दो तीन साल पहले की बात है ।
बड़ा नाम सुना था मूडी जी की चेक dam क्रांति का । ऐसा कहा जाता था कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते साढ़े छः लाख 6,50,000 Check Dams बनवा के एक सूखे बंजर प्रदेश में हरित क्रांति ला दी थी । इसके अलावा विकास के गुजरात model की भी बड़ी चर्चा थी । 
सो ये सोचा कि सब कुछ अपनी आंख से देखा जाए । तो भैया , गुजरात में सौराष्ट्र घूमने का पिलान बना । साथ चले भाई Awanish P. N. Sharma जी । 
तय पाया कि गांव देहात घूमना है और भरसक गांव में ही रुकना ठहरना है । 
सो एक स्थानीय फेसबुक मित्र भाई Jagdish V Parmar के घर हम लोग एक रात रुके । उनके साथ खेत मे टहल रहे थे । तभी उन्होंने पत्थर का एक काफी ऊंचा चबूतरा दिखाया , जो लगभग 4 या साढे चार फ़ीट ऊंचा था । उन्होंने वो चबूतरा दिखा के पूछा कि दद्दा , अंदाज़ा लगाइये कि ये क्या है ?????
हमको कुछ समझ न आया .......
तब उन्होंने जो कहानी सुनाई , उसे सुन के सिर श्रद्धा से झुक गया ।

पुरानी बात है ...... आज से कोई 120 साल पहले , एक व्यक्ति इसी तरह खेत की पगडंडी पे चलता कहीं जा रहा था । तभी उसे वहां एक महिला दिखी जो अपने खेत से फसल का एक बोझ लिये आ रही थी । भारी बोझ .....थक गई सो सुस्ताने के लिये बोझ जमीन पे धर दिया । अब उसे उस सुनसान बियाबान में कोई आदमी न मिले जो उसे उठवा के सिर पे रखवा दे । तभी ये सज्जन आ गए ....... उसने इनसे आग्रह किया और इन्होंने उसका बोझ उठवा के उसके सिर पे रखवा दिया और वो अपने रास्ते चली गयी ।
और कोई होता तो इस घटना को भूल जाता ।पर वह व्यक्ति न भूला । वो दरअसल तत्कालीन गोंडल रियासत के महाराज श्री भागवत सिंह जी महाराज थे । उन्होंने ध्यान दिया कि इस प्रकार किसानों को अपनी फसल सिर पे ढोने में कितनी दिक्कत होती है ।
सो उन्होंने अपने पूरे राज्य में खेतों में ऐसे चबूतरे बनवाये जहां किसान अपना बोझ उतार के विश्राम कर ले और फिर बिना किसी सहायता के स्वयं ही वापस सिर पे रख के आगे चल दे । इसीलिये उस चबूतरे की ऊंचाई लगभग 4 फ़ीट रखी गयी ।
ऐसे प्रजा वत्सल कल्याणकारी राजा थे महाराज श्री भागवत सिंह जी ।

आपको ये जान के आश्चर्य होगा कि जहां देश के सभी राजा सिर्फ ऐश अय्याशी में जीवन बिताते थे , महाराज भागवत सिंह जी उस ज़माने में , 1892 में University of Edinburgh से Medical की डिग्री ले के लौटे और फिर अपने राज्य में जगह जगह अस्पताल खोले और उनमें स्वयं मरीज देखते थे ।
उस ज़माने में Gondal देश की एकमात्र रियासत थी जो पूरी तरह Tax Free थी और राज्य का पूरा पैसा सिर्फ कल्याणकारी कामों में खर्च होता था । पूरे राज्य में स्कूल कालिज , अस्पताल , नहरें , रेल network , बनाया गया । उस ज़माने में गोंडल में सभी लड़कियों को कक्षा 4 तक कि primary शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त थी । आपके शासन काल मे पूरे राज्य में एक भी व्यक्ति खासकर महिला अनपढ़ नही थी .......बताया जाता है कि सन 1900 में गोंडल राज्य में हज़ारों महिलाएं Graduate थीं । 
महाराज साहब ने राज्य से पर्दा प्रथा समाप्त कर दी और अपने महल में Only Ladies wing यानी जनानाखाना नही बनवाया ....... न सिर्फ अपने बेटों बल्कि बेटियों को भी उच्च शिक्षा दिलाई । उनके दो बेटे विदेश से डॉक्टरी पढ़ के आये और दो इंजीनियरिंग .......एक बेटा राज्य का CMO बोले तो Chief medical Officer बना और सारी जिंदगी उन्ने डॉक्टरी की और बाकी दो बेटे रेलवे के चीफ इंजीनियर बने और पूरे राज्य में रेलवे का जाल बिछा दिया ......
गोंडल देश का पहला राज्य था जहां सबसे पहले Animal Husbandry विभाग बना , और जगह जगह पशुओं के अस्पताल बने , Engineering कॉलेज बने , पूरे राज्य में शहरों में sewer system , पेय जल की pipeline , और बिजली पहुंचाई गई ...... 
आज़ादी से पहले 1920 - 30 - 40 में ही इतना उन्नत राज्य था गोंडल ......

महाराज साहब की मृत्यु 1944 में हुई और 1947 में आज़ादी मिली और गोंडल चला गया नेहरू आ कांग्रेसियों के हाथ ....... जगदीश भाई बता रहे थे कि जिस गोंडल की सभी शत प्रतिशत महिलाएं 1900 में शिक्षित और अधिकांश graduate थीं उसी गोंडल राजकोट में 1970 में सभी औरतें निरक्षर थीं ।
अनपढ़ अंगूठा टेक ।

*फिर भी कांग्रेसी कहते हैं कि इन्ने आधुनिक भारत बनाया ???????*
देश का पहला प्रधान मंत्री भागवत सिंह जैसे व्यक्ति को होना चाहिए था ,