कृष्ण मृत्यु शय्या पर पड़े दुर्योधन को कहते हैं,,,,,,
तुमने सेनापति बनाया भीष्म पितामह को जिन्होंने भावुकता में अपनी मृत्यु का राज अर्जुन को बता दिया।फिर बनाया सेनापति द्रोण को.............
उसके बाद बनाया सेनापति कर्ण को जिन्होंने युद्ध के पलड़े को पलट दिया और आते ही चारो भाइयों को जीवन दान दे दिय,,,,,,, क्योकि माता को वचन दिया था आपका 1 पुत्र ही मारेगा और इस तरह बाकी भाईयों को जीवन दान देकर विजय को ठुकरा दिया।
तुमने सेनापति बनाए तो सही थे दुर्योधन ,,,,,,,,मगर यह सेनापति काल तथा समय के अनुसार उपयुक्त नही थे..….....क्योक
हां.......अगर कर्ण से पहले तुम अश्वत्थामा को सेनापति बना देते तब भी तुम विजय प्राप्त कर सकते थे....... क्योकि अश्वत्थामा सभी बंधनों से एवं शाप से मुक्त थे।
वह थे शिव का अवतार........उस
इस कहानी का तात्पर्य यह है कि अगर सेनानायक बनना है,,,,,,,, राष्ट्र तथा समाज का प्रतिनिधित्व करना है,,,,विजय हासिल करनी है तो सामर्थ्य के साथ साथ भटकाने वाले हर बंधन,,, भावुकता और अभिशाप से दूर रहना होगा।
देश में आज मोदी उसी रुप में हैं,,, मुझे मोदी की कई नीतियों से घोर असहमति होती है ,,,, लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता अथवा उनकी राष्ट्र के प्रति निष्ठा को लेकर कोई संदेह नहीं रहा और ना ही रहेगा।
इस लड़ाई में हमारा सेनापति हर भावुकता ,, द्वंद्व और अभिशाप से दूर है। अतः: समय है उसके प्रति विश्वास रखते हुए उसके हाथ मजबूत करने का एवं विधर्मी और राष्ट्रविरोधी तत्वों को हराने का।
यह महाभारत जीतेंगे तभी नये भारत का अभ्युदय होगा।
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