई जान पर मेरी भी बनाई पिक्चर तो देखो , ऐसी पिक्चर तो साला महेश भट्ट भी नही बना सकता , साली के बदन का एक एक अंग ऐसे शूट किया हैं कि साले होलीवुड वाले मुझसे तालीम लेने आये भाईजान !!!
आरती कब की बुझ चुकी थी , निःशब्द हो चुकी थी मगर फिर भी चुपचाप किसी तरह उनके चुंगल से भागकर सीधे नहर पर आ गयी थी , कल्पना में उसे गणेश विसर्जन का दिन याद आ गया !!! ढोल नगाड़े बज रहे थे , लोग खुश होकर गुलाल उड़ाकर गणपति बप्पा को विसर्जित कर रहे थे और इधर आरती भी कूद गयी ...............
..छपाक !!!!
आरती ने भी अपनी जिन्दगी को नदी में विसर्जित कर दिया था , फर्क इतना था गुलाल की जगह उसके ख्वाब कपड़ो की तरह तार तार होकर उड़ रहे थे !!! असलम के दोस्तों की हंसी ढोल नगाडो से भी ज्यादा तेज थी जो कान फोड़े जा रही थी !!! पानी में एक हलचल के साथ थोड़ी देर के बाद सब शांत हो गया ................सब शांत हो गया !!!

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