रविवार, जून 02, 2013

देश की वानस्पतिक विविधता को नष्ट करते कुछ पोधे...


देश की वानस्पतिक विविधता को नष्ट करते कुछ
पोधे.....

१ .कांग्रेस घास ....
यह दुनिया की सबसे अधिक विनाशकारी और
अवांछित खर-पतवार है, जो 1950 के आसपास
अमेरिका से मँगाये गये पीएल-480 गेंहूँ के साथ भारत में आयी थी। इसका वैज्ञानिक नाम पार्थेनियम
हिस्टीरोफोरस है। इसे कांग्रेस घास कई कारणों से
कहा जाता है-
1. इसका ‘आयात’ कांग्रेस की केन्द्र सरकार के समय
किया गया था।
2. यह ठीक उसी प्रकार तेजी से फैलती है, जिस प्रकार
कांग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार फैलता है।
3. यह समूह में फैलती है और एक पौधे से लगभग 25-30
हजार नये पौधे उत्पन्न हो जाते हैं। समूह को अंग्रेजी में
कांग्रेस कहा जाता है।
वैसे इसे ‘गाजर घास’ भी कहा जाता है,
क्योंकि इसका पौधा देखने में गाजर के पौधे जैसा लगता है,
परन्तु इसका ‘कांग्रेस घास’ नाम अधिक लोकप्रिय है। इस पौधे के फूलों से ऐसे कण वातावरण में फैल जाते हैं,
जो मनुष्य और पशुओं के सम्पर्क में आकर उनमें चर्म और
श्वाँस सम्बंधी तमाम गम्भीर बीमारियाँ पैदा करते हैं, जैसे-
एलर्जी, खाज, एक्जीमा, साइनस, ब्रोंकाइटिस,
अस्थमा (दमा) आदि। पर्यावरण में वायु को प्रदूषित
करने में इसका सबसे अधिक हाथ होता है, जिसके कारण हम चैन की साँस भी नहीं ले सकते। इसको नष्ट करने के
तमाम प्रयास अब तक असफल रहे हैं। यह मानसून के
दिनों में सबसे अधिक फैलती है। इसके द्वारा उत्पन्न
होने वाली बीमारियों के इलाज पर अब तक लाखों करोड़
रुपयों की राशि व्यय की जा चुकी है, परन्तु इससे छुटकारे
के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस घास से शारीरिक ही नहीं तमाम मानसिक और
सामाजिक बीमारियाँ भी फैलती हैं। इसमें चर्म और
श्वाँस रोगों के साथ ही साम्प्रदायिकता, देशद्रोहिता,
चापलूसी, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के कीटाणु भी पलते
और फैलते हैं। कई बार यह देखा जा चुका है कि जब भी यह
सर्वनाशी कांग्रेस (घास) प्रबल होती है, तभी ये समस्याएँ अपने प्रबलतम रूप में सामने आती हैं।
कांग्रेस घास के कारण देश को अरबो रुपये के अनाज
का नुक्सान हो चूका है |

२.यूकेलिप्टस (सफेदा )...आस्ट्रलिया से आयातित
यूकेलिप्टस भूमाफियो की पहली पसंद है...आसमान
को छूते ये वृक्ष भूजल का तेजी से दोहन करते है जिसके
कारण इनके आसपास के क्षेत्र में पेयजल
की कमी हो जाती है |अत्यधिक लम्बे होने के कारण ये
छाया भी नहीं देते....फिर भी कांग्रेस सरकार ने इनको राष्ट्रीय राजमार्गो के दोनों तरफ लगवा दिया है
जिसके कारण समीपस्थ गावो को पेयजल की किल्लत
से जूझना पड रहा है......

३.विलायती बबूल ...
हमारी खेती को तहस - नहस करने के लिए पूरे देश में
इंदिरा गाँधी की कांग्रेस सरकार द्वारा हवाई जहाज के
जरिये विलायती बबूल के बीजों को " बरसाया " गया , ये
ऐसे बीज थे जिनको थोड़ी सी पानी की फुहार ने
भी पनपा दिया . इन बीजों की ख़ास बात यह है कि इनकी जड़े धरती में एकदम नीचे तक उतर जाती है
और पूरा का पूरा जल - संचय पी जाती है . ख़ास बात तो यह
है कि इस बीज से पनपे पेड़ का कोई
भी हिस्सा किसी भी काम का नहीं है - न इसके
पत्तों को कोई जानवर खाता है न इसकी फलियाँ कोई
काम की है और न ही इसकी लकड़ी घरेलु इंधन के काम की है .और तो और पेड़ को अगर काट भी दें तो पुनः अपने
आप उग जाता है . नतीजन हमारी धरती माता निरंतर जल
विहीन होती जा रही है . पृथ्वी के जल स्तर को नीचे ले
जाने में इस दुष्ट पेड़ ने भी अपनी अहम् भूमिका निभाई है
- निभाते ही जा रहा है ....
ये पेड़ अपने आसपास की जमीन में एक विशेष प्रकार का जहर छोड़ते है जिससे अन्य पोधे नहीं पनप पाते और
भूमि बंजर हो जाती है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें