बुधवार, दिसंबर 09, 2020

हिंदू राजाओं ने भी अपने राज्य में बौद्ध धर्म को भरपूर संरक्षण दिया और बौद्ध धर्म को फैलाया।

 बनारस में मुझे एक युवा बौद्ध मिले जो म्यांमार के रहने वाले हैं और जो 5 सालों से भारत के दो यूनिवर्सिटीज में बौद्ध धर्म पर रिसर्च कर रहे हैं।

उन्होंने एमफिल जेएनयू से की और पीएचडी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से कर रहे हैं।

उनके शोध का विषय है गुप्त काल में बौद्ध धर्म का फैलाव

क्योंकि वह 5 सालों से लगातार बनारस और दिल्ली में रह रहे हैं उन्हें हिंदी भी बहुत अच्छी आती है।

वह एक बात पर बहुत आश्चर्यचकित थे कि भारत के जो नवबौद्ध हैं वह आखिर हिंदू धर्म से आखिर इतना नफरत क्यों करते हैं ?

भारत मे लोग जब बौद्ध धर्म स्वीकार कर रहते हैं उसके बाद वह हिंदू धर्म को गाली देते हैं जबकि बौद्ध धर्म का पूरा प्राश्रय, लालन-पालन और फैलाव हिंदुओं ने किया चाहे वह सम्राट अशोक हो चाहे बिंबिसार हो चाहे गुप्तकाल हो और बहुत से दूसरे हिंदू राजाओं ने भी अपने राज्य में बौद्ध धर्म को भरपूर संरक्षण दिया और बौद्ध धर्म को फैलाया।

पुष्यमित्र शुंग ने अफगानिस्तान से लेकर इराक तक बौद्ध धर्म का फैलाव किया।

उनके अनुसार बौद्ध धर्म का असली दुश्मन तो शांतिदूत धर्म है। उन्होंने बताया कि मेसोपोटामिया की सभ्यता यानी आज के इराक में तिकरित शहर म्यूजियम में जो हजारो साल पुरानी बौद्ध प्रतिमाओं से लेकर बौद्ध धर्म के तमाम शिलालेख रखे थे उन्हें ISIS वालों ने तोड़ दिया। अफगानिस्तान में पूरी पहाड़ी को काटकर बनाई गई बामियान की दो विशाल बौद्ध प्रतिमाओं को तालिबान यानी शांति दूतों ने तोप से उड़ा दिया।

अफगानिस्तान में किसी जमाने में 5% बौद्ध थे आज एक भी बौद्ध नहीं है। पाकिस्तान में आजादी के समय 4% बुद्ध थे आज 0% है। यानी किसी भी इस्लामिक देश ने बौद्ध धर्म को न प्रश्रय दिया ना बौद्ध धर्म की निशानियां को संभाल कर रखा बल्कि उन्हें नष्ट कर दिया।

वह बता रहे थे कि कई बार महाराष्ट्र व दूसरे राज्य से नवबौद्ध सारनाथ आते हैं और कई भंते मिलते हैं तो वह अपनी बातों में सिर्फ और सिर्फ हिंदू धर्म की बुराइयां भगवान राम भगवान कृष्ण भगवान शंकर की बुराइयां ही करते हैं तो वह उनसे सवाल करते हैं कि जब आप ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया तब बौद्ध धर्म का पहला सिद्धांत ही यही है कि तुम किसी की बुराई मत करो तो फिर आप यह भगवा वस्त्र उतारकर सांसारिक कपड़े क्यों नहीं पहन लेते ? जब आपने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को ही आत्मसात नहीं किया तो खुद को बहुत भंते क्यो बताते हैं ? और गांव-गांव में घूमकर दलितों के बीच में हिंदुओं और हिंदू धर्म की बुराई कर रहे हैं ? यह तो कभी भगवान गौतम बुद्ध की किसी भी किताब में कोई शिक्षा नहीं है और ना ही गौतम बुद्ध ने कहीं हिंदू धर्म की कोई निंदा की है

उन्होंने मुझे विस्तार से समझाया की म्यांमार में बौद्ध भिक्षु स्वामी विराथू ने किस तरह से अपने देश को बचा लिया यदि विराथू नहीं होते तो आज म्यांमार की हालत सोमालिया जैसी होती ।

म्यांमार पूरी तरह से बर्बाद हो जाता। म्यांमार में करीब 20% रोहिंग्या मुस्लिम थे और उन्होंने अपनी एक और रोहिंग्या अरकान रिपब्लिक आर्मी नामक आतंकवादी संगठन बनाया था और यह चुन-चुन कर बौद्धों का कत्लेआम करते थे उन्होंने 3 साल में हजारों बौद्धों का कत्ल किया हर रोज कम से कम 10 बौद्ध लड़की का बलात्कार करते थे और तमाम बहुत सी बौद्ध लड़कियों को लव जिहाद में फंसा कर उसे अपने शांतिदूत धर्म में शामिल करते थे। वहां की सरकार भी इनसे डरती थी।

फिर बौद्ध भिक्षु विराथू सामने आए और उन्होंने फेस 1 फेस 2 और फेस थ्री करके तीन कार्यक्रम देश भर में घूम-घूम कर बताया और उसके बाद म्यांमार के लोगों ने जिस तरह से रोहिंग्या मुसलमानों का प्रतिकार किया वह पूरी दुनिया देख रही है ।

फेस वन में आर्थिक बहिष्कार से लेकर सामाजिक बहिष्कार... फिर हथियार उठाकर उनका सामना करना ...तीसरे फेज में हथियार उठाकर उन पर सामने से हमला करना ...यानी इस तरह 3 चरणों का एक प्लान बौद्ध भिक्षु विराथू ने घूम घूम कर पूरे म्यांमार में दिया और कहा कि भले ही गौतम बुद्ध अहिंसा में मानते हैं और बौद्ध धर्म का पहला ही सिद्धांत अहिंसा है लेकिन याद रखो कि तुम कभी पागल कुत्ते के साथ रह नहीं सकते और ना ही तुम कभी पागल कुत्ते के साथ सो सकते हो और यदि कोई कुत्ता पागल हो जाए तब उसका नाश करना ही पड़ता है ।

उन्होंने बुद्ध के एक उदाहरण देकर बताया कि किस तरह से एक गांव में कुछ लोगों ने एक ऐसे पागल कुत्ते को मार डाला था जिस ने करीब 40 लोगों को काटा था और कई लोग रैबीज से मर गए थे और उनके मन में पछतावा था कि क्या उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं का हनन किया है तब गौतम बुद्ध ने कहा था कि नहीं तुमने जो किया वह उचित किया क्योंकि तुमने आत्मरक्षा में यह कदम उठाया था।

बौद्ध भिक्षु विराथू म्यामार की सेना प्रमुख से मिले ....म्यामांर की शासक आन सान सू की से मिले और म्यामार की सभी विपक्षी पार्टियों से मिले और सभी इस मत पर सहमत थे कि इन रोहिंग्याओं का समूल नाश करना जरूरी है नहीं तो म्यांमार बर्बाद हो जाएगा।

आज जो भारत में रोहिंग्या है असल में ये दया के पात्र नहीं है इन्होंने म्यांमार में हिंदुओं और बौद्धों दोनों का कत्लेआम किया है और दोनों धर्मों की लड़कियों का बलात्कार किया हुआ है

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